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अगर अचानक से आपके पेट में दर्द होने लगे और वो दर्द बढ़ता ही जाए तो यह अपेंडिक्स की बीमारी का संकेत हो सकता है। तीव्र अपेंडिसाइटिस पेट की आपातकाल सर्जरी का सबसे आम कारण है। जनसंख्या का लगभग ६%
अपने जीवन काल के दौरान तीव्र अपेंडिसाइटिस से पीड़ित होते हैं।
इसका ऑपरेशन जल्द से जल्द करना होता है अन्यथा इसकी जटिलताएं लगातार बढ़ती जाती हैं। हालांकि कुछ मामलों में तुरंत ऑपरेशन कराने की नौबत नहीं आती है। अपेंडिसाइटिस के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को पढ़ें।
हिंदी में अपेंडिक्स का अर्थ परिशिष्ट होता है। यह एक अंगुली के आकार का ट्यूब जैसा थैली होता है जो बड़ी आंत के दाहिनी ओर सबसे आखिरी हिस्से से जुड़ा होता है।
जब इसमें किसी वजह से संक्रमण और सूजन हो जाता है तो इसे अपेंडिसाइटिस कहा जाता है।इस बीमारी को पुरुषों में अधिक देखा जाता है। लगभग ८.६% पुरुषों में और ६.७% महिलाओं में अपेंडिसाइटिस की समस्या देखी गई है।
कुछ मामलों में अपेंडिसाइटिस लंबे समय तक रहता है तो वहीं कुछ मामलों में इसका आपातकालीन ऑपरेशन करना पड़ सकता है।
अपेंडिक्स की बीमारी कितने समय तक चलती है;इस आधार पर अपेंडिसाइटिस के २ निम्न प्रकार हो सकते हैं:
एक्यूट अपेंडिसाइटिस - आमतौर पर लगभग सभी मामले एक्यूट अपेंडिसाइटिस के होते हैं। एक्यूट अपेंडिसाइटिस का मतलब होता है कि अपेंडिक्स में अचानक से लक्षण दिखने शुरू होते हैं।
यह कम समय में ही गंभीर हो जाता है।
क्रॉनिक अपेंडिसाइटिस - यह प्रकार बहुत कम मामलों में देखने को मिलता है। क्रॉनिक अपेंडिसाइटिस का मतलब है कि यह लंबे समय से चली आ रही है।
ऐसा भी हो सकता है कि मरीज को यह समस्या हो लेकिन उसे पता न हो क्योंकि इसके लक्षण बहुत हल्के होते हैं।
अपेंडिक्स के दर्द की जगहनाभि के बगल में होती है लेकिन इसकी शुरुआत पेट के बीच से होती है। यह दर्द रुक - रुककर होता रहता है।
अंत में नाभि के दाहिनी ओर तेज दर्द होता है और इसके साथ ही मतली और उल्टी होती है। इसके अलावा कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
पेट में दर्द - अपेंडिसाइटिस होने पर पेट के दाहिने भाग में तेज या कम दर्द हो सकता है।
मतली आना - रोगी को उल्टी जैसा महसूस हो सकता है।
भूख नही लगना - अपेंडिसाइटिस में भूख लगना भी कम हो जाता है।
बुखार आना - अपेंडिक्स में हुए संक्रमण को रोकने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र शरीर का तापमान बढ़ा देता है जिससे बुखार हो सकता है।
पेट फूला हुआ लगना - यदि पेट में सूजन या पेट फूला हुआ महसूस हो तो यह अपेंडिक्स फटने का संकेत भी ही सकता है।
मूत्र प्रणाली - अपेंडिसाइटिस होने पर बार - बार पेशाब करने की इच्छा हो सकती है।
आंत में लकवा - जब खून का बहाव आंतों से अपेंडिक्स में होने लगता है तो आंतों की गति रुक जाती है।
कब्ज़ - आंतों के रुक जाने से रोगी को कब्ज और गैस न पास होने की समस्या हो सकती है।
डायरिया - कुछ रोगियों में डायरिया की भी समस्या हो सकती है।
आमतौर पर देखा जाए तो क्रॉनिक अपेंडिसाइटिस में गंभीर लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। इसलिए रोगी को अक्सर इसके बारे में पता नही चल पाता है।
