बवासीर जब हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन जाता है तो यह बहुत ही परेशान करने वाली स्थिति होती है। कई लोग इस लक्षण को नजरअंदाज़ करते हैं और बाद में बवासीर की स्थिति गंभीर हो जाती है। बीमारी बढ़ जाने के बाद इलाज में और ज़्यादा परेशानियां हो सकती हैं। दालचीनी का बवासीर के इलाज में उपयोग कई तरह की जा सकती है।
बवासीर का इलाज कई तरीकों से होता है जैसे दवाइयां, घरेलू नुस्खें और सर्जरी के जरिए। दालचीनी का बवासीर के इलाज में फायदे और उपयोग का तरीका जानिये। आइए देखें कि दालचीनी बवासीर के लिए एक प्रभावी उपाय कैसे हो सकता है।
गुदा के कोमल भाग में रक्त वाहिकाओं के सूजने और गाँठ बन जाने को बवासीर या पाइल्स कहा जाता है, इसके कारण खुजली और मलाशय से खून बहना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
बवासीर के लिए कई घरेलू उपचार उपलब्ध हैं। इन्हीं में से एक दालचीनी (सिनामन) है, जो बवासीर के लक्षणों से राहत दिलाती है। दालचीनी में सिनामाल्डिहाइड(cinnamaldehyde), सिनामाइल एसीटेट(Cinnamyl Acetate और सिनामाइल अल्कोहल (Cinnamyl Alcohol) जैसे सक्रिय घटक होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होते हैं। दालचीनी का बवासीर के इलाज में उपयोग अनेक है। बवासीर के लिए दालचीनी का उपयोग इसके सूजनरोधी ( एंटी- इंफ्लेमेटरी) गुणों के कारण होता है। यह एक भारतीय मसाला है जो आमतौर पर भारतीय रसोई में मौजूद होता है। आयुर्वेद विशेषज्ञ दालचीनी का इस्तेमाल कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, गठिया, बवासीर जैसी कई समस्याओं के लिए करते हैं।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कैसे दालचीनी का बवासीर के इलाज में उपयोग के लिए किया जाता है।
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दस्त, कब्ज़, अपच, मोटापा आदि कुछ ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं हैं जो बवासीर का कारण बनती हैं। आइए देखें कि दालचीनी का बवासीर के इलाज में फायदे और उपयोग का तरीका कैसे है।
आप रात को सोने से पहले दूध में दालचीनी पाउडर मिलाकर दूध पी सकते हैं। इससे आपको गैस, कब्ज और पेट से जुड़ी अन्य समस्याओं से राहत मिल सकती है। अगर आप दालचीनी को दूध के साथ नहीं पीना चाहते तो इसे खाने के साथ लें। याद रखें कि बहुत अधिक दालचीनी का सेवन करने से पाचन क्रिया पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में ही लें।
दालचीनी एंटीबायोटिक दवाओं, मधुमेह की दवाओं, रक्त को पतला करने वाली दवाओं, हृदय की दवाओं और अन्य के साथ परस्पर क्रिया कर सकती है। दालचीनी का बवासीर के इलाज में उपयोग से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। बवासीर के रोगियों को दालचीनी के सप्लीमेंट्स नहीं लेने की सलाह दी जाती है। अगर आप दालचीनी के तेल का उपयोग करना चाहते हैं तो पहले इसे त्वचा पर लगाएं ताकि आपको यह पता लग सके कि क्या आपको कोई एलर्जी है, और उसके बाद ही तेल का उपयोग करें।
बवासीर से शुरुआती दौर में छुटकारा पाने के लिए दालचीनी एक कारगर उपाय हो सकता है। दालचीनी का उपयोग बवासीर और अन्य बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। बहुत से लोग पाइल्स की समस्या की शिकायत तब करते हैं जब स्थिति और खराब हो जाती है। बवासीर जैसी समस्या के लिए डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। यदि बवासीर का इलाज नहीं किया जाता है, तो इससे रेक्टल प्रोलैप्स जैसी जटिलताएं हो सकती हैं।
