हेक्साहेल्थ सुविधायें
विश्वस्त डॉक्टर और सर्वोच्च अस्पताल
विशेषज्ञ सर्जन के साथ परामर्श
आपके उपचार के दौरान व्यापक सहायता
Book Consultation
रुमेटीइड गठिया (आरए) एक सूजन वाली स्थिति है जो मुख्य रूप से जोड़ों को लक्षित करती है। जिसके परिणामस्वरूप दर्द, कठोरता और सूजन होती है। यह एक दीर्घकालिक बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही ऊतकों पर हमला कर देती है।
इस बीमारी के कारण शरीर का जो भी हिस्सा प्रभावित होता है, वहां सूजन और दर्द की समस्या पैदा हो जाती है। इस लेख से रूमेटाइड आर्थराइटिस, इसकी समस्या का कारण, लक्षण, बीमारी का निदान और इलाज के बारे में जानते हैं।
रोग का नाम | रूमेटाइड आर्थराइटिस या रुमेटीइड गठिया |
लक्षण | जोड़ों का दर्द, सूजन, अकड़न, थकान, कमजोरी |
कारण | आनुवंशिक प्रवृत्ति, ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया, जोड़ों की क्षति |
निदान | चिकित्सा इतिहास, शारीरिक परीक्षण, रक्त परीक्षण, इमेजिंग परीक्षण |
इलाज कौन करता है | ह्रुमेटोलॉजिस्ट |
उपचार का विकल्प | एक्यूपंचर, एक्यूप्रेशर, दवाइयों, सिनोवेक्टॉमी, आर्थ्रोडिसिस, आर्थ्रोप्लास्टी |
शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जब शरीर की सुरक्षा करने की बजाय कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है तो जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है। इस समस्या को रूमेटाइड आर्थराइटिस कहते हैं।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इसकी समस्या ज्यादा होती है। ३० से ६० की उम्र में इस बीमारी की संभावना अधिक होती है। रूमेटाइड आर्थराइटिस होने पर जोड़ों की परत में सूजन आ जाती है, जिस कारण से संयुक्त ऊतक को नुकसान पहुंचता है।
आमतौर पर रूमेटाइड आर्थराइटिस, हाथों, घुटनों या टखनों को प्रभावित करता है। इसके साथ ही ये शरीर के अन्य अंगो जैसे कि आंखें, हृदय, परिसंचरण तंत्र या फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
ये बीमारी लंबे समय तक अस्थिरता और विकृति का कारण बन सकती है। यदि परिवार में किसी को रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या है तो ये बीमारी बच्चों में होने की संभावना बढ़ जाती है।
रुमेटीइड गठिया एक प्रगतिशील बीमारी है जो चरणों में विकसित होती है। प्रत्येक के अपने विशिष्ट लक्षण और संयुक्त स्वास्थ्य के लिए निहितार्थ होते हैं।
स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और प्रभावित व्यक्तियों के जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करने के लिए आरए के चरणों को समझना महत्वपूर्ण है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस के मुख्य रूप से चार चरण होते हैं।
पहला चरण - रूमेटाइड आर्थराइटिस के पहले चरण में व्यक्ति को बहुत हल्के लक्षण जैसे कि जोड़ों के आसपास सूजन के साथ अकड़न की समस्या शुरू हो जाती है।
दूसरा चरण - इस चरण में जोड़ों को नुकसान पहुंचना शुरू हो जाता है। यहाँ जोड़ों की उपास्थि (कार्टिलेज) क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। व्यक्ति को चलने में समस्या होने लगती है।
तीसर चरण - दूसरे चरण की अपेक्षा में तीसरे चरण में व्यक्ति को जोड़ों में अधिक दर्द और शारीरिक परिवर्तन महसूस हो सकता है। व्यक्ति को रोजमर्रा के कामों में दिक्कत महसूस होती है।
चौथा चरण - इस चरण को गंभीर माना जाता है क्योंकि इसमें जोड़ खराब हो जाते हैं। जोड़ों में अत्याधिक जकड़न और गंभीर दर्द बना रहता है। शुरूआती चरण से आखिरी चरण तक जोड़ों में दर्द, अकड़न आदि बनी रहती है।