इसके अलावा कई और बीमारियां होती हैं जिनके लक्षण भी अपेंडिसाइटिस के लक्षण जैसे महसूस हो सकते हैं।
खासकर महिलाओं में अपेंडिक्स के लक्षण कुछ अन्य बीमारियों के लक्षण से मेल खा सकते हैं जैसे:
मूत्र प्रणाली तंत्र - अगर मूत्र प्रणाली तंत्र से जुड़ी कोई बीमारी है जैसे किडनी में पथरी, मूत्रवाहिका में संक्रमण,इत्यादि तो यह अपेंडिसाइटिस के लक्षणों से मेल खा सकता है।
महिला प्रजनन तंत्र -अगर महिला के प्रजनन अंगों से संबंधित कोई बीमारी है जैसे अंडाशयमें सिस्ट, एंडोमेट्रियोसिस,आदि तो यह अपेंडिसाइटिस के लक्षणों जैसा महसूस हो सकता है।
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अपेंडिसाइटिस तब होता है जब आपके अपेंडिक्स का अंदरूनी भाग अवरुद्ध हो जाता है। इसके अलावा अपेंडिक्स के आकार पर भी ये निर्भर करता है कि इसकी समस्या हो सकती है या नही। कुछ प्रमुख कारण निम्न हैं:
संक्रमण और सूजन होना - अपेंडिक्स बड़ी आंत से जुड़ा होता है और बड़ी आंत में कई तरह के परजीवी होते हैं जो इसमें जाकर संक्रमण और सूजन का कारण बनते हैं।
अन्य बीमारियां - कोलाइटिस और सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी बीमारियों के कारण भी अपेंडिसाइटिस के मामले देखने को मिलते हैं।
अपेंडिक्स में ब्लॉकेज आना - किसी तरह के ब्लॉकेज जैसे कठोर मल या पथरी के ब्लॉकेज से अपेंडिक्स में संक्रमण शुरू हो सकता है।
कई अध्ययनों ने जटिल एपेंडिसाइटिस, इसके योगदान कारकों, जोखिम वाले रोगियों और स्वास्थ्य देखभाल संसाधन उपयोग पर इसके प्रभाव का मूल्यांकन करने का प्रयास किया है। इसकेकुछ मुख्य जोखिम कारक इस प्रकार हैं:
परजीवी - बड़ी आंत में कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं। यदि अपेंडिक्स में बैक्टीरिया जाकर अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं तो इससे अपेंडिसाइटिस हो सकता है।
लिंफोइड हाइपरप्लेजिया - जब प्रतिरक्षा तंत्र का भाग द्वारा अपेंडिक्स में सफेद रक्त कणिकाएं छोड़ी जाती हैं तो इससे अपेंडिक्स में मौजूद लिंफोइड ऊतकों में सूजन आ जाता है।
इस वजह से अपेंडिक्स के अंदर संक्रमण बढ़ने लगता है।
ट्यूमर - अपेंडिक्स में ट्यूमर हो जाने के कारण भी इसमें ब्लॉकेज आ सकता है जिससे अपेंडिसाइटिस हो सकता है।
कठोर शौच या अपेंडिक्स की पथरी - जब मल में कठोरता होती है तो यह अपेंडिक्स के द्वार को बंद कर सकता है।
इसी तरह अपेंडिक्स की पथरी भी वहां फंस जाती है जिससे अपेंडिक्स के अंदर संक्रमण बढ़ने लगता है और अपेंडिसाइटिस हो जाता है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस - यह एक आनुवांशिक बीमारी है जिसमे शरीर के अंगों में बलगम बनने लगता है।
यदि अपेंडिक्स में बलगम आ जाता है तो इससे अपेंडिक्स का द्वार बंद हो जाता है और संक्रमण तेजी से फैलता है।
कोलाइटिस - कोलन में संक्रमण और सूजन होने की वजह से अपेंडिक्स में भी संक्रमण और सूजन होने की संभावना रहती है।
इस तरह कोलाइटिस के कारण भी अपेंडिसाइटिस हो सकता है।
आनुवंशिक - कुछ मामलों में यदि अपेंडिसाइटिस होने का पारिवारिक इतिहास रहा है तो अगली पीढ़ी में भी इसे देखा जा सकता है।
