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Kamar Dard Ke Karan - कमर दर्द क्यों होता है और क्या प्रमुख कारण है?

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Medically Reviewed by Dr. Aman Priya Khanna
Written by Nikita Tyagi, last updated on 9 September 2023| min read
Kamar Dard Ke Karan - कमर दर्द क्यों होता है और क्या प्रमुख कारण है?

Quick Summary

  • Kamar dard ab ek aisi bimari ban chuki hai jo budhho ke alawa yuvak logon mein bhi dekhi jaati hai. America ke rashtriya swasthya sansthan ke anusaar duniya ke 23% yuvako ko kamar mein dard ki shikayat rehti hai. yadi is par dhyan na diya jaaye to yah kafi kashtdayak ho sakta hai
  • Sarire ka nichla hissa sarir ke adhiktar wajan ko uthate hai khas taur par jab koi vyakti jhukata hai, mudata hai ya phir kisi bhaari saman ko uthata hai to uska sara wajan rir ke nichle hisse par hota hai. Aise mein agar maseshiyon mein ya ligaments mein koi samasya ho jaaye to woh kamar dard ka karan ban sakta hai. Chalie samjhate hain ki aakhir kamar mein dard kyon hota hai aur iske mukhya karan kya hote hain.
  • Kamar dard ke karan

कमर दर्द अब एक ऐसी बीमारी बन चुकी है जो बुजुर्गों के अलावा युवा लोगों में भी देखी जाती है। अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार दुनिया के २३% युवाओं को कमर में दर्द की शिकायत रहती है। यदि इस पर ध्यान ना दिया जाए तो यह काफी कष्टदायक हो सकता है

शरीर का निचला हिस्सा शरीर के अधिकतर वजन को उठाता है खासतौर से जब कोई व्यक्ति झुकता है, मुड़ता है या फिर किसी भारी सामान को उठाता है तो उसका सारा वजन रीढ़ के निचले हिस्से पर होता है। ऐसे में अगर मांसपेशियों में या लिगामेंट्स में कोई समस्या हो जाए तो वह कमर दर्द का कारण बन सकता है। चलिए समझते हैं कि आखिर कमर में दर्द क्यों होता है और इसके मुख्य कारण क्या होते हैं।

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कमर दर्द क्या है

कमर दर्द रीढ़ की हड्डी के नीचे होने वाला एक दर्द है। कमर दर्द के कारण व्यक्ति को अपने दैनिक कामों को करने में समस्या होने लगती है। यह दर्द कुछ लोगों को हल्का होता है तो वहीं कुछ के लिए यह बहुत तकलीफ देने वाला भी होता है।
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कमर में दर्द होने के मुख्य कारण

कमर दर्द के कारण कई हो सकते हैं लेकिन कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:   

जीवनशैली के कारण

कभी - कभी दैनिक जीवन में होने वाली क्रियाकलापों के कारण भी कमर में दर्द हो सकता है जो इस प्रकार हैं: 

  1. धूम्रपान: धूम्रपान करने वाले लोगों में भी कमर में दर्द की परेशानी देखी गई है। सिगरेट पीने की वजह से शरीर के अंदरूनी हिस्से में सूजन बढ़ जाती है जिसकी वजह से व्यक्ति को कमर में हल्का या तेज दर्द महसूस हो सकता है। 
  2. गलत मुद्रा: कमर में दर्द कई बार गलत मुद्रा में उठने - बैठने या फिर चलने से भी हो सकता है। यह कमर दर्द होने का बहुत आम कारण है।
  3. सोने के लिए गलत गद्दे: अधिक ठोस या नरम गद्दे पर सोने की वजह से हड्डियों और मांसपेशियों का संरेखण ( एलाइनमेंट ) खराब हो जाता है जिस वजह से सिर्फ कमर में ही नही बल्कि पीठ में भी दर्द होता है।
  4. मोटापा: मोटापे के कारण कमर पर अधिक जोर पड़ सकता है जिससे कमर दर्द होने की संभावना रहती है।
  5. गर्भावस्था: गर्भावस्था में हार्मोन बदलते हैं जिसके कारण शरीर के लिगामेंट काफी नरम हो जाते हैं। इस कारण कमर के जोड़ों पर दबाव बढ़ता है और दर्द होता है। 
  6. शारीरिक मेहनत या खेलकूद: खेलकूद या शारीरिक मेहनत करने से कभी - कभी हड्डियों और लिगामेंट में खिंचाव हो जाता है जिससे कमर में दर्द हो सकता है। 
  7. तनाव लेने से: तनाव या स्ट्रेस लेना कमर दर्द का कारण बन सकता है। तनाव होने पर व्यक्ति अक्सर एक जगह बैठा रहता है जिससे शरीर में ऐंठन और कमर दर्द होता है।
  8. पोषक तत्वों की कमी: कमर में दर्द होने के पीछे मुख्य कारण कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, जिंक, विटामिन डी, ओमेगा फैटी एसिड आदि जरूरी तत्वों की कमी से होता है। 

