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थायराइड के लक्षण, कारण, घरेलु उपाय व इलाज - Thyroid in Hindi

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Dr. Aman Priya Khanna
Thyroid In Hindi

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Medically Reviewed by Dr. Aman Priya Khanna Written by Sangeeta Sharma

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आपने अपने आसपास थायराइड की बीमारी के बारे में लोगों को बातचीत करते जरूर सुना होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि थायराइड (Thyroid in Hindi) की बीमारी बहुत आम हो चुकी है। भारत में ४२ मिलियन लोगों को थायरायड विकार हैं और हाइपोथायरायडिज्म भारत में थायराइड विकारों में सबसे आम है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को थायराइड की बीमारी अधिक होती है। आठ में से एक महिला थायराइड की समस्या का सामना कर रही है।

थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) जानने के बाद समय पर इलाज करा लिया जाए, तो बीमारी नियंत्रण में रहती है। थायराइड के लक्षण, थायराइड के कारण, निदान, इलाज आदि के बारे में जानने से पहले पढ़ें कि आखिर थायराइड क्या होता है (thyroid kya hota hai)।

बीमारी का नाम थायराइड
लक्षण कब्ज, मांसपेशियों में कमजोरी, वजन बढ़ना, उदासी, थकान, सूजन
कारण आयोडीन का असंतुलन, थायराइडाइटिस, ग्रेव्स रोग
निदान शारीरिक परीक्षा, खून की जांच, थायराइड एंटीबॉडीज
इलाज कौन करता है एंडोक्राइनोलॉजिस्ट
उपचार के विकल्प थायराइडेक्टोमी, हेमी थायराइडेक्टोमी, रोबोटिक थायराइडेक्टोमी

थायराइड क्या होता है?

थायरायड एक छोटी तितली के आकार की ग्रंथि है। यह ग्रंथि गर्दन के आधार पर, आपके एडम्स एप्पल के नीचे पाई जाती है। यह ग्रंथि थायराइड हार्मोन बनाती है। थायराइड हार्मोन खून के माध्यम से शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचता है। 

थायराइड हार्मोन शरीर के चयापचय या मेटाबॉलिज्म को कई तरह से नियंत्रित करता है। इस कारण से तेजी से कैलोरी बर्न होती हैं। साथ ही ये हार्मोन दिल की धड़कन को भी कंट्रोल करता है। जब थायराइड से अधिक या कम मात्रा में हार्मोन निकलता है, तो थायराइड की बीमारी का सामना करना पड़ता है। थायराइड का क्या लक्षण है, थायराइड के प्रकार आदि जानिए यहां।

थायराइड से कौन होता है प्रभावित?

थायराइड के लक्षण किसी भी उम्र में दिख सकते हैं। थायराइड रोग पुरुष, महिलाएं, शिशु, किशोर और बुजुर्ग को हो सकता है।

थायराइड रोग जन्म के समय मौजूद हो सकता है। आमतौर पर हाइपोथायरायडिज्म अक्सर महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद शुरू हो सकता है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को इस बीमारी का अधिक खतरा रहता है।

थायराइड के प्रकार

थायराइड मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। 

  1. हाइपोथायरायडिज्म: हाइपोथायरायडिज्म में थायराइड हार्मोन कम मात्रा में बनता है।
  2. हाइपरथायरायडिज्म: हाइपरथायरायडिज्म स्थिति में थायराइड हार्मोन अधिक मात्रा में बनता है।

दोनों ही स्थितियों में शरीर में विभिन्न प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ते हैं।

थायराइड बढ़ने के लक्षण

थायराइड के लक्षण धीमे-धीमे दिखाई देते हैं। कई बार थायराइड के लक्षण दिखने में कई साल लग सकते हैं। थायराइड की स्थितियां मुख्य रूप से दो प्रकार (हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म) की होती हैं। दोनों ही स्थितियों में लक्षण अलग दिख सकते हैं। जानिए थायराइड के क्या लक्षण हैं?

हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण

हाइपोथायरायडिज्म थायराइड होने के लक्षण निम्नलिखित है।

  1. कब्ज
  2. मांसपेशियों में कमजोरी
  3. वजन बढ़ना (भले ही आप अधिक खाना ना खा रहे हो)
  4. जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द
  5. उदास महसूस करना
  6. बहुत थकान महसूस करना
  7. त्वचा में सूखापन
  8. बालों का पतला होना
  9. हृदय गति धीमी होना
  10. सामान्य से कम पसीना आना
  11. फूला हुआ चेहरा
  12. आवाज में भारीपन
  13. मासिक धर्म से अधिक रक्तस्राव 

हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण

हाइपरथायरायडिज्म थायराइड होने के लक्षण निम्नलिखित है।

  1. वजन कम होना
  2. सामान्य से अधिक भोजन करना
  3. अनियमित दिल की धड़कन 
  4. घबराहट महसूस होना
  5. चिड़चिड़ापन महसूस होना
  6. नींद न आना
  7. हाथों और उंगलियों में कंपन
  8. पसीना अधिक आना
  9. गर्मी ज्यादा महसूस करना 
  10. मांसपेशियों में कमजोरी
  11. सामान्य से अधिक मल त्याग
  12. मासिक धर्म कम होना

थायराइड होने के लक्षण कम या अधिक भी दिख सकते हैं। अगर समय रहते थाइराइड का इलाज करा लिया जाए, तो थायराइड के लक्षण कम या खत्म भी हो सकते हैं।

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थायराइड के कारण

थायराइड के लक्षण जानने के बाद थायराइड के कारण पता होना भी बहुत जरूरी है। थायराइड की बीमारी एक नहीं बल्कि कई कारणों से हो सकती है। हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म, दोनों स्थितियां अन्य बीमारियों के कारण हो सकती हैं। जानिए थायराइड की बीमारी के मुख्य कारण क्या हैं।

हाइपोथायरायडिज्म होने के कारण

  1. थायराइडाइटिस: थायरायड ग्रंथि की सूजन को थायराइडाइटिस कहते हैं। इस कारण से थायराइड हॉर्मोन कम बनता है।
  2. हाशिमोटो थायरायडिटिस: यह एक प्रकार की ऑटोइम्यून स्थिति है जहां शरीर की कोशिकाएं थायराइड ग्रंथि पर हमला करती हैं और इस कारण से हाइपोथायरायडिज्म की समस्या पैदा सकती है।
  3. पोस्टपार्टम थायराइडाइटिस: महिलाओं में बच्चे के जन्म के बाद ये स्थिति पैदा होती है, जो कि अस्थायी है।
  4. आयोडीन की कमी: थारयराइड हार्मोन का उत्पादन करने के लिए थायराइड द्वारा आयोडीन का उपयोग किया जाता है। आयोडीन की कमी के कारण भी हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है।

हाइपरथायरायडिज्म के कारण

  1. ग्रेव्स रोग: इस स्थिति के होने पर थायराइड ग्रंथि बहुत अधिक सक्रिय हो जाती है जिसके कारण थायराइड हार्मोन का उत्पादन अधिक हो जाता है।
  2. नोड्यूल्स: थायराइड ग्रंथि के अंदर नोड्यूल्स होते हैंI जब वह अधिक सक्रिय हो जाते हैं तो उस कारण से भी हार्मोन अधिक बनने लगता है।
  3. आयोडीन की अधिक मात्रा: जब शरीर में अधिक मात्रा में आयोडीन पहुंचता है तो इस कारण से थायराइड हार्मोन भी अधिक मात्रा में बनने लगता है।
  4. थायराइडाइटिस: थायराइड ग्रंथि की सूजन हाइपरथायरायडिज्म का कारण बन सकती है।

 हमने आपको थायराइड के लक्षण बताए और कारण भी। इन सभी कारणों से व्यक्ति में धीमे-धीमें थायराइड बढ़ने के लक्षण नजर आने लगते हैं। अगर ध्यान न दिया जाए तो ये बढ़ भी सकते हैं।

थायराइड के जोखिम कारक

थायराइड का खतरा किसी भी उम्र में हो सकता है। जानिए किन जोखिम कारकों के कारण थायराइड का खतरा बढ़ जाता है। 

  1. अगर किसी व्यक्ति के परिवार में थायराइड का कोई रोगी है तो उस व्यक्ति को भी थायराइड का जोखिम हो सकता है।
  2. कुछ स्थिति जैसे कि टाइप वन डायबिटीज, रूमेटाइड गटिया, टर्नर सिंड्रोम आदि की समस्या वाले लोगों को भी थायराइड की बीमारी की अधिक संभावना रहती है। 
  3. जो लोग आयोडीन की उच्च मात्रा वाली दवा लेते हैं उनमें भी थायराइड की संभावना अधिक रहती है।
  4. पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में 60 साल के बाद थायराइड का खतरा बढ़ जाता है।
  5. अगर पहले कभी थायराइड स्थिति या कैंसर का इलाज किया गया है, तो ऐसे में भी व्यक्ति को थायराइड होने का जोखिम बढ़ जाता है।

थायराइड की रोकथाम

थायराइड की बीमारी के कारणों और जोखिम कारक पर यदि ध्यान दिया जाए, तो प्राथमिक तौर पर थायराइड से बचाव संभव है। थायराइड की बीमारी से पूरी तरह से बचाव करना मुश्किल है। 