अपेंडिसाइटिस एक ऐसी बीमारी है जो किसी को भी हो सकती है। इससे बचने के आमतौर पर निश्चित उपाय नहीं हैं। लेकिन निम्न उपायों से अपेंडिसाइटिस होने का जोखिम कम हो सकता है:
फाइबरयुक्त भोजन - आमतौर पर ये देखा गया है कि कम फाइबर लेने से अपेंडिसाइटिस का जोखिम रहता है।
इसलिए अपने आहार में उचित फाइबर वाले खाद्य पदार्थों को जरूर शामिल करना चाहिए।
बीजवाले खाद्य पदार्थ - दुर्लभ मामलों में ऐसा पाया गया कि जो बीज ठीक से नही पच पाते हैं वो अपेंडिक्स में जाकर फँस सकते हैं।
इसलिए बीज वाले खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में करें।
टूथब्रश को बदलते रहना - टूथब्रश में जो ब्रिसल (दांत साफ करने वाला भाग) होते हैं, इन्हें निगलने से भी अपेंडिसाइटिस का खतरा होता है। जब टूथब्रश पुराना हो जाता है तो इसके ब्रिसल जल्दी टूटते हैं।
इसलिए अपने टूथब्रश को समय - समय पर बदलते रहें।
अपेंडिसाइटिस के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी के चिकित्सीय इतिहास के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही रोगी से लक्षणों के बारे में पूछते हैं और निम्न जांच करते हैं:
शारीरिक परीक्षण - अपेंडिसाइटिस के संदेह को पुख्ता करने के लिए डॉक्टर कुछ शारीरिक परीक्षण करते हैं जैसे पेट को हल्का सा दबाते हैं और दर्द, सूजन, इत्यादि का अनुमान लगाते हैं।
खून की जांच - इस जांच में सफेद रक्त कणिकाओं की मात्रा जाँची जाती है। इसके अलावा सी रिएक्टिव प्रोटीन ब्लड टेस्ट भी किया जाता है। इससे संक्रमण और सूजन का स्तर पता लगाया जा सकता है।
इसके अलावा पेशाब की जांच और महिलाओं में प्रेगनेंसी टेस्ट भी किया जाता है।
इमेजिंग टेस्ट - कुछ इमेजिंग टेस्ट जैसे अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन करने की सलाह देते हैं। अक्सर इमेजिंग टेस्ट करने से अपेंडिक्स में सूजन और संक्रमण का पता लग जाता है।
वैसे तो अपेंडिसाइटिस के मामले गंभीर होते हैं और जल्द से जल्द अपेंडिसाइटिस का ऑपरेशन कर दिया जाता है। लेकिन कुछ मामलों में अपेंडिसाइटिस के लक्षण हल्के हो जाते हैं खासकर क्रॉनिक अपेंडिसाइटिस के मामले में।
ऐसे में डॉक्टर से परामर्श लेने की तैयारी इस प्रकार की जा सकती है:
लक्षणों की लिस्ट तैयार करें
डॉक्टर के पास जाते समय साथ में घर के किसी सदस्य को लेकर जाएं।
डॉक्टर को अपनी अन्य बीमारियों के बारे में भी बताएं।
डॉक्टर आपकी स्थिति को बेहतर समझना चाहते हैं इसलिए वो संबंधित प्रश्न पूछते हैं। डॉक्टर से आप निम्न उम्मीद रख सकते हैं:
डॉक्टर आपके मेडिकल इतिहास के बारे में पूछेंगे।
डॉक्टर शारीरिक परीक्षण करेंगे जैसे स्टेथेस्कोप की मदद से पेट की आवाजें सुनेंगे।
अंत में डॉक्टर कुछ जांच करवाने के लिए कहेंगे जैसे अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एमआरआइ।
मरीज की हालत आमतौर पर गंभीर होती है लेकिन आराम मिलने पर वह डॉक्टर से निम्न सवाल कर सकता है:
क्या मुझे अपेंडिसाइटिस की समस्या है?
क्या मुझे ऑपरेशन की जरूरत पड़ेगी?
अपेंडिसाइटस के ऑपरेशन में क्या होता है?
अपेंडिसाइटिस ऑपरेशन कितने प्रकार के होते हैं?
अगर अपेंडिक्स निकल गया तो मुझे भविष्य में कोई समस्या तो नही होगी?
अपेंडिसाइटिस के ऑपरेशन का खर्च कितना होता है?
ऑपरेशन के लिए मुझे कितने समय तक हॉस्पिटल में रहना होगा?
