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आपने अपने आसपास थायराइड की बीमारी के बारे में लोगों को बातचीत करते जरूर सुना होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि थायराइड (Thyroid in Hindi) की बीमारी बहुत आम हो चुकी है। भारत में ४२ मिलियन लोगों को थायरायड विकार हैं और हाइपोथायरायडिज्म भारत में थायराइड विकारों में सबसे आम है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को थायराइड की बीमारी अधिक होती है। आठ में से एक महिला थायराइड की समस्या का सामना कर रही है।
थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) जानने के बाद समय पर इलाज करा लिया जाए, तो बीमारी नियंत्रण में रहती है। थायराइड के लक्षण, थायराइड के कारण, निदान, इलाज आदि के बारे में जानने से पहले पढ़ें कि आखिर थायराइड क्या होता है (thyroid kya hota hai)।
बीमारी का नाम | थायराइड |
लक्षण | कब्ज, मांसपेशियों में कमजोरी, वजन बढ़ना, उदासी, थकान, सूजन |
कारण | आयोडीन का असंतुलन, थायराइडाइटिस, ग्रेव्स रोग |
निदान | शारीरिक परीक्षा, खून की जांच, थायराइड एंटीबॉडीज |
इलाज कौन करता है | एंडोक्राइनोलॉजिस्ट |
उपचार के विकल्प | थायराइडेक्टोमी, हेमी थायराइडेक्टोमी, रोबोटिक थायराइडेक्टोमी |
थायरायड एक छोटी तितली के आकार की ग्रंथि है। यह ग्रंथि गर्दन के आधार पर, आपके एडम्स एप्पल के नीचे पाई जाती है। यह ग्रंथि थायराइड हार्मोन बनाती है। थायराइड हार्मोन खून के माध्यम से शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचता है।
थायराइड हार्मोन शरीर के चयापचय या मेटाबॉलिज्म को कई तरह से नियंत्रित करता है। इस कारण से तेजी से कैलोरी बर्न होती हैं। साथ ही ये हार्मोन दिल की धड़कन को भी कंट्रोल करता है। जब थायराइड से अधिक या कम मात्रा में हार्मोन निकलता है, तो थायराइड की बीमारी का सामना करना पड़ता है। थायराइड का क्या लक्षण है, थायराइड के प्रकार आदि जानिए यहां।
थायराइड के लक्षण किसी भी उम्र में दिख सकते हैं। थायराइड रोग पुरुष, महिलाएं, शिशु, किशोर और बुजुर्ग को हो सकता है।
थायराइड रोग जन्म के समय मौजूद हो सकता है। आमतौर पर हाइपोथायरायडिज्म अक्सर महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद शुरू हो सकता है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को इस बीमारी का अधिक खतरा रहता है।
थायराइड मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं।
दोनों ही स्थितियों में शरीर में विभिन्न प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
थायराइड के लक्षण धीमे-धीमे दिखाई देते हैं। कई बार थायराइड के लक्षण दिखने में कई साल लग सकते हैं। थायराइड की स्थितियां मुख्य रूप से दो प्रकार (हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म) की होती हैं। दोनों ही स्थितियों में लक्षण अलग दिख सकते हैं। जानिए थायराइड के क्या लक्षण हैं?
