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कब्ज क्या है? कारण, लक्षण, जांच और इलाज - Constipation in Hindi

Medically Reviewed by
Dr. Aman Priya Khanna
Constipation in Hindi

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Constipation in Hindi
Medically Reviewed by Dr. Aman Priya Khanna Written by Charu Shrivastava

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हमारे शरीर में पाचन तंत्र हर लिहाज से अहम होता है। जब पाचन तंत्र में समस्या होती है, तो शरीर की विभिन्न प्रक्रियाएं प्रभावित होती हैं। कब्ज भी पाचन तंत्र से जुड़ी हुई समस्या है। कब्ज की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है लेकिन कब्ज का अर्थ क्या है (constipation meaning in hindi)? वैसे तो व्यक्ति रोजाना मल त्याग करता है लेकिन जब सप्ताह में एक से दो बार मल हो, तो ये कब्ज का संकेत कहलाता है। कब्ज (constipation in hindi meaning) के कारण मल त्याग करने में परेशानी होती है। 

रोग का नाम 

कब्ज
लक्षण

रोजाना मल त्याग न हो पाना , मल करने के दौरान ताकत लगाने की जरूरत पड़ना, मल का सूखा या फिर कड़ा होना, पेट में अधिक गैस बनना, पेट फूलने का एहसास, सप्ताह में तीन से कम बार मल त्यागना   

कारण

भोजन में रेशा (फाइबर) की कमी, खाने में मसालेदार और अधिक तेल युक्त भोजन, जो लोग दिन भर पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते, तनाव भरी जिंदगी, व्यायाम या एक्सरसाइज न करना, दवाइयाँ जैसे कि नारकोटिक्स (नशीले पदार्थों), डिप्रेशन की दवाई, लंबे समय से किसी बीमारी से जूझ रहे

निदान

रक्त परीक्षण, एक्स-रे, कोलोनोस्कोपी, एनोरेक्टल मैनोमेट्री, कोलोनिक ट्रांजिट स्टडी

किसके द्वारा उपचार 

गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट

उपचार के विकल्प

स्वयं अपनी देखभाल, दवा या सप्लिमेंट की समीक्षा, प्रिस्क्रिप्शन दवाएं, सर्जरी, ओवर-द-काउंटर रेचक दवाएं

कब्ज की समस्या क्या होती है?

कब्ज (constipation in hindi meaning), बॉवेल मूवमेंट (शौच कर्म) का कम हो जाना होता है। वहीं क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन का अर्थ (chronic constipation meaning in hindi), पुराना या गंभीर कब्ज होता है। कब्ज़ के कारण मल पास करने में समस्या महसूस होती है। कब्ज कुछ समय के लिए भी हो सकती है और ये लंबे समय तक भी रह सकती है, जिसे क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन कहते हैं।

कब्ज को गंभीर बीमारी नहीं माना जाता है। लेकिन अगर इसके लक्षणों को लंबे समय तक नज़र अंदाज़ किया जाए, तो व्यक्ति को कई समस्याओं का समाना करना पड़ सकता है। कब्ज के कारण मल त्याग करते समय दर्द भी होता है। कब्ज का मतलब क्या है (what is constipation meaning in hindi)? ये समझना बहुत जरूरी है। इस समस्या से बचाव के लिए डॉक्टर जीवनशैली में बदलाव का सुझाव देते हैं और अधिक समस्या होने पर दवाएं खाने की भी सलाह देते हैं।

कब्ज के लक्षण क्या हैं?

आमतौर पर सुबह उठ कर मल त्याग के बाद हमारा शरीर आराम और चैन महसूस करता है। जिन लोगों को कब्ज की समस्या होती है, उन्हें आराम महसूस नहीं होता है। कब्ज  होने पर मल करने के दौरान दर्द हो सकता है। कब्ज का अर्थ ( constipation meaning in hindi)  जानने के लिए इसके लक्षणों के बारे में जानिए।