अपेंडिसाइटिस के इलाज में आमतौर पर ऑपरेशन ही किया जाता है क्योंकि इससे समस्या पूरी तरह ठीक हो जाती है और भविष्य में अपेंडिसाइटिस का जोखिम खत्म हो जाता है।
बिना ऑपरेशन किए भी अपेंडिसाइटिस के लक्षणों में कमी लाई जा सकती है। कुछ मामलों में नॉन सर्जिकल तरीकों का इस्तेमाल करके इसे ठीक भी किया जा सकता है। अपेंडिसाइटिस में निम्न पद्धतियों से इलाज किया जा सकता है।
सुश्रुता संहिता में रक्तमोक्षण (जोंक द्वारा खून को चूसना) करने का संकेत मिलता है लेकिन अभी इस पर अधिक शोध और अध्ययन की आवश्यकता है।
एपेंडिसाइटिस, एक ऐसी स्थिति जिसमें अक्सर सर्जरी की आवश्यकता होती है, को चयनित होम्योपैथिक दवाओं से भी प्रबंधित किया जा सकता है जो इसकी पुनरावृत्ति को रोकने में मदद करती हैं।
ब्रायोनिया अल्बा 1X - यह तीव्र एपेंडिसाइटिस के लिए शीर्ष विकल्प है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब दर्द हिलने-डुलने पर बढ़ जाता है, लेकिन दर्द वाली तरफ लेटने पर या दबाव डालने पर दर्द में सुधार होता है।
निचले दाहिने पेट में कोमलता मौजूद होती है, और रोगी शांति पसंद करता है। बड़ी मात्रा में ठंडे पानी की प्यास एक उल्लेखनीय विशेषता है।
आईरिस टेनैक्स 1X - यह उपाय अन्य उपचारों के लिए स्पष्ट संकेत के बिना तीव्र एपेंडिसाइटिस के लिए उपयुक्त है। इसमें पेट के निचले दाहिने हिस्से में भयानक दर्द, दबाव के प्रति अत्यधिक कोमलता और पेट में भारीपन महसूस होना शामिल है।
सल्फर 1000 - यह दवा रुक-रुक कर दी जाती है, यह पूरी तरह ठीक होने में सहायता करती है।
बेलाडोना 200 - इसे तीव्र एपेंडिसाइटिस के लिए सबसे अच्छी दवाओं में से एक माना जाता है। जब आइरिस टेनैक्स काम नहीं करता है, तो बेलाडोना का उपयोग किया जा सकता है। इसमें पेट के निचले दाहिने हिस्से में तेज दर्द होता है जो अचानक हिलने-डुलने से बढ़ जाता है।
घुटनों को ऊपर उठाकर पीठ के बल लेटने पर रोगी को बेहतर महसूस होता है। तेज सिरदर्द, उल्टी और बिना पसीना आए बुखार हो सकता है।
बैप्टिसिया टिक्टोरिया सीएम - तीव्र एपेंडिसाइटिस के शुरुआती चरणों में उपयोग किए जाने पर यह कुछ मामलों में सर्जरी को संभावित रूप से रोकने में प्रभावी होता है।
लाइकोपोडियम क्लैवाटम 1000 - न केवल तीव्र दर्द को कम करता है बल्कि भविष्य के हमलों को रोकने में भी मदद कर सकता है। हर दो सप्ताह में प्रशासन करें.
प्लंबम मेटालिकम 30 - प्रमुख उल्टी और स्पर्श या गति से तीव्र दर्द वाले मामलों के लिए उपयुक्त।
कृपया याद रखें, किसी भी उपचार को आजमाने से पहले स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, खासकर एपेंडिसाइटिस जैसे मामलों में।
दवाइयों में एंटीबायोटिक और दर्द निवारक दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है। यदि एंटीबायोटिक और दर्द निवारक दवाइयों से मरीज को आराम मिल जाता है और अपेंडिसाइटिस ठीक हो जाता है तो ऑपरेशन कराने की जरूरत नही पड़ती है।
लेकिन अपेंडिसाइटिस होने की संभावना दोबारा भी रहती है, इसलिए ज्यादातर मामलों में डॉक्टर ऑपरेशन करवाने की सलाह देते हैं।
सर्जिकल उपचार
अगर निदान होने पर अपेंडिसाइटिस की पुष्टि हो जाती है तो अक्सर डॉक्टर २४ घंटे के भीतर ऑपरेशन करवाने की सलाह देते हैं। ऑपरेशन करने से पहले मरीज को एनेस्थीसिया दी जाती है जिससे ऑपरेशन के समय मरीज को होश नही रहता है।
