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फैटी लिवर की समस्या में अपनाएं ये योगासन और रखें अपना लिवर स्वस्थ

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Medically Reviewed by Dr. Aman Priya Khanna
Written by Sangeeta Sharma, last updated on 12 November 2022| min read
फैटी लिवर की समस्या में अपनाएं ये योगासन और रखें अपना लिवर स्वस्थ

Quick Summary

  • Fatty liver, also known as hepatic steatosis, develops when there is too much fat in the liver. Too much fat can cause inflammation, damage, and scarring in the liver. Scarring can lead to liver failure in severe cases. Alcoholic fatty liver disease (AFLD) is caused by alcohol consumption, while non-alcoholic fatty liver disease (NAFLD) is the term for people who have fatty liver and do not drink alcohol.
  • By making changes to one's lifestyle, one can improve overall health. Incorporating yoga and exercise into one's daily life can help treat medical conditions such as fatty liver. Yoga has simple poses that are effective, and anyone can do them. Read on to learn how yoga helps prevent problems associated with fatty liver and learn about yoga poses that can help keep the liver healthy.

फैटी लिवर, जिसे हेपेटिक स्टीटोसिस भी कहा जाता है, वह लिवर में ज्यादा चर्बी होने के कारण विकसित होता है। बहुत अधिक चर्बी लिवर में सूजन, क्षति और चोट पैदा कर सकता है। घाव गंभीर परिस्थितियों में लिवर को ख़राब करने का कारण बनते है। शराब के सेवन से अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (एएफएलडी) होता है, जबकि जिन लोगो का फैटी लिवर होता है और शराब का सेवन नही करते है तो उसे गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी) कहा जाता है।

अपनी जीवनशैली को बदलकर, कोई भी पूरे शरीर के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। दिन-प्रतिदिन के जीवन में योगा और व्यायाम को शामिल करने से फैटी लिवर जैसी चिकित्सा स्थितियों का इलाज करने में मदद मिल सकती है। योगा में सरल आसन होते हैं जो प्रभावी होते हैं, और कोई भी उन्हें कर सकता है। यह जानने के लिए पढ़ना जारी रखें कि योगा फैटी लिवर से जुड़ी समस्याओं को रोकने में कैसे मदद करता है और योगा की मुद्राओं के बारे में जाने कि कैसे वह लिवर की स्वास्थ्य को अच्छा रखने में मदद कर सकते है।

फैटी लिवर में योगा की भूमिका

आसन लिवर पर दबाव डालते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पूरे लिवर कार्यों को मजबूत और बेहतर बनाता है। योगा लिवर में जमा फैट को कम करता है जिससे व्यायाम करते समय ताकत का एहसास होता है। 

पुराना लिवर का रोग घाव के निशान की उपस्थिति के कारण शुद्धिकरण और उचित रक्त प्रवाह को रोकता है। इस प्रकार, लिवर सभी बैक्टीरिया और मेटाबोलीज़ेड फैट को हटा नहीं पाता है। नवीनतम अध्ययन के अनुसार, योगा शरीर के हर हिस्से में ताजा शुद्ध रक्त की आपूर्ति करने के लिए जाना जाता है; जिससे लिवर भी इसके कारणअच्छे से काम करता है।

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लिवर को ठीक करने के उपाय

आपको योगा का अभ्यास करना चाहिए क्योंकि यह आपके लिवर के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। यह आपके शरीर के स्वास्थ्य को संरक्षित रखने के साथ-साथ आपको स्वस्थ और लचीला रहने में मदद कर सकता है। फैटी लिवर के लिए योगा के कुछ फायदे नीचे दिए गए हैं:

  1. योगा लिपिड मेटाबोलिज्म को बढ़ावा देने में मदद करता है: कई योगा मुद्राएं लिवर को क्रियाशील करने में मदद करती हैं, जिससे लिवर स्वस्थ्य रहे। योगा मुद्राएं शरीर की ऊर्जा के रूप में लिवर फैट को खत्म करने में मदद करती हैं।  
  2. योगा रक्त परिसंचरण में मदद करता है: जब फैटी लिवर होता है, तो ऊतक के घाव (स्कार टिशू) का विकास होता है जो ऑक्सीजन और सामान्य रक्त प्रवाह को बाधित करता है। हालांकि, योगा ऑक्सीजन और रक्त प्रवाह प्रक्रिया को बढ़ाता है। यह शरीर के प्रत्येक अंगो को नए ऑक्सीजन युक्त रक्त प्रदान करता है, जिससे लिवर सामान्य रूप से काम कर सकता है। 
  3. योगा इंसुलिन उत्पादन को बढ़ावा देता है: कुछ योग मुद्राएं लिवर को क्रियाशील करती हैं, जो बदले में शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में मदद करती हैं। यह अग्न्याशय (पैंक्रियाज) को इंसुलिन का उत्पादन करने में मदद करता है।
  4. योगा हार्मोनल कार्यों में सुधार करता है: योगा शरीर में हार्मोन के उचित संतुलन और कार्य को बनाए रखने में मदद करता है। शरीर में सही हार्मोनल संतुलन होने से कोशिका पुनर्जनन, पोषक तत्वों अवशोषण, रक्त परिसंचरण, स्वस्थ मेटाबोलिज्म, और इसी तरह के अन्य लाभ दे सकता है।
  5. योगा लिवर को निस्पंदन प्रक्रिया में मदद करता है: योग शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर लिवर की कार्यप्रणाली को मजबूत करता है।

लिवर के लिए योगा आसन

कुछ प्रभावी और सरल योगा आसन हैं जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन में शामिल कर सकते हैं, इनमें शामिल हैं

कपालभाति प्राणायाम

  1. गहरी सांस लें और नाक से छोड़ें।
  2. प्राथमिक ध्यान रखे की सांस छोड़े।
  3. 120 बार प्रति मिनट करे, यानी दो बार प्रति सेकंड, पूर्ण तुलना के अनुसार।
  4.  इसे जल्दी सुबह खाली पेट करना चाहिए।

फैटी लिवर में कपालभाति प्राणायाम की भूमिका: यह पूरे शरीर के लिए रक्त परिसंचरण में सुधार करने के लिए एक स्थापित योगा तकनीक है; इसलिए, यह लिवर को प्रभावी ढंग से उत्तेजित करता है और फैटी लिवर की समस्याओं को ठीक करता है।

पद्मासन या लोटस मुद्रा

कमल की स्थिति शरीर के लिए ही नहीं मन के लिए भी उत्कृष्ट है। इस मुद्रा में:

  1. व्यक्ति को अपने पैरों को मोड़कर अपने पैरों को एक दूसरे की जांघों पर रखना होता है।
  2. रीढ़ और पीठ सीधी होनी चाहिए।
  3. पद्मासन का अभ्यास आदर्श रूप से सुबह के दौरान किया जाना चाहिए क्योंकि यह मन और शरीर को ताज़ा करने में मदद करता है।
  4. खाली पेट पद्मासन करना सबसे अच्छा होता है।

फैटी लिवर में पद्मासन की भूमिका: नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास करने से आपको अपने लिवर की किसी भी कमजोरी को दूर करने में मदद मिल सकती है, इस प्रकार फैटी लिवर को रोका जा सकता है।

धनुरासन या धनुष मुद्रा

  1. आपको अपने शरीर और पैरों को एक साथ उठाते हुए पेट के बल लेटना होता है।
  2. फिर अपनी बाहों के साथ पीठ तक पहुंचें और धनुष बनाने के लिए अपनी एड़ियों को पकड़ें।
  3. इसे किसी भी भोजन के चार से पांच घंटे बाद किया जाना चाहिए।
  4. 10-15 सेकंड के लिए मुद्रा में रहें, अपनी सांस पर ध्यान दें और लम्बी, गहरी सांस लेते रहे।

