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बवासीर के लक्षण क्या हैं? (Piles Symptoms in Hindi): कारण और इलाज

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Medically Reviewed by Dr. Saurabh Kumar Goyal
Written by Sangeeta Sharma, last updated on 6 September 2023| min read
बवासीर के लक्षण क्या हैं? (Piles Symptoms in Hindi): कारण और इलाज

Quick Summary

  • Hemorrhoids are a very painful condition. It causes swelling in the lower part of the anus and rectum. There are swellings inside and outside the anus. These swellings sometimes remain inside and sometimes come out. This condition, in which the blood vessels in the soft part of the anus become swollen and form a lump, is called hemorrhoids or piles. It can cause problems like itching and bleeding from the anus. For more information, read the blog.
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बवासीर एक बेहद तकलीफदेह बीमारी है। इसमें गूदे के अंदर और बाहर तथा मलाशय के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है । गूदे के अन्दर और बाहर मस्से बन जाते हैं। ये मस्से कभी अन्दर रहते हैं, तो कभी बाहर आ जाते हैं। इस स्थिति को, जिसमें गूदे के कोमल भाग में रक्त वाहिकाएं सूज जाती हैं और गाँठ बन जाती है, बवासीर या पाइल्स कहा जाता है। इसके कारण खुजली और मलाशय से खून बहना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अधिक जानकारी के लिए आएं ब्लॉग पढ़ें।

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बवासीर होने का क्या कारण है?

मल त्यागने के लिए ज़्यादा ज़ोर लगाने से गुदा या मलाशय की नसों पर दबाव पड़ता है, जिससे बवासीर हो जाता है। यह वैरिकोज़ वेन्स की तरह ही है जिसमें आपकी त्वचा के नीचे की नसें प्रभावित होती हैं। किसी भी प्रकार की ज़ोर-ज़बर्दस्ती जिससे आपके पेट या निचले छोर पर दबाव पड़ता हो, गुदा और मलाशय की नसों में सूजन का कारण बन सकती है।

बवासीर निम्नलिखित कारणों से हो सकता है:

  1. गर्भावस्था : गर्भावस्था के दौरान, मलाशय में उपस्थित ऊतक कमज़ोर हो जाते हैं, और हार्मोन्स के कारण नसें सूज जाती हैं। लगभग 35% गर्भवती महिलाओं में बवासीर हो सकती है।
  2. बढ़ती उम्र : 50 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों में बवासीर सबसे आम है। हालांकि, युवा लोग और बच्चे भी उन्हें प्राप्त कर सकते हैं।
  3. दस्त : पुराने दस्त के मामलों के बाद बवासीर हो सकता है।
  4. पुरानी कब्ज़ : मल जाते समय ज़ोर देने से रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप बवासीर हो सकता है।
  5. बहुत देर तक बैठना : लंबे समय तक बैठने की स्थिति में, विशेष रूप से शौचालय पर बवासीर का कारण बन सकता है।
  6. आहार : कम फाइबर वाले खाद्य पदार्थ खाने से बवासीर में योगदान हो सकता है।
  7. हैवी लिफ्टिंग : बार-बार भारी सामान उठाने से बवासीर हो सकता है।
  8. गुदा मैथुन : इससे नई बवासीर हो सकती है या मौजूदा बवासीर की स्थिति खराब हो सकती है।
  9. वज़न : शोध ने अधिक वज़न होने को बवासीर की उच्च संभावना से जोड़ा है। यह पेट के भीतर बढ़े हुए दबाव के परिणामस्वरूप हो सकता है।
  10. आनुवंशिक कारण : विकसित बवासीर की प्रवृत्ति विरासत में मिलती है।

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ऐसी कौन सी अन्य स्थितियां हैं जिनमें बवासीर जैसे लक्षण होते हैं?

