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पाइलोनाइडल साइनस क्या है? - कारण, लक्षण, इलाज और घरेलु उपाय

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Medically Reviewed by Dr. Aman Priya Khanna
Written by Sangeeta Sharma, last updated on 12 December 2023| min read
पाइलोनाइडल साइनस क्या है? - कारण, लक्षण, इलाज और घरेलु उपाय

Quick Summary

Pilonidal sinus is a small sac or cyst filled with fluid. It is usually found in the lower back or near the cleft of the buttocks. It is also known as pilonidal cyst disease.

Some pilonidal cysts are not visible, while some may appear as small pits. Infection inside the cyst usually causes it to grow. It is more common in young men between the ages of 25 and 30.

Here are some key points about pilonidal sinus:

  • It is a small sac or cyst filled with fluid.
  • It is usually found in the lower back or near the cleft of the buttocks.
  • It is more common in young men between the ages of 25 and 30.
  • It is caused by infection inside the cyst.
  • It can be treated with surgery.

पाइलोनिडल साइनस या सिस्ट एक गोलाकार गांठ या थैली होती है जिसमें तरल पदार्थ यानी फ्लूइड भरा होता है। ये आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से में या कूल्हे की क्रीज (लाइन) के पास त्वचा के नीचे मौजूद होती है। पाइलोनिडल साइनस को पाइलोनिडल सिस्ट रोग के नाम से भी जाना जाता है। 

कुछ पाइलोनिडल सिस्ट दिखाई नहीं देते हैं, जबकि कुछ छोटे गड्ढों की तरह दिखाई दे सकते हैं। इनके भीतर होने वाला संक्रमण आमतौर पर पाइलोनिडल सिस्ट को बढ़ाने में मददगार साबित होता है। ये समस्या 25 से 30 साल की उम्र के युवा पुरुषों में अधिक पाई जाती है। आइए पाइलोनिडल साइनस का मतलब, चित्रों, लक्षणों, कारणों, प्रकार, पहचान, रोकथाम और इसके इलाज के साथ ही इससे जुड़ी अन्य बहुत सारी बातों के बारे में भी जानते हैं।

रोग का नाम पाइलोनिडल साइनस
वैकल्पिक नाम पाइलोनिडल सिस्ट, पाइलोनिडल सिस्ट रोग
लक्षण  मवाद और बदबूदार डिस्चार्ज के साथ बहुत ज्यादा दर्द देने वाला गांठ,  एनल यानी गुदा क्षेत्र में जलन और बेचैनी
कारण टाइट-फिटिंग कपड़ों की वजह से होने वाला घर्षण, मोटे या घने अंदरूनी बाल का टूटकर स्किन के अंदर चले जाना, लंबे समय तक बैठे रहना
पहचान देखकर निरीक्षण, डिजिटल एग्जामिनेशन, सीटी/एमआरआई पेल्विस
किसके द्वारा इलाज जनरल सर्जन (प्रोक्टोलॉजिस्ट)
इलाज के विकल्प

  चीरा और फ्लूइड निकालना, फ्लैप पाइलोनिडल साइनस सर्जरी, लेजर पाइलोनिडल साइनस सर्जरी

पाइलोनिडल साइनस क्या है?

पाइलोनिडल साइनस फ्लूइड यानी तरल पदार्थ से भरी एक थैली या गांठ होती है जिसके अंदर आमतौर पर बाल और त्वचा का मलबा होता है। ये लगभग हमेशा कूल्हे के फांक के ऊपरी हिस्से पर, टेलबोन के करीब पाया जाता है। चूंकि ये समस्या स्किन के उस हिस्से में होती है जहां बाल होते हैं और पसीना ज्यादा होता है, इसलिए पाइलोनिडल साइनस को जीप ड्राइवर्स को होने वाली बीमारी के रूप में भी जाना जाता है।