फैटी लिवर में धनुरासन की भूमिका: आसन शरीर को ऊर्जा देने के लिए अपने संग्रहीत फैट का उपयोग करने के लिए लिवर को उत्तेजित और मजबूत करता है। योगाभ्यास पेट की चर्बी को कम करने में भी मदद करता है और पेट के अंगों को मजबूत करता है।

चक्रवाकासन या बिल्ली / गाय मुद्रा

  1.  सबसे पहले इस योगा को करने के लिए अपने हाथों और घुटनों के बल बैठ जाए।
  2. अब, गहरी सांस ले, गाय की मुद्रा में रहे और अपनी छाती को आगे की ओर उठाएं।
  3.  जब सांस छोड़े, तो बिल्ली की मुद्रा में आ जाए।
  4. अपने कूल्हों की हड्डी को सीधा रखे और अपनी रीढ़ की हड्डी को बाहर की ओर लाएं।
  5. चक्रवाकासन करने का सही समय भोजन के चार से छह घंटे बाद होता है, जिससे भोजन के बाद शरीर में पर्याप्त ऊर्जा रहे।

फैटी लिवर में चक्रवाकासन की भूमिका: इस आसन का अभ्यास करने से लिवर में मेटाबोलिज्म बढ़ता है, जिससे इसके माध्यम से निर्बाध ऑक्सीजन और रक्त प्रवाह सुनिश्चित होता है।

भुजंगासन या कोबरा मुद्रा

  1. आप पेट के बल लेट जाएं और हथेलियां को जमीन पर रखकर कंधों को ऊपर रखे और अपनी छाती को ऊपर की ओर उठाएं। 
  2. रोज सुबह कम से कम पांच मिनट तक भुजंगासन करना चाहिए।

फैटी लिवर में भुजंगासन की भूमिका: आपके लिवर को उत्तेजित और मजबूत करके, यह योगा आसन विशेष रूप से लिवर सिरोसिस और फैटी लिवर को लाभ पहुंचाता है। 

मंडुकासन या मेंढक मुद्रा

फैटी लिवर के लिए यह योगा दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है और रक्त परिसंचरण में भी मदद करता है। इस मुद्रा में:

  1. अपने घुटने को झुका कर दोनों घुटनों को विपरीत दिशा में करे ।
  2. फिर अपने हाथों को अपने पेट के नाभि पर रखें और गहरी सांस लें।
  3. अब जब आप सांस छोड़ें, तो आगे की ओर झुकें।
  4. इस मुद्रा में लगभग बीस सेकंड तक रहना फायदेमंद होता है।
  5. मंडुकासन का अभ्यास केवल खाली पेट या अपने अंतिम भोजन के कम से कम 6 घंटे बाद करना चाहिए।

फैटी लिवर में मंडुकासन की भूमिका: मंडुकासन का नियमित अभ्यास लिवर के कार्य को बेहतर बनाने में बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि इस आसन को करने से लिवर में बहुत दबाव बनता है, जो हार्मोन का उत्पादन करने में मदद करता है, जिसके कारण लिवर बेहतर काम करता है।

अधोमुख स्वानासन या डाउनवर्ड फेसिंग डॉग

  1. अपने हाथों को कंधे की चौड़ाई से अलग रखें।
  2. अब, अपने हाथ को योगा मैट पर दबाएं और गहरी सांस लें। 
  3. अपने हाथों को अभी भी मैट पर रखें, सांस छोड़ें, अपने घुटनों को फर्श से उठाएं, और अपने पैरों को सीधा करें।
  4. अधो मुख स्वानासन को एक बार में तीन मिनट तक रखा जा सकता है।

फैटी लिवर में अधोमुख स्वानासन की भूमिका: यह लिवर के लिए एक बहुत ही प्रभावी योगा आसन है क्योंकि यह लिवर में पित्त के रस के उत्पादन में सहायता करता है।