  1. रोजाना मल त्याग न हो पाना 
  2. मल करने के दौरान ताकत लगाने की जरूरत पड़ना 
  3. मल का सूखा या फिर कड़ा होना
  4. पेट में अधिक गैस बनना
  5. पेट फूलने का एहसास
  6. सप्ताह में तीन से कम बार मल त्यागना   
  7. अधिक ताकत लगाने पर मल के साथ खून आना
  8. जी मचलाना या उलटी आना 
  9. भारीपन और चिड़चिड़ापन
  10. मुंह में छाले पड़ना

अगर आपको कब्ज़ है तो यह ज़रूरी नहीं है की आपको ऊपर दिए गए सभी लक्षण महसूस हों। हो सकता है की आपको इनमे से कुछ लक्षण नज़र आएं।  या इनसे अधिक लक्षण भी महसूस हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

कब्ज के कारण क्या हैं?

कब्ज (constipation in hindi meaning) एक नहीं बल्कि कई कारणों से जुड़ा हो सकता है। जब मल कोलन (बड़ी आंत का सबसे लंबा भाग) में बहुत धीमी गति से आगे बढ़ता है, तो मल कठोर और शुष्क हो जाता है। इस कारण से मल त्याग करने में परेशानी होती है। आइए जानते हैं कि कब्ज के कारण क्या हैं:

  1. कब्ज का आम कारण भोजन में रेशा (फाइबर) की कमी को माना जाता है।
  2. खाने में मसालेदार और अधिक तेल युक्त भोजन भी कब्ज (constipation in hindi meaning) की बीमारी को जन्म दे सकता है।
  3. जो लोग दिन भर पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं या फिर भोजन में पर्याप्त मात्रा में पेय पदार्थ शामिल नहीं करते हैं, उन्हें भी कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है।
  4. आजकल की तनाव भरी जिंदगी कब्ज का मुख्य कारण मानी जाती है। तनाव के कारण कोलन की मांसपेशियों में संकुचन ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है, जिसके कारण कब्ज का सामना करना पड़ता है।
  5. व्यायाम या एक्सरसाइज न करना भी कब्ज को जन्म दे सकता है। 
  6. दवाइयाँ जैसे कि नारकोटिक्स (नशीले पदार्थों), डिप्रेशन की दवाई, आयरन की दवाएं, एसिडिटी की दवाई आदि शौच कर्म (बॉवेल मूवमेंट्स) की गति को धीमा करते हैं।
  7. अगर आप लंबे समय से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, तो भी आपको कब्ज हो सकती है।
  8. किसी समस्या या बीमारी जैसे कि कोलन कैंसर, आंत में रुकावट (ब्लॉकेज),रेक्टल कैंसर के कारण कोलन या मलाशय में रुकावट पैदा हो सकती है, जो कब्ज की कारक हो सकती है।
  9. हॉर्मोन संतुलन बिगाड़ने वाली बीमारियों और स्थितियों से कब्ज हो सकता है जैसे कि मधुमेह (डायबिटीज), अंडरएक्टिव थायराइड (थायराइड ग्रंथि), हाइपरपैराथायरायडिज्म आदि
  10. कब्ज़, गर्भावस्था के समय (constipation meaning in hindi in pregnancy) भी बढ़ सकती है।

विशेषज्ञ डॉक्टर (10)

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कब्ज से बचाव

कब्ज से बचाव संभव है। अगर दिनचर्या में बदलाव किया जाए और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाया जाता है, तो कब्ज से बचाव किया जा सकता है। कब्ज का अर्थ क्या है (what is the meaning of constipation in hindi)? इसके कारण क्या है आदि जानने के बाद इसके बचाव से संबंधित बातों को भी जानना जरूरी है। जानिए किन बातों का रखना चाहिए ध्यान:

  1. आपको खाने में रेशा (फाइबर) युक्त खाना, जिसमे की बीन्स, सब्जियां, फल, साबुत अनाज आदि को शामिल करना चाहिए।
  2. खाने में उन खाद्य पदार्थों ना अपनाएं, जिनमें ना के बराबर रेशा (फाइबर) हो।
  3. आपको दूध से बने पदार्थो का सीमित मात्रा में सेवन करना चाहिए क्योंकि इनकी अधिक मात्रा के सेवन से कब्ज बदता है।
  4.  खाने में अधिक तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  5.  कोशिश करें कि आप रोजाना आधे से 1 घंटे व्यायाम जरूर करें।
  6.  अगर आप अक्सर तनाव में रहते हैं, तो आप तनाव कम करने की कोशिश करिये।
  7. रोजाना मल त्याग करने के लिए निश्चित समय तय करिये।
  8. जब भी मल त्याग की इच्छा हो, तो उसे नजरअंदाज न करें।

