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सफेद मोतियाबिंद - कारण, लक्षण, प्रकार, निदान और इलाज

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Dr. Aman Priya Khanna
Safed Motiyabind

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सफेद मोतियाबिंद ऐसा मोतियाबिंद है जिसमें मरीज के आंख की लेंस में सफेद रंग के क्लाउड जैसी परत बन जाती है जो कठोर होती है। सामान्य मोतियाबिंद में आंख का रंग आमतौर पर नॉर्मल ही रहता है लेकिन सफेद मोतियाबिंद के कारण आंख की पुतली का रंग हल्का नीला हो सकता है। 

 

 

सफेद मोतियाबिंद क्या है?

सफेद मोतियाबिंद ऐसा मोतियाबिंद है जिसमें मरीज के आंख की लेंस में सफेद रंग के क्लाउड जैसी परत बन जाती है जो कठोर होती है। सामान्य मोतियाबिंद में आंख का रंग आमतौर पर नॉर्मल ही रहता है लेकिन सफेद मोतियाबिंद के कारण आंख की पुतली का रंग हल्का नीला हो सकता है। 

सफेद मोतियाबिंद में नीला रंग लिक्विफाइड लेंस कॉर्टेक्स के कारण होता है, जिसके कारण मोतियाबिंद उभरा हुआ बन जाता है। 

न्यूक्लियर डेंसिटी के आधार पर सफेद मोतियाबिंद की प्रकृति नरम, दूधिया और इंट्रोवर्ट (भीतर की ओर जाने वाला) होती है। इन सबकी न्यूक्लियर डेंसिटी अलग - अलग होती है। इनका न्यूक्लियर स्केलेरोसिस हाई लेवल का होता है और कठोर हो सकता है। 

सघन (डेंस) सफेद मोतियाबिंद ज्यादातर बूढ़े रोगियों में होता है। वहीं, नरम (सॉफ्ट) सफेद मोतियाबिंद  ज्यादातर कम उम्र वालों में होता है। स्लिट लैम्प की जांच में डेंस सफेद मोतियाबिंद पीले से भूरे रंग का रंग दिखाई देता है। फेकमूल्सीफिकेशन के लिए डेंस सफेद मोतियाबिंद और सॉफ्ट सफेद मोतियाबिंद के बीच का अंतर महत्वपूर्ण है।  

 

कारण

सफेद मोतियाबिंद होने के लिए कई कारण इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे कि :

  1. उम्र का बढ़ना
  2. मधुमेह 
  3. अधिक मात्रा में शराब और धूम्रपान का सेवन करना 
  4. सूर्य के प्रकाश का अत्यधिक एक्सपोजर
  5. पारिवारिक इतिहास
  6. हाय ब्लड प्रेशर 
  7. मोटापा
  8. आंखों में चोट लगना 
  9. आंख को सूजन आना 
  10. पहले हुई आंखों की सर्जरी
  11. कार्टिस्टेरॉइड मोडिकेशन का लंबे समय तक इस्तेमाल
  12. लंबे समय तक रेडिएशन के प्रभाव में रहना 
  13. अल्ट्रा वायलेट किरणों के कारण 
  14. हीटवेव ( गर्म हवाओं ) के कारण
  15. इंफ्रारेड किरणों के प्रभाव में आने से

लक्षण:

सफेद मोतियाबिंद के लक्षण:

  1. दृष्टि में अस्पष्टता या धुंधलापन
  2. बुजुर्गों में निकट दृष्टि दोष में निरंतर बढ़ोतरी
  3. रंगों को देखने की क्षमता में बदलाव
  4. रात में ड्राइविंग में दिक्कत आना
  5. दिन के समय आंखे चैंधियाना
  6. दोहरी दृष्टि
  7. चश्मे के नंबर में बदलाव आना

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बचाव 

  1. व्यक्ति के चालीस साल की उम्र होने के बाद नियमित आंखों की जांच कराएं। 
  2. सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें मोतियाबिंद को विकसित करने में मदद करते है। इसीलिए जब भी बाहर धूप में निकलें तब सनग्लासेस जरूर लगाएं, जिससे अल्ट्रावायलेट किरणें आंखों तक नहीं पहुंचे। 
  3. अगर आपको मधुमेह या दूसरी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं है, जिससे मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है उनका उचित उपचार कराएं।
  4. अपने वजन को नियंत्रण में रखें। 
  5. फलों और हरे सब्जियों का सेवन करें। इनमें कई सारे एंटी-ऑक्सीडेंट्स मौजूद होते है, जो आंखों को स्वस्थ्य रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। 
  6. शराब और धुम्रपान का सेवन कम से कम करें। 

निदान 

  1. सफेद मोतियाबिंद या मोतियाबिंद की जांच के लिए डॉक्टर मरीज के आंखों की जांच करेंगे। इसमें आंखों में दबाव को मापने के लिए टोनोमेट्री टेस्ट और अन्य परिक्षण करेंगे। 
  2. टोनोमेट्री टेस्ट में मरीज के कॉर्निया को फ़ैलाने और आंखों के दबाव की जांच करने के लिए हवा की फूंक का उपयोग किया जाता है, इससे कोई दर्द नहीं होता है। 
  3. चिकित्सक मरीज की आंखों में ड्रॉप डालेंगे ताकि मरीज की पुतली बड़ी हो जाये और जिससे मरीज की आंख के पीछे ऑप्टिक नर्व और रेटिना को हुए नुकसान को जांचना आसान हो जाए।
  4. इसके अलावा, चिकित्सक अन्य टेस्ट भी कर सकते हैं जैसे कि मरीज की तीव्र रौशनी के प्रति संवेदनशीलता की टेस्ट और रंगों को देख पाने की टेस्ट करना। 