जोड़ों में दर्द की समस्या अचानक से नहीं बल्कि धीमे-धीमे शुरू होती है। रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षण समय बीतने के साथ ही बिगड़ने लगते हैं। शुरुआती चरण में रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षण हल्के महसूस हो सकते हैं।
बीमारी के बढ़ें हुए लक्षण सुबह के समय या फिर देर तक बैठे रहने पर अधिक महसूस हो सकते हैं। इसके लक्षण हैं:
जोड़ों का दर्द, सूजन और अकड़न - आरए अक्सर कई जोड़ों में दर्द और अकड़न के साथ शुरू होता है। आमतौर पर शरीर के दोनों किनारों को प्रभावित करता है, जैसे कि दोनों कलाई या दोनों घुटने।
सुबह की अकड़न - व्यक्ति को सुबह उठते ही जोड़ों में जकड़न महसूस होती है जो एक घंटे से अधिक समय तक रह सकता है। कलाई, हाथ पैंरों के जोड़ प्रभावित हो सकते हैं।
थकान और कमजोरी - आरए थकान और समग्र कमजोरी की भावना पैदा कर सकता है, जिससे ऊर्जा स्तर और दैनिक गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं।
रूमेटॉइड नोड्यूल्स - कुछ मामलों में, प्रभावित जोड़ों के पास त्वचा के नीचे छोटी, ठोस गांठें बन सकती हैं। इसे रूमेटॉइड नोड्यूल्स के रूप में जाना जाता है।
सममित संयुक्त भागीदारी - यह अक्सर शरीर के दोनों तरफ के जोड़ों को एक साथ प्रभावित करता है, जैसे दोनों हाथ, दोनों पैर, या दोनों घुटने।
गति की सीमा में कमी - जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, आरए संयुक्त लचीलेपन में कमी और गति की सीमित सीमा का कारण बन सकता है।
विशेषज्ञ डॉक्टर (10)
एनएबीएच मान्यता प्राप्त अस्पताल (10)
कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित होती हैं या फिर अनुवांशिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी असर दिखाती हैं।
रूमेटाइड आर्थराइटिस की बीमारी के लिए निम्नलिखित कारण जिम्मेदार हो सकते हैं:
आनुवंशिक प्रवृत्ति - आरए का पारिवारिक इतिहास इस स्थिति के विकसित होने के जोखिम को बढ़ाता है, जो इसके विकास के लिए एक आनुवंशिक घटक का सुझाव देता है।
ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया - जब प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से स्वस्थ संयुक्त ऊतकों पर हमला करती है, तब पुरानी सूजन और संयुक्त क्षति होती है।
सूजन और जोड़ों की क्षति - सिनोवियम (संयुक्त अस्तर) में पुरानी सूजन से संयुक्त क्षति बढ़ती है और समय के साथ अपरिवर्तनीय परिवर्तन होते हैं।
तब यह रूमेटाइड आर्थराइटिस की बीमारी का कारण बन सकता है।
ऑटोइम्यून बीमारियाँ होने से आरए विकसित होने की संभावना बढ़ सकती है। इन जोखिम कारकों को समझकर, व्यक्ति संभावित जोखिमों को साथ काम कर सकते हैं।
रूमेटाइड आर्थराइटिस से जुड़े जोखिम कारक हैं:
अधिक उम्र - रूमेटाइड आर्थराइटिस का जोखिम उम्र बढ़ने के साथ बढ़ जाता है। ६० के दशक में इस बीमारी का जोखिम अधिक होता है।
हार्मोनल कारक - महिलाओं में आरए विकसित होने की अधिक संभावना होती है, और हार्मोनल परिवर्तन रोग गतिविधि को प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि कुछ महिलाएं गर्भावस्था के दौरान लक्षणों में सुधार का अनुभव करती हैं।
मोटापा - शरीर का अतिरिक्त वजन आरए के खतरे को बढ़ा सकता है और बीमारी की गंभीरता को बढ़ा सकता है।
जीवनशैली कारक - अस्वास्थ्यकर आदतें, जैसे गतिहीन जीवनशैली और खराब आहार विकल्प, आरए के विकास या प्रगति में योगदान कर सकते हैं।
पर्यावरणीय कारक - संक्रमण या धूम्रपान जैसे कुछ पर्यावरणीय कारकों के संपर्क में आना, अतिसंवेदनशील व्यक्तियों में आरए को बढ़ाने में भूमिका निभा सकता है।
