ओवुलेशन एक ऐसी जैविक प्रक्रिया है जो महिलाओं के माँ बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाती है। सामान्यतः देखा जाए तो ओवुलेशन की वजह से ही हर महीने पीरियड आते हैं। यदि कोई भी महिला गर्भधारण करना चाहे तो उसे ओवुलेशन के नजदीकी दिनों में प्रयास करना होता है।
ओवुलेशन के बारे में जानकारी होने से गर्भधारण को सुनियोजित करना आसान हो जाता है और गर्भधारण से बचा भी जा सकता है। आइए जानते हैं ओवुलेशन से जुड़ी संपूर्ण जानकारी जैसे कि ओवुलेशन क्या होता है, उसके लक्षण और यह कब होता है।
महिलाओं के शरीर में प्रजनन अंग होते हैं, इन्हीं अंगों की वजह से गर्भधारण और माहवारी चक्र जैसी प्रक्रियाएं संभव हो पाती हैं। ओवुलेशन से जुड़े प्रजनन अंग इस प्रकार हैं:
गर्भाशय (उतेरुस) - यह अंग मूत्राशय और श्रोणी क्षेत्र के बीच में एक मांसपेशी होता है।
अंडाशय - महिला के शरीर में २ अंडाशय होते हैं जो गर्भाशय के ऊपरी हिस्से में दाहिने और बहिने बाजु होते हैं।
अंडाणु - अंडाशय में बनने वाले अंडों को ही अंडाणु कहा जाता है।
जब महिला के अंडाशय से एक परिपक्व अंडाणु बाहर निकलता है तो इसे ओवुलेशन कहते हैं। ओवुलेशन का हिंदी मतलब अंडाणुक्षरण होता है, जिसका अर्थ है अंडाणु का बाहर आना।
ओवुलेशन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो महिलाओं के माहवारी चक्र का हिस्सा होता है। इसके कारण ही महिलाओं में गर्भधारण संभव हो पाता है।
आमतौर पर २८ दिन के माहवारी चक्र में १४वें दिन ओवुलेशन होने की संभावना अधिक रहती है। उदाहरण के लिए यदि किसी महिला का पीरियड आज खत्म हुआ है तो अगले १३ से २० दिन के अंदर ओवुलेशन की संभावना रहती है। हालांकि ओवुलेशन का समय हर महिला के लिए अलग - अलग हो सकता है।
ओवुलेशन की प्रक्रिया दो चरणों में होती है जो इस प्रकार हैं:
फॉलिकुलर चरण - यह चरण पिछले माहवारी चक्र के खत्म होने पर ठीक अगले दिन से ही शुरू हो जाता है और ओवुलेशन होने तक रहता है। यह चरण हर महिला के लिए भिन्न हो सकता है और लगभग ७ से ४० दिनों का हो सकता है।
ल्युटियल चरण - यह चरण ओवुलेशन के दिन शुरु होता है और अगले पीरियड के शुरु होने तक रहता है। इस चरण की समय सीमा तुलनात्मक रूप से अधिक सटीक होती है। यह चरण १२ से १६ दिनों का होता है।
ओवुलेशन एक जटिल प्रक्रिया है जो कई हार्मोन, ग्रंथियों और शरीर में बने रसायनों की मदद से होता है।
प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है:
हाइपोथैलमस (मस्तिष्क का एक भाग) एक हार्मोन रिलीज करता है जिसे गोनाडोट्रॉपिन रिलीजिंग हार्मोन कहते हैं।
इस हार्मोन की वजह से पिट्यूटरी ग्रंथि दो हार्मोन रिलीज करता है। इन हार्मोन की वजह से अंडाशयमें कुछ निश्चित संख्या में तरल से भरे सिस्ट बनते हैं और विकसित होते हैं। इन सिस्ट को फॉलिकल कहते हैं|
लगभग ७ दिन बाद सभी फॉलिकल में विकास होना बंद हो जाता है और सिर्फ एक फॉलिकल में विकास जारी रहता है।
इस अकेले फॉलिकल में विकास होता रहता है और इसमें मैच्योर हो रहे अंडाणु को पोषण मिलता रहता है।