  1. थायराइड विकार की प्राथमिक रोकथाम के लिए जरूरी है कि धूम्रपान और शराब का सेवन बंद कर दे I
  2. क्रूस वाली सब्जियां जैसे फूलगोभी, ब्रोकली आदि खाने से बचें I
  3. सोया के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि यह हार्मोन उत्पादन को बदल देता है।
  4. बच्चे के जन्म के बाद अक्सर महिलाओं को थायराइड (पोस्टपार्टम थायराइडाइटिस) की समस्या से गुजरना पड़ता है। थायराइड से बचाव के लिए महिलाओं को डॉक्टर से संपर्क कर समय-समय पर जांच करानी चाहिए।
  5. आयोडिन की कमी भी हाइपोथायरायडिज्म को जन्म दे सकती है। खाने में आयोडीन की सीमित मात्रा का सेवन जरूर करना चाहिए।
  6. अपने डॉक्टर के पास नियमित रूप से जाएँ। नियमित जांच न केवल आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बल्कि आपके थायरॉयड स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे हैं।

थायराइड का निदान

थायराइड होने के लक्षण अन्य बीमारियों के समान होते हैं इसलिए उन्हें शुरुआत में पहचानना मुश्किल हो जाता है। जब किसी व्यक्ति को थायराइड की बीमारी शुरू होती है, तो उसका तुरंत निदान संभव नहीं हो पाता है।

थायराइड होने के कुछ समय बाद शरीर में थायराइड के लक्षण नजर आते हैं। डॉक्टर शारीरिक जांच के साथ ही गर्दन की जांच भी करते हैं।थायराइड के लक्षण के आधार पर डॉक्टर कुछ अन्य जांच भी कर सकते हैं। 

  1. शारीरिक परीक्षण: डॉक्टर गले के पास थायराइड के उभार देख कर भी जांच कर सकते हैं।
  2. खून की जांच (ब्लड टेस्ट):  खून की जांच के माध्यम से रक्त में थायराइड उत्तेजक हार्मोन  (टी एस एच), टी 4: थायरोक्सिन,  टी 3: ट्राईआयोडोथायरोनिन, एफ टी 3: फ्री ट्राईआयोडोथायरोनिन, एफ टी 4: फ़्री थायरोक्सिन के स्तर के बारे में जानकारी मिलती है। अतिरिक्त रक्त परीक्षण में निम्नलिखित टेस्ट शामिल हो सकते हैं:
    1. थायराइड एंटीबॉडीज: थायराइड एंटीबॉडीज परीक्षण विभिन्न प्रकार के ऑटोइम्यून थायरायड स्थितियों की पहचान करने में मदद करता है। सामान्य थायरायड एंटीबॉडी परीक्षणों में माइक्रोसोमल एंटीबॉडी, थायरोग्लोबुलिन एंटीबॉडी, थायरायड रिसेप्टर एंटीबॉडी और थायरायड अवरोधक इम्युनोग्लोबुलिन शामिल है।
    2. कैल्सीटोनिन: इस परिक्षण का इस्तेमाल सी-सेल हाइपरप्लासिया और मेडुलरी थायरॉइड कैंसर के निदान के लिए किया जाता है। दोनो ही दुर्लभ थायरायड विकार हैं।
    3. थायरोग्लोबुलिन: इस परीक्षण का इस्तेमाल थायरायडिटिस (थायराइड की सूजन) का निदान करने और थायराइड कैंसर के इलाज की निगरानी के लिए किया जाता है। 
  3. थायराइड स्कैन: थायराइड स्कैन में थायरायड की छवियों को बनाने के लिए एक सुरक्षित, रेडियोधर्मी सामग्री की थोड़ी मात्रा का उपयोग किया जाता है।
  4. थायराइड अल्ट्रासाउंड: थायराइड अल्ट्रासाउंड के दौरान त्वचा पर गर्म, पानी में घुलनशील जेल लगाया जाता है। डॉक्टर अल्ट्रासाउंड जांच से थायरायड के सभी हिस्सों को देखते हैं। एक अल्ट्रासाउंड में आमतौर पर लगभग 20 से 30 मिनट लगते हैं।

थायराइड के लक्षण और बीमारी के निदान के बाद थायराइड का इलाज किया जाता है।

थायराइड के लिए डॉक्टर के परामर्श की तैयारी कैसे करें?