रुमेटीइड गठिया का सटीक कारण स्पष्ट नहीं है। संयुक्त स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए स्थिति के विकास के जोखिम को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठाना आवश्यक है।
दैनिक जीवन में निवारक उपायों को शामिल करने से समग्र कल्याण में योगदान हो सकता है।
इससे संभावित रूप से आरए विकसित होने की संभावना कम हो सकती है:
विटामिन डी का सेवन - हड्डियों के लिए विटामिन डी का सेवन जरूरी है। पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी का सेवन करें।
जोड़ों की सुरक्षा - आर्थराइटिस की समस्याघुटने, कलाई और कोहनी के जोड़ों को कमजोर करती है। ऐसे में इनकी सुरक्षा के लिए खेल के समय पैड का इस्तेमाल करें ताकि इनमें चोट न लगें।
रोजाना व्यायाम करें - अच्छे स्वास्थ्य और मांसपेशियों की ताकत को बनाए रखने के लिए दिन में २०-३० मिनट व्यायाम जरूर करें। योग की मदद भी ली जा सकती है।
वजन नियंत्रित रखें - अधिक वजन जोड़ों में दर्द की समस्या को बढ़ाता है। वजन को नियंत्रित रखकर घुटनों के दर्द में राहत मिल सकती है।
धूम्रपान न करें - यदि आप धूम्रपान करते हैं तो इस आदत को छोड़ दें।
प्रभावी प्रबंधन और जोड़ों की क्षति को रोकने के लिए रुमेटीइड गठिया (आरए) का प्रारंभिक और सटीक निदान महत्वपूर्ण है।
निदान प्रक्रिया को समझने से व्यक्तियों को संभावित लक्षणों को पहचानने और समय पर चिकित्सा मूल्यांकन प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
रुमेटीइड गठिया के निदान निम्नलिखित हैं:
चिकित्सा इतिहास - डॉक्टर रोगी के चिकित्सा इतिहास की समीक्षा करेगा, जिसमें कोई भी लक्षण, आरए का पारिवारिक इतिहास और पिछली स्वास्थ्य स्थितियां शामिल होंगी।
शारीरिक परीक्षण - जोड़ों की सूजन, कोमलता और गति की सीमा का आकलन करने के लिए एक संपूर्ण शारीरिक परीक्षण किया जाएगा।
रक्त परीक्षण - ईएसआर, सी रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट और एंटी सीसीपी रक्त परिक्षण कराने की सलाह दी जा सकती है।
रुमेटीइड गठिया से पीड़ित लोगों में अक्सर ईएसआर, सी-रिएक्टिव प्रोटीन स्तर ऊंचा होता है, जो शरीर में सूजन प्रक्रिया की उपस्थिति का संकेत दे सकता है।
इमेजिंग परीक्षण - जोड़ों को खराब करने वाले संकेत या लक्षण की जांच के लिए इमेजिंग परीक्षण किया जाता है।
एमआरआई और अल्ट्रासाउंड परीक्षण आपके डॉक्टर को आपके शरीर में बीमारी की गंभीरता का आकलन करने में मदद कर सकते हैं।
कोई भी प्रश्न तैयार करें जिसे आप डॉक्टर से पूछना चाहते हैं, ताकि आप अपने स्वास्थ्य और संभावित उपचार विकल्पों को बेहतर ढंग से समझने के लिए आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकें। एक सूची लिखें जिसमें शामिल हो:
लक्षणों के बारे में सभी विवरण।
आपने पहले जो भी चिकित्सीय समस्याएं या स्थितियां अनुभव की हों, उनके बारे में डॉक्टर को सूचित करें।
आपके माता-पिता या भाई-बहनों को हुई किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में डॉक्टर को बताएं, क्योंकि यह आपकी स्थिति के लिए प्रासंगिक हो सकता है।
इस समस्या के लिए उन सभी दवाओं और आहार अनुपूरकों की एक सूची बनाएं जो आप वर्तमान में ले रहे हैं या पहले ले चुके हैं।
जब आप डॉक्टर को बीमारी के बारे में बताएंगे तो वो आपसे बीमारी के इतिहास के बारे में जानकारी ले सकते हैं। आपका डॉक्टर निम्नलिखित के बारे में पूछताछ कर सकता है:
आपने सबसे पहले अपने लक्षणों पर कब ध्यान दिया?
