अगर आप मोतियाबिंद के लक्षणों से परेशान हो चुके हैं तो इसका ऑपरेशन करवाना बेहतर विकल्प हो सकता है। विश्व भर में हर साल लगभग १ करोड़ मोतियाबिंद के ऑपरेशन किए जाते हैं और यह संख्या बढ़ भी रही है। मोतियाबिंद की सर्जरी न होने पर यह अंधेपन का कारण बन सकता है, इसलिए सही समय पर इसका ऑपरेशन करवाना जरूरी होता है।
आजकल मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने में १० से १५ मिनट लगते हैं और मरीज उसी दिन घर आ जाता है। अगर आप मोतियाबिंद ऑपरेशन की कीमत, प्रक्रिया और फायदों के बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
हमारी आंखों के प्राकृतिक लेंस में प्रोटीन मौजूद होता है। जब यही प्रोटीन टूटकर आंखों की लेंस को ढकने लगता है तो आंखों से धुंधला दिखाई देता है। आंखों की इस चिकित्सीय स्थिति को मोतियाबिंद कहते हैं।
मोतियाबिंद ऑपरेशन में प्रभावित नेत्र लेंस को निकाल लिया जाता है और इसकी जगह कृत्रिम लेंस को प्रत्यारोपित (इंप्लांट) कर दिया जाता है।
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मोतियाबिंद ऑपरेशन होने के बाद मरीज को कई फायदे देखने को मिलते हैं जैसे:
दृष्टि सुधार - यह मोतियाबिंद ऑपरेशन की सबसे बड़ी उपलब्धि होती है। दृष्टि वापस आने से मरीज को निम्न फायदे होते हैं:
मरीज रात को गाड़ी चला सकता है।
रंगों को अच्छे से पहचानने की क्षमता आ जाती है।
अधिक प्रकाश में आंखें चौंधियाती नही हैं।
प्रकाश के छल्लों का दिखना बंद हो जाता है।
एक वस्तु की दो छवि दिखना बंद हो जाती है।
कुछ मरीजों को चश्मे की जरूरत महसूस नहीं होती है।[३]
नई दृष्टि - मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद जब दिखना शुरू होता है तो मरीज को सब नया - नया सा लगता है। इससे मरीज वो कर पाता है जो उसने वर्षों से नही किया था जैसे नई किताबें पढ़ना, सिलाई करना, आदि।
दुघर्टना से बचाव - मोतियाबिंद के ऑपरेशन से पहले रात के समय में दुर्घटना होने की संभावना रहती है। लेकिन मोतियाबिंद का इलाज होने के बाद मरीज को अंधेपन की शिकायत नहीं रहती है और दुर्घटना नही होती है।
मोतियाबिंद का ऑपरेशन किसी भी मौसम में और किसी भी समय कराया जा सकता है। मोतियाबिंद के शुरुआती दिनों में आमतौर पर डॉक्टर एक चश्मा बनाकर देते हैं जिससे मोतियाबिंद के लक्षणों को कम किया जा सके। लेकिन निम्न स्थितियों में डॉक्टर मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने की सलाह देते हैं:
रात को आने - जाने में समस्या होना
गाड़ी चलाने में तकलीफ होना
पढ़ने में समस्या आना
दैनिक जीवन के कामों में रुकावट आना।
मोतियाबिंद का ऑपरेशन एक आउटपेशेंट प्रक्रिया के तहत होता है यानी मरीज को उसी दिन छुट्टी मिल जाती है। मोतियाबिंद ऑपरेशन की प्रक्रिया में लगभग १० से १५ मिनट का समय लगता है और पूरी प्रक्रिया करने में १ घंटा लग सकता है।
मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद हॉस्पिटल में लगभग आधा घंटा आराम करने के बाद मरीज घर जा सकता है। मोतियाबिंद ऑपरेशन की प्रक्रिया कुछ इस तरह होती है:
आंखों को सुन्न करना - सबसे पहले आंखों में ड्रॉप छोड़े जाते हैं जिससे आंखों की सतह सुन्न हो जाती है। इसे टॉपिकल एनेस्थिसिया कहते हैं। इसके अलावा मरीज को दवा भी दी जाती है जिससे आराम महसूस होता है। ऐसा करने से मरीज होश में रहता है लेकिन उसको कुछ दिखाई नहीं देता है।
आंखों में चीरा लगाना - इसके बाद आंख (कॉर्निया) में चीरा लगाया जाता है। चीरा लगाने के लिए लेजर या ब्लेड का इस्तेमाल किया जा सकता है।
मोतियाबिंद को तोड़कर निकालना - इसके बाद एक अल्ट्रासाउंड उपकरण की मदद से मोतियाबिंद से प्रभावित लेंस को छोटे - छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है। फिर इन टुकड़ों को बाहर निकाल लिया जाता है।
नए लेंस को लगाना - इसके बाद नए आर्टिफिशियल लेंस को उसी जगह लगाया जाता है। इसे इंट्राऑक्युलर लेंस कहा जाता है।
आंख की सुरक्षा - नया लेंस लग जाने के बाद मरीज की आंखों में पट्टी लगा दी जाती है। पट्टी लगाने से आंख सुरक्षित रहती है।
मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद उसी दिन मरीज घर आ जाता है और आंखों पर लगी पट्टी को अगले दिन हटा दिया जाता है। ऑपरेशन के कुछ घंटों बाद ही दृष्टि लौटने का आभास होने लगता है। मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद अच्छी रिकवरी के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:
आंखों के ड्रॉप को उसी तरह इस्तेमाल करना है जैसा डॉक्टर ने बताया है।
२ से ३ दिन तक पूरी तरह आराम करना चाहिए।
बहार जाते समय और घर पर भी धुप मैं बैठते समय काले चश्मे या दिए गए सुरक्षा कवच को लगाएं।
दर्द निवारक दवाइयों की जरूरत पड़ती है तो इसे ले सकते हैं।
शुरू के १ महीने बाल नहीं धोने की सलाह देंगे डॉक्टर| उसके बाद बालों को धोते समय अपने सुरक्षा कवच को जरूर लगाएं।
बाहर जाते समय दिए गए काले चश्मे को लगाएं।
जब तक डॉक्टर न कहें तब तक तैरने न जायेंं।
ड्रॉप का सही इस्तेमाल करें: मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद रिकवरी के समय में डॉक्टर द्वारा दिए गए ड्रॉप का सही इस्तेमाल करना जरूरी होता है। लापरवाही बरतने से आंखों में संक्रमण या अन्य दुष्परिणाम दिख सकते हैं। ड्रॉप को इस्तेमाल करने का सही तरीका इस प्रकार है:
सबसे पहले अपने हाथों को धोएं।
आंखों की ड्रॉप को इस्तेमाल करने से पहले इसे अच्छी से हिला लें।
अब अपने सिर को पीछे की तरफ ले जाएं और थोड़ा ऊपर उठाएं।
अपने नीचे वाली पलक को आराम से नीचे की ओर खिंचे।
अब ड्रॉप की बूंद को आंख में डालें।
अब अपनी आंखों को बंद कर लें और आस - पास के द्रव को गिर जाने दें।
ड्रॉप को डालते समय ध्यान रखें कि ड्रॉप की बोतल और आंख का संपर्क न होने पाए।
अलग अलग मरीजों में रिकवरी का समय अलग - अलग हो सकता है जैसे:
अधिक उम्र के मरीजों की तुलना में १६ से ४५ साल के मरीजों में २०% तेजी से रिकवरी होती है।
गांवों की अपेक्षा शहरों में रहने वाले मरीजों की रिकवरी गति में ५९% बढ़ोत्तरी देखी गई है।
चोट लगने से हुई मोतियाबिंद की सर्जरी में ७५% तेज रिकवरी होती है।
सेकंडरी मोतियाबिंद के मरीजों में भी रिकवरी की गति ५९% अधिक देखी गई है।
मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद बेहतर रिकवरी के लिए कुछ सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए। ऐसा करने से गंभीर दुष्परिणाम देखने को नही मिलते हैं और रिकवरी की गति बढ़ जाती है।
मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए:
आंखों को रगड़ने से बचना चाहिए
डॉक्टर के निर्देश देने के बाद ही ड्राइविंग शुरू करें
कम से कम ४ हफ्तों के लिए आंखों में मेकअप न लगाएं
आंखों में शैंपू या साबुन नही जाना चाहिए
तैरने से बचें
डॉक्टर से पूछकर ही हवाई यात्रा करें
भारत में मोतियाबिंद ऑपरेशन की कीमत लगभग ३०,००० रुपए से शुरू होती है और अधिकतम १,४०,००० रुपए तक हो सकती है। औसतन मोतियाबिंद के ऑपरेशन में लगभग ८५,००० रूपए होता है। मोतियाबिंद के ऑपरेशन में लगने वाला खर्च कई कारकों पर निर्भर करता है जो निम्नलिखित हैं:
हॉस्पिटल - शहर में कई तरह के हॉस्पिटल होते हैं जिनमे मोतियाबिंद ऑपरेशन का खर्च अलग हो सकता है।
सर्जन का अनुभव - अनुभवी सर्जन अपना शुल्क अधिक ले सकते हैं जिस वजह से मोतियाबिंद ऑपरेशन का खर्च बढ़ सकता है।
शहर - अलग - अलग शहरों में मोतियाबिंद ऑपरेशन की कीमत भिन्न हो सकती है। जैसे दिल्ली में औसतन १,००,००० रुपए और गुरुग्राम में औसतन ९५,००० रूपए तक का खर्च आ सकता है।
ऑपरेशन का प्रकार - मोतियाबिंद के ऑपरेशन में मुख्य रूप से ४ विधियां इस्तेमाल की जाती हैं। इन चारों विधियों से होने वाला ऑपरेशन अलग - अलग हो सकता है।
लेंस की कीमत - आमतौर पर ३ तरह के लेंस होते हैं जिनकी कीमत अलग होती है। महंगा लेंस लगवाने पर मोतियाबिंद ऑपरेशन का खर्च बढ़ सकता है।
मरीज की स्थिति - मोतियाबिंद ऑपरेशन का खर्च मरीज के स्वास्थ्य, उम्र और मोतियाबिंद के स्तर पर भी निर्भर करता है।
मोतियाबिंद ऑपरेशन के खर्च का अवलोकन
ऑपरेशन के खर्च का स्तर | खर्च (₹) |
कम से कम खर्च | ३०,००० |
औसत खर्च | ८५,००० |
अधिकतम खर्च | १,४०,००० |
मोतियाबिंद ऑपरेशन में लगने वाले खर्च का विवरण निनलिखित है।
खर्च के कारक | खर्च (₹) |
डॉक्टर परामर्श शुल्क | ६०० |
ओपीडी शुल्क | ६०० |
निदान शुल्क | २५,०० |
अलग - अलग लेंसो की शुल्क रेंज | २५,००० से १,००,००० प्रति आंख |
दवाई | २,००० |
ऑपरेशन के बाद का खर्च | २,००० |
अलग - अलग लेंस की कीमत निम्न रूप से है।
लेंस | लेंस के कीमत की रेंज (₹) |
मोनोफोकल लेंस | २५,०००-५५,००० प्रति आंख |
मल्टीफोकल लेंस | ५५,०००-८५,००० प्रति आंख |
टॉरिक लेंस | ८५,०००-१,००,००० प्रति आंख |
कुछ शहरों में मोतियाबिंद ऑपरेशन का खर्च
शहर का नाम | खर्च की रेंज (₹) | औसत खर्च (₹) |
दिल्ली | ३०,००० - १,४५,००० | १,००,००० |
गुरुग्राम | २५,००० - १,४०,००० | ९५,००० |
यदि मोतियाबिंद का इलाज न किया जाए तो इससे निम्न जोखिम हो सकते हैं:
अंधापन बढ़ना - उम्र के साथ मोतियाबिंद का स्तर बढ़ता रहता है जिस वजह से मरीज का अंधापन भी बढ़ता रहता है।
हमेशा के लिए अंधापन - इलाज न होने पर आंखों के अंदर सूजन और फ्लूइड प्रेशर बढ़ सकता है जिससे हमेशा के लिए अंधापन हो सकता है।
दुर्घटना - कमजोर दृष्टि के कारण मरीज के लड़खड़ाकर गिरने या एक्सीडेंट होने का खतरा बना रहता है।