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बवासीर का इलाज करने वाले प्रसिद्ध चिकित्सकों में से एक हैं डॉ शरद मोहन हैं, जिन्हें लेप्रोस्कोपिक पाइल्स सर्जरी में विशेषज्ञता हासिल है और वे एक प्रसिद्ध जनरल सर्जन हैं जो जाने-माने अस्पतालों में भी रोगियों को देखते हैं। वे वर्तमान में गुरुग्राम के मैक्स अस्पताल में कार्यरत हैं और उनके पास 25 वर्षों से अधिक का अनुभव है। वह मोटापे के इलाज के लिए बेरिएट्रिक सर्जरी, जटिल बवासीर के लिए सर्जरी और लैप्रोस्कोपिक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी (एसिड रिफ्लक्स और कोलोरेक्टल सर्जरी के लिए सर्जरी सहित) सहित सभी नियमित और जटिल लेप्रोस्कोपिक प्रक्रियाओं में विशेषज्ञ है। उनसे अपॉइंटमेंट पाने के लिए हेक्साहेल्थ को अभी कॉल करें।
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दालचीनी में एंटी - माइक्रोबियल, एंटी - ऑक्सीडेंट, एंटी - डायबिटीक,एंटी - कैंसर और एंटी - इन्फ्लेमेटरी जैसे गुण मौजूद होते हैं। कुछ लोग इसका इस्तेमाल सुबह - सुबह चाय के तौर पर करते हैं। वहीं पर कुछ लोग दालचीनी को पानी के साथ उबालकर खाली पेट पीते हैं। अगर आपको खाली पेट दालचीनी लेने से फायदा पहुंचता है तो डॉक्टर की सलाह पर इसे खाली पेट लेना जारी रख सकते हैं। वहीं अगर आपको खाली पेट दालचीनी के सेवन से नुकसान हो रहा है तो इसे लेना बंद कर दें और अपने डॉक्टर से जरुर बताएं। दालचीनी को नियमित रूप से इस्तेमाल करने के पहले अपने डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
दालचीनी का इस्तेमाल बवासीर के घरेलू उपचार के तौर पर किया जाता है। बवासीर में गुदा क्षेत्र की नसें सूज जाती हैं और दर्द करती हैं। चूंकि दालचीनी में सूजनरोधी और एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं इसलिए यह बवासीर के सूजन, दर्द और खुजली में राहत देने का काम करता है। बवासीर के उपचार में दालचीनी को इस्तेमाल करने से पहले आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। अगर आपको बवासीर में दालचीनी के फायदे देखने को मिल रहे हैं तो पूरी तरह ठीक होने तक आप दालचीनी का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि लंबे समय तक दालचीनी लेने से लिवर के मरीजों को नुकसान पहुंचता है। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बवासीर से आराम पाने के लिए दालचीनी का इस्तेमाल सीमित मात्रा में होना चाहिए। दालचीनी का अधिक इस्तेमाल फायदे के बजाय नुकसान पहुंचा सकता है।
दालचीनी की छालों से निकले तेल में सूजनरोधी और कैंसररोधी गुण अच्छी मात्रा में होते हैं। इस तेल को लगाने से स्वस्थ ऊतकों के निर्माण में सुधार होता है और रक्तवाहिकाओं में सूजन से राहत मिलती है। चूंकि दालचीनी के छालों से निकला हुआ तेल संवेदनशील त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है इसलिए अगर आपकी त्वचा संवेदनशील है या एलर्जिक है तो इसके इस्तेमाल से बचें। खासकर बवासीर में दालचीनी तेल को इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से जरुर सलाह लें। आमतौर पर डॉक्टर दालचीनी तेल के साथ कुछ अन्य तेल जैसे नारियल का तेल या बादाम का तेल इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। दालचीनी तेल में नारियल या बादाम तेल को मिलाकर लगाने से बवासीर के दर्द, खुजली और सूजन से ठीक होने में मदद मिलती है।