क्या समय बीतने के साथ आपने अपने लक्षणों में कोई बदलाव देखा है?
किन जोड़ों में लक्षण दिख रहे हैं?
क्या विशिष्ट गतिविधियाँ आपके लक्षणों को कम या बढ़ा देती हैं?
क्या आपके लक्षण आपके दैनिक कार्य करने की क्षमता को प्रभावित कर रहे हैं?
बीमारी के लक्षण दिखने के बाद डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर से मिलने के बाद कुछ प्रश्न जरूर पूछें।
रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज कैसे किया जाएगा?
ट्रीटमेंट कितना लंबा चलेगा?
क्या रूमेटाइड आर्थराइटिस की दवाओं से दुष्प्रभाव हो सकता है?
मेरी लिए सुरक्षित दवा कौन-सी है?
जोड़ों के दर्द और सूजन की समस्या का कारण पता चलने के बाद डॉक्टर बीमारी का इलाज शुरू करते हैं। व्यक्ति की बीमारी किस चरण में है, उसी के अनुसार इलाज किया जाता है।
रुमेटीइड गठिया का कोई इलाज नहीं है। लेकिन नैदानिक अध्ययनों से संकेत मिलता है कि जब रोग-संशोधित एंटीर्यूमेटिक दवाओं (डीएमएआरडी) के रूप में जानी जाने वाली दवाओं के साथ उपचार जल्दी शुरू होता है तो लक्षणों में कमी की संभावना अधिक होती है।
कुछ घरेलू उपाय रूमेटाइड आर्थराइटिस के मरीजों को जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत दिलाते हैं। घरेलू उपाय जहां एक ओर अपनाने में आसान होते हैं वहीं इनका असर भी महसूस किया जा सकता है।
प्रभावित स्थान में मसाज - अगर प्रभावित स्थान में कैस्टर (अरंडी) के तेल से मसाज की जाए तो दर्द से राहत मिल सकती है। दिन में एक से दो बार मसाज की जा सकती है।
हल्दी का उपयोग - जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या से राहत के लिए हल्दी का इस्तेमाल फायदेमंद साबित होता है। इसे खाने में मिलाकर खाया जा सकता है।
गरम पानी का इस्तेमाल - यदि गरम पानी का इस्तेमाल नहाने के लिए किया जाए तो जोड़ों के दर्द में बहुत राहत पहुंचती हैं।ज्यादा गरम पानी के इस्तेमाल से बचें।
रूमेटाइड आर्थराइटिस की बीमारी आजीवन परेशान कर सकती है। ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रख बीमारी के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
आराम जरूर करें - जोड़ों में सूजन होने पर चोट लगने का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में जोड़ों को आराम देना बहुत जरूरी है। रोजाना आराम जरूर करें।
मांसपेशियों की ताकत बढ़ाएं - शरीर कोआराम देने के साथ ही मांसपेशियों की ताकत को बढ़ाना भी बहुत जरूरी होता है। कुछ देर व्यायाम करने से मांसपेशियों की ताकत बनी रहती है।
दर्द की अधिक समस्या होने पर डॉक्टर से जानकारी लेने के बाद ही व्यायाम करना चाहिए। रोजाना चलना, तैरना और साइकिल चलाना आदि को जीवनशैली में शामिल किया जा सकता है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस की बीमारी में थेरेपी की मदद से तनाव और दर्द से राहत में मिलती है। थेरेपी का असर धीरे-धीरे होता है।
एक्यूपंचर की मदद से इलाज - इस इलाज के दौरान विशेष स्थान में सुई चुभाई जाती है। कुछ ही समय बाद दर्द की समस्या कम होने लगती है।
एक्यूप्रेशर से इलाज - इस दौरान शरीर के विशेष स्थानों में दबाव डाला जाता है। ऐसा लंबे समय तक करने से जोड़ों के दर्द में आराम पहुंचता है।
आयुर्वेद में कुछ हर्ब का इस्तेमाल कर जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या को कम करने में मदद मिलती है।
अदरक - अदरक में सूजन रोधी गुण होते हैं। इसे खाने में इस्तेमाल करने से मरीज को फायदा पहुंचता है।