जठरांत्र संबंधी विकारों में भी मलाशय में रक्तस्राव और बवासीर के समान अन्य लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। इनमें से कुछ विकार जीवन के लिए खतरा बन सकते हैं। इसलिए जब भी आप ऐसे लक्षणों का अनुभव करते है तो अपने डॉक्टर को तुरंत बताएं कि आपको कौन से लक्षण महसूस हो रहे हैं।

  1. पेट का कैंसर (हर मामले में जरूरी नहीं) 
  2. क्रोहन रोग
  3. अल्सरेटिव कोलाइटिस (अल्सर के साथ बड़ी आंत में सूजन)
  4. गंभीर कब्ज या दस्त
  5. गर्भावस्था

बवासीर को कैसे ठीक करें

शुरुआती चरणों में बवासीर को दवाओं से ठीक किया जा सकता है लेकिन अगर बीमारी बढ़ जाए और बवासीर के इलाज में दवाएं असर न कर रही हों, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं।

बवासीर के लिए इलाज के तरीके :-

  1. बवासीर के लिए सर्जरी से इलाज -
    1. हेमोरॉइडेक्टोमी
  2. बवासीर के लिए सर्जरी रहित इलाज
    1. रबड़ बैंड लिगेशन
    2. स्क्लेरोथेरेपी
    3. इलेक्ट्रोथेरेपी
    4. इन्फ्रारेड फोटोकैग्यूलेशन थेरेपी

अगर आप सर्जरी कराने में देरी करते हैं तो क्या होगा?

आपको बवासीर के इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे जटिलताएं हो सकती हैं जैसे:

  1. एनीमिया (शरीर के ऊतकों तक जो स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं ऑक्सीजन ले जाती हैं उनकी कमी होने की स्थिति) होना
  2. बवासीर वाले बाहरी ऊतक में रक्त के थक्के बनना
  3. त्वचा से ऊतक के फ्लैप (मस्सा या स्किन टैग) का लटकना
  4. संक्रमण होना
  5. स्ट्रेन्ग्युलेटेड पाइल्स (कसाव वाली बवासीर) - गुदा की मांसपेशियों की ओर से उभरे हुए अंदरूनी बवासीर को रक्त की आपूर्ति बंद हो सकती है

क्या सर्जरी के बाद बवासीर दोबारा हो सकता है?

आमतौर पर सर्जरी से बवासीर ठीक हो जाता है। इसके दोबारा होने की संभावना ऑपरेशन के बाद की जीवनशैली और देखभाल पर निर्भर करती है। पर्याप्त जल-योजन (शरीर में पानी की सही मात्रा बनाए रखना) के साथ-साथ फाइबर युक्त आहार बनाए रखना महत्वपूर्ण है। अगर रोगी अपने डॉक्टर के निर्देशों का पालन करता है तो दोबारा बवासीर होने की संभावना बहुत कम होगी और अगर यह फिर से हो भी जाता है तो भी यह बहुत निम्न ग्रेड का होगा जिसे आसानी से ठीक किया जा सकता है।

अब आप बवासीर, इसके लक्षण और इसके उपचार से जुड़ी जानकारी जानते हैं। बवासीर के इलाज के बारे में ज़्यादा जानने के लिए आज ही हेक्साहेल्थ से संपर्क करें। अगर आपको अभी भी कोई संदेह है और आप कोई मदद चाहते हैं, तो आप बिना किसी झिझक के हमारी व्यक्तिगत देखभाल सहायक टीम को कॉल कर सकते हैं। वे आपकी सभी शंकाओं और प्रश्नों का समाधान करेंगे। बवासीर के बारे में और अधिक पढ़ने के लिए आप हमारी HexaHealth वेबसाइट पर भी जा सकते हैं। हमें हमेशा मदद करके खुशी होती हैं।

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अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

बवासीर का शत - प्रतिशत इलाज उपलब्ध है। बवासीर की गंभीरता के आधार पर इसके कई उपचार हैं। गैर सर्जिकल उपचारों में रबर बैंड लिगेशन, सेलरोथेरेपी, इलेक्ट्रोथेरेपी, इन्फ्रारेड कोएगलेशन उपलब्ध हैं। वहीं सर्जिकल उपचारों में हमेरोईडेक्टोमी, स्टेपल्ड हेमोराइडोपेक्सी, हेमरोइडल आर्टरी लिगेशन और लेजर सर्जरी उपलब्ध हैं।