वैसे तो दालचीनी के इस्तेमाल से हमारे शरीर को कई फायदे होते हैं लेकिन इसका अधिक उपयोग करने से यह उल्टा नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए दालचीनी के इस्तेमाल से जुड़ी जानकारी लेने के लिए आपको डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। आमतौर पर दिन भर में २ से ४ ग्राम दालचीनी का सेवन करना पर्याप्त होता है। अधिक से अधिक ६ ग्राम तक इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। दालचीनी में कुमरिन नामक रसायन पाया जाता है जो लिवर के लिए नुकसानदायक है। सीलोन प्रजाति की दालचीनी कैसिन दालचीनी से अच्छी मानी जाती है। सीलोन दालचीनी में कुमरिन नाम का रसायन बहुत ही कम लगभग ०.१ मिलीग्राम प्रति किलोग्राम की मात्रा में पाया जाता है। इसलिए सीलोन दालचीनी के दुष्प्रभाव कैसिन दालचीनी से बहुत ही कम होते हैं। अगर आप किसी भी प्रकार के दालचीनी को अधिक मात्रा में लेते हैं तो आपको निम्न दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं :
दालचीनी का अधिक इस्तेमाल करने से शरीर में रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) की मात्रा घट सकती है जिससे आपको थकान, कमजोरी और चक्कर आने का अनुभव हो सकता है। इसके अलावा दालचीनी में कूमेरिन नाम का रसायन पाया जाता है जो लिवर के लिए नुकसानदायक है। इसलिए अधिक मात्रा में दालचीनी लेने से लिवर को भी नुकसान पहुंचता है। इसलिए दालचीनी को दिन भर में ६ ग्राम से ज्यादा इस्तेमाल न करें। अगर आपने गलती से या बिना जानकारी के दालचीनी का अधिक सेवन कर लिया है तो अपने डॉक्टर से संपर्क जल्द करें।
दालचीनी में औषधीय गुण हैं और आमतौर पर सीमित मात्रा में लेने से स्वस्थ लोगों में इसके दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिलते हैं लेकिन इसमें पाए जाने वाले कूमेरिन रसायन के कारण यह लिवर के लिए नुकसानदायक साबित होता है। एक स्टडी में यह पाया गया कि हृदय रोग के उपचार में ली जा रही स्टेटिन थेरेपी के साथ दालचीनी का सेवन करने से हेपेटाइटिस होने का खतरा बहुत अधिक रहता है। अगर आपको पहले से ही लिवर की बीमारी है तो दालचीनी का इस्तेमाल करने से बचें। अगर आप हृदय या डाइबिटीज के रोगी हैं और दवाईयां ले रहे हैं तो दालचीनी को अपने दवाइयों से साथ इस्तेमाल न करें। अगर आप किसी अन्य बीमारी से पीड़ित हैं तो दालचीनी का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इसके अलावा क्रोमियम, लहसुन, मेथी, कड़वे तरबूज, हॉर्स चेस्टनट, साइलियम आदि चीजों के साथ दालचीनी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
दालचीनी के सूजनरोधी, एंटी माइक्रोबियल, एंटी कैंसर गुण बवासीर के कारण होने वाली खुजली, सूजन और दर्द से आराम दिलाने में मदद करते हैं। दालचीनी आपके शुरुआती बवासीर को ठीक करने में मदद कर सकता है और गंभीर बवासीर में हो रहे लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। आमतौर पर सर्जरी की आवश्यकता तब पड़ती है जब बवासीर तीसरे या चौथे ग्रेड का होता है। गंभीर बवासीर जिसमे सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है, ऐसे गंभीर मामले में सर्जरी ही एकमात्र इलाज होता है। घरेलू उपचार जिसमे दालचीनी भी आती है, गंभीर बवासीर को जड़ से खत्म करने में सफल नहीं हो पाते हैं। अगर आपको सर्जरी से बचना है तो शुरुआती बवासीर में ही डॉक्टर की देख रेख में घरेलू उपायों का अच्छे से पालन करें।
