बवासीर कब्ज़ की समस्या से होती है। इसके अलावा बवासीर के पीछे और भी कई वजह हो सकती हैं, जिसमे से सबसे जरूरी अपने खान-पान पर नियंत्रण का न होना है। बवासीर से निजात पाने के लिए त्रिफला पावडर का इस्तेमाल लंबे समय से होता रहा है।
त्रिफला के सेवन से मल त्याग में आने वाली की दिक्कतें दूर होती है। बवासीर में त्रिफला चूर्ण के फायदे और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है, आइए इस लेख से समझते हैं।
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बवासीर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज के गुदा के अंदर और बाहरी हिस्से में सूजन आ जाती है। जिसकी वजह से गुदा के अंदरूनी या बाहरी हिस्से में स्किन एक मस्सा जैसा बन जाता है। अक्सर मल त्याग के दौरान जोर लगाने पर खून के साथ तेज जलन और दर्द भी होता है। इस समस्या के वजह से व्यक्ति को बैठने में और चलने में दिक्कतों का सामना होता है। बवासीर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
वर्तमान में बवासीर पर कई तरह के इलाज उपलब्ध हैं जिसमे स्टेपलेड हेमोराहाइडेक्टोमी, लेजर ऑपेरशन, आयुर्वेदिक और होमियोपेथी आदि का समावेश हैं। वहीं, आयुर्वेद में बवासीर का इलाज प्राचीन काल से जाना जाता है। आयुर्वेदिक औषधियां बवासीर को ठीक करने में और उससे संबंधित दर्द को समापत करने में मददगार होती हैं। बवासीर में त्रिफला चूर्ण के फायदे बहुत है। ये कब्ज का इलाज करने में सहायक होता है।
त्रिफला चूर्ण आयुर्वेदिक औषधीय जड़ी बूटियों का मिश्रण है, जिसका उपयोग पेट से लेकर दंत समस्याओं तक कई तरह के बीमारियों के इलाज के लिए प्राचीन काल से करते आ रहे है। यह कब्ज दूर करने के लिए ही नहीं पर बवासीर में त्रिफला चूर्ण के फायदे अत्यंत है। त्रिफला चूर्ण ये इन तीन पौधों का मिश्रण है:
त्रिफला चूर्ण एक काफी गुणकारी आयुर्वेदिक औषधी है। बाहरी, आंतरिक, खून वाली या बिना खून वाली ये हर प्रकार की बवासीर के निवारण में उपयोगी हो सकता है। बवासीर में त्रिफला चूर्ण के फायदे इस प्रकार हैं :
त्रिफला बवासीर का गैर शल्य चिकित्सा उपचार है। बवासीर में त्रिफला चूर्ण के फायदे है पर इसे इस्तेमाल करते हुए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। त्रिफला चूर्ण को लेने से पहले याद रखे:
त्रिफला के नियमित सेवन से पेट सम्बन्धी समस्यायें समाप्त होते हैं। बवासीर में त्रिफला चूर्ण के फायदे प्रमाणित भी हो चूका है। त्रिफला से गुदाशय और गुदा की नसें मजबूत होती हैं।
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त्रिफला चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है जो आमला, विभितकी और हरितकी के मिश्रण से बनता है। त्रिफला चूर्ण मुख्य रूप से कब्ज़ को ठीक करने में मदद करता है। त्रिफला चूर्ण के सेवन से मल त्याग में आने वाली की दिक्कतें दूर होती है। जिससे बवासीर का रोकथाम होता है।
बवासीर में त्रिफला चूर्ण काफी फायदेमंद हो सकता है। चूंकि पुरानी कब्ज़ के कारण ही अक्सर बवासीर की बीमारी होना शुरू होती है इसलिए कब्ज़ से आराम मिलने पर बवासीर से जल्दी आराम मिलने में मदद मिलती है।
त्रिफला चूर्ण कब्ज़ से निपटने के लिए एक बेहतरीन आयुर्वेदिक औषधि है जिसका इस्तेमाल बहुत पहले से होता आ रहा है। अगर त्रिफला चूर्ण को प्रतिदिन आधा चम्मच से २ चम्मच लिया जाए तो यह कब्ज़ से ठीक होने मददगार साबित होता है। इसे आप दिन में दो बार भी ले सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि त्रिफला चूर्ण का अधिक सेवन न करें अन्यथा रक्तचाप कम हो सकता है जिससे थकान और चक्कर आने जैसा महसूस हो सकता है। इसके अलावा दस्त या डायरिया जैसी समस्या देखने को मिल सकती है।
