बवासीर का होना किसी भी व्यक्ति के लिए काफी कष्टदायक है। गुदा में हमेशा दर्द रहने के कारण उठने - बैठने में बहुत समस्या होती है। लेकिन अगर बवासीर शुरुआती दौर में है तो इसका समाधान बिना सर्जरी किए भी संभव है। तो चलिए इस लेख हम जानते हैं, बिना सर्जरी के बवासीर का उपचार किन तरीकों से किया जा सकता है।
बवासीर का होना किसी भी व्यक्ति के लिए काफी कष्टदायक है। गुदा में हमेशा दर्द रहने के कारण उठने - बैठने में बहुत समस्या होती है। लेकिन अगर बवासीर शुरुआती दौर में है तो इसका समाधान बिना सर्जरी किए भी संभव है। तो चलिए इस लेख हम जानते हैं, बिना सर्जरी के बवासीर का उपचार किन तरीकों से किया जा सकता है।
बवासीर आपके गुदे में विकसित मस्से जैसा एक गांठ होता है जिस पर दबाव पहुंचने से दर्द होता है। दर्द के अलावा आपके मल के साथ ब्लड भी निकलता है। आमतौर पर बवासीर घरेलू तरीकों और फाइबर युक्त आहार लेने से खुद ही ठीक हो जाता है लेकिन अगर बवासीर गंभीर हो जाए तो सर्जरी करानी पड़ सकती है।
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बवासीर मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं और इसके ये लक्षण होते हैं :
अक्सर बवासीर बिना सर्जरी के ही ठीक हो जाता है। बिना सर्जरी किए हम बवासीर को दो तरीकों से ठीक कर सकते हैं। पहले तरीके में हम खुद से कुछ घरेलू उपाय और सही खान पान से बवासीर को दूर कर सकते हैं।
अगर बवासीर गंभीर हो चुका हो और घरेलू उपायों से ठीक नही हो रहा हो तो आपको डॉक्टर के पास जाना पड़ सकता है। डॉक्टर अपने क्लिनिक में कुछ खास विधियों द्वारा आपका उपचार करते हैं। ये विधियां कुछ इस प्रकार हैं :
अगर आप बवासीर को बिना सर्जरी के ठीक करना चाहते हैं तो हमारे विशेषज्ञ जिनका अनुभव १० साल से भी ज्यादा है,आपकी मदद कर सकते हैं। आप उनसे ऑनलाइन या ऑफलाइन मिलकर इस बारे में सलाह ले सकते हैं। हेक्साहेल्थ बिना कोई पैसा लिए सर्जरी में पूरी सहायता करता है। यहां से आप एक बेहतर हॉस्पिटल खोज सकते हैं। बिना समय गवाएं, सही समय पर सही उपचार पाएं। अभी हमारे वेबसाइट HexaHealth पर जाएं और फ्री में सलाह लें।
आमतौर पर बवासीर के गांठे जब गुदा के अंदर होती हैं, तब रबर बैंड की बंधाव प्रक्रिया की जाती है। रबर बैंड बंधाव ग्रेड १ और २ बवासीर के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में १ से २ सप्ताह के भीतर गाँठें सिकुड़कर गिर जाती हैं। इस प्रक्रिया में सिर्फ एक या दो गांठों को बांधा जाता है जिसमे मरीज को दर्द होता है लेकिन अगर गांठे अधिक हैं तो सामान्य एनेस्थीसिया दिया जाता है जिससे दर्द नही होता है।
रबर बैंड बंधाव के बाद मरीज मल त्याग कर सकता है। मल त्याग के दौरान मरीज को दर्द ना हो इसीलिए डॉक्टर लेक्सेटिव देते हैं जो मल को आसानी से निकालने में मदद करता है। जिससे मरीज आसानी से मल त्याग कर सकता है।
सामान्य तौर पर रबर बैंड बंधाव में केवल कुछ मिनट लगते हैं, लेकिन यदि आपको कई बवासीर हैं तो इसमें अधिक समय लग सकता है। प्रायः लोकल एनेस्थीसिया की मदद से एक साथ सभी गांठों में रबर बैंड का बंधाव किया जाता है। इसमें आधे से एक घंटे का समय लग सकता है। अगर मरीज एनेस्थीसिया के लिए तैयार नहीं हैं तो हर महीने हॉस्पिटल जाकर बिना एनेस्थीसिया लिए रबर बैंड बंधाव की प्रक्रिया करवा सकते हैं जिसमे तेज दर्द होता है। आमतौर पर रबर बैंड बंधाव की प्रक्रिया के बाद ७ से १० दिनों में गांठें सूखकर गिर जाती हैं।