थायराइड विकारों के लिए डॉक्टर के परामर्श की तैयारी एक उत्पादक और सूचनात्मक नियुक्ति सुनिश्चित करने में मदद कर सकती है। डॉक्टर के पास जाने से पहले आप खुद को निम्न प्रकार से तैयार कर सकते हैं:

  1. अपनी नियुक्ति से पहले, आप जिन लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, उनकी एक सूची बनाएं, भले ही वे थायराइड स्वास्थ्य से संबंधित न हों।
  2. किसी भी पिछले थायरॉयड की स्थिति, सर्जरी या उपचार सहित अपने चिकित्सा इतिहास के बारे में जानकारी इकट्ठा करें।
  3. आप वर्तमान में जो भी दवाएं ले रहे हैं, साथ ही साथ किसी भी अन्य चिकित्सीय स्थितियों पर ध्यान दें।
  4. यदि आपके पास कोई पिछला थायरॉयड परीक्षण परिणाम, इमेजिंग रिपोर्ट, या आपकी स्थिति से संबंधित चिकित्सा रिकॉर्ड हैं, तो उन्हें परामर्श के लिए लाएँ।
  5. अपने थायरॉयड स्वास्थ्य के बारे में आपके किसी भी विशिष्ट प्रश्न या चिंता को लिख लें। आप निम्नलिखित प्रश्नों का सेट भी पूछ सकते हैं:
    1. मेरे थायराइड का कारण क्या है?
    2. मेरी हालत के लिए इलाज का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
    3. क्या यह स्थिति चली जाएगी?
    4. मुझे जीवनशैली में क्या बदलाव करने चाहिए?
    5. क्या मेरी हालत के लिए सर्जरी जरूरी है?

थायराइड का इलाज

थायराइड रोग का इलाज दवाओं और सर्जरी के माध्यम से किया जाता है। थायराइड के लक्षण के अनुसार रोगी का इलाज किया जाता है। 

  1. दवाएं: हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में अलग-अलग दवाएं दी जाती हैं। 
    1. हाइपरथायरायडिज्म:  हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति में एंटी थायराइड (मेथिमाजोल और प्रोपाइलथियोरासिल) दवाएं दी जाती हैं। ये दवाएं थायराइड को नया थायराइड हार्मोन बनाने से रोकती हैं। 
    2. हाइपोथायरायडिज्म: हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में मानव निर्मित हार्मोन (thyroxine sodium tablets) दवा लेने की सलाह दी जाती है। 
    3. बीटा-ब्लॉकर्स दवाएं: बीटा-ब्लॉकर्स दवाएं शरीर में थायराइड हार्मोन के प्रभाव को रोकती हैं। इनका इस्तेमाल हाइपरथायरायडिज्म के इलाज में किया जाता है।
  2. रेडियोएक्टिव आयोडीन: इस उपचार की मदद से थायराइड की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाया जाता है। इस कारण से अधिक हार्मोन बनने से रोका जा सकता है। रेडियोएक्टिव आयोडीन का इस्तेमाल हाइपरथायरायडिज्म के इलाज में किया जाता है।
  3. सर्जरी: सर्जरी की मदद से थायरायड (थायराइडेक्टोमी) को हटा दिया जाता है। इसके बाद हार्मोन बनना बंद हो जाता है। डॉक्टर जीवन भर थायरायड प्रतिस्थापन हार्मोन (thyroid replacement hormones) लेने की सलाह देते हैं। सर्जरी से हाइपरथायरायडिज्म का इलाज होता है। 

यह सर्जरी दो मुख्य तरीकों से की जा सकती है:

  1. गर्दन के सामने एक चीरे के साथ: गर्दन के सामने का चीरा थायरायडेक्टॉमी का पारंपरिक संस्करण है। अगर थायरायड विशेष रूप से बड़ा है या इसमें बहुत बड़े नोड्यूल हैं, तो इस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। 
  2. कांख में चीरे के साथ सर्जरी: ये एक प्रकार की वैकल्पिक सर्जरी है। बगल में एक चीरा लगाने के बाद एक सुरंग बनाई जाती है। इसे एलिवेटेड रिट्रैक्टर कहा जाता है। इस सुरंग से थायराइड को निकाला जाता है। इस प्रक्रिया को अक्सर स्कारलेस (बिना दाग वाला) कहा जाता है क्योंकि चीरा  बगल के नीचे होता है। 

हटाई गई लोब्स की संख्या के आधार पर थायराइड की सर्जरी के प्रकार

  1. हेमी थायराइडेक्टोमी (Hemi Thyroidectomy): यदि थायराइड के एक तरफ नोड्यूल (एक) उपस्थित होता है, तो सर्जन थायराइड के एक लोब को हटा देते हैं।
  2. टोटल थायराइडेक्टोमी (Total Thyroidectomy): कुल या टोटल थायराइडेक्टोमी सभी या अधिकांश (एक से अधिक) थायराइड ऊतक को निकालने के लिए की जाती है। 