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बवासीर ऐसी बीमारी है जो लगभग सभी को जीवन में एक बार हो ही जाती है। कुछ लोगों को बवासीर होकर समाप्त हो जाता है और उन्हें पता भी नही चल पाता। वहीं कुछ लोगों में यह गंभीर हो जाता है और सर्जरी की जरूरत पड़ती है।

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अगर बवासीर का सही उपचार नही किया गया और उपचार के बाद जीवनशैली और खान - पान में लापरवाही की गई तो यह जीवनभर चल सकता है। इसके उपचार के बाद खान - पान में सुधार करने पर सामान्य तौर पर बवासीर ठीक हो जाता है।

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अगर बवासीर का स्तर गंभीर हो गया है तो यह घर पर नहीं ठीक हो सकता है। बवासीर के गंभीर मामले में आपको सर्जरी करानी पड़ती है। लेजर सर्जरी आमतौर पर ४५ से ५० मिनट में हो जाती है। बवासीर के गंभीर मामले में डॉक्टर आपको हेमरॉयडेक्टोमी की सलाह दे सकते हैं। हेमरॉयडेक्टोमी में सामान्य एनेस्थीसिया दिया जाता है जिससे सर्जरी के वक्त दर्द नहीं होता है और बवासीर को गुदा से अलग कर दिया जाता है। हेमरॉयडेक्टोमी की प्रक्रिया लगभग १ घंटे में हो जाती है। डॉक्टर आपको स्टेपल्ड हेमोराइडोपेक्सी की भी सलाह दे सकते हैं। इसमें बवासीर को स्टेपल कर दिया जाता है जिससे ब्लड सप्लाई रुक जाती है और यह सूख जाता है। स्टेपल्ड हेमोराइडोपेक्सी १० से ४० मिनट में हो जाती है। अगर आपके बवासीर का स्तर सामान्य है तो आप कुछ घरेलू उपायों से इसका उपचार कर सकते हैं जैसे रोज सिट्ज़ बाथ करें,फाइबर युक्त भोजन लें, खूब पानी पिएं, लगातार बैठने और खड़े रहने से बचें, इत्यादि। इसके अलावा आप आयुर्वेदिक औषधि पीएफ २ क्योर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपको एक सप्ताह में रिजल्ट्स मिल सकते हैं।

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अगर आप बवासीर से पीड़ित हैं तो:

ये करें:  तरल पदार्थ जैसे पानी खूब पिएं। अगर आपका वजन बढ़ा हुआ है तो उसे कम करें। दिन में तीन बार सिट्ज़ बाथ लें, रोज २० से ३० मिनट थोड़ा तेज गति से टहलें। 

ये न करें : शौच में देर तक न बैठें और स्टूल पास करने के लिए जोर न लगाएं। 

शराब और कॉफी से बचें, साथ ही तीखे और मसालेदार खाना बिल्कुल न खाएं। अधिक वजन उठाने पर सांसों को रोकने का प्रयास न करें। जब भी शरीर द्वारा शौच का सिगनल मिले तो इसे इग्नोर न करें।

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कुछ लोगों में बवासीर आमतौर पर होकर ठीक भी हो जाता है लेकिन उन्हें पता भी नही चल पाता। अगर पता चलता भी है तो घरेलू उपायों से ठीक हो जाता है। जब बवासीर गंभीर होने लगता है तो मल से खून आता है और गुदा में दर्द होता है। ऐसे में आपको डॉक्टर से जरुर संपर्क करना चाहिए।

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बवासीर का इलाज आपके बवासीर की गंभीरता पर निर्भर करता है। आपके बवासीर के स्थिति के अनुसार कई इलाज उपलब्ध हैं। मुख्यतः दो प्रकार के इलाज किए जाते हैं, पहला नॉन सर्जिकल और दूसरा सर्जिकल उपचार। 