हाइपोथायरायडिज्म थायराइड होने के लक्षण निम्नलिखित है।
हाइपरथायरायडिज्म थायराइड होने के लक्षण निम्नलिखित है।
थायराइड होने के लक्षण कम या अधिक भी दिख सकते हैं। अगर समय रहते थाइराइड का इलाज करा लिया जाए, तो थायराइड के लक्षण कम या खत्म भी हो सकते हैं।
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थायराइड के लक्षण जानने के बाद थायराइड के कारण पता होना भी बहुत जरूरी है। थायराइड की बीमारी एक नहीं बल्कि कई कारणों से हो सकती है। हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म, दोनों स्थितियां अन्य बीमारियों के कारण हो सकती हैं। जानिए थायराइड की बीमारी के मुख्य कारण क्या हैं।
हमने आपको थायराइड के लक्षण बताए और कारण भी। इन सभी कारणों से व्यक्ति में धीमे-धीमें थायराइड बढ़ने के लक्षण नजर आने लगते हैं। अगर ध्यान न दिया जाए तो ये बढ़ भी सकते हैं।
थायराइड का खतरा किसी भी उम्र में हो सकता है। जानिए किन जोखिम कारकों के कारण थायराइड का खतरा बढ़ जाता है।
थायराइड की बीमारी के कारणों और जोखिम कारक पर यदि ध्यान दिया जाए, तो प्राथमिक तौर पर थायराइड से बचाव संभव है। थायराइड की बीमारी से पूरी तरह से बचाव करना मुश्किल है।
थायराइड होने के लक्षण अन्य बीमारियों के समान होते हैं इसलिए उन्हें शुरुआत में पहचानना मुश्किल हो जाता है। जब किसी व्यक्ति को थायराइड की बीमारी शुरू होती है, तो उसका तुरंत निदान संभव नहीं हो पाता है।
थायराइड होने के कुछ समय बाद शरीर में थायराइड के लक्षण नजर आते हैं। डॉक्टर शारीरिक जांच के साथ ही गर्दन की जांच भी करते हैं।थायराइड के लक्षण के आधार पर डॉक्टर कुछ अन्य जांच भी कर सकते हैं।
थायराइड के लक्षण और बीमारी के निदान के बाद थायराइड का इलाज किया जाता है।
थायराइड विकारों के लिए डॉक्टर के परामर्श की तैयारी एक उत्पादक और सूचनात्मक नियुक्ति सुनिश्चित करने में मदद कर सकती है। डॉक्टर के पास जाने से पहले आप खुद को निम्न प्रकार से तैयार कर सकते हैं:
थायराइड रोग का इलाज दवाओं और सर्जरी के माध्यम से किया जाता है। थायराइड के लक्षण के अनुसार रोगी का इलाज किया जाता है।
यह सर्जरी दो मुख्य तरीकों से की जा सकती है:
हटाई गई लोब्स की संख्या के आधार पर थायराइड की सर्जरी के प्रकार
तकनीकी के आधार पर थायराइड की सर्जरी
सर्जरी का कौन-सा विकल्प अपनाया जाएगा, ये मरीज की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। अगर मरीज स्वस्थ्य नहीं है या बड़े थायराइड नोड्यूल, ग्रेव्स रोग जैसी स्थिति है तो, डॉक्टर एलिवेटेड रिट्रैक्टर सर्जरी के लिए मना कर सकते हैं।
डॉक्टर से थायराइड के लक्षण, थायराइड के लिए सर्जरी आदि के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
सर्जरी का नाम | सर्जरी का खर्च |
थायराइडेक्टोमी | ₹ ६०,००० से ₹ १,००,००० |
टोटल थायराइडेक्टोमी | ₹ ६०,००० से ₹ १,००,००० |
हेमी थायराइडेक्टोमी | ₹ ४०,००० से ₹ ८०,००० |
रोबोटिक थायराइडेक्टोमी | ₹ २,००,००० से ₹ ३,००,००० |
यदि थायराइड के लक्षण दिखने पर भी सही समय पर इलाज न किया जाए तो व्यक्ति को बहुत सी गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसी समस्याएं होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत होती है।
थायराइड के जोखिम से बचने के लिए थायराइड के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
थायराइड के लक्षण और निदान के आधार पर पता चल जाता है कि व्यक्ति हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित है या फिर हाइपरथायरायडिज्म से।
थायराइड की स्थिति वाले लोग आहार के माध्यम से अपनी स्थिति को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। थायराइड की बीमारी में गलत खानपान समस्या खड़ी कर सकता है।
थायराइड की बीमारी से पूरी तरह से बचाव संभव नहीं है लेकिन प्राथमिक बचाव बहुत जरूरी है। अगर थायराइड के लक्षण नजर आते हैं, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