अपेंडिसाइटिस के ऑपरेशन को अपेंडेक्टोमी कहा जाता है, इसमें दो विधियां इस्तेमाल की जाती हैं जो इस प्रकार हैं:
लैप्रोस्कोपिक अपेंडेक्टोमी: इस विधि से पेट में एक छोटा सा चीरा लगाया जाता है। इस छेद से लैप्रोस्कोप पेट के अंदर डाला जाता है। लैप्रोस्कोप एक छोटा सा यंत्र होता जिसमे कैमरा और टॉर्च लगा होता है।
इससे सर्जन को पेट के अंदर की चीजें टीवी स्क्रीन पर दिखती हैं और इसकी मदद से ऑपरेशन हो जाता है।
ओपेन अपेंडेक्टोमी: इस विधि में सर्जन को एक बड़ा सा चीरा लगाना पड़ता है। इसके बाद अपेंडिक्स को काटकर निकाल दिया जाता है।
अपेंडिसाइटिस के ऑपरेशन में जो भी खर्च होता है वो मुख्य रूप से शहर और हॉस्पिटल पर निर्भर करता है। इसके अलावा
अपेंडिसाइटिस के ऑपरेशन की कीमत कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे:
शहर: अलग - अलग शहरों में अपेंडिसाइटिस के ऑपरेशन का खर्च कम या ज्यादा हो सकता है। प्रायः बड़े शहरों में ऑपरेशन का खर्च अधिक आता है और छोटे शहरों में कम खर्च आता है।
हॉस्पिटल - हॉस्पिटल के प्रसिद्धि और सुविधाओं पर निर्भर करता है कि हॉस्पिटल का खर्च कितना आ सकता है।
ऑपरेशन का प्रकार - अगर ओपन सर्जरी होती है तो औसतन खर्च अधिक आ सकता है लेकिन यदि लैप्रोस्कोपिक विधि से ऑपरेशन किया जाता है तो औसतन खर्च ४ से ५ हजार कम आ सकता है।
मरीज की उम्र और स्थिति - अपेंडिसाइटिस का खर्च मरीज के उम्र और स्वास्थ्य स्थिति पर भी निर्भर करता है।
सर्जरी का प्रकार | खर्च |
लेप्रोस्कोपिक एपेंडेक्टोमी | ₹ ८०,००० - ₹ १,४०,००० |
ओपन एपेंडेक्टोमी सर्जरी | ₹ ५०,००० - ₹ १,१०,००० |
ज्यादातर मामलों में अपेंडिसाइटिस एक आपातकालीन स्थिति होती है। उपचार में देरी होने पर अपेंडिसाइटिस की जटिलताएं बढ़ सकती हैं जैसे:
लक्षणों का गम्भीर होना - तेज बुखार, पेट दर्द और बार - बार उल्टी हो सकती है।
अपेंडिक्स बर्स्ट - यदि मरीज को अपेंडिसाइटिस के लक्षण दिखने शुरू हो गए हैं तो इसके ३६ घंटे बाद अपेंडिक्स के फटने का खतरा रहता है।
गम्भीर चिकित्सीय स्थिति -उचित समय पर इलाज न मिलने से जटिलता और बढ़ सकती है। ऐसे में नेक्रोसिस और सेप्सिस जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।
वैसे तो अपेंडिक्स का दर्द हमेशा एक आपातकालीन स्थिति होती है क्योंकि लक्षण दिखने के ३६ घंटे के भीतर अपेंडिक्स फट सकता है।
अगर निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे तो तुरंत नजदीकी हॉस्पिटल में संपर्क करना चाहिए:
पेट दर्द - नाभि के बगल में दाहिनी ओर तेज दर्द हो सकता है। यह दर्द लगातार बढ़ता ही जा रहा हो।
बुखार और मतली - पेट दर्द के साथ - साथ मतली और बुखार की समस्या हो।
पेट की संवेदनशीलता बढ़ना - यदि पेट पहले की तुलना में कोमल हो गया हो। इसके साथ यदि पेट को छूने पर महसूस करने की क्षमता में बढ़ोत्तरी हुई हो।
एपेंडिसाइटिस से निपटने के दौरान, अपने आहार पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपकी रिकवरी को प्रभावित कर सकता है।
यहां कुछ आहार संबंधी सुझाव दिए गए हैं जो असुविधा को कम करने और उपचार को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं:
साफ़ तरल पदार्थ - पानी, साफ़ शोरबा और हर्बल चाय जैसे साफ़ तरल पदार्थ निर्जलीकरण को रोक सकते हैं और पाचन में सहायता कर सकते हैं।