नॉन सर्जिकल उपचार में मुख्य रूप से चार इलाज होते हैं - 

  1. रबर बैंड लिगेशन थेरेपी 
  2. सेलरोथेरेपी 
  3. इलेक्ट्रोथेरेपी 
  4. इन्फ्रारेड कोएगलेशन 

सर्जिकल उपचार में मुख्य रूप से तीन इलाज हैं -

  1. हेमोराहाइडेक्टोमी
  2. स्टेपल्ड हेमोराहाइडेक्टोमी
  3. लेजर सर्जरी 

लेजर सर्जरी बवासीर के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इस सर्जरी में समय बहुत कम लगभग ४५ से ५० मिनट लगते हैं और बाकी उपचारों की तुलना में आपको दर्द का भी एहसास नहीं होता है। साथ ही सर्जरी के बाद इन्फेक्शन होने की संभावना न के बराबर होती है।

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मोटापे के कारण शौच के समय गुदा की रक्त वाहिकाओं पर दाब बना रहता है जिससे बवासीर विकसित हो जाता है। इसके अलावा जीवनशैली और खान - पान के कारण मोटे लोगों में बवासीर का खतरा रहता है। मोटापे और बवासीर के कारण मिलते-जुलते हैं जैसे फाइबर वाले भोजन कम लेना, अक्सर बैठे रहना, अपने जीवनशैली पर ध्यान न देना आदि जिससे मोटे लोगों को बवासीर होने की संभावना बढ़ जाती है। मोटापा किसी भी लिहाज से फायदेमंद नही है। अगर आपका भी वजन अधिक है तो इसे कम करने की कोशिश करें। 

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ऐसा देखा गया है कि डिलीवरी होने के बाद महिलाओं के हार्मोन का स्तर नॉर्मल होता है जिससे बवासीर की समस्या अपने आप ठीक हो जाती है। हालांकि हर गर्भवती महिला के मामले ऐसा नहीं होता है। कुछ लोगों को इलाज की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में सिट्ज़ बाथ रोज करें और फाइबर युक्त रसीले फल खाएं।

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अक्सर ५० साल की उम्र होने तक लोगों को बवासीर की समस्या देखने को मिल जाती है। अगर खान - पान सही नही रहता तो युवाओं को भी बवासीर हो जाता है। खासकर मोटापे और कब्ज़ से ग्रसित युवाओं को बवासीर का रिस्क अधिक रहता है।

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योग करने से बवासीर में मदद मिल सकती है। योग करने से खून शरीर के हर हिस्से में पहुंचता है जिससे सिर्फ बवासीर ही नही बल्कि पूरे शरीर को स्वस्थ बने रहने में मदद मिलती है। 

कुछ व्यायाम जो बवासीर में लाभदायक हो सकते हैं : 

  1. बालासन - इस व्यायाम को करने से बवासीर में ब्लड सप्लाई अच्छी होती है जिससे बवासीर को सिकुड़ने में मदद मिलती है।  
    बालासन करने का तरीका : वज्रासन की स्थिति में बैठें। अब दोनों हाथों और सिर को साथ - साथ आगे की ओर झुककर जमीन पर ले जाएं। हथेलियों और सिर को जमीन से स्पर्श कराएं। इसे आप पहली बार कर रहे हैं तो ३० सेकंड तक कर सकते हैं। इसके बाद अपने क्षमता के अनुसार समय बढ़ाएं। 
     
  2. मलासन - इसे करने से आपकी पाचन क्रिया अच्छी होती है जिससे कब्ज़ की समस्या में राहत मिलती है और अंततः बवासीर के लिए फायदेमंद होती है। 
    मलासन करने का तरीका : सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं, अब अपने हाथों को प्रणाम मुद्रा में जोड़ें। इसके बाद घुटनों के बल बैठ जाएं। अब अपनी जांघो को फैलाएं। इसे भी आप ३० सेकंड तक अपनी क्षमतानुसार करें।  
     
