बहुत से लोग अपनी बवासीर की स्थिति का ठीक से ध्यान नहीं रखते हैं जो समय के साथ बढ़ता और बिगड़ता जाता है। आपने बहुत खोज की होगी कि अपने बवासीर का इलाज कैसे करें? इसलिए यह ब्लॉग आपको क्षारसूत्र उपचार के बारे में जानकारी देगा। आप में से कुछ लोगों ने क्षारसूत्र उपचार के बारे में सुना होगा इसलिए क्षारसूत्र उपचार के बारे में विस्तृत और पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए पूरा ब्लॉग पढ़ते रहें।
क्षारसूत्र आयुर्वेदिक चिकित्सा की पद्धति (सर्जरी) है जिसका उल्लेख सर्वप्रथम आचार्य चक्रपाणि कृत चक्रदत्त ग्रन्थ में किया गया है। क्षारसूत्र चिकित्सा, गुदा मार्ग (मर्म स्थान) पर स्थित गंभीर बीमारियों एवं बवासीर (Hemorrhoids), भगन्दर (Fistula-Sinus-Pilonidal sinus), फिशर (Fissure), इत्यादि रोगों के उपचार का एक सुरक्षित, सुनिश्चित और प्रभावी तरीका है।
गुदा एवं मलमार्ग के विकारों के प्रबंधन में क्षार सूत्र चिकित्सा एक न्यूनतम चीर-फाड़ वाली आयुर्वेदिक पैरासर्जिकल प्रक्रिया और जाँची परखी आयुर्वेदिक तकनीक है।
हालांकि आयुर्वेद में सुश्रुत, चरक और वाग्भट्ट द्वारा क्षारसूत्र चिकित्सा का वर्णन किया गया है लेकिन इस चिकित्सा की प्रभावकारिता को शल्य तंत्र विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा फिर से स्थापित किया गया था और बाद में सीसीआरएएस और आईसीएमआर जैसे वैज्ञानिक संगठनों द्वारा इसका पुनर्मूल्यांकन किया गया है। हमारे देश और कुछ अन्य देशों में इस तकनीक का व्यापक रूप से अभ्यास किया जा रहा है।
क्षारसूत्र क्या है?
क्षारसूत्र एक विशेष प्रकार का धागा होता है जिसे विभिन्न प्रकार की औषधियों जेसे अपामार्ग, कदली, अर्क, नीम, पलास इत्यादि पोधो के क्षार (Ash – alkaline material) तथा स्नुही दुग्ध (Euphorbia Nerifolia), गुग्गुल (Commiphora mukul), हल्दी (Curcuma longa), इत्यादि द्वारा आलेपित कर बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले अपामार्ग (Achyranthes aspera) इत्यादि औषधियों का क्षार तैयार किया जाता है, फिर 20 नंबर के लिनेन बार्बर थ्रेड पर स्नुही के दुग्ध का आलेपन कर क्षार और हल्दी का क्रमशः लेपन किया जाता है, इसके बाद क्षारसूत्र केबिनेट में विसंक्रमण हेतु रखा जाता है।
बवासीर में क्षार सूत्र का उपयोग
रोगी को लोकल एनेस्थेटिक के साथ बेहोश किया जाता है। सबसे पहले पाइल होल्डिंग फोरसेप्स से बवासीर के गुच्छे को गुदा छिद्र से बाहर लाया जाता है, फिर म्यूकोक्यूटेनियस जंक्शन (शरीर का एक क्षेत्र जिसमें म्यूकोसा त्वचा में संक्रमण करता है) पर चीरा लगाएं। बाद में बवासीर के गुच्छे को हल्का सा खींचें और उसके आधार पर क्षार सूत्र लगाएं। लिगेटेड पाइल मास को रेक्टम और रेक्टल पैक के अंदर यस्तिमधु तेल या घृत से बदल दिया जाता है।
क्षारसूत्र कैसे काम करता है?