उपाय:

घरेलू उपचार: शुरुआत में, मरीज अपने मोतियाबिंद को प्रबंधित करने के लिए छोटे-छोटे बदलाव कर सकते हैं। जैसे कि,

  1. घर या ऑफिस में तेज रोशनी वाले लाइट का इस्तेमाल न करें। 
  2. एंटी-ग्लेयर सनग्लासेस पहनें। 
  3. पढ़ने और अन्य गतिविधियों के लिए मैग्नीफाइंग लेंस का इस्तेमाल करें। 
  4. चश्मा पहने: चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करे जिससे मरीज को साफ़ दिखने में मदद हो सके।

सर्जरी: 

यदि मरीज को मोतियाबिंद की वजह से रोजमर्रा की गतिविधियों जैसे पढ़ने, गाड़ी चलाने या टीवी देखने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, तो डॉक्टर मरीज को सर्जरी का सुझाव दे सकता है। सफ़ेद मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान, डॉक्टर बादल वाले लेंस को हटा देता है और इसे एक नए कृत्रिम लेंस से बदल देता है। मोतियाबिंद को हटाने के लिए सर्जरी आम तौर पर बहुत सुरक्षित विकल्प है और इसकी सफलता दर भी काफी अच्छी  है। 

सफेद मोतियाबिंद की सर्जरी कुछ इस प्रकार हैं : 

  1. माइक्रो इंसिजन या रेग्युलर फैको कैटरेक्ट सर्जरी:
    1.  सर्जरी फोरसेप्स या मुड़ी हुई निडल की मदद से की जाती है। इस में वैक्यूम का इस्तेमाल करके लेंस को निकाल लिया जाता है। 
    2. इसके बाद इसमें जो आईओएल (इंट्रा ऑक्युलर लेंस) इम्प्लांट किया जाता है। 
  2. ज़ेप्टो मोतियाबिंद सर्जरी:
    1. इस सर्जरी के लिए जेप्टो कैप्सूलोटॉमी डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है। ये फेमटो सेकंड कैटरेक्ट सर्जरी की तुलना में काफी सस्ती होती है।
    2. जिनकी पुतलियां छोटी है, उनके लिए फेमटो सेकंड लेज़र का प्रयोग नहीं किया जाता, ऐसी स्थिति में जेप्टो कैप्सूलोटोमी डिवाइस का प्रयोग किया जाता है। 
    3. ये डिवाइस सफेद मोतियाबिंद सर्जरी को आसान बना देती है, इसलिए ज्यादा जटिल सर्जरियों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
  3. ​​​​​​​ब्लडलेस फेम्टो रोबोटिक लेसर सर्जरी:
    1. माइक्रो इंसीजन सर्जरी की कमियों को दूर करने के लिए रोबोटिक या फेमटो सेकंड कैटरेक्ट सर्जरी का अविष्कार किया गया है। 
    2. इस सर्जरी में लेज़र बीम का प्रयोग किया जाता है। ये सर्जरी मंहगी होती है और इस में समय भी ज्यादा लगता है। 
    3. इसके परिणाम अन्य सर्जरी की तुलना में काफी बहुत बेहतर मिलते है। 
    4. ये सर्जरी १००% ब्लेड फ्री होती है इसीलिए इस सर्जरी में टांके नहीं लगते।

सर्जरी के बाद की सावधानियां

  1. सर्जरी के बाद जल्द मरीज पढ़ने, लिखने, चलने और टीवी देखने जैसे काम कर सकते है। 
  2. मरीज इस बात का विशेष ध्यान रखे की सर्जरी के बाद पहले हफ्ते में थकाने वाले काम न करे। 
  3. देखने की क्षमता के सुधार पर निर्भर होगा कि मरीज ड्राइविंग कब से शुरू कर सकता है। 
  4. खाने पीने में इन चीजे से परहेज़ करें-  सोडा और शक्कर युक्त अन्य पेय, कैंडी और मैदे से बनी अन्य वस्तुएं। 

 

जटिलताएं

यदि सफ़ेद मोतियाबिंद को अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो निम्नलिखित जटिलताएं हो सकती हैं:

  1. कई मामलों में उपचार में देरी करने से मोतियाबिंद खराब हो सकता है, जिससे दृष्टि में लगातार कमी आ सकती है।
  2. सफ़ेद मोतियाबिंद के उपचार में देरी करने पर पूरी तरह अंधापन आ सकता है।
  3. जटिलता अधिक बढ़ जाने से सफ़ेद मोतियाबिंद हटाने में और ज्यादा दिक्कत हो सकती है।
  4. कंटिनुअस सर्कुलर कैप्सुलर हेक्सिस ( सीसीसी) होने के कारण सफेद मोतियाबिंद को मैनेज करने में दिक्कत हो सकती है।

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

सफेद मोतियाबिंद का सिर्फ एक ही इलाज है सर्जरी कर के उसे निकाला जाए। कोई आयुर्वेदिक और घरेलू इलाज आंख के बने मोतियाबिंद को नहीं निकाल सकता।
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Last Updated on: 14 September 2022

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Aman Priya Khanna

Dr. Aman Priya Khanna

MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES

12 Years Experience

Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More

लेखक

Pranjali Kesharwani

Pranjali Kesharwani

Bachelor of Pharmacy (Banaras Hindu University, Varanasi)

2 Years Experience

She is a B Pharma graduate from Banaras Hindu University, equipped with a profound understanding of how medicines works within the human body. She has delved into ancient sciences such as Ayurveda and gained valuab...View More

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