कम फाइबर वाले खाद्य पदार्थ - प्रारंभ में, पाचन को आसान बनाने के लिए सादे चावल, अच्छी तरह से पका हुआ पास्ता और कम वसा वाले प्रोटीन जैसे कम फाइबर वाले विकल्प चुनें।
पकी हुई सब्जियाँ - नरम, पकी हुई सब्जियाँ जैसे गाजर और तोरी आपके पाचन तंत्र पर दबाव डाले बिना पोषक तत्व प्रदान कर सकती हैं।
लीन प्रोटीन - त्वचा रहित पोल्ट्री, मछली और टोफू प्रोटीन के स्रोत हैं जो पेट के लिए कोमल होते हैं।
स्वस्थ वसा - एवोकैडो जैसे स्वस्थ वसा वाले खाद्य पदार्थों को शामिल करें, जो आपके पाचन तंत्र पर भार डाले बिना ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं।
मसाले और चिकना भोजन से बचें - मसालेदार और चिकना भोजन असुविधा पैदा कर सकता है, इसलिए शुरुआत में उनसे बचना सबसे अच्छा है।
अपेंडिक्स में होने वाले संक्रमण, सूजन और जलन की स्थिति को अपेंडिसाइटिस कहते हैं। अपेंडिसाइटिस के लक्षण जैसे पेट में तेज दर्द, उल्टी और बुखार होने पर तुरंत नजदीकी हॉस्पिटल में भर्ती होना चाहिए। क्योंकि अपेंडिसाइटिस का सही समय पर इलाज न होने पर यह घातक बन सकता है।
किसी भी तरह की सर्जरी को सुविधाजनक बनाना HexaHealth की विशेषता है। अपेंडिसाइटिस जैसीगंभीर समस्याओं के लिए हमारे पास अनुभवी डॉक्टरहैं जो आपके प्रश्नों का जबाव तो देंगे ही साथ में आपको ऑपरेशन से जुड़ी सलाह भी देंगे। आप इसके लिए भी निश्चिंत रह सकते हैं कि यहां पर आपको सही और शोध की हुई जानकारी मिलेगी।
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अपेंडिसाइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमे मरीज के अपेंडिक्स में संक्रमण, सूजन और जलन होता है। यह एक आपातकालीन स्थिति है|
अपेंडिसाइटिस का हिंदी अनुवाद आंत्रपुच्छकोप, उंडुकशोथ या उंडुकदाह होता है। अपेंडिसाइटिस का मतलब होता है अपेंडिक्स में संक्रमण,सूजन और जलन होना।
अपेंडिसाइटिस के निम्न लक्षण हो सकते हैं:
पेट दर्द
बुखार
मतली और उल्टी होना
कब्ज़
डायरिया
पेट फूला हुआ लगना
आंत में लकवा होना
अपेंडिसाइटिस में पेट के निचले हिस्से में नाभि के दाईं ओर होता है। शुरू में यह दर्द पेट के बीच में हल्की तीव्रता वाला होता है लेकिन समय के साथ यह नाभि के दाईं ओर तेज दर्द करता है।
एक्यूट अपेंडिसाइटिस के मामलों में दर्द लगातार बढ़ता रहता है। यह दर्द १२ से ४८ तक हो सकता है लेकिन डॉक्टर दर्द निवारक दवाएं दे देते हैं जिससे मरीज को आराम हो सकता है। इसके बावजूद भी अक्सर ३४ घंटे में अपेंडिक्स फटने की संभावना होती है।
इसलिए डॉक्टर २४ घंटे के भीतर अपेंडिसाइटिस का ऑपरेशन करवाने की सलाह देते हैं।
अपेंडिसाइटिस होने से अपेंडिक्स में सूजन और संक्रमण बढ़ने लगता है। इससे मरीज को पेट में तेज दर्द,बुखार,मतली,उल्टी,कब्ज और डायरिया होने लगता है।
अपेंडिसाइटिस के कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
अपेंडिक्स में परजीवियों का संक्रमण
अपेंडिक्स में ब्लॉकेज होना
आनुवांशिक कारण
अपेंडिसाइटिस के मुख्य रूप से २ प्रकार हैं:
एक्यूट अपेंडिसाइटिस: यह अक्सर आपातकालीन स्थिति वाला अपेंडिसाइटिस होता है। इसमें मरीज का अपेंडिक्स ३६ से ४८ घंटों में फट सकता है।
एक्यूट अपेंडिसाइटिस में डॉक्टर २४ घंटे के भीतर ऑपरेशन करवाने की सलाह देते हैं।
क्रॉनिक अपेंडिसाइटिस: यह लंबे समय तक रहने वाला अपेंडिसाइटिस होता है जिसके लक्षण आते - जाते रहते हैं।