लगभग १४वें दिन शरीर में ल्यूटनाइजिंग हार्मोन का स्तर अधिक हो जाता है और अंडाशय को अंडाणु निकल जाता है। इस प्रक्रिया को ओवुलेशन कहते हैं।
हर महिला का शरीर अलग तरीके से काम करता है। इसलिए ऐसा जरूरी नहीं है कि हर महिला में एक समान लक्षण देखने मिलेंगे। ओवुलेशन के दिन कुछ लक्षण महसूस हो सकते हैं जिसे पहचाना जा सकता है। कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
मनोदशा में बदलाव- जब ओवुलेशन होता है तो महिला का मन बदल सकता है जैसे कुछ लोगों में चिड़चिड़ापन देखा जा सकता है।
भूख में बदलाव- ओवुलेशन के समय भूख न लगने का भी लक्षण दिखाई देता है। हालांकि कुछ लोगों को ज्यादा भूख लग सकती है।
शरीर का तापमान बढ़ना- चूंकि ओवुलेशन की प्रक्रिया में कई हार्मोन काम करते हैं, इसलिए आमतौर पर ओवुलेशन के समय शरीर का तापमान बढ़जाता है।
योनि से म्यूकस निकलना- ओवुलेशन के पहले योनि से गाढ़ा, और सफेद तरल निकलता है लेकिन ओवुलेशन के समय में यह तरल कम गाढ़ा और चिकना हो जाता है।
गर्भाशय ग्रीवा के स्थान और कठोरता में बदलाव- गर्भाशय ग्रीवा में कोमलता आ सकती है।
सेक्स ड्राइव का बढ़ना- प्रायः ओवुलेशन के समय सेक्स ड्राइव बढ़ सकती है।
स्तनों में कोमलता- ओवुलेशन के होने पर महिलाओं के स्तन पहले की तुलना में मुलायम हो सकते हैं। स्तन मैं दर्द या भारीपन भी महसूस हो सकता है|
वर्तमान समय में ओवुलेशन साइकल को पता करने के लिए कई तरह की विधियां इस्तेमाल की जाती हैं। कुछ निम्नलिखित विधियां इस प्रकार हैं:
ओवुलेशन किट - ओवुलेशन की जांच के लिए ओवुलेशन किट का भी इस्तेमाल किया जाता है। यह किट उसी तरह प्रयोग किया जाता है जैसे गर्भधारण किट का इस्तेमाल होता है। ओवुलेशन किट के बारे में कुछ तथ्य इस प्रकार हैं:
यह किट ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की मदद से परिणाम बताता है।
ओवुलेशन के पहले शरीर में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है।
इसलिए अगर परिणाम ‘हां’ में आता है तो इसका मतलब है कि शरीर में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का स्तर बढ़ गया है और ओवुलेशन ३६ घंटे के भीतर हो सकता है।
कैलेंडर मैथड - इस तरीके में ६ महीने के माहवारी चक्र पर नजर रखा जाता है और इसका विश्लेषण किया जाता है। ओवुलेशन की समयरेखा जानने के लिए आमतौर पर ये कदम उठाए जाते हैं:
सबसे छोटे और सबसे बड़े माहवारी चक्र का पता लगाया जाता है।
इसके बाद सबसे छोटे माहवारी चक्र में से १८ दिन घटा दिए जाते हैं।
और सबसे बड़े वाले मासिक धर्म में से ११ दिन घटा दिए जाते हैं।
घटाने के बाद हमें जो ये २ संख्याएं मिलती हैं, उनके बीच ओवुलेशन होने की संभावना अधिक रहती है।
उदाहरण के लिए यदि सबसे छोटा माहवारी चक्र २८ दिन का है और सबसे ३३ दिनों का है तो माहवारी चक्र के १०वें दिन से लेकर २२वें दिन तक ओवुलेशन की संभावना होती है।
बेसल बॉडी टेंपरेचर - इस तरीके में शरीर का तापमान जानने के लिए एक थर्मामीटर का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ओवुलेशन के समय शरीर का तापमान आधा से १° सेल्सियस तक बढ़ जाता है। बेसल बॉडी टेंपरेचर विधि को करने के लिए ये कदम उठाएं:
सोने से पहले और कुछ खाने- पीने से पहले शरीर का तापमान जांचकर रजिस्टर कर लें।
इसी तरह कई महीनों तक रोज शरीर के तापमान को मापकर लिखते रहें।
कई महीनों का डाटा तैयार हो जाए तो एक पैटर्न को पहचानने की कोशिश करें। ऐसा पैटर्न जिसमे आपके शरीर का तापमान आधा से १° सेल्सियस तक बढ़ जाता है।
इसी दिन ओवुलेशन होने की संभावना अधिक होती है।
सर्वाइकल म्यूकस - यह एक तरह का तरल पदार्थ होता है जो गर्भाशय ग्रीवा में बनता है और योनि द्वारा बाहर निकलता है। ओवुलेशन के पहले यह म्यूकस गाढ़ा, सफेद और सूखा होता है। लेकिन यदि ओवुलेशन होने का समय आ गया हो तो यह म्यूकस कम गाढ़ा और चिकना हो जाता है। म्यूकस में आए इस बदलाव से ओवुलेशन का पता लगाया जा सकता है।
ओवुलेशन के बाद अंडाणु फैलोपियन ट्यूब में १२ से २४ घंटे तक रहता है। इस बीच यदि अंडाणु का शुक्राणु से संपर्क नही होता है तो अंडाणु, फैलोपियन ट्यूब से निकलकर गर्भाशय में आ जाता है। इसके बाद कई हार्मोन की मदद से गर्भाशय की परत हटने लगती है और योनि से रक्तस्राव होता है जिसे हम पीरियड कहते हैं।
आमतौर पर ओवुलेशन के १४ दिन बाद पीरियड शुरू हो जाता है। लेकिन यदि ओवुलेशन नही होता है तो तकनीकी रूप से पीरियड नही आ पाता है। हालांकि कुछ लोगों में ओवुलेशन न होने के बावजूद भी पीरियड्स आ सकते हैं।
गर्भधारण के लिए अंडाणु और शुक्राणु का संपर्क होना आवश्यक होता है। ओवुलेशन की प्रक्रिया से ही अंडाणु फैलोपियन ट्यूब तक पहुंचता है जहां अंडाणु और शुक्राणु मिलते हैं और निषेचन यानि फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू होती है। इसके बाद ४ से ५ दिनों में भ्रूण गर्भाशय में आ जाता है।
इसलिए गर्भधारण करने के लिए ओवुलेशन होना बहुत आवश्यक होता है। जिस भी महिला में ओवुलेशन न होने की समस्या रहती है, उसका गर्भधारण नहीं हो पाता है। ओवुलेशन पीरियड का मतलब होता है दो ओवुलेशन के बीच का समय।
ओवुलेशन पीरियड के दौरान कुछ निम्नलिखित दिनों में संबंध बनाने पर गर्भधारण की संभावना अधिक रहती है:
ओवुलेशन के १ से ५ दिन पहले तक
ओवुलेशन के दिन
ओवुलेशन होने के १२ से २४ घंटे के भीतर
अगर प्रयास करने के बावजूद भी महिला को गर्भधारण नहीं हो पा रहा है तो इसके लिए चिकित्सीय जांच की जा सकती है। इस जांच से यह पता लग जाता है कि महिला में ओवुलेशन हुआ है या नही।
इस जांच में खून का सैंपल लिया जाता है और प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन का स्तर पता किया जाता है। यदि जांच में प्रोजेस्टेरॉन का एक निश्चित स्तर पाया जाता है तो इसका मतलब है कि महिला को ओवुलेशन हुआ है।
ओवुलेशन न होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जो निम्नलिखित हैं:
अभी पीरियड शुरू हुए २ से ३ साल हुए हैं।
रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) होने वाला है।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)
अमेनोरिया
स्तनपान कराना
हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया
प्राइमरी ओवरियन इनसफिशिएंसी
कुछ हार्मोन की समस्या होने पर