अगर आपको थायराइड के लक्षण महसूस हो रहे हैं या फिर इससे संबंधित कोई संदेह है तो बेझिझक HexaHealth के विशेषज्ञ डॉक्टर से ऑनलाइन या ऑफलाइन सलाह ले सकते हैं। हमारी पर्सनल केयर आपके सभी प्रश्नों को हल करने में मदद करेगी। यदि आप थायराइड से संबंधित जानकारी के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट HexaHealth पर भी जा सकते हैं।
Hyperthyroidism | Yoga for Thyroid |
Thyroidectomy | Parathyroidectomy |
Thyroid Nodules | Thyroid Cancer |
थायराइड ग्रंथि से जब अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन (हाइपरथायरायडिज्म) बनता है, तो थायराइड बढ़ने के लक्षण में घबराहट, चिड़चिड़ापन, वजन घटना, अनियमित मासिक धर्म, गर्मी के प्रति संवेदनशील आदि महसूस होते हैं।
वहीं जब कम मात्रा में थायराइड हार्मोन (हाइपोथायरायडिज्म) का रिसाव होता है, तो थायराइड होने के लक्षण में थकान महसूस होना, वजन बढ़ना, भूलने की बीमारी का अनुभव होना, रूखे और मोटे बाल, ठंडे तापमान के प्रति असहिष्णुता आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
थायराइड कई कारणों से हो सकता है। हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति थायराइडाइटिस, बच्चे के जन्म के बाद महिला को, आयोडीन की कमी से या ऑटोइम्यून स्थिति हाशिमोटो थायराइडाइटिस के कारण हो सकता है।
वहीं हाइपरथायरायडिज्म ग्रेव्स रोग, थायराइड ग्रंथि के सक्रिय नेड्यूल्स के कारण, आयोडीन की अधिक मात्रा के कारण आदि कारणों से हो सकता है। थायराइड के लक्षण पता लगते ही बीमारी का इलाज कराया जा सकता है।
थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) दिखने के बाद थायराइड टेस्ट किया जाता है।
थायराइड टेस्ट के माध्यम से जानकारी मिलती है कि शरीर में थायराइड किस तरह से काम कर रहा है। थायराइड टेस्ट में थाइराइड प्रोफाइल ब्लड टेस्ट (टी एस एच, टी3, टी4), इमेजिंग टेस्ट, आयोडीन स्कैन आदि शामिल हैं।
थायराइड रोग के इलाज में हाइपरथायरायडिज्म के लिए एंटी थायराइड (मेथिमाजोल और प्रोपाइलथियोरासिल) और हाइपोथायरायडिज्म के लिए थायरॉक्सिन सोडियम दवा लेने की सलाह दी जाती है।
साथ ही विटामिन डी, कैल्शियम सप्लीमेंट्स, बीटा ब्लॉकर्स और थायराइड सप्लीमेंट्स भी रोगियों को दिया जा सकता है।
थायराइड रोग के घरेलू उपाय में (हाइपोथायरायडिज्म) आयोडीन युक्त आहार, फिश, शुगर फ्री डायट, विटामिन बी, प्रोबायोटि्स आदि का सेवन कर सकते हैं।
खानपान में "खराब" वसा और सरल कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन से बचना चाहिए। थायराइड हार्मोन की दवा लेने के साथ ही रोजाना योग किया जा सकता है। थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) घरेलू उपाय की मदद से कम किए जा सकते हैं। पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा की मदद भी फायदा पहुंचाती है।
थायराइड रोग का अनुभव करने वाले व्यक्ति को बहुत सारे फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाने में शामिल करना चाहिए। खाने में डाइटरी फाइबर बढ़ाएं। आहार फाइबर पाचन सुधारने में मदद करता है।
पौष्टिक आहार अपनाने से न केवल थायरायड का स्तर सामान्य रहता है बल्कि पाचन तंत्र भी सुचारू रूप से काम करता है।
थायराइड रोग के प्रकार के अनुसार खाने में अधिक या कम मात्रा में आयोडीन का सेवन करने से बचना चाहिए। साथ ही तनाव से बचने के लिए योग, ध्यान और व्यायाम करना चाहिए।
थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) दिखने पर महिलाओं को डिलीवरी के बाद थायराइड परिक्षण कराना चाहिए।
थायराइड रोग के दौरान खाने में प्रोसेस्ड फूड, पैकेट बंद खाना, अधिक वसा वाला खाना आदि का सेवन बंद कर देना चाहिए। खाने में विभन्न प्रकार के फल, सब्जियां, नट्स और साबुत अनाज युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करना चाहिए।
मछली, बीन्स आदि लीन स्त्रोत का सेवन करके प्रोटीन प्राप्त करनी चाहिए। खाने में ऑलिव तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।
