हेक्साहेल्थ सुविधायें
विश्वस्त डॉक्टर और सर्वोच्च अस्पताल
विशेषज्ञ सर्जन के साथ परामर्श
आपके उपचार के दौरान व्यापक सहायता
Table of Contents
Book Consultation
बाइल डक्ट कैंसर रोग दक्षिण एशिया की जनसंख्या में अधिक देखा जा सकता है। आमतौर पर यह किसी लिवर फ्लूक इन्फेक्शन के कारण कम आयु में ही हो सकती है लेकिन सामान्यतः अधिक उम्र ( लगभग ६९ से ७० वर्ष ) वाले लोगों में देखा जाता है।
बाइल डक्ट कैंसर मूलतः डीएनए में हुए बदलाव के कारण शुरू होता है। पित्त वाहिनी कैंसर के लक्षण दिखने में भी समय लगता है। पथरी, लिवर फ्लूक संक्रमण, डाइबिटीज आदि मरीजों में बाइल डक्ट कैंसर होने का जोखिम अधिक रहता है। बाइल डक्ट कैंसर के उपचार के लिए कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी जैसे विकल्प उपलब्ध हैं।
रोग का नाम | बाइल डक्ट (पित्त वाहिनी) कैंसर |
विकल्प नाम |
कोलांजियोकार्सिनोमा |
लक्षण |
आंखों और त्वचा में पीलापन (पीलिया) ,त्वचा में खुजली, मल का रंग हल्का, पेशाब का रंग गहरा, पेट में दर्द, भूख में कमी
|
कारण | ओन्कोजीन, ट्यूमर सप्रेसर जीन |
निदान |
लिवर फंक्शन टेस्ट, ट्यूमर मार्कर टेस्ट, ईआरसीपी, इमेजिंग टेस्ट, बाइल डक्ट बायोप्सी |
इलाज कौन करता है |
ऑन्कोलॉजिस्ट |
उपचार के विकल्प | सर्जरी, लिवर ट्रांसप्लांट, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी |
पित्त वाहिकाएं एक श्रृंखला में होती हैं जो लिवर से होते हुए छोटी आंत तक जाती हैं। पित्त की नलिकाओं की मदद से लिवर में बनने वाला पित्त, पित्ताशय में इकट्ठा होता है और अंततः छोटी आंत में प्रवेश करता है।
कुछ कारणों से जब पित्त की किसी भी नलिका में कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विकसित होने लगती हैं और ट्यूमर का रूप ले लेती हैं तो यह कैंसर की शुरुआत होती है। पित्त वाहिनी कैंसर को कोलांजियोकार्सिनोमा भी कहा जाता है। पित्त वाहिनी कैंसर की शुरुआत किसी भी पित्त नलिका में हो सकता है।
कैंसर की शुरुआत किसी भी पित्त वाहिका से हो सकती है। कैंसर की शुरुआत के आधार पर बाइल डक्ट कैंसर मुख्य रूप से ३ प्रकार के हो सकते हैं जो निम्नलिखित हैं:
पित्त की नलिका में कैंसर होने पर कुछ लक्षणों का अनुभव हो सकता है जिससे बाइल डक्ट कैंसर की आशंका जताई जा सकती है। निम्नलिखित लक्षणों के दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:
विशेषज्ञ डॉक्टर (10)
एनएबीएच मान्यता प्राप्त अस्पताल (10)
पित्त वाहिनी कैंसर होने के पीछे का मुख्य कारण डीएनए में हुए बदलाव होते हैं जो कोशिकाओं को अनियंत्रित रूप से बढ़ने के निर्देश देते हैं। मुख्य रूप से निम्नलिखित जीन के कारण बाइल डक्ट कैंसर हो सकता है:
बाइल डक्ट कैंसर कुछ कारणों से किसी को भी हो सकता है लेकिन कुछ विशिष्ट लोगों में बाइल डक्ट कैंसर होने का जोखिम अधिक रहता है। निम्नलिखित लोगों को पित्त वाहिनी कैंसर का जोखिम हो सकता हैं:
आमतौर पर पारिवारिक इतिहास, उम्र और पित्त वाहिकाओं में हुई म्यूटेशन के कारण होने वाले बाइल डक्ट कैंसर के जोखिम को कम नहीं किया जा सकता है । हालांकि बाइल डक्ट कैंसर के अन्य जोखिम को कम करने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखा जा सकता है:
पित्त वाहिनी कैंसर के निदान में कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं जिनसे बाइल डक्ट कैंसर का पता लगाया जाता है। मुख्य रूप से ४ तरह के जांच करने से बाइल डक्ट कैंसर की पुष्टि की जा सकती है जो निम्नलिखित हैं:
पित्त की वाहिकाओं में कैंसर होने पर कई तरह के उपचार के विकल्प होते हैं जिसमे सर्जरी भी शामिल है। कुछ विशेष प्रकार की थेरेपी के इस्तेमाल से भी पित्त वाहिनी कैंसर का इलाज किया जा सकता है। बाइल डक्ट कैंसर के उपचार विकल्प कुछ इस प्रकार हैं:
पित्त वाहिनी कैंसर के कारण जब पित्त वाहिनी में ब्लॉकेज हो जाता है तो कई जटिलताएं देखी जा सकती हैं। कुछ मुख्य जटिलताएं इस प्रकार हैं:
बाइल डक्ट कैंसर का उपचार सही समय पर न होने पर यह तेजी से बढ़ सकता है जिससे मरीज की स्थिति अधिक गंभीर होने लगती है। उपचार में देरी करने पर निम्नलिखित स्थितियां देखी जा सकती हैं:
कुछ लक्षणों के दिखने पर नजरंदाज करने के बजाय डॉक्टर के पास जाना चाहिए। ऐसा करने से यह फायदा होता है कि अगर बाइल डक्ट कैंसर होता है तो इसका पता सही समय पर लग जाता है। सही समय पर पता लगने से इसका उपचार थोड़ा आसान हो सकता है। अगर निम्न लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर के पास जाने में देर नहीं करनी चाहिए:
आमतौर पर पित्त वाहिनी कैंसर के बारे में आम लोगों को गलत जानकारी या सुनी सुनाई बातें पता होती हैं जिनका वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं होता है। इसी तरह कुछ मिथक और उनकी सच्चाई इस प्रकार है:
अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार पित्त नली में कैंसर होने का कोई सटीक कारण अभी तक ज्ञात नही है लेकिन पित्त की नली में सूजन और जलन होने से कैंसर की शुरुआत हो सकती है। सूजन होने से वहां की कोशिकाओं के डीएनए में बदलाव होता है जिससे कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विकसित होने लगती हैं। पित्त की नली में जलन और सूजन कई कारणों से होता है जैसे पित्त की नली में पथरी, संक्रमण इत्यादि। पित्त की नली का कैंसर अनुवांशिक भी हो सकता है।
पित्त की नली में होने वाले कैंसर को कोलेंजियोकार्सिनोमा के नाम से भी जाना जाता है।
पित्त की नली में होने वाला कैंसर मुख्य रूप से २ प्रकार का होता है। दोनो प्रकार निम्नलिखित हैं:
शराब पीने से लिवर काफी डैमेज होने लगता है और अंततः लिवर सिरोसिस जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। शराब पीने से अंतर्गर्भाशयी पित्त नली का कैंसर (इंट्राहेपेटिक बाइल डक्ट कैंसर) होने का जोखिम अधिक रहता है।
पित्त नली के कैंसर के अंतिम चरण में कैंसर अन्य अंगों में भी फैल चुका होता है जैसे लिवर, फेफड़े और पेट में मौजूद कई अंगों में फैल जाता है। ऐसी स्थिति में सर्जरी से भी इस कैंसर को पूरी तरह नही निकाला जा सकता है।
जब पित्त की थैली की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विकसित होने लगती हैं तो यह ट्यूमर का रूप लेने लगती हैं। यह ट्यूमर पित्ताशय के बाहर भी फैलने लगता है। कोशिकाओं के अनियंत्रित रूप से बढ़ने के पीछे डीएनए में हुए बदलाव होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं को निर्देश देते हैं।
पित्त की नली में रुकावट होने से लिवर में बनने वाला पित्त, पित्ताशय तक नही पहुंच पाता है जिससे यह लिवर में ही रह जाता है। पित्त के कारण खून में बिलरूबिन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे पीलिया ( आंख और त्वचा में पीलापन ) हो जाता है। पित्त की नली में रुकावट के कारण इसमें इन्फेक्शन भी हो सकता है।
पित्त की थैली ( गॉलब्लेडर ) न होने से लिवर में बनने वाला रसायन जिसे पित्त कहते हैं वह सीधे छोटी आंत में पहुंचता है। लिवर द्वारा बनाया गया पित्त अब इकट्ठा नही हो पाता है जिससे यह अधिक वसा को पचाने में असफल रहता है। अगर कम वसा वाले भोजन का सेवन किया जाए तो पित्त की थैली न रहने से स्वास्थ्य पर विशेष असर नहीं पड़ता है।
कैंसर की गांठ का पता लगाने के लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं। लैब टेस्ट से रक्त में किसी पदार्थ का कम या ज्यादा होना कैंसर का संकेत हो सकता है। इमेजिंग टेस्ट से कैंसरस ट्यूमर के आकार का पता लग जाता है। कैंसर की सटीक जानकारी के लिए बायोप्सी एक बेहतर विकल्प होता है।
पित्त की नली में समस्या होने पर निम्न लक्षण दिख सकते हैं:
पित्त नली के कैंसर का अंतिम चरण गंभीर और जानलेवा होता है। अंतिम चरण में कैंसर कोशिकाएं अन्य अंगों में फैल चुकी होती हैं जिसे सर्जरी द्वारा भी ठीक करना काफी मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में रोगी को तेज खुजली, थकान, पीलिया, अचानक वजन घटने जैसी समस्याएं होती हैं।
लिवर द्वारा अधिक कोलेस्ट्राल निष्कासित करने पर पित्त इसे पचा नहीं पाता है जिससे यह पत्थर का रूप लेने लगता है और कोलेस्ट्रॉल का जमाव होने पर धीरे - धीरे बड़ा होने लगता है। यह पथरी जब पित्त की नली में जाकर फंस जाती है तो तेज दर्द होता है।
Last Updated on: 1 December 2022
MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES
12 Years Experience
Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More
B.Tech Biotechnology (Bansal Institute of Engineering and Technology, Lucknow)
2 Years Experience
An ardent reader, graduated in B.Tech Biotechnology. She was previously associated with medical sciences secondary research and writing. With a keen interest and curiosity-driven approach, she has been able to cont...View More
Book Consultation
Latest Health Articles