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बिलीरुबिन टेस्ट एक प्रकार का डायग्नोस्टिक टेस्ट होता है जो मुख्य रूप से लिवर की स्वस्थता के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इस टेस्ट के माध्यम से, रोगी के शरीर में बिलीरुबिन के स्तर के बारे में जानकारी मिलती है।
बिलीरुबिन टेस्ट की कीमत टेस्ट की विधि और जगह के आधार पर भिन्न होती है। आप अपने निकटतम डॉक्टर या मेडिकल लैब से टेस्ट बुक कर सकते हैं। बिलीरुबिन टेस्ट के बारे में अधिक जानने के लिए यह ब्लॉग पढ़ें।
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बिलीरुबिन (bilirubin in hindi) एक पीले रंग का तरल पदार्थ होता है जो लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से बनता है। यह पीले रंग का पदार्थ लिवर से पाचन प्रक्रिया के दौरान शरीर से बाहर निकल जाता है। अगर किसी व्यक्ति के शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक हो जाती है तो इसकी वजह से उसे लिवर से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।
बिलीरुबिन टेस्ट एक प्रकार का साधारण ब्लड टेस्ट है। यह टेस्ट रक्त में बिलीरुबिन के स्तर को जांचने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट के माध्यम से पीलिया, एनीमिया और लिवर की बीमारियों का पता लगाया जाता है। इसलिए शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा को पता लगाने के लिए रक्त और मूत्र परीक्षण टेस्ट करवाना जरूरी होता है ताकि सही उपचार करवाया जा सके।
बिलीरुबिन टेस्ट को कराने का मुख्य उद्देश्य बच्चों या व्यस्को में लिवर और पित्त की नली से जुड़े हुए रोगों का निदान करना होता है। निम्नलिखित इसके अन्य उद्देश्य हैं:
स्वस्थ व्यक्ति में बिलीरूबिन का स्तर सामान्य (bilirubin normal range) होता है। हालांकि नवजात शिशुओं में कुछ दिनों के लिए बिलीरूबिन का स्तर अधिक देखा गया है। बिलीरूबिन टेस्ट में तीन तरह से बिलीरूबिन के स्तर को दर्शाया जाता हैI यह निम्नलिखित है:
बिलरूबिन का स्तर कई कारणों से बढ़ सकता है। विशेषतौर पर लिवर और पित्त नलिका से जुड़ी बीमारियां में बिलरूबिन का स्तर अधिक देखा जा सकता है। बिलीरुबिन क्यों बढ़ता है के कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
जब रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक हो जाती है तो शरीर में कई प्रकार के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। ऐसे में अगर निम्न लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए जो बिलीरूबिन टेस्ट करवाने की सलाह दे सकता है:
बिलीरूबिन टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल के साथ - साथ यूरिन सैंपल भी लिया जा सकता है। बिलीरुबिन टेस्ट निम्नलिखित दो तरीके से होता है:
बिलीरुबिन टेस्ट ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से करवाया जा सकता है। दोनो ही तरीके काफी सुविधाजनक हैं। बिलीरूबिन टेस्ट बुक करने के दोनों तरीके निम्न हैं:
तकनीक बढ़ने के कारण आजकल बिलीरूबिन टेस्ट २ माध्यमों से किए जाते हैं। दोनों माध्यमों में टेस्ट का खर्च निम्न प्रकार से है:
बिलीरुबिन एक प्रकार का पिगमेंट होता है जो हमारे शरीर में रक्त कोशिकाओं के नष्ट होने के कारण उत्पन्न होता है। बिलीरुबिन की उच्च स्तर पीलिया और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार हो सकता है। बिलीरुबिन को कम करने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:
इन सभी उपायों के अलावा, बिलीरुबिन को कम करने के लिए आप एक नियमित चिकित्सक के साथ बातचीत कर सकते हैं। वह आपकी जांच करेगा और आपको सही उपचार के बारे में सलाह देगा।
बिलीरुबिन परीक्षण का उपयोग रक्त या मूत्र में बिलीरुबिन के स्तर को मापने के लिए किया जाता है। यह यकृत या रक्त विकारों की पहचान करने में मदद कर सकता है। यह ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से कराया जा सकता है जिसकी कीमत काफी उपयुक्त होती है।
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बिलीरूबिन का सामान्य स्तर (bilirubin normal range) ०.२-१.२ मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर होना चाहिए। इसलिए अगर किसी व्यक्ति का बिलीरुबिन लेवल सामान्य नहीं है तो ऐसे में उसे डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
बिलीरुबिन टेस्ट से शरीर में बिलीरुबिन के स्तर का पता चलता है और आमतौर पर पीलिया, एनीमिया या फिर लिवर रोग जैसी बीमारियों का पता लगाने के लिए बिलीरुबिन टेस्ट करवाया जाता है।
बिलीरुबिन (bilirubin in hindi) एक पीले रंग का तरल पदार्थ होता है जो की पित्त (बाइल) में पाया जाता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से और बोन मैरो सेल से बनता है। इसका मुख्य काम भोजन को पचाने में सहायता करने का होता है। जब शरीर में बिलीरुबिन का का स्तर बढ़ जाता है तो लिवर के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
सामान्यतः लिवर फंक्शन टेस्ट ३५० -१५०० रुपए के बीच में हो जाता है। हालांकि इस टेस्ट की कीमत लैब या शहर के ऊपर निर्भर करती है जो अलग-अलग हो सकती है।
जब बिलीरुबिन की मात्रा शरीर के अंदर बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो उसकी वजह से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा पीलिया, एनीमिया, लिवर और पित्ताशय के रोग हो सकते हैं।
बिलीरुबिन को जल्दी कम करने के लिए आहार में ताजे फल और सब्जियां जैसे कि ब्रोकली, एवोकाडो, कीवी, फलियां, टमाटर का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा हर दिन खूब पानी पिएं और शराब का सेवन बिल्कुल ना करें।
बिलीरुबिन का स्तर अधिक होने पर यह शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है। कई तरह के रोग जैसे एनीमिया, पीलिया, कमजोरी, खुजली इत्यादि हो सकता है। इसलिए इसका इलाज उचित समय पर होना आवश्यक है।
बिलीरुबिन का सामान्य स्तर ०.२-१.२ मिलीग्राम प्रति डेसीलेटर होता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से बनने वाला पीले रंग का पदार्थ है।
पीलिया होने पर गेहूं की रोटी के बजाय बाजरे की रोटी का सेवन किया जा सकता है। इसमें फाइबर अच्छी मात्रा में होता है जो लिवर के काम करने की क्षमता को बढ़ाता है। रोटी के अलावा पीलिया में दलिया, चावल, ताजा हरी पत्तियां भी खाई जा सकती हैं।
बिलीरुबिन को कम करने के लिए निम्नलिखित कुछ उपाय हैं:
Last Updated on: 17 August 2023
A specialist in Obstetrics and Gynaecology with a rich experience of over 21 years is currently working in HealthFort Clinic. She has expertise in Hymenoplasty, Vaginoplasty, Vaginal Tightening, Labiaplasty, MTP (Medical Termination...View More
BSc. Biotechnology I MDU and MSc in Medical Biochemistry (HIMSR, Jamia Hamdard)
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