हल्दी - रोजाना हल्दी का सेवन करने से जोड़ों की सूजन में कमी आ सकती है। बेहतर होगा कि हल्दी का अधिक सेवन करने से बचें।
गुग्गुल का सेवन - जोड़ो में दर्द से राहत के लिए गुग्गुल आयुर्वेदिक दवा का सेवन भी किया जा सकता है। विशेषज्ञ से इस बारे में जानकारी लेनी चाहिए।
जब रूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या में दर्द और सूजन की समस्या होती है तो कुछ होम्योपैथिक दवाएं इन्हें कम करने में मदद करतीहैं।
अर्निका - इस दवा की मदद से जोड़ों में दर्द और सूजन से राहत मिलती है।डॉक्टर से इसकी खुराक के बारे में जानकारी लेनी चाहिए।
बेल्लादोन्ना - अचानक से जोड़ों में आने वाले दर्द को कम करने में ये दवा मदद करती हैं।
रस टॉक्सिकोडेनड्रोन - जब जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होता है तो इस दवा से आराम पहुंचता है।
डॉक्टर बीमारी के निदान के बाद कुछ दवाएं खाने की सलाह दे सकते हैं। कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव भी दिख सकते हैं।
ऐसे में डॉक्टर दवा बदल देते हैं। निम्न दवाएं रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए इस्तेमाल की जाती हैं।
एनएसएआईडी दवाएं - ये एक गैर-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा है जोदर्द, सूजन और बुखार को कम करती है।
कुछ दवाएं जैसे कि इबुप्रोफेन,नेपरोक्सन आदि का इस्तेमाल किया जाता है।
सीओएक्स-२ अवरोधक - ये दवाएं एनएसएआईडी के समान हैं। इनका सेवन जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या को कम करता है। इस दवा के कम दुष्प्रभाव होते हैं।
कॉर्टिकोस्टेरॉइड - ये एकस्टेरॉयड दवा है जो जोड़ों में आयी सूजन को जल्द ठीक करता है।[३]
जानूस किनसे अवरोधक - ये दवा एक प्रकार का अवरोधक है जो प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को रोकने का काम करती है।
इस दवा के इस्तेमाल करने से रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षणों से राहत मिलती है।
रुमेटीइड गठिया के गंभीर मामलों में जहां दवाएं और अन्य उपचार प्रभावी नहीं होते हैं तब सर्जिकल हस्तक्षेप पर विचार किया जा सकता है।
यहां रुमेटीइड गठिया के लिए कुछ सामान्य सर्जिकल उपचार दिए गए हैं:
सिनोवेक्टॉमी - इस प्रक्रिया में, दर्द को कम करने और संयुक्त क्षति को धीमा करने के लिए सूजन वाले सिनोवियम (संयुक्त अस्तर) को हटा दिया जाता है।
संयुक्त संलयन (आर्थ्रोडिसिस) - सर्जन प्रभावित संयुक्त हड्डियों को एक साथ जोड़ता है, जिससे संयुक्त स्थान समाप्त हो जाता है।
हालांकि यह गति को प्रतिबंधित करता है, यह दर्द को काफी हद तक कम कर सकता है और जोड़ों की स्थिरता बनाए रख सकता है।
संयुक्त प्रतिस्थापन (आर्थ्रोप्लास्टी) - आरए के गंभीर मामलों में, संयुक्त कार्य को बहाल करने और दर्द को कम करने के लिए क्षतिग्रस्त जोड़ों को धातु या प्लास्टिक जैसे कृत्रिम प्रत्यारोपण से बदला जा सकता है।
भारत में रुमेटीइड गठिया के उपचार की लागत कई कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें रोगी की उम्र, रोगी की सहवर्ती बीमारियाँ, अस्पताल का प्रकार और स्थान, डॉक्टर का अनुभव, बीमा कवरेज और बहुत कुछ शामिल हैं।
भारत में रुमेटीइड गठिया उपचार की सटीक लागत जानने के लिए, अपने स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से मिलना चाहिए।
नीचे दी गई तालिका रुमेटीइड गठिया के इलाज के लिए उपयोग किए जाने वाले उपचार के तौर-तरीकों की अनुमानित लागत भी प्रदान करती है।