वैसे तो मोतियाबिंद का ऑपरेशन कभीभी कराया जा सकता है लेकिन डॉक्टर इसकी सलाह तब देते हैं जब मोतियाबिंद के कारण दैनिक जीवन प्रभावित होने लगता है। मोतियाबिंद को ठीक करने के लिए एकमात्र विकल्प ऑपरेशन ही होता है। इस ऑपरेशन को करने में १० से १५ मिनट लगते हैं और कुछ हफ्तों में मरीज पूरी तरह रिकवर हो जाता है।
अगर आप भी मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाना चाहते हैं तो HexaHealth के माध्यम से अनुभवी डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। इसके अलावा हमारी पर्सनल केयर टीम आपके सभी समस्याओं को समझेगी और उचित सलाह देगी। आप निश्चिंत रह सकते हैं कि आपको सबसे सही सलाह दी जाएगी।
मोतियाबिंद पर अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
मोतियाबिंद का ऑपरेशन एक सर्जिकल प्रक्रिया होती है जिसमे मोतियाबिंद से प्रभावित लेंस को निकाल लिया जाता है। उसकी जगह एक नया आर्टिफिशियल लेंस प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
मोतियाबिंद का ऑपरेशन किसी भी समय कराया जा सकता है। वैसे देखा जाय तो डॉक्टर आपको तब मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने की सलाह देते हैं जब मोतियाबिंद की वजह से दैनिक कामों में रुकावट आने लगती है।
मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने से मरीज को कई लाभ होते हैं जैसे:
अंधेपन से बचाव
तेज और साफ दृष्टि
रात में ड्राइविंग करना आसान हो जाता है
रंगों की पहचान करने में आसानी होती है
प्रायः चश्मे की जरूरत भी नही पड़ती है
मोतियाबिंद के ऑपरेशन के दौरान आंखों के आस पास के क्षेत्र को लोकल एनेस्थीसिया द्वारा सुन्न कर दिया जाता है। एनेस्थीसिया के कारण मरीज को दर्द का एहसास नहीं होता है।
हां, दोनों आंखों का ऑपरेशन एक ही बार में करवाया जा सकता है लेकिन इसमें लापरवाही होने पर आंखों में संक्रमण होने का खतरा रहता है। इसलिए कुछ सर्जन सबसे पहले एक आंख का ऑपरेशन करते हैं। वहीं पर कुछ सर्जन उचित सावधानी रखते हुए दोनों आंखों का ऑपरेशन करते हैं।
आमतौर पर मोतियाबिंद के ऑपरेशन में ४ तरह के लेंस इस्तेमाल होते हैं, जो निम्न हैं:
मोनोफोकल लेंस: इस तरह के लेंस नजदीक या फिर दूर की चीजों पर फोकस करने के लिए होते हैं।
मल्टीफोकल लेंस: यह लेंस दूर और नजदीक दोनों जगहों पर फोकस करता है।
अकोमोडेटिव लेंस: यह एक ऐसा लेंस होता है जो हर जगह की चीजों पर फोकस कर पाता है। यह लगभग प्राकृतिक लेंस जैसा काम करता है।
टॉरिक लेंस: यह लेंस एस्टिगमैटिज्म और निकट दृष्टि दोष के लिए इस्तेमाल होता है।
इन चारों लेंस का इस्तेमाल मरीज के आंखों की स्थिति पर निर्भर करता है इसलिए आंखों का निदान होने के बाद सर्जन आपको बेहतर लेंस के लिए सुझाव देते हैं।
मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए मुख्य रूप से ४ तरीके होते हैं जो निम्नलिखित हैं:
फैको विधि
फेम्टोसेकेंड लेजर विधि
एक्स्ट्राकैप्सुलर मोतियाबिंद ऑपरेशन
इंट्राकैप्सुलर मोतियाबिंद ऑपरेशन
मोतियाबिंद सर्जरी के लिए ४ तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं। मोतियाबिंद के स्तर को देखते हुए सर्जन उचित तरीके का इस्तेमाल करते हैं।