अनुलोम विलोम या वैकल्पिक नाक से सांस लेना

  1. दाहिने नाक को दाहिने अंगूठे से बंद करे। दूसरे नाक के माध्यम से जितना संभव हो उतनी साँस लें।
  2. अंगूठे को अपने दाहिने नाक से हटा दें। जैसे ही आप अपने अंगूठे को दाहिने नाक से हटाए, सांस छोड़ें।

फैटी लिवर में अनुलोम विलोम की भूमिका: यह आसन पूरे शरीर में रक्त के उचित प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है और मेटाबोलिज्म के कार्यों में सुधार करने में मदद करता है जिसके परिणामस्वरूप लिवर स्वस्थ रहता है।

चोट के बिना सुरक्षित रूप से इन योगा आसनों को कैसे करें?

  1. अगर जरुरत न हो तो ज्यादा गहरायी या आगे न झुके।
  2. अपने आप को याद दिलाएं कि यह एक प्रतियोगिता नहीं है।
  3. अपने जोड़ों- घुटनों को ठीक से रखें और मध्य पैर की उंगलियों को हमेशा सीधा रखें!
  4. अपने जोड़ों को लॉक करने के बजाय हमेशा सूक्ष्म-मोड़ें।
  5. अपने घुटनों को हल्का मोड़कर रखें आगे झुकने के वक्त।
  6. यदि आवश्यक हो तो कोर को जोड़कर या इसे सहारा देकर पीठ के निचले हिस्से का ध्यान रखे।
  7. अपने सिर और गर्दन की स्थिति पर ध्यान रखे।
  8. मुड़ाव कहीं और से नहीं बल्कि हड्डियों के जोड़ की तरफ से होता है।

लिवर को स्वस्थ रखने के लिए अतिरिक्त जीवनशैली युक्तियाँ

  1. स्वस्थ वजन बनाए रखना: अधिक वजन या कुछ हद तक मोटापे से ग्रस्त होने से आपको फैटी लिवर होने का खतरा होता है। मोटापा गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी) का कारण बन सकता है, जो लिवर रोग के सबसे तेजी से बढ़ते रूपों में से एक है। वजन कम करना लिवर की चर्बी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  2. संतुलित आहार खाएं: अधिक कैलोरी का भोजन, संतृप्त फैट, परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट (तला हुआ) और मीठे से बचें। कच्ची या अधपकी मछली न खाएं। 
  3. नियमित रूप से व्यायाम करें: नियमित रूप से व्यायाम करने से ईंधन के लिए ट्राइग्लिसराइड्स को जलाने में मदद मिलती है और लिवर के फैट को भी कम किया जा सकता है।
  4. विषाक्त पदार्थों से बचें: विषाक्त पदार्थ संभावित रूप से आपके लिवर की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं। सफाई और एयरोसोल उत्पादों, कीटनाशकों, रसायनों और योजक से विषाक्त पदार्थों के साथ संपर्क को कम करें।
  5. शराब का सेवन कम करें: शराब कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती है। यह लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और नष्ट कर देता है जिससे लिवर में घाव बन सकता है।

निष्कर्ष

फैटी लिवर के इलाज के सर्वोत्तम तरीकों में से एक वजन कम करना है। योगा निस्संदेह आपके लिवर के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। इसलिए एक अच्छा लिवर और समग्र स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए, आपको नियमित व्यायाम, अच्छी जीवन शैली विकल्पों का अभ्यास करना चाहिए, और एक अच्छा संतुलित आहार को पालन करना चाहिए। यह सभी तरीके लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करेंगे।

हालांकि, यदि आपकी फैटी लिवर की स्थिति में प्रगति हुई है और आपको सर्जरी की आवश्यकता है, तो HexaHealth आपको सबसे अच्छा उपचार प्राप्त करने और कागजी कार्रवाई में प्रवेश से भी देखभाल करने में मदद करेगा।