उपचार का विकल्प | लागत अनुमान सीमा |
सिनोवेक्टॉमी | ₹ ७०,००० से ₹ १,२०,००० |
संयुक्त संलयन (आर्थ्रोडिसिस) | ₹ ४५,००० से ₹ ८०,००० |
संयुक्त प्रतिस्थापन (आर्थ्रोप्लास्टी) | ₹ ९०,००० से ₹ ३,००,००० |
गठिया की बीमारी जीवन की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव डालती है। इससे संबंधित जटिलताएं निम्नलिखित हैं:
काम करने के दौरान दिक्कत - रूमेटाइड आर्थराइटिस के कारण व्यक्ति शारीरिक काम करने में दिक्कत महसूस होती है।
व्यक्ति घर के अंदर या बाहर जैसे कि नौकरी या रोजगार के दौरान काम करने में समस्या महसूस कर सकता है।
मोटापा - रूमेटाइड आर्थराइटिस से ग्रसित व्यक्ति यदि मोटा है तो उसमें अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसे हृदय रोग जोखिम कारक की संभावना बढ़ जाती है।
मधुमेह और हृदय रोग का खतरा - रूमेटाइड आर्थराइटिस के मरीजों में मधुमेह और हृदय रोग का खतरा भी बढ़ जाता है।
डॉक्टर सूजन और दर्द की समस्या को कम करने के साथ ही मरीजों के हृदय रोग के जोखिम कारकों पर भी ध्यान देते हैं।
एनीमिया - आरए में पुरानी सूजन के परिणामस्वरूप एनीमिया हो सकता है। जिससे थकान, कमजोरी और लाल रक्त कोशिका की संख्या में कमी हो सकती है।
अगर रूमेटाइड अर्थराइटिस का समय पर इलाज नहीं हो पाता है तो जोड़ों के खराब होने के साथ ही अन्य शारीरिक समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
कार्टिलेज खराब होना - जोड़ों की सतह को ढकने वाली कार्टिलेज समय पर इलाज न मिलने से बेकार हो सकते हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस - आरए से हड्डियों का नुकसान हो सकता है, जिससे हड्डियां फ्रैक्चर के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं।
विकलांगता का खतरा - सूजन और दर्द के बहुत अधिक बढ़ने पर हमेशा के लिए जोड़ (हड्डी) खराब हो जाते हैं। इससे विकलागंता भी हो सकती है।
विभिन्न अंगों को नुकसान - शरीर के विभिन्न अंगों जैसे फेफड़े, त्वचा, आंखों आदि को रूमेटाइड अर्थराइटिस से नुकसान पहुंच सकता है।
यदि किसी बीमारी का समय पर इलाज शुरू किया जाता है तो बीमारी के लक्षण ज्यादा नहीं बढ़ते हैं। निम्नलिखित लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए:
जोड़ों में दर्द
थकान
कमजोर
बुखार
रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए खानपान में सुधार करके बीमारी के लक्षणों को सुधारा जा सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि कुछ खाद्य पदार्थ, मसालों आदि की मदद से जोड़ों में जकड़न की समस्या, सूजन और दर्द से राहत मिल सकती है।
कुछ खाद्य पदार्थों में शरीर की सूजन को कम करने की क्षमता, एंटीऑक्सीडेंट गुण (कोशिकाओं की क्षति रोकना) होता है। साथ ही ये हड्डियों को मजबूत बनाने का कार्य भी करती हैं।
पत्तेदार सब्जियां
बीमारी में एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और फाइबर से भरपूर पत्तेदार सब्जियां फायदा पहुंचाती हैं।
पत्तेदार सब्जियों में ब्रोकोली, फूलगोभी, ब्रसेल्स स्प्राउट्स या केल आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है।
विभिन्न प्रकार के तेल
कुछ प्रकार के तेल का सेवन करने से जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है और साथ ही हृदय स्वास्थ्य भी बेहतर बनता है।
विभिन्न प्रकार के तेल जैसे कि मछली का तेल (जंगली सामन, ट्राउट और सार्डिन), अलसी के बीज, चिया के बीज और जैविक सोयाबीन आदि रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए फायदेमंद साबित होते हैं।