इसमें तुरंत ऑपरेशन करवाने की जरूरत नही पड़ती है।
तीव्र यानी एक्यूट अपेंडिसाइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमे मरीज के अपेंडिक्स में संक्रमण और सूजन हो जाता है। इस वजह से मरीज को पेट में तेज दर्द, बुखार,मतली,उल्टी,इत्यादि लक्षणों का सामना करना पड़ता है।
एक्यूट अपेंडिसाइटिस के ज्यादातर मामलों में जल्द से जल्द ऑपरेशन करवाना पड़ता है।
अपेंडिसाइटिस का निदान निम्न जांचों से किया जाता है:
शारीरिक परीक्षण: डॉक्टर पेट को छूकर और स्टेथेस्कोप लगाकर शारीरिक परीक्षण करते हैं।
खून की जांच: इस जांच में सफेद रक्त कणिकाओं की मात्रा जाँची जाती है। इसके अलावा सी रिएक्टिव प्रोटीन ब्लड टेस्ट भी किया जाता है।
इसके अलावा पेशाब की जांच और महिलाओं में प्रेगनेंसी टेस्ट भी किया जाता है।
इमेजिंग टेस्ट: इस जांच में मरीज के अपेंडिक्स को देखा जाता है। इमेजिंग टेस्ट में कई तरह के जांच किए जा सकते हैं जैसे अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एमआरआइ।
इन जांचों से अपेंडिक्स में हुए सूजन का पता लगता है।
अपेंडिसाइटिस होने पर अल्ट्रासाउंड में अपेंडिक्स का आकार बढ़ा हुआ दिखता है। अपेंडिक्स का अधिकतम बाहरी व्यास ६ मिलीमीटर से अधिक होता है।
इसके अलावा अपेंडिक्स के अगल - बगल सफेद म्यूकस दिख सकता है जो संक्रमण के कारण होता है।
अपेंडिसाइटिस के लिए आप पेट रोग विशेषज्ञ और सर्जन से संपर्क कर सकते हैं।
अगर आप किसी पेट के डॉक्टर को नहीं जानते, तोह आप हॉस्पिटल की आपातकालीन डिपार्टमेंट मैं जा सकते हैं, और वहां सही डॉक्टर आपको सलाह देंगे|
कुछ मामलों में ऐसा हो सकता है कि एंटीबायोटिक और दर्द निवारक दवाओं से अपेंडिसाइटिस कुछ समय के लिए ठीक हो जाए।
लेकिन ऐसे मामलों में दोबारा से अपेंडिसाइटिस होने का खतरा रहता है, इसलिए सर्जन उसी समय ऑपरेशन करवाने की सलाह देते हैं।
अप्पनेदिक्स का अगर सिर्फ दवाइयों से इलाज करके छोड़ दिया जाये, तोह इसमें फिर से सूजन होने की शंका रहती है|
अपेंडिसाइटिस को पूरी तरह से ठीक करने के लिए सर्जरी ही एकमात्र विकल्प होता है क्योंकि सर्जरी ये सुनिश्चित करता है कि अपेंडिसाइटिस फिर से न हो।
अपेंडिसाइटिस के इलाज में मुख्य रूप से सर्जिकल और नॉन सर्जिकल तरीके होते है। नॉन सर्जिकल तरीके में एंटीबायोटिक और दर्द निवारक दवाइयां दी जाती हैं।
इसके अलावा सर्जिकल तरीके में दो तरह के ऑपरेशन किए जाते हैं जो निम्न हैं:
लैप्रोस्कोपिक विधि द्वारा अपेंडिसाइटिस का ऑपरेशन
ओपेन सर्जरी द्वारा अपेंडिसाइटिस का ऑपरेशन
अपेंडिसाइटिस के इलाज में मुख्य रूप से कुछ एंटीबायोटिक दवाइयों का इस्तेमाल होता है।
इसके अलावा लक्षणों को कम करने के लिए दर्द निवारक दवाइयों का भी उपयोग किया जाता है।
अपेंडिसाइटिस के लिए इलाज में मुख्य रूप से २ तरह की सर्जरी की जाती हैं जो निम्नलिखित हैं:
लैप्रोस्कोपिक विधि: इसमें छोटे चीरे लगाए जाते हैं और एक यंत्र ( लैप्रोस्कोप) द्वारा अपेंडिक्स की स्थिति टीवी स्क्रीन पर देखी जाती है। इसके बाद सर्जन ऑपरेशन को अंजाम देते हैं।
ओपेन सर्जरी: इसमें एक बड़ा सा चीरा लगाया जाता है और सर्जन अपनी आंखों से देखकर अपेंडिक्स का ऑपरेशन करता है।
अपेंडिसाइटिस अक्सर एक आपातकालीन स्थिति होती है जिसमे तत्काल रूप से इलाज की जरूरत होती है। ऐसे में प्राकृतिक उपचार का विकल्प नहीं बचता है।