बवासीर के उपचार में रबर बैंड बंधाव प्रक्रिया के पहले मरीज को लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है, जिससे प्रक्रिया के दौरान मरीज को दर्द ना हो। ऐसे में आप बेहोश रहते हैं और आपको दर्द का एहसाह नही होता है। वहीं पर अगर आप एनेस्थीसिया के लिए तैयार नहीं हैं तो हर महीने दो गांठों को बांधा जाता है जो बेहद दर्दनाक होता है। प्रायः रबर बैंड बंधाव में दर्द से बचने के लिए लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है।
स्क्लेरोथेरेपी आंतरिक बवासीर के इलाज के लिए एक प्रक्रिया है, जिसमें एल्यूमीनियम पोटेशियम सल्फेट एंड टैनिक एसिड (आल्टा) नामक केमिकल सॉल्यूशन को ४ चरणों में इंजेक्शन की मदद से बवासीर प्रभावित रक्त वाहिकाओं में लगाया जाता है। पहले चरण में ३ एमएल, दूसरे चरण में १ एमएल, तीसरे चरण में १ से २ एमएल तक और चौथे चरण में लगभग २ से ३ एमएल आल्टा सॉल्यूशन इंजेक्ट किया जाता है। यह लिक्विड सॉल्यूशन जल्द ही अपना असर दिखाना शुरू कर देता है और गांठें १ से २ हफ्ते के भीतर सिकुड़ने लगती हैं।
स्क्लेरोथेरेपी के इंजेक्शन ज्यादा दर्दनाक नहीं होते है। सामान्य इंजेक्शन जैसा दर्द इस प्रक्रिया में भी होता है। कभी - कभी सॉल्यूशन पास के ऊतकों में भी चला जाता है जिससे दर्द हो सकता है। अगर आपको अधिक दर्द होता है तो डॉक्टर को जरूर बताएं।
आंतरिक बवासीर के स्क्लेरोथेरेपी में इंजेक्शन देने के लिए आल्टा का सॉल्यूशन दिया जाता है। यह ४ चरणों में इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है। इंजेक्शन की संख्या इस बात पर भी निर्भर करती है कि बवासीर कितनी नसों में हुआ है। आमतौर पर एक रक्त वाहिका में एक इंजेक्शन दिया जाता है।
ज्यादातर मरीज इंजेक्शन लगने के बाद ५ से ७ दिन में ठीक हो जाते हैं। हालांकि पूरी तरह ठीक होने में एक महीने से अधिक का समय भी लग सकता है। आप अपने दैनिक कार्य करना उसी दिन से शुरू कर सकते हैं लेकिन इस प्रक्रिया के तुरंत बाद खुद से ड्राइविंग न करें। स्क्लीरोथेरेपी प्रक्रिया के तुरंत बाद ड्राइविंग करने से आपके बवासीर पर जोर पड़ेगा और दर्द होगा। अपने साथ एक ड्राइवर रखें जो आपको घर तक छोड़ देगा।
आंतरिक यानी गुदा के अंदर के बवासीर को ठीक करने के लिए इलेक्ट्रो-कोएगुलेशन प्रक्रिया को इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में एक उपकरण जिसे प्रोक्टोस्कोप कहते हैं, की मदद से बवासीर वाली जगह में हल्का करंट दिया जाता है जिससे बवासीर एक से दो हफ्ते में सूख जाता है और बाद में गिर जाता है।
बवासीर का इलाज यह उसके ग्रेड और उसकी स्थिति के आधार पर तय किया जाता है। वर्तमान में बवासीर पर घरेलू उपाय, आयुर्वेदिक औषधि जैसे पीएफ २ - क्योर, एलोपैथी दवाएं, मलहम और लेज़र सर्जरी बवासीर के बिना दर्द वाले इलाज उपलब्ध हैं। आपके चिकित्सक ही सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए सबसे उपयुक्त उपचार की सलाह दे सकते हैं।