तकनीकी के आधार पर थायराइड की सर्जरी

  1. ओपन थायराइडेक्टोमी (Open Thyroidectomy): इस ऑपरेशन में, सर्जन सीधे थायराइड नोड्यूल को हटा देते है। इस प्रकार की सर्जरी की जरूरत कम ही पड़ती है। 
  2. इंडोस्कोपिक थायराइडेक्टोमी (Endoscopic Thyroidectomy): एंडोस्कोपिक थायराइडेक्टोमी का उपयोग करके बड़े नोड्यूल्स को हटाना आसान होता है। इस सर्जरी में न्यूनतम इन्वेसिव शल्य - चिकित्सा का इस्तेमाल किया जाता है। 
  3. रोबोटिक थायराइडेक्टोमी (Robotic Thyroidectomy): बेहतर कॉस्मेटिक परिणाम के साथ रोबोटिक थायराइडेक्टोमी का इस्तेमाल किया जा रहा है। रोबोटिक थायराइडेक्टोमी नवीन तकनीकी पर आधारित है।

सर्जरी का कौन-सा विकल्प अपनाया जाएगा, ये मरीज की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। अगर मरीज स्वस्थ्य नहीं है या बड़े थायराइड नोड्यूल, ग्रेव्स रोग जैसी स्थिति है तो, डॉक्टर एलिवेटेड रिट्रैक्टर सर्जरी के लिए मना कर सकते हैं।

डॉक्टर से थायराइड के लक्षण, थायराइड के लिए सर्जरी आदि के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

सर्जरी का नाम सर्जरी का खर्च
थायराइडेक्टोमी ₹ ६०,००० से ₹ १,००,०००
टोटल थायराइडेक्टोमी ₹ ६०,००० से ₹ १,००,०००
हेमी थायराइडेक्टोमी ₹ ४०,००० से ₹ ८०,०००
रोबोटिक थायराइडेक्टोमी ₹ २,००,००० से ₹ ३,००,०००

थायराइड के जोखिम और जटिलताएं

यदि थायराइड के लक्षण दिखने पर भी सही समय पर इलाज न किया जाए तो व्यक्ति को बहुत सी गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। 

हाइपरथायरायडिज्म से जुड़े जोखिम और जटिलताएं 

  1. व्यक्ति को आंखों से संबंधित समस्या जैसे की उभरी हुई आंख, धुंधली या दोहरी दृष्टि, दृष्टि हानि की समस्या हो सकती है।
  2. हृदय से संबंधित समस्याएं जैसे कि तेज हृदय गति, दिल की लय के साथ समस्या या हार्ट फेलियर (दिल की धड़कन रुकना) जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  3. थायराइड की जटिलताओं के अन्तर्गत लाल, सूजी हुई त्वचा की समस्या हो सकती है।
  4. थायरोटॉक्सिक संकट के कारण बुखार, तेज हृदय गति आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

ऐसी समस्याएं होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत होती है।

अंडरएक्टिव थायराइड (हाइपोथायरायडिज्म) से जुड़ी जटिलताएं

  1. बढ़े हुए थायराइड के कारण निगलने और सांस लेने में समस्या हो सकती है। 
  2. उच्च कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग की संभावना रहती है।
  3. पैरों, बाहों या अन्य प्रभावित क्षेत्रों में झुनझुनी, सुन्नता या दर्द हो सकता है।
  4. जन्म दोष भी थायराइड जटिलता में शामिल है।
  5. मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे जैसे अवसाद भी इस बीमारी की जटिलता में शामिल है।
  6. दुर्लभ बीमारी मिक्सोडेमा भी थायराइड की जटिलता से जुड़ी हुई बीमारी है। इस कारण से तीव्र ठंड असहिष्णुता की समस्या होती है। इस बीमारी के मरीज को तत्काल चिकित्सा की जरूरत होती है।

थायराइड के जोखिम से बचने के लिए थायराइड के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।

थायराइड से बचाव के लिए खानपान

थायराइड के लक्षण और निदान के आधार पर पता चल जाता है कि व्यक्ति हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित है या फिर हाइपरथायरायडिज्म से।

थायराइड की स्थिति वाले लोग आहार के माध्यम से अपनी स्थिति को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। थायराइड की बीमारी में गलत खानपान समस्या खड़ी कर सकता है। 

हाइपोरथायरायडिज्म की समस्या में

  1. क्या खाएं?
    1. शलजम और जड़ वाली सब्जियां हाइपोथायरायडिज्म की समस्या में खाई जा सकती हैं।
    2. हाइपोथायरायडिज्म की समस्या होने पर आयोडीन युक्त आहार का सेवन करना चाहिए। 
    3. विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियां, साबुन अनाज, नट्स, जैतून के तेल, फाइबर की अधिक मात्रा वाला आहार का सेवन करना चाहिए। 
    4. डॉक्टर की सलाह पर आयोडीन अनुसंशित मल्टीविटामिन का सेवन किया जा सकता है।
  2. क्या न खाएं?
    1. हाइपोथायरायडिज्म की समस्या होने पर अधिक सोया खाने से बचना चाहिए। सोया का सेवन हार्मोन के अवशोषण में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
    2. खाने में पत्तागोभी का सेवन करने से बचना चाहिए। ये थायराइड द्वारा आयोडीन के अवशोषण के समस्या पैदा कर सकती है।
    3. हाइपरथायरायडिज्म होने पर आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे आयोडीन युक्त उत्पाद का सेवन नहीं करना चाहिए।
    4. आयोडीन सप्लिमेंट्स का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।