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पाइलोनिडल साइनस के लक्षण

ऐसा पाइलोनिडल साइनस या सिस्ट जो संक्रामक नहीं होता यानी जिससे किसी और को इंफेक्शन का जोखिम नहीं होता, ऐसे पाइलोनिडल साइनस बिना किसी भी लक्षण के हो सकते हैं। हालांकि, अगर रोगी को एक संक्रमित पाइलोनिडल सिस्ट है, तो पाइलोनिडल साइनस के निम्नलिखित संकेत और लक्षण देखे जा सकते हैं:

  1. प्रभावित क्षेत्र (आमतौर पर कूल्हों के पास) में दर्द और परेशानी, खासकर लंबे समय तक बैठने के बाद
  2. टेलबोन के आसपास या सिस्ट के पास की त्वचा में कोमलता, सूजन, गर्मी और लालिमा
  3. कूल्हों यानी नितंबों के बीच मौजूद पाइलोनिडल सिस्ट के ऊपर या उसके पास की त्वचा में एक छोटी-सी गांठ या छेद (साइनस ट्रैक्ट) के रास्ते से पस यानी मवाद का निकलना 
  4. हल्का बुखार आना
  5. जी मिचलाना
  6. थकान (थकावट) 
  7. आपके कूल्हों के बीच एक या एक से अधिक छोटे छेद (गड्ढे) की मौजूदगी जिसके माध्यम से साइनस मार्ग त्वचा में खुलता है।

पाइलोनिडल साइनस के कारण

पाइलोनिडल साइनस के कारण साफ तौर से बहुत स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन इसे नीचे दिए गए कारणों का एक मिला-जुला रूप माना जाता है:

  1. प्यूबर्टी यानी युवावस्था की शुरुआत के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलाव
  2. मोटे या घने अंदरूनी बाल
  3. टाइट-फिटिंग कपड़ों से होने वाला घर्षण
  4. लंबे समय तक बैठे रहना

ऊपर दिए गए कारण पाइलोनिडल सिस्ट रोग के होने की वजह बनते हैं जिसके कारण

  1. जब कोई इंसान बैठता है या झुकता है तो उसके टेलबोन हिस्से में मौजूद नीचे की त्वचा खिंच जाती है। इस खिंचाव से उस हिस्से के बाल टूट जाते हैं। 
  2. इस तरह से बाल ढीले हो जाते हैं और डेड स्किन यानी मृत त्वचा के साथ मिल जाते हैं। फिर जब वह इंसान कोई हरकत करता है तो वही डेड स्किन और बाल त्वचा के नीचे दब जाते हैं। 
  3. शरीर ढीले बालों और मृत त्वचा कोशिकाओं को बाहरी पदार्थों के रूप में मानता है। ये प्रोसेस एक इम्यून रेस्पॉन्स यानी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करती है, जिसका नतीजा ये होता है कि उस हिस्से में एक सिस्ट यानी गांठ बन जाती है जो फ्लूइड (तरल पदार्थ) से भरी होती है।

पाइलोनिडल साइनस से जुड़े जोखिम की वजह

हालांकि किसी को भी पाइलोनिडल सिस्ट रोग हो सकता है क्योंकि इसके होने की वजह साफ तौर पर स्पष्ट नहीं है। पाइलोनिडल साइनस के लिए संभावित जोखिम की वजहें निम्नलिखित हैं जो किसी इंसान के शरीर में इस बीमारी के बढ़ने की आशंका को और अधिक बढ़ा सकते हैं:

  1. मोटापा
  2. कूल्हों के बीच (या पास) के हिस्से में चोट या जलन का अनुभव किया है
  3. कूल्हों के बीच बहुत ज्यादा मोटे या घने अंदरूनी बाल हों
  4. परिवार में पाइलोनिडल साइनस का पुराना इतिहास रहा हो
  5. लंबे समय तक बैठे रहना
  6. टाइट-फिटिंग कपड़े पहनना जो टेलबोन वाले हिस्से पर दबाव डाल सकते हैं