क्षारसूत्र में लगी औषधियों के प्रभाव और बांधने की युक्ति से बवासीर को समूल रूप से नष्ट करता है। बवासीर (Haemorrhoids) में क्षारसूत्र को अर्श के मूल में विशेष विधि द्वारा बांधा (Transfixation) जाता है जिससे कुछ ही दिनों में अर्श नष्ट हो जाता है और अर्श दोबारा नहीं बनता है।
क्षार सूत्र चिकित्सा के लाभ
शुरुआती चरणों में बवासीर को दवाओं से ठीक किया जा सकता है लेकिन अगर बीमारी बढ़ जाए और बवासीर के इलाज में दवाएं असर न कर रही हों तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं। आपको डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए यदि:
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आमतौर पर क्षार सूत्र उपचार की प्रक्रिया ५ महीने तक चलती है। हर हफ्ते क्षार सूत्र को बदला जाता है। यह बवासीर की गंभीरता पर भी निर्भर करता है। अगर बवासीर कम गंभीर है तो एक महीने में भी आराम मिल जाता है वहीं अगर अधिक गंभीर है तो ४-५ महीने लग सकते हैं।
क्षार सूत्र उपचार के बाद पूरी तरह ठीक होने में लगभग २ से ६ हफ्ते का समय लग सकता है। अगर पेशेंट ने डॉक्टर द्वारा बताए गए सभी सलाहो को अच्छे से फॉलो किया तो जल्दी ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।
क्षार सूत्र की सफलता दर लगभग ९७% है जो कि काफी अच्छी है। क्षार सूत्र उपचार के बाद फिर से बवासीर होने की सिर्फ ३% संभावना होती है।
क्षार सूत्र उपचार में खर्च कई चीजों पर निर्भर करता है। लेकिन मुख्य रूप से आपके बवासीर की गंभीरता पर अधिक निर्भर करता है। इसके साथ - साथ खर्च शहर और हॉस्पिटल के स्तर पर भी होता है। आमतौर पर क्षार सूत्र में १०,००० से लेकर ३५,००० तक का खर्च आ सकता है।
क्षार सूत्र उपचार में जब धातु को बाहर से डाला जाता है तो दर्दनाक होने के साथ - साथ आईट्रोजेनिक फिस्टुलस यानी जननांग में चोट आने का खतरा रहता है। ऐसे केस में एनेस्थीसिया दिया जाता है। लेकिन इसके बजाय अगर शिशु आहार नली द्वारा क्षार सूत्र को अंदर डाला जाता है जाता है तो यह तुलनात्मक रूप से कम दर्दनाक होता है।
कुछ मामलों में ऐसा देखा जा सकता है जहां क्षार सूत्र के बाद बवासीर फिर से हुआ है।आमतौर पर क्षार सूत्र उपचार के बाद दोबारा बवासीर की समस्या लगभग न के बराबर देखने को मिलती है। इस आयुर्वेदिक इलाज को एक तरह से पर्मानेंट ही कहा जा सकता है।
बवासीर को बढ़ने से रोकने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं :
बवासीर का सही समय पर इलाज होने से यह ठीक हो सकता है। सही खान पान जैसे फाइबर युक्त भोजन और पानी पर्याप्त मात्रा में पीने से यह ठीक हो जाता है। इसके अलावा अधिक गंभीर होने पर इसके सर्जिकल उपचार भी उपलब्ध हैं। आयुर्वेद में देखा जाए तो क्षार सूत्र उपचार एक असरदार इलाज है। लेकिन अगर इसके इलाज में लापरवाही हुई तो यह जीवन भर परेशान कर सकता है।
जी हां, क्षार सूत्र द्वारा दूसरे, तीसरे और चौथे ग्रेड के बवासीर ठीक हो सकते हैं।
जी नहीं, गर्भवती महिलाओं के लिए क्षार सूत्र उपचार कराने की सलाह नही दी जाती है। गर्भवती महिलाओं के साथ - साथ हेपेटाइटिस, मलाशय में कार्सिनोमा और लेप्रोसी के मरीज भी क्षार सूत्र उपचार के लिए योग्य नहीं हैं।
क्षार सूत्र उपचार के २-३ घंटे बाद सेमी - सॉलिड भोजन जैसे जूस, पतली दाल इत्यादि लेना चाहिए। रुखा- सूखा भोजन जैसे पुलाव या बिरयानी का सेवन न करें। ऐसे फल खाएं जिसमे पानी की पर्याप्त मात्रा हो जैसे तरबूज, खीरा, संतरा आदि। लंबी दूरी की यात्रा और ड्राइविंग न करें। अधिक देर तक खड़े या बैठे न रहें।
क्षार सूत्र के समय दर्द को कंट्रोल करने के लिए हॉस्पिटल रहना पड़ता है। क्षार सूत्र प्रक्रिया के दौरान असहनीय दर्द हो सकता है जिससे निपटने के लिए डॉक्टर लोकल एनेस्थीसिया दे सकते हैं। क्षार सूत्र उपचार के बाद १-२ घंटे तक हॉस्पिटल में रहना पड़ सकता है। यह सुरक्षा की दृष्टि से किया जाता है ताकि कोई दिक्कत होने पर तुरंत संभाला जा सके। इसके बाद आपको हॉस्पिटल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
क्षार सूत्र के बाद ड्राई फूड की सलाह नही दी जाती है। इसके साथ - साथ मसालेदार भोजन नहीं खाना चाहिए। अधिक से अधिक फाइबर युक्त आहार और द्रवों का सेवन करना चाहिए।
जी हां, दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर आपको कुछ दवाईयां लेने को कह सकते हैं। इसके अलावा घावों को जल्दी भरने के लिए कुछ एंटी बायोटिक और एंटी इंफ्लेमेट्री दवाएं भी दी जा सकती हैं। साथ ही साथ डॉक्टर आपको आहार और लाइफस्टाइल बदलने की सलाह देते हैं ताकि बवासीर दोबारा होने की संभावना न रहे।
क्षार सूत्र उपचार के अगले दिन से ही सभी सामान्य काम किए जा सकते हैं। लेकिन कोई भी काम करते हुए इन बातों का ध्यान जरूर रखें :
Last Updated on: 2 July 2024
MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES
12 Years Experience
Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More
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