हाइपरथायरायडिज्म की समस्या में

  1. क्या खाएं?
    1. शलजम और जड़ वाली सब्जियां हाइपरथायरायडिज्म की समस्या में खाई जा सकती हैं।
    2. विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियां, साबुन अनाज, नट्स, जैतून के तेल, फाइबर की अधिक मात्रा वाला आहार का सेवन करना चाहिए। 
    3. आयरन, कैल्शियम, विटामिन डी और सेलेनियम युक्त खाद्य पदार्थ।
  2. क्या न खाएं?
    1. आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ: बहुत अधिक आयोडीन थायरॉयड ग्रंथि को बहुत अधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करने के लिए हाइपरथायरायडिज्म को बदतर बना सकता है।
    2. कैफीन: कैफीन हाइपरथायरायडिज्म के कुछ लक्षणों को खराब कर सकता है, जिसमें धड़कन, कंपकंपी, चिंता और अनिद्रा शामिल है।
    3. ग्लूटेन: कुछ लोगों में ग्लूटेन सूजन पैदा करके थायराइड को नुकसान पहुंचा सकता है।

निष्कर्ष

थायराइड की बीमारी से पूरी तरह से बचाव संभव नहीं है लेकिन प्राथमिक बचाव बहुत जरूरी है। अगर थायराइड के लक्षण नजर आते हैं, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। 

अगर आपको थायराइड के लक्षण महसूस हो रहे हैं या फिर इससे संबंधित कोई संदेह है तो बेझिझक HexaHealth के विशेषज्ञ डॉक्टर से ऑनलाइन या ऑफलाइन सलाह ले सकते हैं। हमारी पर्सनल केयर आपके सभी प्रश्नों को हल करने में मदद करेगी। यदि आप थायराइड से संबंधित जानकारी के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट HexaHealth पर भी जा सकते हैं।

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अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

थायराइड एक ग्रंथि होती है, जो गले के सामने की ओर स्थित होती है। थायराइड ग्रंथि श्वासनली के चारों ओर लिपटी होती है। इसका आकार तितली जैसा होता है। थायराइड ग्रंथि से ऐसे पदार्थ (थायरायड हार्मोन) का रिसाव होता है, जो शरीर के विभिन्न कामों में मदद करता है। 
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थायराइड ग्रंथि से जब अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन (हाइपरथायरायडिज्म) बनता है, तो थायराइड बढ़ने के लक्षण में घबराहट, चिड़चिड़ापन, वजन घटना, अनियमित मासिक धर्म, गर्मी के प्रति संवेदनशील आदि महसूस होते हैं।

वहीं जब कम मात्रा में थायराइड हार्मोन (हाइपोथायरायडिज्म) का रिसाव होता है, तो थायराइड होने के लक्षण में थकान महसूस होना, वजन बढ़ना, भूलने की बीमारी का अनुभव होना, रूखे और मोटे बाल, ठंडे तापमान के प्रति असहिष्णुता आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं। 

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थायराइड ग्रंथि से जब अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन निकलता है, तो हाइपरथायरायडिज्म की समस्या होती है। कम मात्रा में थायराइड हार्मोन बनने पर हाइपोथायरायडिज्म की समस्या होती है। 
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थायराइड कई कारणों से हो सकता है। हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति थायराइडाइटिस, बच्चे के जन्म के बाद महिला को, आयोडीन की कमी से या ऑटोइम्यून स्थिति हाशिमोटो थायराइडाइटिस के कारण हो सकता है। 

वहीं हाइपरथायरायडिज्म ग्रेव्स रोग, थायराइड ग्रंथि के सक्रिय नेड्यूल्स के कारण, आयोडीन की अधिक मात्रा के कारण आदि कारणों से हो सकता है। थायराइड के लक्षण पता लगते ही बीमारी का इलाज कराया जा सकता है। 

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थायराइड का निदान खून की जांच, रेडियोधर्मी आयोडीन परीक्षण, थायराइड स्कैन, थायराइड अल्ट्रासाउंड, इमेजिंग टेस्ट और शारीरिक परीक्षण के माध्यम से किया जाता है। 
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थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) दिखने के बाद थायराइड टेस्ट किया जाता है। 

थायराइड टेस्ट के माध्यम से जानकारी मिलती है कि शरीर में थायराइड किस तरह से काम कर रहा है। थायराइड टेस्ट में थाइराइड प्रोफाइल ब्लड टेस्ट (टी एस एच, टी3, टी4), इमेजिंग टेस्ट, आयोडीन स्कैन आदि शामिल हैं। 