पाइलोनिडल साइनस की रोकथाम

सिस्ट बनने या बढ़ने से रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं हो सकता है। फिर भी, पाइलोनिडल सिस्ट के बढ़ने के जोखिम को कम करने या इसे बार-बार लौटने से रोकने के उपाय हैं। पाइलोनिडल साइनस की रोकथाम के लिए किए जाने वाले उपायों में शामिल हैं:

  1. नितंबों को नियमित रूप से साफ सुथरा रखें और धोते रहें। 
  2. मोटे लोग अगर अपना वजन कम कर लें तो उनमें फिर से सिस्ट होने का खतरा कम हो सकता है। 
  3. प्रभावित हिस्से पर दबाव कम करने के लिए बैठने का समय सीमित करें। 
  4. प्रभावित हिस्से में मौजूद अंदरूनी बालों को हटाने के लिए बालों को हटाने वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने की कोशिश करें। सप्ताह में एक या अधिक बार नितंबों के आसपास के बालों को शेव भी किया जा सकता है।

पाइलोनिडल साइनस की पहचान कैसे की जाती है?

प्राइमरी केयर डॉक्टर आमतौर पर शारीरिक परीक्षण के आधार पर पाइलोनिडल सिस्ट/साइनस की पहचान करने में सक्षम होंगे। पाइलोनिडल सिस्ट के संकेतों के लिए नितंबों के बीच के हिस्से की सावधानीपूर्वक जांच करने और सिस्ट के साइज और उसकी बनावट को देखने के लिए डॉक्टर एक पूर्ण शारीरिक जांच करेंगे।

हालांकि कुछ मामलों में, पाइलोनिडल साइनस की मौजूदगी और उसकी गंभीरता को समझने के लिए नीचे दिए गए कुछ अतिरिक्त परीक्षणों की सिफारिश की जा सकती है

  1. डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन में साइनस और गड्ढे की गहराई को महसूस करने के लिए दस्ताने पहनकर और एक उंगली को लुब्रिकेटेड करके गुदा के अंदर डाला जाता है। 
  2. कुछ रेयर यानी दुर्लभ मामलों में रोगी को साइनस कैविटी जैसी आगे की मुश्किल परिस्थितियों की जांच के लिए सीटी (कंप्यूटेड टोमोग्राफी) , या एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) स्कैन से गुजरना पड़ता है 

 डॉक्टर से सलाह लेने की तैयारी कैसे करें?

अपॉइंटमेंट से पहले, रोगी एक लिस्ट तैयार कर सकता है जिसमें नीचे दिए गए सवालों के जवाब शामिल हो सकते हैं: 

  1. लक्षण कब शुरू हुए? 
  2. क्या रोगी ने पहले भी इस परेशानी को महसूस किया है? 
  3. क्या ऐसा कुछ है जिससे लक्षणों में सुधार नजर आता है? 
  4. क्या ऐसा कुछ भी है, जिससे लक्षणों के और ज्यादा खराब हो जाने का एहसास होता है? 
  5. रोगी नियमित रूप से कौन-सी दवाएँ या सप्लीमेंट्स लेता है?

डॉक्टर मरीज से कई सवाल भी पूछ सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. क्या आपको बुखार हो गया है? 
  2. क्या दर्द आपको रात में जगाए रखता है? 
  3. आपका पेशा क्या है? क्या आप सारा दिन बैठे रहते हैं?

पाइलोनिडल साइनस का इलाज

अगर किसी को पाइलोनिडल सिस्ट है लेकिन उसमें परेशानी जैसा कोई लक्षण नहीं है, तो यह अपने आप ठीक हो सकता है। लेकिन, अगर कोई इंसान लंबे वक्त से इस बीमारी से प्रभावित है और इसके लक्षण बार बार लौट आते हैं तो यह रोगी के लिए परेशानी की वजह बन सकता है। उस स्थिति में, प्रोक्टोलॉजिस्ट पाइलोनिडल साइनस के इलाज के लिए नीचे बताए गए उपायों में से किसी एक का सुझाव दे सकते हैं:

बिना सर्जरी के पाइलोनिडल साइनस का इलाज

  1. पाइलोनिडल सिस्ट को निकालना: इस प्रक्रिया में सर्जन संक्रमित सिस्ट को निकालने के लिए उस पर एक छोटा-सा चीरा लगाते हैं। 
  2. एंटीबायोटिक्स: पाइलोनिडल सिस्ट से जुड़े त्वचा की सूजन या संक्रमण के लिए रोगी को एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह दी जा सकती है। हालांकि, संक्रमित सिस्ट के इलाज के लिए केवल एंटीबायोटिक्स ही काफी नहीं हो सकते हैं। 
  3. बालों को हटाना: घने बालों और अंदरूनी बालों को हटाने के लिए लेजर थेरेपी की मदद ली जा सकती है जिससे पाइलोनिडल सिस्ट को बार-बार लौटने से रोकने में मदद मिल सकती है। 
  4. घर पर रोगी तत्काल राहत के लिए प्रभावित हिस्से पर गर्म सेक लगा सकता है और दर्द को कम करने के लिए कूल्हे के नीचे तकिये का इस्तेमाल कर सकता है।

सर्जरी की मदद से पाइलोनिडल साइनस का इलाज

लक्षणों और हालात की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, सिस्ट को पूरी तरह से हटाने के लिए रोगी को सर्जरी से गुजरना पड़ सकता है। हालांकि अगर रोगी के परिवार में किसी को पहले से पाइलोनिडल सिस्ट की बीमारी रही है, या इस रोग की वजह से उसके हालात बहुत बिगड़ गए हैं, तो सर्जरी के बाद भी उसके शरीर में सिस्ट की परेशानी फिर से लौट सकती है। 

  1. पाइलोनिडल फ्लैप सर्जरी: बहुत खराब स्थिति तक पहुँच चुके या बार-बार हो जाने वाले पाइलोनिडल डिजीज से प्रभावित लोगों के लिए एक प्रक्रिया। ऑपरेशन में प्रभावित त्वचा और जम चुके टिश्यूज को हटाने के लिए डायमंड के आकार का चीरा (कट) बनाया जाता है। 
  2. एंडोस्कोपिक एब्लेशन: पाइलोनिडल सिस्ट के लिए एक उल्लेखनीय वीडियो-असिस्टेड न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल उपचार। 
  3. पाइलोनिडल साइनस के लिए लेजर सर्जरी: पाइलोनिडल साइनस के इलाज के लिए एक एडवांस्ड सर्जरी। इस प्रक्रिया की सिफारिश डॉक्टर द्वारा की जाती है जब पाइलोनिडल साइनस बार-बार लौट आता है और ये संक्रमित भी होता है।
सर्जरी का नाम    सर्जरी का खर्च
चीरा और तरल पदार्थ निकासी    ₹३५, ००० से ₹८०, ०००
पाइलोनिडल फ्लैप सर्जरी ₹३०, ००० से ₹७०, ०००
पाइलोनिडल साइनस के लिए एंडोस्कोपिक एब्लेशन ₹३५, ००० से ₹७५, ०००
पाइलोनिडल साइनस के लिए लेजर सर्जरी   ₹४०, ००० से ₹९०, ०००

पाइलोनिडल साइनस के जोखिम और जटिलताएं

अगर पाइलोनिडल साइनस/सिस्ट का समय पर इलाज नहीं किया जाता है, तो इससे संक्रमण, फोड़ा और कई साइनस ट्रैक्ट का निर्माण हो सकता है। यह लक्षणों के (छेद) बिगड़ने की वजह भी बन सकता है जिससे रोजमर्रा के कामों में परेशानी आ सकती है जो बेहद दर्दनाक साबित हो सकता है। इसके अलावा, बीमारी के बार-बार लौटने के लक्षण भी दिख सकते है जो काफी परेशानी भरा हो सकता है। पाइलोनिडल साइनस के जोखिम और जटिलताओं में शामिल हैं:

  1. एक्यूट पाइलोनिडल सिस्ट: अगर रोगी बीमारी के लक्षणों को नजरअंदाज करता है, तो उसके भीतर एक्यूट पाइलोनाइडल सिस्ट विकसित हो सकता है। हालांकि, यह एक बार का संक्रमण होगा।
  2. क्रोनिक पाइलोनाइडल सिस्ट: अगर रोगी शुरुआती दौर में ही सिस्ट का इलाज नहीं करता है, तो यह और ज्यादा बिगड़ जाएगा और त्वचा के नीचे एक साइनस कैविटी  बना देगा। इस स्टेज पर इसे सर्जरी के जरिए हटाना जरूरी है।एक पुरानी सिस्ट फोड़े (संक्रमण की सूजी हुई थैली) के बनने का कारण बन सकती है।
  3. सिस्टेमिक इंफेक्शन (प्रणालीगत संक्रमण): यह एक ऐसा संक्रमण है जो पूरे शरीर को प्रभावित करता है। यह जीवन के लिए भी खतरा बन सकता है।
  4. कैंसर: एक पाइलोनिडल सिस्ट स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (कैंसर) का कारण बन सकता है, हालांकि यह स्थिति दुर्लभ है।

डॉक्टर के पास कब जाएं?

  1. दर्द
  2. त्वचा का लाल पड़ना
  3. त्वचा में किसी छेद से मवाद या खून का निकलना
  4. मवाद निकलने से बदबू आती है

पाइलोनिडल साइनस के लिए डाइट (आहार)

सिर्फ खान-पान की आदतों को बदलकर पाइलोनिडल साइनस को ठीक नहीं किया जा सकता है। ज्यादातर मामलों में परमानेंट राहत के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ेगी। हालांकि, निम्नलिखित खाद्य पदार्थ पाइलोनिडल साइनस के खराब होने की स्थिति में संक्रमण के जोखिम को बहुत हद तक कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं:

  1. प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ: प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे दालें, मटर, बीन्स, सोयाबीन, पनीर और नट्स शरीर में नियमित तौर पर टिश्यूज की मरम्मत और शरीर के रोजमर्रा के कामों के लिए जरूरी होते हैं।
  2. हाई फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ: फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे सब्जियां और फल डाइजेशन यानी पाचन को आसान बना सकते हैं जिससे वे आसानी से आंत को पार कर सकें।
  3. लहसुन: लहसुन में एंटीबायोटिक और एंटीफंगल गुण होते हैं जो शरीर के इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
  4. नट्स और बीज: बादाम, अखरोट, पिस्ता, अलसी, मेथी के बीज, चिया, कद्दू और सूरजमुखी के बीज जैसे नट्स और बीज मिनरल्स, विटामिन्स और फाइबर के साथ-साथ एंटीऑक्सिडेंट्स से भरे होते हैं। ये सभी सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
  5. हल्दी: हल्दी सूजन को कम कर सकती है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं।
  6. शहद: इसके कई स्वास्थ्य लाभों के लिए इसे सुपरफूड के रूप में भी जाना जाता है। शहद एंटीसेप्टिक होने के साथ-साथ एंटी इन्फ्लेमेटरी यानी जलन रोधी भी होता है।

आमतौर पर, पाइलोनिडल साइनस के जोखिम को कम करने के लिए कुछ खाद्य पदार्थों से बचने की भी जरूरत होती है। इनमें शामिल हैं:

  1. गहरे तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें: इनमें फैट यानी वसा बहुत अधिक मात्रा में होते हैं और ये वजन में बढ़ोतरी की वजह भी बनते हैं। 
  2. जंक फूड से बचें: ये बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ होते हैं जिनमें पोषण की कमी होती है और ये स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में इजाफा कर देते हैं। 
  3. मसालेदार भोजन से बचें: ये मल त्याग करते समय दस्त और दर्द के साथ ही आपके शरीर पर बहुत ज्यादा दबाव डाल सकते हैं।
  4. कैफीन का सेवन सीमित करें: इनसे कब्ज बढ़ सकता है।
  5. स्मोकिंग से बचें: स्मोकिंग करने वालों में पाइलोनिडल साइनस की संक्रमण दर अधिक होती है क्योंकि स्मोकिंग संक्रमण को बढ़ाने और सर्जरी के बाद घाव की खराब मरम्मत से जुड़ा होता है।

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

पाइलोनिडल साइनस तरल पदार्थ से भरी एक गोलाकार थैली होती है जो आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से की त्वचा के नीचे या नितंबों की क्रीज (लाइन) के पास मौजूद होती है। इसे पाइलोनिडल सिस्ट रोग के रूप में भी जाना जाता है और यह बालों, मलबे, गंदगी, मवाद और कुछ खून से भरा होता है। कुछ सिस्ट दिखाई नहीं देते हैं, जबकि कुछ छोटे गड्ढों की तरह दिखाई दे सकते हैं।

टाइट-फिटिंग कपड़ों से घर्षण, मोटे या घने अंदरूनी बाल या बहुत लंबे समय तक बैठने की वजह से पाइलोनिडल साइनस संक्रमण हो सकता है।

 

पाइलोनिडल साइनस रोग के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। हालांकि मुख्य रूप से एक छोटी सी गांठ का बनना, जो एनल यानी गुदा के आसपास जलन और परेशानी का कारण बनती है।  ये गांठ या थैली दर्दनाक हो सकती है, ये नाजुक भी होती है, सूजन से मवाद निकल सकता है या गांठ से निकलने वाला तरल पदार्थ बदबूदार हो सकता है। ये सभी पाइलोनिडल साइनस रोग की मौजूदगी के संकेत हैं। यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण हैं, तो हमारे अनुभवी डॉक्टरों से निःशुल्क परामर्श के लिए हेक्साहेल्थ से संपर्क करें।

 

कोई भी जो मोटा या अधिक वजन वाला है, जिसे नितंबों के बीच (या पास) के हिस्से में चोट या जलन का एहसास हुआ है, नितंबों के बीच के हिस्से में अत्यधिक मोटे या घने अंदरूनी बाल हैं या परिवार के किसी सदस्य को पहले पाइलोनिइडल साइनस की समस्या रही है, ऐसे सभी लोगों में पाइलोनाइडल साइनस होने का खतरा अधिक होता है। लंबे समय तक बैठे रहने या टाइट-फिटिंग कपड़े पहनने से टेलबोन क्षेत्र पर दबाव पड़ सकता है, जिससे पाइलोनिडल साइनस की समस्या शुरू हो सकती है।

 

विशेषज्ञों के अनुसार, जब कोई व्यक्ति बैठता है या झुकता है, तो टेलबोन के हिस्से में त्वचा खिंच जाती है; इससे उस हिस्से के बाल टूट सकते हैं। इस तरह बाल ढीले हो जाते हैं और चलने-फिरने पर यही ढीले या टूट चुके बाल डेड स्किन के साथ-साथ त्वचा के नीचे दब जाते हैं। हमारा शरीर ढीले बालों और डेड स्किन सेल्स यानी मृत त्वचा कोशिकाओं को बाहरी पदार्थ मानता है, जिससे एक इम्यून रेस्पॉन्स यानी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है। इसलिए उस हिस्से में एक सिस्ट बनता है और ये फ्लूइड (तरल पदार्थ) से भर जाता है।

 

हां, पाइलोनिडल साइनस अपने आप ठीक हो सकता है अगर पाइलोनिडल साइनस ट्रैक्ट बनने से पहले घर पर लक्षणों का ध्यान रखा जाए। हालांकि, इसे बार-बार होने से रोकने के लिए, पाइलोनिडल साइनस की सर्जरी कराने की सलाह दी जाती है।

 