बीमारी के कारण

कमर में दर्द प्रायः बीमारियों की वजह से भी हो सकता है जो निम्नलिखित हैं:
  1. गृध्रसी (साइटिका): हड्डियों के अधिक वृद्धि या हेर्निएट डिस्क के कारण साइटिक नर्व पर दाब पड़ने के कारण साइटिका बीमारी होती है। इसमें पूरे साइटिक नर्व ( कमर से लेकर पैरों तक ) में दर्द होता है।
  2. पीठ की गठिया: पीठ के निचले हिस्से में गठिया होने पर दर्द और सूजन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसके साथ ही पीठ की गठिया कमर में अकड़न और सूजन जैसी समस्याओं को भी उत्पन्न कर देती है। 
  3. हड्डी का संक्रमण (ओस्टियोमाइलाइटिस): हड्डी का संक्रमण एक बहुत ही कष्टदायक और खतरनाक बीमारी है। जब बैक्टीरिया हड्डियों में प्रवेश कर लेते हैं तो उसकी वजह से शरीर की हड्डियों में संक्रमण तेजी से वृद्धि करने लगता है। इसके कारण मांसपेशियों में ऐंठन, कमर के हड्डियों में दर्द व पस ( मवाद ) बनने लगता है।
  4. रीढ़ की हड्डी में कैंसर: रीढ़ की हड्डी में कैंसर होने की वजह से रीढ़ की हड्डी में दबाव बढ़ जाता है। इसके कारण कमर में लगातार दर्द होने के साथ - साथ मांसपेशियों में कमजोरी, तंत्रिका तंत्र पर सुन्नता, वजन घटने लगता है और शरीर में थकावट होने लगती है।
  5. लाइम रोग: लाइम रोग एक संक्रामक बीमारी है जो बोरेलिया बर्गडोरफेरी नाम के बैक्टीरिया के काटने से होती है। इसकी वजह से कमर में दर्द और अकड़न महसूस होती है।
  6. किडनी से जुड़ी बीमारी:  किडनी से जुड़ी बीमारियां जैसे पथरी, इन्फेक्शन आदि कमर दर्द के कारण में से एक हैं। जब पथरी मूत्र की नली में फंस जाती है तो भी कमर में तेज दर्द होता है।
  7. रीढ़ की हड्डी का इन्फेक्शन: रीढ़ की हड्डी में इंफेक्शन कमर के ऊपरी हिस्से में होता है और इसकी वजह से कमर दर्द के साथ साथ सूजन की समस्या भी हो सकती है।
  8. मायोफेशियल दर्द: मायोफेशियल दर्द आमतौर पर चोट या फिर संयोजी ऊतक में समस्या होने की वजह से होता है। जब संयोजी ऊतक सिकुड़ जाते हैं या फिर सख्त हो जाते हैं तो वो हड्डियों, नसों, मांसपेशियों पर दबाव डालते हैं। 

चोट लगने से

कमर में दर्द होने के पीछे चोट लगना एक मुख्य कारण है। कमर में दर्द होने के पीछे निम्नलिखित वजहें हो सकती हैं: 
  1. दुर्घटना के कारण: कमर में दर्द होने का यह एक मुख्य कारण है। आमतौर पर किसी भी छोटी या बड़ी दुर्घटना में हड्डियां फ्रैक्चर हो सकती हैं जिससे कमर दर्द होता है।
  2. डिस्क खिसकने से: डिस्क के अपने वास्तविक जगह से खिसकने के कारण कमर में तेज दर्द हो सकता है।

उम्र के कारण

६० साल से अधिक उम्र के लोगों में कमर दर्द की समस्या रहती है। उम्र बढ़ने पर कमर दर्द के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं: 
  1. उम्र बढ़ने के साथ - साथ शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है जिससे हड्डियों में कमजोरी आने लगती है।
  2. रीढ़ की हड्डी के डिस्क में से तरल पदार्थ कम होने लगता है।
  3. जोड़ों के बीच का कार्टिलेज नष्ट होने लगता है।