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थायराइड रोग के इलाज में हाइपरथायरायडिज्म के लिए एंटी थायराइड (मेथिमाजोल और प्रोपाइलथियोरासिल) और हाइपोथायरायडिज्म के लिए थायरॉक्सिन सोडियम दवा लेने की सलाह दी जाती है।  

साथ ही विटामिन डी, कैल्शियम सप्लीमेंट्स, बीटा ब्लॉकर्स और थायराइड सप्लीमेंट्स भी रोगियों को दिया जा सकता है। 

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थायराइड रोग के घरेलू उपाय में (हाइपोथायरायडिज्म) आयोडीन युक्त आहार, फिश, शुगर फ्री डायट, विटामिन बी, प्रोबायोटि्स आदि का सेवन कर सकते हैं।

खानपान में "खराब" वसा और सरल कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन से बचना चाहिए। थायराइड हार्मोन की दवा लेने के साथ ही रोजाना योग किया जा सकता है। थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) घरेलू उपाय की मदद से कम किए जा सकते हैं। पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा की मदद भी फायदा पहुंचाती है।

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थायराइड रोग का अनुभव करने वाले व्यक्ति को बहुत सारे फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाने में शामिल करना चाहिए। खाने में डाइटरी फाइबर बढ़ाएं। आहार फाइबर पाचन सुधारने में मदद करता है।

पौष्टिक आहार अपनाने से न केवल थायरायड का स्तर सामान्य रहता है बल्कि पाचन तंत्र भी सुचारू रूप से काम करता है। 

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थायराइड रोग के प्रकार के अनुसार खाने में अधिक या कम मात्रा में आयोडीन का सेवन करने से बचना चाहिए। साथ ही तनाव से बचने के लिए योग, ध्यान और व्यायाम करना चाहिए।

थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) दिखने पर महिलाओं को डिलीवरी के बाद थायराइड परिक्षण कराना चाहिए। 

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यदि एक बार थायराइड रोग हो जाता है, तो उससे बचने के लिए व्यायाम से अधिक योग और ध्यान लाभकारी साबित होते हैं। ऐसा करने से थायराइड के लक्षणों (thyroid ke lakshan) में सुधार होता है। योग तनाव को कम करता है। 
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थायराइड रोग के दौरान खाने में प्रोसेस्ड फूड, पैकेट बंद खाना, अधिक वसा वाला खाना आदि का सेवन बंद कर देना चाहिए। खाने में विभन्न प्रकार के फल, सब्जियां, नट्स और साबुत अनाज युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करना चाहिए।

मछली, बीन्स आदि लीन स्त्रोत का सेवन करके प्रोटीन प्राप्त करनी चाहिए। खाने में ऑलिव तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। 

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थायराइड रोग जीवनभर चलने वाला रोग है। थायराइड (thyroid in hindi) हार्मोन की मात्रा कम या ज्यादा न हो, इसके लिए जरूरी है कि हमेशा दवा का सेवन किया जाए। जांच के बाद डॉक्टर बताएंगे कि आपको दवा की कितनी मात्रा लेनी है। 
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थायराइड रोग से जुड़ा मिथक है कि ये अधिक उम्र में होने वाली बीमारी है। ये बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। 

वहीं ये भी मिथक है कि बीमारी का इलाज करने के बाद दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती है। सच ये है कि थायराइड की दवा जीवनभर खानी पड़ती है। 

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थायराइड रोग का इलाज आयुर्वेदिक तरीके से किया जा सकता है। त्रिफलाद्य, गुग्गुलु और पुनर्नवादि काढ़ा (Punarnavadi decoction) हाइपोथायरायडिज्म के आयुर्वेदिक उपचार में उपयोगी माना जाता है। 
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थायराइड रोग से ग्रस्त महिलाओं को समय-समय पर जांच जरूर कराना चाहिए। अगर महिला को गोइटर, एनीमिया या टाइप 1 मधुमेह जैसी स्थिति है, तो डॉक्टर से जानकारी लेने के बाद जांच करानी चाहिए। 
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थायराइड रोग के लक्षण (thyroid ke lakshan) में (हाइपोथायरायडिज्म) में वजन बढ़ना, बाल झड़ना, थकान महसूस होना मासिक धर्म से अधिक रक्तस्राव आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं।

वहीं हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति में वजन कम होना, घबराहट, मासिक धर्म कम होना, घबराहट महसूस होना, हाथों और उंगलियों में कंपन आदि लक्षण नजर आते हैं। 

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थायराइड रोग के दौरान दवाओं के अलावा डॉक्टर जरूरत पड़ने पर सर्जरी करते हैं या फिर आयोडीन रेडियोधर्मी का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही कुछ घरेलू उपाय भी थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) को काबू रखते हैं। 
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आहार के माध्यम से शरीर को आयोडीन प्राप्त होता है। आयोडीन थायराइड हार्मोन के कम या अधिक रिसाव के लिए जिम्मेदार होता है।