उदाहरण के लिए यदि मोतियाबिंद का स्तर अधिक है और प्राकृतिक लेंस कठोर हो गया है तो ऐसे में फैको विधि का इस्तेमाल नहीं हो पाता है। ऐसे मामलों में प्रायः एक्स्ट्राकैप्सुलर या इंट्राकैप्सुलर विधि का इस्तेमाल होता है।
मोतियाबिंद ऑपरेशन से पहले डॉक्टर निम्न सावधानियां बरतने के लिए कहते हैं:
ऑपरेशन के १२ घंटे पहले कुछ खाने - पीने से बचना है।
ऐसे दवाइयां खाने से बचना है जिनसे ऑपरेशन के समय ब्लीडिंग हो सकती है।
इन्फेक्शन से बचने के लिए ड्रॉप का इस्तेमाल करना।
जटिलताओं से बचने के लिए मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद निम्न सावधानियां रखनी चाहिए:
आंखों को रगड़ने से बचें।
डॉक्टर के निर्देश पर ही ड्राइविंग शुरू करें।
कठिन एक्सरसाइज या काम करने से बचें।
आंखों में शैंपू या साबुन नही जाना चाहिए।
डॉक्टर से पूछकर ही हवाई यात्रा करें।
कम से कम ४ हफ्तों के लिए आंखों में मेकअप न लगाएं।
मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद २ से ३ दिन तक आराम करना चहिए। आंखों को पूरी तरह ठीक होने में ४ से ८ हफ्ते लगते हैं तो इस दौरान डॉक्टर के निर्देशों को अच्छे से पालन करें जैसे स्विमिंग न करें, वजन न उठाएं और आंखों को धूप से बचाएं।
मोतियाबिंद सर्जरी के बाद पूरी तरह से रिकवर होने में लगभग ४ से ८ हफ्ते लग सकते हैं। हालांकि ऑपरेशन के अगले दिन से ही मरीज को दिखना शुरू हो जाता है।
मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद कुछ लोगों को चश्मा पहनने की जरूरत पड़ सकती है। वहीं कुछ लोगों को चश्मे की जरूरत नही पड़ती है। चश्मे की जरूरत मरीज की आंखों की स्थिति पर निर्भर करता है।
भारत में मोतियाबिंद का ऑपरेशन खर्च कम से कम ₹ ३०,००० और अधिकतम खर्च ₹ १,४०,००० होता है। इसके अलावा मोतियाबिंद ऑपरेशन का औसतन खर्च लगभग ८५,०००₹ तक होता है।
हां, मोतियाबिंद का ऑपरेशन बीमा के अंतर्गत कराया जा सकता है। देश भर में कुछ हॉस्पिटल हैं जो मोतियाबिंद की सर्जरी बीमा के तहत करते हैं। दिल्ली में एक्यूरा आई केयर, मुंबई में दृष्टि नेत्रालय और बेंगलुरु ने नीलविगी आई हॉस्पिटल जैसे संस्थान मोतियाबिंद का ऑपरेशन बीमा पॉलिसी के तहत करते हैं।
मोतियाबिंद की सर्जरी में कुछ सामान्य दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं जो निम्न हैं:
आंखों में किरकिराहट महसूस होना
धुंधली दृष्टि
आंखें लाल होना
आंखों से पानी निकलना
एक वस्तु की दो छवि दिखाई देना
सामान्य दुष्प्रभावों के अलावा कुछ गंभीर जटिलताओं का भी जोखिम रहता है जो निम्लिखित हैं:
आंख में संक्रमण
आंखों से रक्तस्राव
आंखों के अंदर या बाहर सूजन होना
रेटीना में सूजन
रेटीना का अलग हो जाना
आंखों के अन्य भाग में डैमेज आना
ऐसा दर्द होना जो ओवर द काउंटर पर मिलने वाली दवाइयों से ठीक नही होता है।
धुंधला दिखाई देना
सेकेंडरी मोतियाबिंद
दृष्टि खो देना
इंट्राऑक्युलर लेंस अपने स्थान से खिसक सकता है।
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Last Updated on: 12 August 2023
MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES
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Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More
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