नमस्ते दिनेश जी,
पार्किंसन रोग एक न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका तंत्र से जुड़ी) बीमारी है, जो धीरे-धीरे बढ़ती है और मुख्य रूप से हाथों में कांपना, चलने में कठिनाई, शरीर में अकड़न और संतुलन की समस्या जैसी दिक्कतें पैदा कर सकती है।
पार्किंसन रोग को मैनेज करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव:
✅ नियमित दवाएं लें – डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं सही समय पर लें।
✅ योग और व्यायाम करें – रोजाना हल्के खिंचाव वाले व्यायाम (stretching), वॉकिंग, और ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें।
✅ डाइट का ध्यान रखें – फाइबर युक्त भोजन करें, ज्यादा प्रोटीन एक साथ न लें क्योंकि यह कुछ दवाओं के असर को कम कर सकता है।
✅ नींद और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें – पर्याप्त आराम करें और तनाव कम करने के लिए ध्यान (meditation) करें।
✅ फिजियोथेरेपी और सपोर्ट ग्रुप – यदि चलने में कठिनाई हो रही है, तो किसी फिजियोथेरेपिस्ट से सलाह लें।
क्या करना चाहिए?
🔹 यदि हाल के दिनों में लक्षण बढ़ रहे हैं, तो न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लें।
🔹 यदि हाथ कांपना, चलने में दिक्कत, नींद की समस्या या बोलने में कठिनाई हो रही है, तो डॉक्टर नई दवाएं या थेरेपी सुझा सकते हैं।
🔹 यदि आप दवाओं के बावजूद अत्यधिक अकड़न या कांपने की समस्या महसूस कर रहे हैं, तो डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) सर्जरी एक संभावित विकल्प हो सकता है।
डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) – एक नया विकल्प
यदि आपकी दवाओं का असर कम हो रहा है या लक्षण गंभीर हो रहे हैं, तो डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) सर्जरी एक प्रभावी विकल्प हो सकता है।
🔹 यह क्या है?
डीबीएस एक न्यूरोसर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें मस्तिष्क के विशेष हिस्सों में छोटे इलेक्ट्रोड (electrodes) लगाए जाते हैं। ये इलेक्ट्रोड न्यूरोलॉजिकल संकेतों को नियंत्रित करते हैं, जिससे कांपना, अकड़न और गति की समस्याओं में सुधार होता है।
🔹 डीबीएस के फायदे:
✔️ दवाओं पर निर्भरता कम होती है
✔️ हाथों के कांपने और अकड़न में सुधार होता है
✔️ चलने-फिरने और शरीर के संतुलन में मदद मिलती है
✔️ जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है
🔹 क्या यह सभी के लिए सही है?
डीबीएस सभी मरीजों के लिए उपयुक्त नहीं होता। यह उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनकी दवाएं असर नहीं कर रहीं और जिनका शरीर बहुत ज्यादा अकड़ रहा है या कांप रहा है। निर्णय लेने से पहले न्यूरोलॉजिस्ट से विस्तार से चर्चा करना जरूरी है।