कब्ज की जाँच

कब्ज (constipation meaning in hindi) के कारण और बचाव के तरीके जानने के बाद इसके निदान के बारे में जानना जरूरी है। डॉक्टर डिजिटल रेक्टल टेस्ट या एक्स-रे के माध्यम से, रेक्टम (बड़ी आंत का अंतिम भाग) या कोलन की जांच करके, एनोरेक्टल मैनोमेट्री या फिर ब्लड टेस्ट आदि की सहायता से आपकी स्थिति ठीक से जांच सकते हैं। विभिन्न जांच के तरीके इस प्रकार हैं:

  1. रक्त परीक्षण: डॉक्टर रक्त परीक्षण (ब्लड टेस्ट) के माध्यम से हाइपोथायरायडिज्म या उच्च कैल्शियम स्तर के बारे में जांच करते हैं।
  2. एक्स-रे: एक्स-रे की मदद से डॉक्टर को ये पता लगाने में मदद मिलती है कि क्या आंतें अवरुद्ध हैं? साथ ही ये भी पता चलता है कि क्या पूरे कोलन में मल मौजूद है या फिर नहीं।
  3. कोलोनोस्कोपी: कोलोनोस्कोपी की मदद से रेक्टम और कोलन की जांच की जाती है। इस दौरान कैमरा युक्त ट्यूब की मदद ली जाती है।
  4. एनोरेक्टल मैनोमेट्री: इस प्रक्रिया में डॉक्टर एनस और रेक्टम में एक लचीला ट्यूब डालते हैं। फिर ट्यूब की नोक पर एक छोटा सा गुब्बारा फुलाते हैं। डिवाइस को फिर स्फिंक्टर मसल्स के माध्यम से वापस खींच लिया जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से  डॉक्टर को उन मांसपेशियों के कॉर्डिनेशन के बारे में जानकारी मिलती हैं, जो शौच कर्म (बॉवल मूवमेंट) के समय इस्तेमाल होती हैं।
  5. कोलोनिक ट्रांजिट स्टडी: इस स्टडी के दौरान डॉक्टर आपको एक कैप्सूल निगलने के लिए देते हैं। इसमें रेडियोपैक मार्कर या वायरलेस रिकॉर्डिंग डिवाइस होता है। 24 से 48 घंटे तक रिकॉर्ड होता है और फिर एक्स-रे के माध्यम से जानकारी मिलती है।

इन सभी प्रक्रियाओं के अतिरिक्त डॉक्टर पेशेंट से उसकी चिकित्सकीय अतीत (medical history) के बारे में जानकारी ले सकते हैं। वे जानने की कोशिश करेंगे कि पेशेंट को किसी तरह की कोई बीमारी तो नहीं है। या फिर उन्होंने हाल ही में कोई सर्जरी करवाई है।  या फिर क्या कभी कोलोनोस्कोपी हुई है आदि। डॉक्टर पेशेंट के शौच कर्म (बॉवल मूवमेंट) अतीत के बारे में भी पता करते हैं जैसे कि उन्हें हफ्ते में कितनी बार शौच कर्म  (bowel movement) होते हैं।

साथ ही उनके स्टूल या मल का रंग क्या है? डॉक्टर यह भी जानकारी ले सकते हैं कि क्या पेशेंट को मल के साथ खून आ रहा है। साथ ही डॉक्टर आपकी दिनचर्या जैसे कि व्यायाम और खान पान के समय के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं।

कब्ज का इलाज

कब्ज़ का इलाज  संभव है यदि आप स्वस्थ्य जीवन शैली का पालन करें तथा अपनी देखभाल स्वयं करें और नियमित जाँच करवाते रहें। ज़रुरत होने पर या कब्ज़ कि समस्या बढ़ने पर दवाओं या फिर गंभीर स्थिति होने पर सर्जरी की मदद से कब्ज का इलाज संभव है। आइए जानते हैं कि कब्ज का इलाज कैसे किया जा सकता है।

