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हमारे शरीर में पाचन तंत्र हर लिहाज से अहम होता है। जब पाचन तंत्र में समस्या होती है, तो शरीर की विभिन्न प्रक्रियाएं प्रभावित होती हैं। कब्ज भी पाचन तंत्र से जुड़ी हुई समस्या है। कब्ज की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है लेकिन कब्ज का अर्थ क्या है (constipation meaning in hindi)? वैसे तो व्यक्ति रोजाना मल त्याग करता है लेकिन जब सप्ताह में एक से दो बार मल हो, तो ये कब्ज का संकेत कहलाता है। कब्ज (constipation in hindi meaning) के कारण मल त्याग करने में परेशानी होती है।
रोग का नाम |
कब्ज |
लक्षण |
रोजाना मल त्याग न हो पाना , मल करने के दौरान ताकत लगाने की जरूरत पड़ना, मल का सूखा या फिर कड़ा होना, पेट में अधिक गैस बनना, पेट फूलने का एहसास, सप्ताह में तीन से कम बार मल त्यागना |
कारण |
भोजन में रेशा (फाइबर) की कमी, खाने में मसालेदार और अधिक तेल युक्त भोजन, जो लोग दिन भर पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते, तनाव भरी जिंदगी, व्यायाम या एक्सरसाइज न करना, दवाइयाँ जैसे कि नारकोटिक्स (नशीले पदार्थों), डिप्रेशन की दवाई, लंबे समय से किसी बीमारी से जूझ रहे |
निदान |
रक्त परीक्षण, एक्स-रे, कोलोनोस्कोपी, एनोरेक्टल मैनोमेट्री, कोलोनिक ट्रांजिट स्टडी |
किसके द्वारा उपचार |
गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट |
उपचार के विकल्प |
स्वयं अपनी देखभाल, दवा या सप्लिमेंट की समीक्षा, प्रिस्क्रिप्शन दवाएं, सर्जरी, ओवर-द-काउंटर रेचक दवाएं |
कब्ज (constipation in hindi meaning), बॉवेल मूवमेंट (शौच कर्म) का कम हो जाना होता है। वहीं क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन का अर्थ (chronic constipation meaning in hindi), पुराना या गंभीर कब्ज होता है। कब्ज़ के कारण मल पास करने में समस्या महसूस होती है। कब्ज कुछ समय के लिए भी हो सकती है और ये लंबे समय तक भी रह सकती है, जिसे क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन कहते हैं।
कब्ज को गंभीर बीमारी नहीं माना जाता है। लेकिन अगर इसके लक्षणों को लंबे समय तक नज़र अंदाज़ किया जाए, तो व्यक्ति को कई समस्याओं का समाना करना पड़ सकता है। कब्ज के कारण मल त्याग करते समय दर्द भी होता है। कब्ज का मतलब क्या है (what is constipation meaning in hindi)? ये समझना बहुत जरूरी है। इस समस्या से बचाव के लिए डॉक्टर जीवनशैली में बदलाव का सुझाव देते हैं और अधिक समस्या होने पर दवाएं खाने की भी सलाह देते हैं।
आमतौर पर सुबह उठ कर मल त्याग के बाद हमारा शरीर आराम और चैन महसूस करता है। जिन लोगों को कब्ज की समस्या होती है, उन्हें आराम महसूस नहीं होता है। कब्ज होने पर मल करने के दौरान दर्द हो सकता है। कब्ज का अर्थ ( constipation meaning in hindi) जानने के लिए इसके लक्षणों के बारे में जानिए।
अगर आपको कब्ज़ है तो यह ज़रूरी नहीं है की आपको ऊपर दिए गए सभी लक्षण महसूस हों। हो सकता है की आपको इनमे से कुछ लक्षण नज़र आएं। या इनसे अधिक लक्षण भी महसूस हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
कब्ज (constipation in hindi meaning) एक नहीं बल्कि कई कारणों से जुड़ा हो सकता है। जब मल कोलन (बड़ी आंत का सबसे लंबा भाग) में बहुत धीमी गति से आगे बढ़ता है, तो मल कठोर और शुष्क हो जाता है। इस कारण से मल त्याग करने में परेशानी होती है। आइए जानते हैं कि कब्ज के कारण क्या हैं:
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कब्ज से बचाव संभव है। अगर दिनचर्या में बदलाव किया जाए और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाया जाता है, तो कब्ज से बचाव किया जा सकता है। कब्ज का अर्थ क्या है (what is the meaning of constipation in hindi)? इसके कारण क्या है आदि जानने के बाद इसके बचाव से संबंधित बातों को भी जानना जरूरी है। जानिए किन बातों का रखना चाहिए ध्यान:
कब्ज (constipation meaning in hindi) के कारण और बचाव के तरीके जानने के बाद इसके निदान के बारे में जानना जरूरी है। डॉक्टर डिजिटल रेक्टल टेस्ट या एक्स-रे के माध्यम से, रेक्टम (बड़ी आंत का अंतिम भाग) या कोलन की जांच करके, एनोरेक्टल मैनोमेट्री या फिर ब्लड टेस्ट आदि की सहायता से आपकी स्थिति ठीक से जांच सकते हैं। विभिन्न जांच के तरीके इस प्रकार हैं:
इन सभी प्रक्रियाओं के अतिरिक्त डॉक्टर पेशेंट से उसकी चिकित्सकीय अतीत (medical history) के बारे में जानकारी ले सकते हैं। वे जानने की कोशिश करेंगे कि पेशेंट को किसी तरह की कोई बीमारी तो नहीं है। या फिर उन्होंने हाल ही में कोई सर्जरी करवाई है। या फिर क्या कभी कोलोनोस्कोपी हुई है आदि। डॉक्टर पेशेंट के शौच कर्म (बॉवल मूवमेंट) अतीत के बारे में भी पता करते हैं जैसे कि उन्हें हफ्ते में कितनी बार शौच कर्म (bowel movement) होते हैं।
साथ ही उनके स्टूल या मल का रंग क्या है? डॉक्टर यह भी जानकारी ले सकते हैं कि क्या पेशेंट को मल के साथ खून आ रहा है। साथ ही डॉक्टर आपकी दिनचर्या जैसे कि व्यायाम और खान पान के समय के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं।
कब्ज़ का इलाज संभव है यदि आप स्वस्थ्य जीवन शैली का पालन करें तथा अपनी देखभाल स्वयं करें और नियमित जाँच करवाते रहें। ज़रुरत होने पर या कब्ज़ कि समस्या बढ़ने पर दवाओं या फिर गंभीर स्थिति होने पर सर्जरी की मदद से कब्ज का इलाज संभव है। आइए जानते हैं कि कब्ज का इलाज कैसे किया जा सकता है।
परन्तु रोगी के लिए कौन सी इलाज प्रक्रिया अपनानी चाहिए, यह डॉक्टर के द्वारा रोगी कि वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति की जाँच के बाद लिए गए निर्णय पर ही आधारित होना चाहिए।
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पेट में कब्ज होने से बवासीर की समस्या पैदा हो सकती है, जिसका मुख्या कारण, मल त्याग करने के लिए दबाव होता है। बवासीर के कारण मल त्याग करते समय खून आना और दर्द जैसी कठिनाइयां होती हैं।
कब्ज की समस्या के कई कारक हो सकते हैं जैसे रेशा (फाइबर) युक्त भोजन की कमी, लंबे समय से कुछ दवाओं का सेवन, किसी बीमारी के कारण, काम पानी पीना और शारीरिक व्यायाम न करना आदि।
पेट फूलने का एहसास, पेट में अधिक गैस बनना, कई दिनों तक मल ना होना, मुंह में छाले पड़ना, मल करने के दौरान ताकत लगना, जी मचलाना और उलटी आना आदि कब्ज़ के आम लक्षण हैं। अधिक गंभीर स्थिति में मल के साथ खून भी आ सकता है।
जीवनशैली में सुधार, स्वस्थ भोजन, रोजाना व्यायाम आदि कब्ज से छुटकारा दिला सकते हैं। इनके अतिरिक्त यदि कब्ज़ किसी अंदरूनी बीमारी के कारण से है तो उसका इलाज करना कब्ज़ को हमेशा के लिए ठीक करने में मदद कर सकता है।
कब्ज (constipation in hindi meaning) की समस्या से व्यक्ति की रोजाना दिनचर्या पर बुरा प्रभाव पड़ता है। खाने की इच्छा भी कम हो जाती है और व्यक्ति ऊर्जा में कमी महसूस करता है ।
अगर आप कब्ज का सही समय पर इलाज नहीं कराते हैं, तो ये आपको बीमार महसूस करा सकती है।
कब्ज का सही समय पर इलाज न हो, तो गंभीर कब्ज (chronic constipation meaning in hindi) हो सकता है। लंबे समय पर मल त्याग न होने पर गंभीर कब्ज हो जाता है, जो भविष्य में कई जटिलताएं पैदा करता है।
कब्ज होने पर मसालेदार भोजन, दूध से बने पदार्थो, शराब, बाहर का खाना , प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, उच्च वसा वाले मांस (हाय फैट मीट), मिठाइयां, अंडा आदि से दूरी बना लेनी चाहिए।
अगर आप खाने में सफेद चावल का अधिक सेवन करेंगे तो कब्ज़ की समस्या बढ़ सकती है।
कब्ज की समस्या में फाइबर युक्त भोजन के साथ ही आप ओवर-द-काउंटर रेचक दवाएं (लेक्जेटिव्स) का इस्तेमाल कर सकते हैं।
घरेलू उपाय जैसे कि फाइबर युक्त भोजन, पानी का अधिक सेवन, व्यायाम आदि गैस और कब्ज का रामबाण इलाज है।
कब्ज (constipation in hindi meaning) के लिए आयुर्वेदिक औषधियों में त्रिफला चूर्ण को अच्छा माना जाता है। साथ ही दशमूल क्वाथ, वैश्वनार चूर्ण, हिंगु त्रिगुणा तेल आदि का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। सही इलाज के लिए कृपया किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें।
कब्ज (constipation in hindi meaning) दूर करने के लिए पपीते का सेवन लाभकारी होता है। साथ ही अंगूर, नाशपाती, सेब आदि भी कब्ज दूर करते हैं।
पेट साफ करने के लिए त्रिफला चूर्ण लाभकारी माना जाता है। लेकिन कोई भी दवाई हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही लें।
अगर आपको चूर्ण लेने के बाद समस्या हो रही है, तो चूर्ण का सेवन बंद कर दें। स्तनपान और गर्भावस्था में त्रिफला चूर्ण का सेवन नहीं करना चाहिए। सही इलाज के लिए कृपया किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें।
Last Updated on: 10 February 2024
MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES
12 Years Experience
Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More
BSc. Biotechnology I MDU and MSc in Medical Biochemistry (HIMSR, Jamia Hamdard)
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