भूमध्यसागरीय आहार
रूमेटाइड आर्थराइटिस की बीमारी में भूमध्यसागरीय आहार में सूजनरोधी गुण होते हैं। ये आहार शरीर की सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।
खाने में जैतून का तेल, मध्यम से उच्च स्तर की जंगली मछली, असंतृप्त वसा का उच्च स्तर शामिल करना चाहिए।
मसाले और जड़ी बूटियां
मसाले और कुछ जड़ी बूटियों में जलनरोधी गुणों पाए जाते हैं।
खाने में हल्दी और अदरक का इस्तेमाल दर्द और जलन को कम करने में मदद कर सकता है।
ग्रीन टी का इस्तेमाल
ग्रीन टी में पॉलीफेनोलिक यौगिक होता है, जिसमे सूजन-रोधी गुण होता है।
एनएसएआईडी दवाओं का लंबे समय तक उपयोग करने से शरीर में बुरा प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में ग्रीन टी का सेवन फायदा पहुंचा सकता है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या होने पर खाने में ऐसी चीजों से परहेज करना चाहिए जो बीमारी के लक्षणों को बढ़ाने का काम कर सकती हैं।
खाने में शक्कर, सफेद चावल, पास्ता, सफेद ब्रेड का सेवन करने से बचना चाहिए। ये चीजें सूजन को बढ़ाने का काम कर सकती है।
ओमेगा-६ फैटी एसिड युक्त कुछ तेल जैसे कि मकई का तेल, कुसुम का तेल, सूरजमुखी का तेल, मूंगफली का तेल, अंगूर के बीज का तेल और वनस्पति आदि से दूर रहें।
ये भी दर्द और सूजन को बढ़ावा दे सकते हैं।
रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या लंबे समय तक चलती है। ऐसे में जीवनशैली में सुधार के साथ ही दवाओं का समय पर सेवन कर बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। बीमारी के लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए और डॉक्टर से समय-समय पर बीमारी संबंधित जानकारी लेनी चाहिए।
रूमेटाइड आर्थराइटिस ऐसी बीमारी है जिसका सामना किसी को भी करना पड़ सकता है। बीमारा का संदेह होने पर आपको बिना देरी किए हमारी वेबसाइट HexaHealth के विशेषज्ञों से संपर्क कर सकते हैं। हम आपको बीमारी से संबंधित स्वास्थ्य देखभाल और बेहतर इलाज के बारे में जानकारी देंगे।
अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
Osteoarthritis | Osteoarthritis Knee |
Osteoarthritis Hip | Osteoarthritis Knee Treatment |
Ayurvedic Treatment for Arthritis | Homeopathic Medicine for Rheumatoid Arthritis |
रूमेटोइड गठिया दर्द के लिए निम्नलिखित दवाएं सूजन को कम करती हैं और दर्द खत्म करती हैं:
एनएसएआईडी दवाएं जैसे कि इबुप्रोफेन,नेपरोक्सन
कॉर्टिकोस्टेरॉइड
खानपान में कुछ चीजें रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षणों को बिगाड़ सकती है इसलिए इनका सेवन करने से बचना चाहिए:
शक्कर
सफेद चावल
पास्ता
सफेद ब्रेड
रूमेटाइड आर्थराइटिस को हिंदी में गठिया रोग कहा जाता है। ये रोग शरीर के विभिन्न जोड़ों से जुड़ा हुआ है। यहाँ जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या हो जाती है।
जब जोड़ों में दर्द की समस्या होती है तो खानपान में कुछ बदलाव लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।खाने में निम्नलिखित आहार जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या में फायदा पहुंचाता है:
फल और सब्जियां
मध्यम से उच्च स्तर की जंगली मछली, असंतृप्त वसा का उच्च स्तर
डेयरी उत्पाद (दूध, दही), लाल मांस, हल्दी और अदरक का सेवन करना चाहिए।
निम्नलिखित आहार ना खाएं:
खाने में शक्कर, सफेद चावल, पास्ता, सफेद ब्रेड