दालचीनी आमतौर पर बवासीर के लिए एक अच्छा घरेलू उपाय है जिससे गुदा क्षेत्र में हो रही खुजली, जलन और गांठों में हो रहे दर्द से आराम मिलता है। यद्यपि दालचीनी लेने से बवासीर के लक्षणों से आराम मिलता है, लेकिन सिर्फ दालचीनी के सहारे बवासीर ठीक नही हो पाता है। डॉक्टर की निगरानी में बवासीर के मुख्य उपचार के साथ - साथ दालचीनी का उपयोग करने से बवासीर ठीक हो सकता है।
दालचीनी बार्क (छाले) तेल में सिनेमाल्डिहाइड मुख्य मिश्रण के रुप में मौजूद होता है। इस तेल में एंटी - फंगल, एंटी - इंफ्लेमेटरी और एंटी - बैक्टेरियल गुण मौजूद होते हैं। इसका इस्तेमाल हम बाहरी बवासीर के लिए कर सकते हैं। बाहरी बवासीर में दालचीनी बार्क तेल लगाने से सूजी हुई गांठों में रक्त प्रवाह बढ़ता है जिससे सूजन और दर्द कम होता हैं। चूंकि यह तेल एंटी - फंगल और एंटी बैक्टेरियल है तो इसे गुदा क्षेत्र में मालिश करने से वहां पर हो रही खुजली ठीक हो जाती है। दालचीनी बार्क तेल संवेदनशील त्वचा पर जलन पैदा कर सकता है इसलिए इसका इस्तेमाल हमेशा ही किसी अन्य तेल जैसे नारियल तेल के साथ करें। वहीं अगर दालचीनी बार्क पाउडर की बात करें तो इसका इस्तेमाल पेय या खाद्य पदार्थ के साथ कर सकते हैं। यह पूरे शरीर में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है जिससे शरीर में कहीं भी सूजन, खुजली और दर्द से आराम मिलता है। दालचीनी बार्क पाउडर का इस्तेमाल आंतरिक बवासीर के लिए अधिक फायदेमंद हो सकता है। आप दालचीनी बार्क तेल और पाउडर, दोनों ही चीजों का इस्तेमाल अपनी समस्या के अनुसार कर सकते हैं। इस बारे में आपको अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए और बिना परामर्श के दालचीनी के अवयवों का सेवन नियमित रूप से नहीं करना चाहिए।
दालचीनी वाली चाय रोज पीने से दो परिणाम देखने को मिल सकते हैं। कुछ लोगों में इसके फायदे देखने को मिल सकते हैं तो वहीं कुछ व्यक्तियों में इसका नुकसान देखा जा सकता है। आमतौर पर दालचीनी वाली चाय पीने से शरीर में सूजन, दर्द और खुजली से राहत मिलती है और शरीर में बढ़ी हुई रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) कम करने में मदद मिलती है। अगर आप दालचीनी वाली चाय रोज पीना चाहते हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इस दौरान शुरू के दो - तीन दिन तक खुद का निरीक्षण करें; अगर आपको फायदे होते हैं तो आप इसे चिकित्सक की निगरानी में जारी रख सकते हैं। वहीं अगर आपके शरीर में कुछ भी दुष्परिणाम देखने को मिलता है तो दालचीनी वाली चाय पीना बंद कर दें। इसके अलावा अगर आप लिवर, हृदय रोग या डायबिटीज के मरीज हैं और आपका उपचार चल रहा है तो बिना अपने डॉक्टर को बताए दालचीनी का सेवन किसी भी रूप (चाय, पानी, मसाले) में न करें।
सीमित समय और संतुलित मात्रा में दालचीनी लेने से शरीर को कोई नुकसान नहीं होता बल्कि फायदा ही देखने को मिलता है। वहीं अगर इसे अधिक मात्रा में और लंबे समय तक सेवन किया जाता है तो यह नुकसानदेह साबित हो सकता है। अधिक मात्रा में दालचीनी के सेवन से पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे गैस और मल ठोस होने के कारण कब्ज़ हो सकती है।