गर्भधारण के लिए ओवुलेशन प्रक्रिया का होना बहुत जरूरी होता है इसलिए यदि ओवुलेशन नही हुआ तो गर्भवती हो पाना असम्भव हो जाता है। ऐसे में कुछ घरेलू उपाय जिन्हें करने से ओवुलेशन की संभावना बढ़ जाती है, वो निम्नलिखित हैं:
पौष्टिक और संतुलित आहार लेकर अपना वजन संतुलित रखें।
दैनिक रूप से एक्सरसाइज करें लेकिन अधिक एक्सरसाइज करने से जरूर बचें।
तनाव के स्तर को बढ़ने से रोकें।
ओवुलेशन एक सामान्य सी होने वाली प्रक्रिया है जो महिलाओं को मां बनाने में अहम भूमिका निभाती है। आमतौर पर ओवुलेशन, २८ दिन के माहवारी चक्र में १४वें दिन होता है। ओवुलेशन की समस्या होने पर विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए और उचित इलाज कराना चाहिए।
यदि आप ओवुलेशन के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो HexaHealth की पर्सनल केयर टीम से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा हमारे अनुभवी डॉक्टर आपके सभी समस्याओं को हल करने का प्रयास करेंगे। आप चाहें तो हमारी वेबसाइट पर जाकर ओवुलेशन से जुड़ी अधिक जानकारी ले सकते हैं।
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ओवुलेशन का मतलब होता है अंडाशय से अंडाणु का निकलना। एक सामान्य रूप से स्वस्थ महिला में ओवुलेशन हर महीने होता है। २८ दिन के माहवारी चक्र में ओवुलेशन अक्सर १४वें दिन पर होता है।
अगर माहवारी चक्र २८ दिन का है और नियमित रूप से आता है तो अक्सर पीरियड के १४वें दिन पर ओवुलेशन होता है। हालांकि ओवुलेशन का निश्चित समय नही बताया जा सकता है क्योंकि यह हर महिला के लिए अलग हो सकता है।
महिलाओं में अंडाणुओं की संख्या निश्चित होती है। जब लड़की ८ से १२ वर्ष की होती है, तो शरीर में एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया को पुबर्टी कहते हैं | इस प्रक्रिया में एक अंडाणु परिपक्व होता है और अंडाशय से बाहर निकलता है जिसे ओवुलेशन कहते हैं। पुबर्टी के बाद, हर महीने अंडाशय से एक अंडाणु निकलता है।
ओवुलेशन का समय निर्धारित नही किया जा सकता है लेकिन इसके साइकल का पता लगाया जा सकता है। यदि माहवारी चक्र नियमित रूप से हर महीने होता है तो २८ दिनों के मासिक धर्म में ओवुलेशन १४वें दिन हो जाता है। ओवुलेशन साइकल का पता लगाने के लिए आप कई तरीके इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे:
कैलेंडर मैथड
सर्वाइकल म्यूकस
बेसल बॉडी टेंपरेचर
ओवुलेशन किट
ओवुलेशन के समय शरीर में कई तरह के हार्मोन रिलीज होते हैं जो अंडाणु को परिपक्व करने में मदद करते हैं। ओवुलेशन के समय अंडा तैयार होने की प्रक्रिया इस प्रकार है:
पिट्यूटरी ग्रंथि से रिलीज हुए हार्मोन के कारण तरल पदार्थ से भरे सिस्ट (फॉलिकल) बनते हैं।
इसके ७ दिन बाद, एक फॉलिकल में विकास जारी रहता है जबकि अन्य फॉलिकल में विकास रुक जाता है।
इस एक फॉलिकल में मौजूद अंडाणु को पोषण मिलता रहता है और यह परिपक्व हो जाता है।
प्रायः १४वें दिन ल्यूटनाइजिंग हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है जिससे अंडाशय को अंडाणु बाहर छोड़ने का संकेत मिलता है।
जब अंडाशय से अंडाणु बाहर निकलता है तो इसे ओवुलेशन कहते हैं।