ओमेगा- ६ फैटी एसिड में मकई का तेल, कुसुम का तेल, सूरजमुखी का तेल, मूंगफली का तेल, अंगूर के बीज का तेल और वनस्पति तेल
जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सुरक्षा करने के बजाय स्वस्थ्य कोशिकाओं पर हमला करने लगती है तो जोड़ों में समस्या शुरू हो जाती है। इसे ऑटोइम्यून बीमारी के नाम से भी जाना जाता है।
आमतौर पर रूमेटाइड आर्थराइटिस ३० और ६० की उम्र के बीच विकसित होना शुरू होता है। बच्चों और युवा वयस्कों में ये बीमारी १६ और ४० की उम्र के बीच हो सकती है।
ये बीमारी शरीर के किसी भी जोड़ से शुरू हो सकती है। आमतौर पर इस बीमारी के लक्षण सबसे पहले हाथों और पैरों के जोड़ों पर दिखते हैं। इस कारण से दर्द और सूजन की समस्या पैदा होती है।
जब रूमेटाइड आर्थराइटिस की बीमारी का निदान हो जाता है तो डॉक्टर मरीज को इलाज के विभिन्न तरीकों के बारे में जानकारी देते हैं। आर्थराइटिस को ठीक करने के लिए निम्न तरीके अपनाएं जाते हैं।
एलोपैथिक दवाएं
जीवनशैली में बदलाव
विभिन्न प्रकार की थेरेपी
घरेलू उपाय
होम्योपैथी और आयुर्वेदिक इलाज
सर्जरी
जोड़ों की बीमारी में एलोपैथिक दवाओं का अहम योगदान होता है जैसे:
एनएसएआईडी गैर-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं हैं जो सूजन कम करती हैं और दर्द में आराम पहुंचाती हैं।
सीओएक्स-२ अवरोधक एक एंजाइम है जो प्रतिरक्षा तंत्र की प्रतिक्रिया को रोकने का काम करता है ताकि जोड़ों में दर्द और सूजन कम हो जाए।
गठिया रोग को पूरी तरह से खत्म करना संभव नहीं है। गठिया का इलाज करने से बीमारी के लक्षणों में राहत मिलती है। अगर समय से पहले इलाज बंद कर दिया जाए तो बीमारी के लक्षण वापस आ जाते हैं। इस बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।
गठिया रोग के उपचार में अदरक को दर्द निवारक और सूजन को कम करने वाले प्रभावों के लिए जाना जाता है। अदरक के अर्क या तेल की कुछ बूंदों को प्रभावित जगह पर लगा सकते हैं। तेल का इस्तेमाल कुछ समय के लिए राहत प्रदान करता है।
मिथक: रूमेटाइड आर्थराइटिस की बीमारी दवाओं से पूरी तरह से ठीक हो जाती है।
तथ्य: बीमारी के लक्षणों को दवाओं की मदद से नियंत्रित किया जा सकता है। यदि सही से इलाज ना कराया जाए तो बीमारी के लक्षण वापस आ जाते हैं।मिथक: रूमेटाइड आर्थराइटिस की बीमारी हृदय संबंधी बीमारियों को बढ़ावा नहीं देती है।
तथ्य: रूमेटाइड आर्थराइटिस की बीमारी से हृदय संबंधी समस्याएं भी जटिलता के रूप में जुड़ी हुई है। डॉक्टर गठिया का इलाज करने के साथ ही हृदय की बीमारियों पर भी नजर रखते हैं।हेक्साहेल्थ पर सभी लेख सत्यापित चिकित्सकीय रूप से मान्यता प्राप्त स्रोतों द्वारा समर्थित हैं जैसे; विशेषज्ञ समीक्षित शैक्षिक शोध पत्र, अनुसंधान संस्थान और चिकित्सा पत्रिकाएँ। हमारे चिकित्सा समीक्षक सटीकता और प्रासंगिकता को प्राथमिकता देने के लिए लेखों के संदर्भों की भी जाँच करते हैं। अधिक जानकारी के लिए हमारी विस्तृत संपादकीय नीति देखें।
Last Updated on: 20 July 2023
MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES
12 Years Experience
Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More
She is a B Pharma graduate from Banaras Hindu University, equipped with a profound understanding of how medicines works within the human body. She has delved into ancient sciences such as Ayurveda and gained valuab...View More
Book Consultation