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

हां, फैटी लिवर के लिए योगा फायदेमंद होता है। लिवर को मजबूत और उत्तेजित करने वाली योगा मुद्राएं ऊर्जा के रूप में जमी चर्बी को खत्म करने में मदद करती हैं।

कपालभाति प्राणायाम लिवर के लिए योगा के रूप में सबसे अच्छा काम करता है क्योंकि यह पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार करता है, मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है और इस प्रकार लिवर के स्वास्थ्य को बढ़ाता है।

धनुरासन लिवर को बेहतर काम करने में मदद करता है क्योंकि यह लिवर को प्रेरित करता है।

व्यायाम जो प्रतिरोध और एरोबिक्स को जोड़ती है, फैटी लिवर के लिए उत्कृष्ट है। प्रति सप्ताह तीन बार प्रतिरोध प्रशिक्षण करना और प्रति सप्ताह कम से कम पांच दिन कार्डियोवैस्कुलर गतिविधि के तीस से साठ मिनट तक करना पर्याप्त है।

हां, हालांकि फैटी लिवर को ठीक करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक तरीका व्यायाम करके वजन कम करना है, इसलिए फैटी लिवर के लिए योगा लिवर का समर्थन करने में मदद करता है।

हां, सूर्य नमस्कार, जब नियमित रूप से किया जाता है, तो लिवर के कार्यप्रणाली को बेहतर करते हुए जीवन शैली में सुधार करता है।

अनुलोम विलोम जैसे श्वास व्यायाम; फैटी लिवर ग्रेड 1 के लिए प्राणायाम सबसे अच्छा काम करता है। ये अभ्यास पूरे शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त प्रवाह को नियंत्रित करते हैं और लिवर सहित विभिन्न अंगों के कार्यप्रणाली को बढ़ाते हैं।

आहार और जीवनशैली में बदलाव ग्रेड 1 फैटी लिवर के लिए सबसे अच्छा घरेलू उपचार है। इसलिए, स्वस्थ भोजन खाना चाहिए, चीनी को कम करना चाहिए, और शारीरिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए।

विशेष आसनों के माध्यम से, योगा से लिवर को विषहरण करने का एक शानदार तरीका है। कुछ मुद्राएं होती हैं जैसे की बच्चे की मुद्रा जो लिवर और शरीर को स्वास्थ्य और जीवन शक्ति प्रदान करती हैं।

लसीका (लिम्फेटिक) मालिश जल निकासी चिकित्सा लिवर के लिए फायदेमंद होती है। नियमित मालिश लिवर और अंग के समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकती है।

कपालभाति प्राणायाम फैटी लिवर के लिए सबसे अच्छा काम करता है क्योंकि यह लिवर को प्रेरित करता है और लिवर की कई स्थितियों को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करता है।

अपान मुद्रा लिवर के लिए बहुत अच्छी होती है। क्योंकि अपान मुद्रा एक ऊर्जा मुद्रा है यह अपशिष्ट से छुटकारा पाकर लिवर और पित्ताशय (गॉलब्लाडर) की थैली को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करती है।

यदि उचित जीवनशैली में बदलाव और दवाएं ली जाएं, तो फैटी लिवर को 6-12 महीनों में ठीक किया जा सकता है।

फैटी लिवर को ठीक करने का सबसे तेज़ तरीका वजन कम करना और जीवनशैली में बदलाव करना है।

Last Updated on: 12 November 2022

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Aman Priya Khanna

Dr. Aman Priya Khanna

MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES

12 Years Experience

Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More

लेखक

Sangeeta Sharma

Sangeeta Sharma

BSc. Biochemistry I MSc. Biochemistry (Oxford College Bangalore)

6 Years Experience

She has extensive experience in content and regulatory writing with reputed organisations like Sun Pharmaceuticals and Innodata. Skilled in SEO and passionate about creating informative and engaging medical conten...View More

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