सारांश

इस लेख में हमने समझा कि कमर दर्द एक ऐसी समस्या है जो अक्सर अधिक उम्र के लोगों में होती है लेकिन कुछ कारणों से युवाओं में भी देखी जा सकती है। कमर दर्द के कारण मुख्य रूप से गर्भावस्था, लिगामेंट में खिंचाव, किडनी का इन्फेक्शन और रीढ़ की हड्डी का गठिया हो सकते हैं। कई दिनों से या लगातार कमर में दर्द होने पर ऑर्थोपेडिक डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए। 

हड्डी में हुई किसी भी प्रकार की समस्या को एक अनुभवी ऑर्थोपेडिक डॉक्टर ठीक कर सकता है। ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से सलाह लेने में हेक्साहेल्थ आपकी मदद करता है। इसके अलावा हमारे टीम के प्रशिक्षित सदस्य सर्जरी के पहले से लेकर पूरी तरह रिकवर होने तक आपका ध्यान रखते हैं। किसी भी तरह के कागजी काम जैसे बीमा क्लेम करवाने में भी हेक्साबडीज निशुल्क मदद करते हैं। हेक्साहेल्थ (HexaHealth) के २५,०००+ मरीज हमारी सेवा से पूरी तरह खुश हैं।

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अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

कमर दर्द के कारण की बात करें तो आमतौर पर तेज कमर दर्द कशेरूका (वर्टेब्रा) में फ्रैक्चर होने, मांसपेशियों में खिंचाव होने, किडनी में इंफेक्शन या पथरी होने, रीड की हड्डी में चोट लगने या सूजन होने पर होता है। 
 
प्रेगनेंसी में महिलाओं की कमर में दर्द आम है विशेषकर गर्भावस्था के शुरुआती समय में। प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर के लिगामेंट के नरम होने, वजन बढ़ने, हार्मोन बदलाव और तनाव की वजह से कमर में दर्द हो सकता है। 
 
पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे कि
  1. रीढ़ की गठिया
  2. कमर की चोट 
  3. कशेरुकाओं में टूट फूट
  4. लिगामेंट में खिंचाव
  5. तनाव 
पीठ के निचले हिस्से के दर्द को जल्दी सही करने के लिए ऑर्थोपेडिक डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डॉक्टर आपकी पीठ के निचले हिस्से के दर्द की जांच करते हैं और उसके अनुसार फिर दर्द को ठीक करने के लिए कुछ दवाइयां जैसे कि नेप्रोक्सीन, इबुप्रोफेन लेने की सलाह देते हैं। इसके अलावा डॉक्टर कमर में सिकाई ,हल्दी का दूध, अदरक का सेवन करने के लिए भी कह सकते हैं। 
 
रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में मुख्य रूप से लिगामेंट व मांसपेशियों में खिंचाव होने, गलत मुद्रा में उठने - बैठने, भारी सामान उठाने और बुढ़ापे की वजह से हो सकता है। कई बार यह दर्द किसी गंभीर रोग की तरफ इशारा कर सकता है जैसे ट्यूमर, क्रॉनिक किडनी की बीमारी इत्यादि। इसलिए कमर दर्द बार - बार हो या लंबे समय तक हो तो ऐसे में ऑर्थोपेडिक डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए। 
 
कमर दर्द के निम्नलिखित प्रकार होते हैं:
  1. एक्यूट कमर दर्द यानी कि ऐसा दर्द जो अचानक बहुत तेज होता है और कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक होता है।  
  2. सब-एक्यूट कमर दर्द यानी कि अचानक से होने वाला कमर दर्द जो 4 हफ्तों से लेकर 12 हफ्तों तक रहता है।
  3. क्रॉनिक कमर दर्द यानी कि ऐसा दर्द जो पुराना होता है और लगभग 12 सप्ताह से ज्यादा समय तक रहता है। 
पीठ के निचले हिस्से में दर्द के प्रकार निम्नलिखित हैं 
  1. गैर विशिष्ट दर्द- पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों में होने वाला सबसे आम दर्द जो आमतौर पर स्पष्ट नहीं होता कि आखिर दर्द का कारण क्या है। 
  2. मांसपेशियों में ऐंठन- इस प्रकार का दर्द मांसपेशियों में जकड़न और ऐंठन की वजह से होता है।  
  3. रेडिकुलर दर्द- यह दर्द व्यक्ति की पीठ से लेकर पैरों तक होता है और इसके कारण पैरों में झुनझुनी और मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होती हैं। 
  4. गृध्रसी (साइटिका)- गृध्रसी दर्द तंत्रिका पर दबाव पड़ने या चोट लगने या नसों में सूजन आने की वजह से होता है। 
हर इंसान के शरीर में ३३ कशेरूकाएं (वर्टेब्रा) होती हैं जिनको रबड़ जैसी छोटी गद्देदार डिस्क सहारा देने का काम करती हैं। इसके अलावा कमर की डिस्क का काम रीड की हड्डी को मजबूती देना भी होता है। 
 