एक मामूली सर्जिकल प्रक्रिया पाइलोनिडल सिस्ट को हटाने में मदद करेगी। हालांकि, इस बीच परेशानी को कम करने के लिए आप घर पर कुछ चीजें कर सकते हैं। सिस्ट पर दिन में कई बार गर्म, गीला सेक लगाया जा सकता है। ऐसा करने से सिस्ट बाहर निकल सकता है क्योंकि गर्मी पस यानी मवाद को बाहर निकालने में मदद करेगी।

 

हां, पाइलोनिडल साइनस के इलाज के लिए घरेलू उपचार और दवाएं 100% प्रभावी नहीं हो सकती हैं। सिस्ट फिर से वापस आ सकता है और समय के साथ कई ट्रैक्ट विकसित हो सकता है। उपचार के सही तरीके को समझने के लिए हेक्साहेल्थ से जुड़ें और अपने इलाके के सर्वश्रेष्ठ प्रोक्टोलॉजिस्ट से परामर्श लें।

 

हां, आपके नितंब के शीर्ष पर छेद यह संकेत दे सकता है कि आपको पाइलोनिडल सिस्ट रोग है। समय पर पाइलोनिडल साइनस के उपचार के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रोक्टोलॉजिस्ट से परामर्श करने के लिए हेक्साहेल्थ से संपर्क करें।

 

हां, किसी को भी पाइलोनिडल साइनस रोग हो सकता है, लेकिन कुछ लोगों में इस रोग के होने का जोखिम अधिक भी हो सकता है। 

 

पाइलोनिडल साइनस के लिए लेजर ट्रीटमेंस सबसे अधिक चुना जाने वाला उपचार है क्योंकि यह दर्द रहित है। इसमें कोई टांके नहीं लगते हैं, खून का नुकसान ना के बराबर होता है और इलाज के बाद कोई खास परेशानी भी नहीं होती है, साथ ही लेजर ट्रीटमेंट के बाद रोग के वापस लौट जाने की आशंका भी पूरी तरह खत्म हो जाती है। 

 

पाइलोनिडल साइनस के लिए लेजर ट्रीटमेंट पारंपरिक सर्जरी की तुलना में निम्नलिखित फायदे पहुंचाता है: दर्द रहित और टांके रहित, न्यूनतम इनवेसिव, तुरंत रिकवरी, दैनिक जीवन में जल्द वापसी और बेहतरीन सफलता दर।

 

हां, सभी स्वास्थ्य बीमा योजनाएं पाइलोनिडल साइनस रोग के उपचार को कवर करती हैं। बिना परेशानी के एप्रूवल और कैशलेस सुविधा सुनिश्चित करने के लिए हमारी टीम द्वारा आपकी ओर से कागजी कार्रवाई की जाती है। एक साधारण कैशलेस और परेशानी मुक्त अनुभव के लिए हेक्साहेल्थ से संपर्क करें।

पाइलोनिडल साइनस सर्जरी की लागत बदलती रहती है। चुने गए अस्पताल के प्रकार, पाइलोनिडल साइनस के ग्रेड और चरण, अनुशंसित तकनीक, उम्र और अन्य स्वास्थ्य कारकों के आधार पर रोगी की चिकित्सा स्थिति आदि पर विचार करते हुए सर्जरी के खर्च में बदलाव आता है। मूल्य पारदर्शिता के लिए हेक्साहेल्थ से संपर्क करें।

Last Updated on: 12 December 2023

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Aman Priya Khanna

Dr. Aman Priya Khanna

MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES

12 Years Experience

Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More

लेखक

Sangeeta Sharma

Sangeeta Sharma

BSc. Biochemistry I MSc. Biochemistry (Oxford College Bangalore)

6 Years Experience

She has extensive experience in content and regulatory writing with reputed organisations like Sun Pharmaceuticals and Innodata. Skilled in SEO and passionate about creating informative and engaging medical conten...View More

विशेषज्ञ डॉक्टर (10)

Dr. Deepak Kumar Sinha
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