त्रिफला चूर्ण एक लैक्सेटिव का काम करता है जिससे पुरानी कब्ज़ को ठीक करने में मदद मिलती है। इसे खाली पेट लिया जा सकता है। खाली पेट लेने से यह अच्छे से घुलता है और पेट में जमे हुए विषाक्त पदार्थों की सफाई ( डिटॉक्स ) करता है। इसे प्रतिदिन लेने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
त्रिफला चूर्ण में लैक्सेटिव, एंटी - ऑक्सीडेंट और एंटी - इंफ्लेम्टरी गुण होते हैं जो शरीर में हो रहे सूजन, दर्द से राहत देते हैं और पाचन क्रिया को दुरुस्त रखते हैं। आमतौर पर त्रिफला चूर्ण को प्रतिदिन आधा चम्मच से २ चम्मच तक सेवन करने से फायदे मिलते हैं लेकिन अगर अधिक मात्रा में इसका सेवन लंबे समय के लिए किया जाए तो इसके दुष्परिणाम जैसे डायरिया, पेट दर्द आदि देखने को मिलते हैं। त्रिफला चूर्ण को लंबे समय तक लेने के लिए अपने डॉक्टर से बात जरूर करें।
आमतौर पर बवासीर में पुरुषों और महिलाओं दोनो के लिए त्रिफला चूर्ण फायदेमद है। इसमें मौजूद लैक्सेटिव कब्ज़ जैसी समस्या को दूर करने में मदद करते हैं। अगर गर्भवती महिलाओं की बात करें तो त्रिफला चूर्ण फायदे के साथ - साथ नुकसान भी पहुंचा सकता है। चूंकि त्रिफला चूर्ण पेट में जमा विषाक्त पदार्थों को नीचे की ओर ले जाता है, इसलिए गर्भावस्था में इसका इस्तेमाल करना नुकसानदेह हो सकता है। त्रिफला को गर्भावस्था में अधिक मात्रा में लेने से गर्भपात जैसी समस्या भी हो सकती है। इसके अलावा इसमें मौजूद विभीतकी और हरितकी औषधियां गर्भावस्था और दूध पिलाने वाली माताओं के लिए हानिकारक परिणाम दे सकता है। हालांकि इसमें मौजूद आमला गर्भवती महिलाओं में दूध बनाने में सहायक होता है इसलिए आमला को अलग से लिया जा सकता है। गर्भावस्था में किसी भी प्रकार की दवा या आयुर्वेदिक औषधि लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरुर सलाह लें।
जी हां, क्योंकि त्रिफला चूर्ण एक लैक्सेटिव का काम करता है इसलिए अगर इसका सेवन अधिक मात्रा में किया गया तो आपको दस्त या डायरिया हो सकता है।
त्रिफला चूर्ण एक असरदार आयुर्वेदिक औषधि है जिसका इस्तेमाल कब्ज़ को ठीक करने में, इम्युनिटी बढ़ाने और कई अन्य कारणों से किया जाता है। अगर आप त्रिफला चूर्ण को लेने से पहले कुछ सावधानियां रखते हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद हो सकती है और इसके दुष्परिणाम भी देखने को नहीं मिलते हैं। अगर आप त्रिफला चूर्ण का सेवन करते हैं तो इसे लेने से पहले निम्न सावधानियां जरूर रखें :
त्रिफला चूर्ण सीधे तौर पर बवासीर पर असर नहीं करता है लेकिन इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और लैक्सेटिव गुण कब्ज़ को ठीक करने में मदद करते हैं जिससे बवासीर को ठीक होने में भी मदद मिलती है। जब मलाशय के अंदर मौजूद नसों में सूजन आ जाता है और दर्द होता है तो इसे आंतरिक बवासीर कहा जाता है। त्रिफला मल को आसानी से निकालने में मदद करता है जिससे मालशय की नसों में घिसाव नही होता है और बवासीर में कम दर्द होता है। अगर बवासीर शुरुआती स्तर पर है तो त्रिफला कुछ मदद कर सकता है। हालांकि सिर्फ त्रिफला लेने से आंतरिक बवासीर सिकुड़ने में मदद नहीं मिल पाती है; आपको त्रिफला चूर्ण के साथ - साथ अन्य घरेलू या नॉन सर्जिकल उपचार की मदद लेनी चाहिए। अगर बवासीर अधिक गंभीर है तो डॉक्टर अक्सर सर्जरी की ही सलाह देते हैं।