जब डिस्क अपनी जगह से हट जाती है तो उस वजह से हाथ या पैर में दर्द होता है और साथ ही साथ झनझनाहट और सनसनाहट सी महसूस होती है। यह समस्या अधिक आयु वाले लोगों में देखी जाती है। आमतौर पर स्लिप डिस्क व्यायाम करने, थेरेपी लेने से ६ सप्ताह के अंदर अंदर ठीक हो जाता है।
स्लिप डिस्क होने पर रोगी को ऑर्थोपेडिक डॉक्टर कुछ दर्द कम करने वाली दवाइयां जैसे इबुप्रोफेन, नेप्रोक्सीन, व्यायाम और थेरेपी की सलाह देते हैं। लेकिन जब इन सब उपायों से स्लिप डिस्क ठीक नहीं होता तो तब ऐसे में डॉक्टर रोगी की सर्जरी कर सकते हैं।
 
स्लिप डिस्क से पीड़ित व्यक्ति को लंबे समय तक बैठने से बचना चाहिए। मरीज को कुर्सी पर पीछे होकर बैठना चाहिए और आगे की तरफ नही झुकना चाहिए। ऐसा करने से डिस्क पर जोर नही पड़ता है और दर्द नही होता है। इसके साथ-साथ अपनी रीढ़ को कुर्सी के पीछे मजबूती के साथ टिका के रखना चाहिए। 
 
पीठ दर्द होने पर दर्द निवारक टेबलेट लेने से दर्द में कमी हो सकती है। पीठ दर्द होने पर आर्थोपेडिक डॉक्टर की सलाह पर दर्द निवारक दवाईयां जैसे आइबुप्रोफेन और नेप्रोक्सीन टेबलेट ली जा सकती हैं।  
 
सीने के पीछे पीठ में दर्द होने के बहुत से कारण हो सकते हैं जिनमें से मुख्य कारण निम्नलिखित हैं :
  1. मांसपेशियों में खिंचाव होने या फिर चोट लगने से
  2. पेट में गैस बनने से
  3. दिल की बीमारी होने से 
पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने के लिए व्यायाम करना काफी मददगार हो सकता है। ‌इसलिए पीड़ित को चाहिए कि वह निम्नलिखित व्यायाम का रोज अभ्यास करे:
  1. घुटना - छाती तनाव (नी-टु-चेस्ट स्ट्रेचिस) 
  2. चक्रवकासन (रोटेशनल स्ट्रेचिस)
  3. आसीन चक्रवकासन ( सीटिड रोटेशनल स्ट्रेचिस )
  4. मर्जरा तनाव ( कैट स्ट्रेचिस )
  5. अर्धवृत्त आसन ( पार्शियल कर्व्स )
कई बार पेट में गैस बनने के कारण कमर में दर्द की समस्या होने लगती है। ऐसी स्थिति में कमर दर्द के साथ-साथ पेट में भी दर्द हो सकता है। गैस के कारण कमर दर्द होने पर डॉक्टर इंजेक्शन लगा सकते हैं। आमतौर पर गैस के कमर में दर्द से घरेलू उपाय जैसे कि हल्दी, अदरक का सेवन करके राहत पाया जा सकती है।
 
कमर के दाहिने साइड में दर्द डिस्क के खराब होने या चोट लगने, मांसपेशियों में ऐंठन होने, रीढ़ की हड्डी में चोट लगने, किडनी में संक्रमण या पथरी होने की वजह से होता है। 
 
कमर के लेफ्ट साइड में दर्द होने के पीछे बहुत से कारण होते हैं जो निम्नलिखित हैं :
  1. लिगामेंट या मांसपेशियों में खिंचाव होना
  2. रीढ़ की हड्डी में इंफेक्शन या चोट लगना
  3. गृध्रसी ( साइटिका ) होने पर
  4. गर्भावस्था के कारण 
  5. गुर्दे में पथरी या इंफेक्शन होना 

Last Updated on: 9 September 2023

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Aman Priya Khanna

Dr. Aman Priya Khanna

MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES

12 Years Experience

Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More

लेखक

Nikita Tyagi

Nikita Tyagi

BPharm (Jawaharlal Nehru Technical University, Hyderabad)

2 Years Experience

An enthusiastic writer with an eye for details and medical correctness. An avid reviewer and publisher. She emphasises authentic information and creates value for the readers. Earlier, she was involved in making ...View More

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