वहीं संतुलित आहार आयोडीन को नियंत्रित करने में मदद करता है और थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) भी कम करता है।

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हाइपोथायरायडिज्म के लिए योग में सर्वांगासन (Sarvangasana), मत्स्यासन (Matsyasana), मर्जरीआसान (Marjariasana) किया जा सकता है।

वहीं हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति में सेतुबंध (Setubandhasana) मर्जरीआसान (Marjariasana),शिशुआसन (Shishu asana) आदि किया जा सकता है। रोजाना सूर्य नमस्कार भी थायराइड रोगी को फायदा पहुंचाता है। 

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थायराइड रोग में आमतौर पर थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) के अनुसार ही डॉक्टर रोगी का इलाज करता है। हाइपरथायरायडिज्म स्थिति में एंटीथायराइड दवाएं थायराइड को नया थायराइड हार्मोन बनाने से रोकती हैं।

ये दवाएं थायराइड को स्थायी नुकसान नहीं पहुंचाती हैं। वहीं बीटा-ब्लॉकर्स दवाएं शरीर में थायराइड हार्मोन के प्रभाव को रोकती हैं। 

हाइपोथायरायडिज्म स्थिति में मानव निर्मित हार्मोन की दवा लेने की जरूरत पड़ती है। जीवन भर थायराइड हार्मोन की गोलियां (thyroxine sodium tablets) लेना जरूरी होता है।

दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए। 

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थायरायड को हटाने के लिए की जाने वाली सर्जरी को थायरायडेक्टॉमी कहा जाता है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर सर्जरी के माध्यम ले थायराइड को हटाने की सलाह भी देते हैं।

थायराइड के उपचार के दौरान सर्जरी की जरूरत है या फिर नहीं, इस बारे में डॉक्टर रोगी की स्थिति के अनुसार निर्णय लेते हैं।

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थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) के साथ ही कुछ अन्य समस्याएं जैसे कि चेहरे पर सूजन आना, वजन अचानक से बढ़ जाना या घट जाना, बाल झड़ना, दिल की धड़कन तेज हो जाना आदि दिखाई पड़ती हैं। 
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थायराइड रोग को लेकर ये गलतफहमी आम है कि कुछ समय तक दवा खाने से ये बीमारी ठीक हो जाती है। जबकि जीवन भर थायराइड की दवा खानी पड़ती है। वहीं ये अधिक उम्र में नहीं बल्कि किसी भी उम्र में होने वाली बीमारी है। 
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थायराइड रोग से बचाव के लिए संतुलित आहार, अच्छी नींद, रोजाना व्यायाम, योग और ध्यान करना चाहिए। साथ ही समय पर दवा का सेवन भी करना चाहिए।

थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) बढ़ने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। 

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थायराइड रोग से पीड़ित व्यक्ति को खानपान का समय तय करना चाहिए। साथ ही दवा निश्चित समय पर लेनी चाहिए। रोजाना आठ घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए।

अगर तनाव की समस्या हो, तो ध्यान करना चाहिए। साथ ही थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) अनदेखे नहीं करने चाहिए। 

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थायराइड रोग की अधिक जानकारी डब्लू. एच. ओ., सी डी सी, वूमन्स हेल्थ आदि वेबसाइट से ली जा सकती है।

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सन्दर्भ

हेक्साहेल्थ पर सभी लेख सत्यापित चिकित्सकीय रूप से मान्यता प्राप्त स्रोतों द्वारा समर्थित हैं जैसे; विशेषज्ञ समीक्षित शैक्षिक शोध पत्र, अनुसंधान संस्थान और चिकित्सा पत्रिकाएँ। हमारे चिकित्सा समीक्षक सटीकता और प्रासंगिकता को प्राथमिकता देने के लिए लेखों के संदर्भों की भी जाँच करते हैं। अधिक जानकारी के लिए हमारी विस्तृत संपादकीय नीति देखें।


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  5. Singh K, Thakar AB. A clinical study to evaluate the role of Triphaladya Guggulu along with Punarnavadi Kashaya in the management of hypothyroidism. Ayu. 2018 Jan;39(1):50.link

Last Updated on: 10 August 2024

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Aman Priya Khanna

Dr. Aman Priya Khanna

MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES

12 Years Experience

Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More

लेखक

Sangeeta Sharma

Sangeeta Sharma

BSc. Biochemistry I MSc. Biochemistry (Oxford College Bangalore)

6 Years Experience

She has extensive experience in content and regulatory writing with reputed organisations like Sun Pharmaceuticals and Innodata. Skilled in SEO and passionate about creating informative and engaging medical conten...View More

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