ओवुलेशन कैलकुलेटर एक तरह का अनुमानक होता है जो ये अनुमान लगाता है कि किन दिनों में गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक है। इस कैलकुलेटर में पिछले पीरियड की तारीख और मासिक धर्म के पूरे दिन डालने पर गर्भधारण के संभावित दिन दिखाई पड़ जाते हैं। उदाहरण के लिए किसी महिला का हर महीने १५ तारीख को पीरियड आता है और माहवारी चक्र ३० दिन की है तो गर्भधारण के संभावित दिन २५ से ३० तारीख तक हैं।
ओवुलेशन के समय निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं:
शरीर का तापमान बढ़ना
योनि से तरल पदार्थ (म्यूकस) निकलना
सूंघने, देखने या स्वाद की क्षमता में बढ़ोत्तरी होना
सेक्स ड्राइव का बढ़ना
पेट और कमर के नीचे हल्का दर्द होना
गर्भाशय ग्रीवा के स्थान और कठोरता में बदलाव महसूस होना
पेट में भराव महसूस होना
मनोदशा में बदलाव होना
स्तनों में कोमलता आना
भूख में बदलाव
योनि से हल्का रक्तस्राव या स्पॉटिंग होना
गर्भधारण के लिए अंडाणु और शुक्राणु का संपर्क अति आवश्यक होता है। ओवुलेशन के समय अंडाशय से अंडाणु निकलता है इसलिए उस समय गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक होती है। ओवुलेशन के ३ दिन पहले या फिर ओवुलेशन के दिन सेक्स संबंध बनाने से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
अंडाणु निकलने के २४ घंटे के भीतर गर्भवती होने का प्रयास किया जा सकता है। लेकिन गर्भवती होने के लिए ओवुलेशन के ३ दिन पहले प्रयास करना ज्यादा उचित रहता है क्योंकि शुक्राणु ५ दिन तक फैलोपियन ट्यूब में रहते हैं।
ओवुलेशन के दौरान गर्भधारण के लिए सबसे अधिक संभावना वाले दिन इस प्रकार हैं:
ओवुलेशन के दिन
ओवुलेशन से ३ दिन पहले
ओवुलेशन होने के २४ घंटे के भीतर
यदि आपको बांझपन की समस्या है तो इसके लिए कई तरह के जांच होते हैं जो निम्न हैं:
खून की जांच
लेप्रोस्कोपी
श्रौणिक जांच
एक्स रे
सोनो हिस्टेरोसलपिंगोग्राम
हिस्टेरोस्कोपी
ओवेरियन रिजर्व टेस्टिंग
हार्मोन की जांच
अल्ट्रासाउंड
ओवुलेशन को ट्रैक करने के लिए निम्न तरीके अपनाए जाते हैं:
कैलेंडर मैथड
सर्वाइकल म्यूकस
बेसल बॉडी टेंपरेचर
ओवुलेशन किट
ओवुलेशन के दौरान तनाव कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
लगभग ७-८ घंटे की अच्छी नींद लें।
नियमित रूप से हल्की एक्सरसाइज करें लेकिन अधिक एक्सरसाइज करने से बचें।
ओवुलेशन के दौरान गर्भाधान की संभावना बढ़ाने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं:
नियमित रूप से सेक्स संबंध बनाएं और खासतौर पर ओवुलेशन के ३ दिन पहले यौन संबंध बनाना गर्भधारण के लिए उचित समय होता है।
वजन को नियंत्रित रखें।
ओवुलेशन के बाद यदि गर्भधारण हो गया है तो निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं:
आने वाला पीरियड रुक जाता है।
उल्टी और मतली आना।
थकान
स्तनों का बड़ा होना और कोमल होना।
पहले की तुलना में बार - बार पेशाब होना, खासकर रात के समय में।
पसंदीदा भोजन में स्वाद कम हो जाना।
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Last Updated on: 2 July 2024
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