बवासीर की इलाज थेरेपी यह बवासीर की गंभीरता और स्थिति के आधार पर तय की जाती हैं। यदि बवासीर ग्रेड १ या २ में है तो घरेलू उपाय ,आयुर्वेदिक औषधि जैसे पीएफ २ - क्योर, एलोपैथी की दवाएं एंव मलहम अच्छे विकल्प हैं। हालांकि यह बताना आपके डॉक्टर का काम है लेकिन बवासीर ग्रेड ३ से ४ में है तो लेज़र सर्जरी एक अच्छा विकल्प हो सकती है।
सामान्यतः इन्फ्रारेड कोगुलेशन प्रक्रिया खूनी या प्रोलैप्सड बवासीर के लिए की जाती है। आमतौर पर इन्फ्रारेड कोगुलेशन प्रक्रिया में लगभग ५ से १० मिनट तक का समय लग सकता है। प्रक्रिया के लिए आप अपनी बाईं ओर लेट जाएंगे। इंफ्रारेड लाइट लगाने पर कुछ रोगियों को गुदा क्षेत्र में गर्मी महसूस होती है। कई मरीज केवल प्रक्रिया के दौरान असहज महसूस करते हैं। इसका असर एक हफ्ते के अंदर देखा जा सकता है। इन्फ्रारेड कोएगुलेशन के बाद आपका कम से कम १ महीने और अधिक से अधिक १२ महीने का फॉलो - अप तय होता है जिसमें आप हर हफ्ते बवासीर में हो रहे आराम और समस्या को अपने डॉक्टर से साझा करते हैं। डॉक्टर भी आपके बवासीर में हो रहे सुधार की जांच करते हैं और उपयुक्त दवाईयां या मलहम देते हैं।
इन्फ्रारेड कोगुलेशन (आई.आर.सी.) बवासीर के लिए एक गैर-सर्जिकल उपचार है। इस प्रक्रिया में बवासीर में हो रहे ब्लड सप्लाई बंद करने के लिए, नसों को कोगुलेट (थक्का बनाने के लिए ) करने के लिए ऊष्मा (गर्मी) का उपयोग किया जाता है। थक्का बनने के बाद गांठों में सप्लाई रुक जाती है और गांठें सूख जाती हैं। इसमें हेमोराहाइडेक्टोमी की तुलना में कम पोस्टोपेरेटिव दर्द होता है और खून भी कम निकलता है। यह मरीज के लक्षणों से राहत के लिए ६७ % से ९५ % तक प्रभावी माना जाता है।
यदि बवासीर की समस्या शुरुआती स्तर पर है तो कई बार घरेलू उपाय या आयुर्वेदिक उपचार से बवासीर ठीक हो सकता है। यदि इससे आराम नहीं मिलता है तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डॉक्टर आपके बवासीर के स्थिति के आधार पर आपको दवा और मलहम का सुझाव दे सकते हैं। कई मरीजों का गैर-सर्जिकल इलाज से बवासीर ठीक हो जाता हैं।
हां, अगर बाहरी बवासीर अधिक गंभीर नहीं है तो घरेलू उपाय, आयुर्वेदिक उपचार, एलोपैथी की दवाएं, मलहम और सिट्ज़ बाथ से बाहरी बवासीर बिना सर्जरी के ठीक हो सकता है। घरेलू उपायों में गरम पानी से नहाना विशेष रूप से सिट्ज़ बाथ लेना, शौच के बाद गुदा क्षेत्र को कॉटन पैड से साफ करना, सूजन को कम करने के लिए आइसपैक का इस्तेमाल करना, दर्द निवारक दवाएं लेना और मलहम का इस्तेमाल करना आदि शामिल हैं।
Last Updated on: 2 July 2024
MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES
12 Years Experience
Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More
She has extensive experience in content and regulatory writing with reputed organisations like Sun Pharmaceuticals and Innodata. Skilled in SEO and passionate about creating informative and engaging medical conten...View More
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