  3. पवनमुक्तासन - इसे करने से नितंबों की मांसपेशियां लचीली होती हैं। साथ ही इसे करने से पेट की गैस निकलने में मदद मिलती है जो बवासीर के मरीजों के लिए अच्छी है।
    पवनमुक्तासन करने का तरीका : सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं और सांसे लें। इसके बाद दोनों हाथों की अंगुलियों को फँसा लें। दोनों घुटनों को पेट की ओर ले जाएं। इसके लिए बंद हाथों का सहारा लें। अब घुटनों और सिर को एक साथ मिलाएं और १० सेकेंड तक इसी अवस्था में रहें। इसके बाद रिलैक्स हो जाएं और इस प्रक्रिया को फिर से दोहराएं। इसे आप २-३ राउंड कर सकते हैं। 
     
  4. विपरीतकरणी आसन - इसे करने से आपके गुदा क्षेत्र में ऑक्सीजन की अच्छी सप्लाई मिलती है जिससे गुदा क्षेत्र में राहत महसूस होती है। 
    विपरीतकरणी करने का तरीका : सबसे पहले सीधे लेट जाएं। अब अपने कमर को हाथों से सहारा देते हुए पैरों और जांघ के बीच न्यून कोण रखते हुए ऊपर उठाएं। इसके बाद न्यून कोण खत्म करते हुए पैरों को पूरा ऊपर उठाने को कोशिश करें। इस बीच अपने हाथों को कमर पर रखकर सहारा लेते रहें। अपनी क्षमतानुसार इसी स्थिति में रहें इसके बाद आराम से सामान्य मुद्रा में आ जाएं। इसे आप ५ मिनट के बाद फिर से दोहरा सकते हैं। 
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केला में अच्छी मात्रा में फाइबर होता है। अन्य फाइबरयुक्त फलों जैसे नाशपाती के साथ - साथ इसका भी सेवन किया जा सकता है। फाइबरयुक्त फलों को लेने से कब्ज़ की समस्या में मदद मिलती है। ऐसे में केला स्टूल सॉफ्टनर का काम करता है। इसलिए यह बवासीर के लिए अच्छा है।

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स्ट्रेस में कुछ लोग शराब का सेवन करते हैं, फाइबर युक्त भोजन नही लेते हैं जिसके कारण ऐसे लोगों को बवासीर हो सकता है। स्ट्रेस के कारण ब्लड प्रेशर कम हो जाता है जिसके फलस्वरूप भी बवासीर हो सकता है।

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एक बार बवासीर ठीक होने के बाद अगर आपके द्वारा देखरेख में लापरवाही हुई तो यह फिर से हो सकता है। ऐसे में आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सिट्ज़ बाथ नियमित रूप से लें, पर्याप्त पानी पिएं और फाइबर युक्त भोजन लें।

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 पॉलिश किया हुआ चावल बवासीर में नुकसान पहुंचाता है। पॉलिश किए गए चावल में पूर्ण रूप से स्टार्च पाया जाता है जो कब्ज़ को बढ़ाता है। पॉलिश चावल की जगह भूरा चावल का सेवन करें। भूरे चावल में फाइबर होता है।

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Last Updated on: 6 September 2023

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Saurabh Kumar Goyal

Dr. Saurabh Kumar Goyal

MBBS, MS General Surgery

16 Years Experience

Dr Saurabh Kumar Goyal is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic. He has 16 years of experience in general and laparoscopic surgery and worked as an expert Surgeon in ...View More

लेखक

Sangeeta Sharma

Sangeeta Sharma

BSc. Biochemistry I MSc. Biochemistry (Oxford College Bangalore)

6 Years Experience

She has extensive experience in content and regulatory writing with reputed organisations like Sun Pharmaceuticals and Innodata. Skilled in SEO and passionate about creating informative and engaging medical conten...View More

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