दालचीनी का इस्तेमाल सीमित मात्रा में करने से इसके कई लाभ देखने को मिलते हैं। अगर इसे अधिक मात्रा में लिया गया तो दुष्परिणाम देखने को मिल सकता है। विशेष रूप से लिवर के लिए दालचीनी नुकसानदायक है। हालांकि अगर आप कैसिया दालचीनी के बजाय सीलोन दालचीनी का इस्तेमाल करते हैं तो आपको नुकसान देखने को नहीं मिलता है। जो लोग लंबे समय जैसे हफ्तों या महीने भर के लिए इसका सेवन करना चाहते हैं उन्हें सीलोन दालचीनी का इस्तेमाल करना चाहिए। इसमें कुमरिन नामक रसायन बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है। दालचीनी के दैनिक इस्तेमाल के लिए आपको डॉक्टर से जरुर सलाह लेनी चाहिए। सामान्य रूप से देखा जाए तो दिन भर में २ से ४ ग्राम दालचीनी का इस्तेमाल करना स्वास्थ्य के लिए फायदेमाद है। रोज ६ ग्राम से ज्यादा की मात्रा में दालचीनी सेवन करने से हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
वैसे तो दालचीनी के लगभग ४ से ५ प्रकार हैं जिनका सेवन करने से लाभ मिल सकता है लेकिन मुख्य रूप से २ प्रकार के दालचीनी का इस्तेमाल किया जाता है। पहला कैसिया दालचीनी और दूसरा सीलोन दालचीनी। अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार गर्भवती होने पर कैसिया दालचीनी लेने से होने वाले फायदे और नुकसान के बारे बहुत कम पता चल पाया है। सीलोन दालचीनी उतनी ही मात्रा में लिया जा सकता है जितना दैनिक भोजन में लिया जाता है। इससे अधिक दालचीनी के सेवन से होने वाले फायदों और नुकसान के बारे में अभी तक जानकारी प्राप्त नहीं है। ब्रेस्टफीडिंग महिलाओं को भी भोजन में इस्तेमाल होने वाले दालचीनी के बराबर ही इसका सेवन करना चाहिए।
आंतरिक बवासीर में मलाशय के अंदर की रक्त वाहिकाओं में सूजन आ जाता है जिसे हम देखकर या छूकर महसूस नहीं कर पाते हैं। आंतरिक बवासीर के लिए दालचीनी एक अच्छा घरेलू उपाय है। आंतरिक बवासीर के लिए दालचीनी का सेवन किया जा सकता है। इसके सेवन से मलाशय में मौजूद नसों में रक्त प्रवाह बढ़ता है जिससे दर्द और सूजन में कमी आती है। इस प्रकार दालचीनी आंतरिक बवासीर में लाभ पहुंचाता है।
ग्रेड ४ स्तर का बवासीर एक गंभीर और अंतिम स्तर का आंतरिक बवासीर है जिसे आमतौर पर घरेलू उपायों से ठीक नही किया जा सकता है। इस गंभीर स्तर के आंतरिक बवासीर में डॉक्टर अक्सर सर्जरी की सलाह देते हैं। हालांकि इसके उपचार के दौरान (सर्जरी के पहले और बाद में) दालचीनी का इस्तेमाल मलाशय में हो रहे दर्द और जलन से राहत के लिए किया जा सकता है। दालचीनी के छाले या पाउडर की चाय बनाकर पीने से, पानी के साथ उबालकर पीने से सिर्फ मलाशय की नसों को ही नहीं बल्कि पूरे शरीर को दर्द और सूजन से आराम मिलता है।
Last Updated on: 12 December 2023
MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES
12 Years Experience
Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More
She has extensive experience in content and regulatory writing with reputed organisations like Sun Pharmaceuticals and Innodata. Skilled in SEO and passionate about creating informative and engaging medical conten...View More
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