  1. स्वयं अपनी देखभाल: रोजाना कुछ बातों का ध्यान रख कर कब्ज से निजात पाया जा सकता है। जैसे पानी ज्यादा पिएं। खाने में रेशा (फाइबर) युक्त भोजन, फल, सब्जियां, अनाज आदि को शामिल करना चाहिए। अधिक चिकनाई युक्त या फिर मसालेदार भोजन से खुद को दूर रखें। रोजाना व्यायाम (एक्सरसाइज) जरूर करें। 
  2. दवा या सप्लिमेंट की समीक्षा: डॉक्टर से अपनी दवाओं और सप्लीमेंट्स (यदि आप कोई लेते हैं) को साझा करें। वे उनकी समीक्षा करेंगे, कुछ दवाएं आपके कब्ज का कारण हो सकती हैं। डॉक्टर उन दवाओं और सप्लीमेंट्स को बदलने का विकल्प आपको दे सकते हैं ।
  3. प्रिस्क्रिप्शन दवाएं: कब्ज (constipation in hindi meaning) के इलाज के लिए कुछ प्रिस्क्रिप्शन दवाएं जैसे कि लुबिप्रोस्टोन, प्रुकालोप्राइड, प्लेकेनाटाइड, लैक्टुलोज आदि दवाएं ली जा सकती हैं। डॉक्टर की सलाह के बाद ही कब्ज की दवा का सेवन करें।
  4. सर्जरी: कब्ज (constipation in hindi meaning) से निजात के लिए सर्जरी की जरूरत बहुत ही कम लोगों को पड़ती है। जब कोलन में संरचनात्मक समस्या हो, तो ऐसे में सर्जरी की सलाह दी जा सकती है। इस बारे में आपको डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए।
  5. घरेलू उपाय: घरेलू उपाय जैसे कि खाने में रेशा (फाइबर) युक्त व प्रोबायोटिक पदार्थों को शामिल करना, अधिक मात्रा में पानी पीना, रोजाना एक्सरसाइज करना आदि बातों का ध्यान रख आप कब्ज की समस्या से राहत पा सकते हैं।
  6. ओवर-द-काउंटर रेचक दवाएं (लेक्जेटिव्स) भी कब्ज से छुटकारा पाने का आसान विकल्प हो  सकते हैं।

परन्तु रोगी के लिए कौन सी इलाज प्रक्रिया अपनानी चाहिए, यह डॉक्टर के द्वारा रोगी कि वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति की जाँच के बाद लिए गए निर्णय पर ही आधारित होना चाहिए।

यह भी पढ़ें: 

  1. Constipation in English
  2. Home Remedies for Constipation in English

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

  1. मिथक: सिर्फ रेशा (फाइबर) युक्त भोजन ना खाने से ही कब्ज से होता है।
    सच्चाई: यह बिल्कुल सच नहीं है कब्ज के कई कारण हो सकते हैं यह दवाओं के सेवन, किसी बीमारी के कारण या फिर बिना कारण के भी हो सकता है।
  2. मिथक: बच्चों को कब्ज कभी नहीं हो सकती है।
    सच्चाई: ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। जैसे वयस्कों को कब्ज होता है वैसे ही बच्चों को भी कब्ज हो सकता है। कई बार सही खानपान की आदत न होने पर और फैमिली हिस्ट्री भी बच्चों में कब्ज (constipation in hindi meaning) की समस्या पैदा करती है।
  3. मिथक: दो दिन मल त्याग ना हो, तो यह कब्ज होती है।
    सच्चाई: अगर आपको हफ्ते में एक या दो दिन मल नहीं हो रहा है, तो यह कब्ज हो सकती है। अगर आपको एक या 2 दिन मल नहीं हुआ है, तो इससे कब्ज (constipation in hindi meaning) नहीं समझना चाहिए। यह आम बात है।
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पेट में कब्ज होने से बवासीर की समस्या पैदा हो सकती है, जिसका मुख्या कारण, मल त्याग करने के लिए दबाव होता है। बवासीर के कारण मल त्याग करते समय खून आना और दर्द जैसी कठिनाइयां होती हैं। 