एपेंडेक्टोमी कराने से ८ घंटे पहले रोगी को सलाह दी जाती है कि वो कुछ भी खाने और पीने से बचे।
अपेंडिसाइटिस एक आंतरिक प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाली बीमारी है जैसे अपेंडिक्स में संक्रमण, ब्लॉकेज,इत्यादि। इसलिए इससे बचने के उपाय न के बराबर हैं।
हालांकि एकमात्र उपाय जो अपेंडिसाइटिस होने की संभावना कम करता है वो है फाइबर से भरपूर भोजन लेना।
अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार एक अध्ययन में यह पाया गया कि कम फाइबर वाले भोजन लेने से अपेंडिसाइटिस का जोखिम बढ़ जाता है।
इसलिए ऐसी चीजें जिनमें फाइबर की मात्रा बहुत कम होती है जैसे मांस और फास्ट फूड के सेवन से परहेज करें।
अपेंडिसाइटिस में ऑपरेशन का औसतन खर्च ७०,००० से ७५,००० रुपए हो सकता है। सर्जरी की कीमत शहर, अस्पताल, और डॉक्टर पे निर्भर करती है|
अगर अपेंडिसाइटिस का उपचार नही होता है तो इसके कारण मौत होने की संभावना ५०% बढ़ जाती है।[१]
यदि अपेंडिसाइटिस का उपचार समय पर नहीं हुआ तो निम्न जोखिम हो सकते हैं:
फोड़ा: अपेंडिक्स में जिस जगह संक्रमण फैलना शुरू होता है वहां पर फोड़ा हो जाता है जो फट सकता है। इससे संक्रमण अधिक तेजी से फैलता है।
एस्केमिया या नेक्रोसिस: अपेंडिक्स में जब अधिक सूजन हो जाता है तो खून का बहाव बंद हो जाता है। इससे वहां की कोशिकाएं मरने लगती हैं, इसे नेक्रोसिस कहते हैं।
पेरिटोनिटिस: जब संक्रमण पेरिटोनियल गुहा में फैल जाता है तो यह बाकी के अंगों में भी फैलने लगता है और खून की नसों में भी फैल सकता है।
इसे सेप्सिस कहते हैं, सेप्सिस एक घातक बीमारी है।
गैंगरीन: नेक्रोसिस की स्थिति के बाद संक्रमण भीतरी अंगों में बढ़ने लगता है, इसे गैंगरीन कहते हैं।
इसके अलावा अपेंडिक्स टूट या फट भी सकता है जिसे पर परफोरेशन कहते हैं।
जी हां, गर्भावस्था के दौरान अक्सर अपेंडिसाइटिस के मामले देखे जा सकते हैं।
ऐसे में महिला का तत्काल रूप से ऑपरेशन किया जाता है और अपेंडिक्स को बाहर निकाल दिया जाता है।
१.मिथक: बच्चों में अपेंडिसाइटिस नही होता है
तथ्य: अपेंडिसाइटिस किसी को भी, किसी भी उम्र में हो सकता है। यह १० साल से लेकर ३० साल की उम्र में सामान्यतः देखा जा सकता है। कुछ मामलों में यह आनुवांशिक रूप से भी देखा गया है।
२.मिथक: दवाइयों से अपेंडिसाइटिस पूरी तरह ठीक हो जाता है।
तथ्य: कुछ मामलों में दवाइयों से अपेंडिसाइटिस कुछ समय के लिए ठीक हो सकता है। लेकिन दोबारा से अपेंडिसाइटिस होने की संभावना बनी रहती है इसलिए सर्जन उसी समय ऑपरेशन कराने की सलाह देते हैं।
३.मिथक: अपेंडिसाइटिस और भोजन में कोई संबंध नहीं है।
तथ्य: अक्सर भोजन के कारण अपेंडिसाइटिस नही होता है; ऐसे मामले न के बराबर देखे गए हैं। हालांकि भोजन में फाइबर की कमी होने पर अपेंडिसाइटिस का जोखिम रहता है।
४.मिथक: अपेंडिक्स और अपेंडिसाइटिस एक ही चीज होती है।
तथ्य: अपेंडिक्स बड़ी आंत से जुड़ा हुआ एक थैलीनुमा अंग होता है। जब अपेंडिक्स में संक्रमण और सूजन हो जाता है तो इस बीमारी को अपेंडिसाइटिस कहा जाता है।
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Last Updated on: 9 September 2023
MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES
12 Years Experience
Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More
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