थायराइड रोग से जुड़ा मिथक है कि ये अधिक उम्र में होने वाली बीमारी है। ये बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है।
वहीं ये भी मिथक है कि बीमारी का इलाज करने के बाद दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती है। सच ये है कि थायराइड की दवा जीवनभर खानी पड़ती है।
थायराइड रोग के लक्षण (thyroid ke lakshan) में (हाइपोथायरायडिज्म) में वजन बढ़ना, बाल झड़ना, थकान महसूस होना मासिक धर्म से अधिक रक्तस्राव आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
वहीं हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति में वजन कम होना, घबराहट, मासिक धर्म कम होना, घबराहट महसूस होना, हाथों और उंगलियों में कंपन आदि लक्षण नजर आते हैं।
आहार के माध्यम से शरीर को आयोडीन प्राप्त होता है। आयोडीन थायराइड हार्मोन के कम या अधिक रिसाव के लिए जिम्मेदार होता है।
वहीं संतुलित आहार आयोडीन को नियंत्रित करने में मदद करता है और थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) भी कम करता है।
हाइपोथायरायडिज्म के लिए योग में सर्वांगासन (Sarvangasana), मत्स्यासन (Matsyasana), मर्जरीआसान (Marjariasana) किया जा सकता है।
वहीं हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति में सेतुबंध (Setubandhasana) मर्जरीआसान (Marjariasana),शिशुआसन (Shishu asana) आदि किया जा सकता है। रोजाना सूर्य नमस्कार भी थायराइड रोगी को फायदा पहुंचाता है।
थायराइड रोग में आमतौर पर थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) के अनुसार ही डॉक्टर रोगी का इलाज करता है। हाइपरथायरायडिज्म स्थिति में एंटीथायराइड दवाएं थायराइड को नया थायराइड हार्मोन बनाने से रोकती हैं।
ये दवाएं थायराइड को स्थायी नुकसान नहीं पहुंचाती हैं। वहीं बीटा-ब्लॉकर्स दवाएं शरीर में थायराइड हार्मोन के प्रभाव को रोकती हैं।
हाइपोथायरायडिज्म स्थिति में मानव निर्मित हार्मोन की दवा लेने की जरूरत पड़ती है। जीवन भर थायराइड हार्मोन की गोलियां (thyroxine sodium tablets) लेना जरूरी होता है।
दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए।
थायरायड को हटाने के लिए की जाने वाली सर्जरी को थायरायडेक्टॉमी कहा जाता है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर सर्जरी के माध्यम ले थायराइड को हटाने की सलाह भी देते हैं।
थायराइड के उपचार के दौरान सर्जरी की जरूरत है या फिर नहीं, इस बारे में डॉक्टर रोगी की स्थिति के अनुसार निर्णय लेते हैं।
थायराइड रोग से बचाव के लिए संतुलित आहार, अच्छी नींद, रोजाना व्यायाम, योग और ध्यान करना चाहिए। साथ ही समय पर दवा का सेवन भी करना चाहिए।
थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) बढ़ने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
थायराइड रोग से पीड़ित व्यक्ति को खानपान का समय तय करना चाहिए। साथ ही दवा निश्चित समय पर लेनी चाहिए। रोजाना आठ घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए।
अगर तनाव की समस्या हो, तो ध्यान करना चाहिए। साथ ही थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) अनदेखे नहीं करने चाहिए।
थायराइड रोग की अधिक जानकारी डब्लू. एच. ओ., सी डी सी, वूमन्स हेल्थ आदि वेबसाइट से ली जा सकती है।
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Last Updated on: 10 August 2024
MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES
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Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More
She has extensive experience in content and regulatory writing with reputed organisations like Sun Pharmaceuticals and Innodata. Skilled in SEO and passionate about creating informative and engaging medical conten...View More
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