ग्रेड ४ का बवासीर एक गंभीर आंतरिक बवासीर है। ऐसे में त्रिफला लेने से इसमें हो रहे दर्द और सूजन से राहत मिल सकती है लेकिन यह ग्रेड ४ जैसे गंभीर आंतरिक बवासीर को ठीक करने में बहुत मदद नहीं कर पाता है। ग्रेड ४ के बवासीर में अक्सर डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं।
त्रिफला चूर्ण बवासीर के दौरान हो रहे कब्ज़ से राहत दिलाने में सहायक होता है। अगर आप बवासीर के शुरुआती स्तर पर हैं तो आपको त्रिफला चूर्ण और घरेलू उपचार की मदद लेनी चाहिए। घरेलू उपचार शुरुआत के बवासीर को ठीक करने में सहायक होता है। अगर आपको गम्भीर स्तर जैसे ग्रेड ३ या ४ स्तर का बवासीर है तो ऐसे में डॉक्टर आपको सर्जिकल या नॉन सर्जिकल उपचार की सलाह देते हैं। नॉन सर्जिकल उपचार में रबर बैंड लिगेशन, स्क्लेरोथेरपी, इलेक्ट्रोथेरेपी और इंट्राकॉगुलेशन थेरेपी उपलब्ध हैं। सर्जिकल उपचार में हेमोरोहाइडेक्टोमी, स्टेपल्ड हेमोरोहाइडोपेक्सी और लेजर सर्जरी उपलब्ध हैं।
बवासीर के उपचार के लिए आप त्रिफला चूर्ण को कई तरीकों से इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे इसे चाय के तौर पर, दूध में डालकर,चूर्ण की तरह मुंह में फाँक सकते हैं। बवासीर के लिए अक्सर त्रिफला चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ लेने की सलाह दी जाती है। गर्म पानी के साथ त्रिफला चूर्ण लेने से किसी भी प्रकार का रिएक्शन नहीं होता है और सुबह पेट अच्छे से साफ होने में मदद मिलती है।
त्रिफला चूर्ण एक प्राकृतिक लैक्सेटिव का काम करता है। इसमें मौजूद आमला, विभितकी और हरितकी में कई औषधीय गुण होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। आमतौर पर बाजार में उपलब्ध अन्य लेक्सेटिव प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से हमें इसकी आदत पड़ सकती है। लेकिन त्रिफला चूर्ण में ऐसा कोई खतरा नहीं रहता है। यह आपको बार - बार लेने पर मजबूर नही करता है।
त्रिफला चूर्ण अक्सर बवासीर में फायदा करता है लेकिन अगर आप गर्भवती हैं या नवजात बच्चे की मां हैं तो आपको त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बवासीर में त्रिफला चूर्ण के इस्तेमाल से रक्तस्राव अनियमित होने के बारे में अभी तक कोई जानकारी प्राप्त नहीं है लेकिन अगर आप त्रिफला चूर्ण को अधिक मात्रा में और लंबे समय के लिए लेते हैं तो आपको कुछ परेशानियां हो सकती हैं जैसे डायरिया, दस्त, अचानक रक्तचाप कम हो जाना इत्यादि। इसलिए त्रिफला चूर्ण को इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
बवासीर से बचने के लिए आपको फाइबरयुक्त भोजन और अपने जीवनशैली को नियंत्रित रखना होगा। इसके अलावा आप कब्ज़ की समस्या के लिए त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन इसे जीवनभर इस्तेमाल की कोई आवश्यकता नहीं है। जब आपको लगे कि कब्ज़ बढ़ रहा है तो आप त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि अगर आप अपने दैनिक भोजन के साथ पर्याप्त मात्रा में फाइबरयुक्त भोजन ले रहे हैं तो आपको कब्ज़ होने की संभावना लगभग न के बराबर होगी। ऐसे में आपको त्रिफला चूर्ण लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। त्रिफला चूर्ण या किसी अन्य आयुर्वेदिक औषधि को लेने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
Last Updated on: 12 September 2024
MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES
12 Years Experience
Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More
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