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कब्ज की समस्या के कई कारक हो सकते हैं जैसे रेशा (फाइबर) युक्त भोजन की कमी, लंबे समय से कुछ दवाओं का सेवन, किसी बीमारी के कारण, काम पानी पीना और शारीरिक व्यायाम न करना आदि।

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पेट फूलने का एहसास, पेट में अधिक गैस बनना, कई दिनों तक मल ना होना, मुंह में छाले पड़ना, मल करने के दौरान ताकत लगना, जी मचलाना और उलटी आना आदि कब्ज़ के आम लक्षण हैं। अधिक गंभीर स्थिति में मल के साथ खून भी आ सकता है।

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जीवनशैली में सुधार, स्वस्थ भोजन, रोजाना व्यायाम आदि कब्ज से छुटकारा दिला सकते हैं। इनके अतिरिक्त यदि कब्ज़ किसी अंदरूनी बीमारी के कारण से है तो उसका इलाज करना कब्ज़ को हमेशा के लिए ठीक करने में मदद कर सकता है।

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कब्ज (constipation in hindi meaning) की समस्या से व्यक्ति की रोजाना दिनचर्या पर बुरा प्रभाव पड़ता है। खाने की इच्छा भी कम हो जाती है और व्यक्ति ऊर्जा में कमी महसूस करता है ।

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अगर आप कब्ज का सही समय पर इलाज नहीं कराते हैं, तो ये आपको बीमार महसूस करा सकती है।

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कब्ज का सही समय पर इलाज न हो, तो गंभीर कब्ज (chronic constipation meaning in hindi) हो सकता है। लंबे समय पर मल त्याग न होने पर गंभीर कब्ज हो जाता है, जो भविष्य में कई जटिलताएं पैदा करता है।

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कब्ज होने पर मसालेदार भोजन, दूध से बने पदार्थो, शराब, बाहर का खाना , प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, उच्च वसा वाले मांस (हाय फैट मीट), मिठाइयां, अंडा आदि से दूरी बना लेनी चाहिए।

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अगर आप खाने में सफेद चावल का अधिक सेवन करेंगे तो कब्‍ज़ की समस्‍या बढ़ सकती है।

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कब्ज की समस्या में फाइबर युक्त भोजन के साथ ही आप ओवर-द-काउंटर रेचक दवाएं (लेक्जेटिव्स) का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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घरेलू उपाय जैसे कि फाइबर युक्त भोजन, पानी का अधिक सेवन, व्यायाम आदि गैस और कब्ज का रामबाण इलाज है।

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कब्ज (constipation in hindi meaning) के लिए आयुर्वेदिक औषधियों में त्रिफला चूर्ण को अच्छा माना जाता है। साथ ही दशमूल क्वाथ,  वैश्वनार चूर्ण, हिंगु त्रिगुणा तेल आदि का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। सही इलाज के लिए कृपया किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें।

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कब्ज (constipation in hindi meaning) दूर करने के लिए पपीते का सेवन लाभकारी होता है। साथ ही अंगूर, नाशपाती, सेब आदि भी कब्ज दूर करते हैं।

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पेट साफ करने के लिए त्रिफला चूर्ण लाभकारी माना जाता है। लेकिन कोई भी दवाई हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही लें।

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अगर आपको चूर्ण लेने के बाद समस्या हो रही है, तो चूर्ण का सेवन बंद कर दें। स्तनपान और गर्भावस्था में त्रिफला चूर्ण का सेवन नहीं करना चाहिए। सही इलाज के लिए कृपया किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें।

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Last Updated on: 10 February 2024

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Aman Priya Khanna

Dr. Aman Priya Khanna

MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES

12 Years Experience

Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More

लेखक

Charu Shrivastava

Charu Shrivastava

BSc. Biotechnology I MDU and MSc in Medical Biochemistry (HIMSR, Jamia Hamdard)

2 Years Experience

Skilled in SEO and passionate about creating informative and engaging medical content. Her proofreading and content writing for medical websites is impressive. She creates informative and engaging content that educ...View More

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