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एसजीपीटी का स्तर नियंत्रित कैसे करें? - How to Control SGPT in Hindi

एसजीपीटी (सीरम ग्लूटामेट पाइरूवेट ट्रांसएमिनेस) लिवर में पाए जाने वाले एंजाइम में से एक है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए एसजीपीटी का नियंत्रण में रहना हमारे लिए काफ़ी आवश्यक होता है। रक्त में एसजीपीटी का बढ़ा हुआ स्तर हृदय या लिवर की क्षति या समस्याओं का संकेत दे सकता है।

कई बार ज्यादा शराब के सेवन, स्मोकिंग से और अनियंत्रित खान-पान की वजह से एसजीपीटी बढ़ जाता है। इस लेख में समझते हैं कि एसजीपीटी क्या है और एसजीपीटी को कैसे नियंत्रित करें? तो आइये, बढ़ते है मुख्य लेख की ओर।

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एसजीपीटी क्या है? - What is SGPT in Hindi?

एसजीपीटी (सीरम ग्लूटामिक पाइरुविक ट्रांसएमिनेज) एक एंजाइम है, जो आमतौर पर लिवर और हृदय की कोशिकाओं में पाया जाता है। एसजीपीटी को एएलटी यानि ऐलेनिन एमिनोट्रांस्फरेज़ के नाम से भी जाना जाता है। 

यदि हृदय और लिवर में किसी प्रकार का इंफेक्शन होता है या हेपेटाइटिस का संक्रमण होता है तो एसजीपीटी एंजाइम का स्तर हमारे रक्त में बढ़ जाता है। इसलिए हृदय या लिवर की बीमारी होने पर खून में एसजीपीटी की मात्रा बढ़ जाती है। वहीं, कुछ दवाएं (जैसे कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा) एसजीपीटी के लेवल को भी बढ़ा सकती हैं। आमतौर पर एसजीपीटी रेंज लगभग ७ से ५५ यूनिट/ लीटर सीरम होनी चाहिए। सीरम को आमतौर पर ब्लड प्लाज्मा भी कहते हैं।

Normal sgpt range

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एसजीपीटी स्तर बढ़ने के कारण - Reasons for increased SGPT in Hindi

बढ़ा हुआ एसजीपीटी कोई स्थिति नहीं है लेकिन रक्त में एसजीपीटी का बढ़ा हुआ स्तर लिवर की क्षति या समस्याओं का संकेत दे सकता है। सिरोसिस और हेपेटाइटिस एसजीपीटी के स्तर को बढ़ाते हैं। इसलिए, हम एसजीपीटी एंजाइम के स्तर को रक्त में जाँचकर जिगर की क्षति का निदान कर सकते हैं। कुछ दवाएं एसजीपीटी के स्तर को भी बढ़ा सकती हैं। एसजीपीटी लेवल बढ़ने के पीछे निम्न कारण हो सकते हैं: 

  1. लिवर सिरोसिस
  2. लिवर कैंसर
  3. एक्यूट वायरल हेपेटाइटिस ए और बी
  4. सीलिएक रोग (यह पाचन से जुड़ी आम समस्या है जिसमें छोटी आंत में सूजन आ जाती है और आंत पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाता है।)
  5. मधुमेह
  6. दिल का दौरा
  7. अधिक मोटापा
  8. हेपेटाइटस सी  
  9. एपस्टीन-बार वायरस (यह वायरस लार के जरिए फैलता है और सीधा इम्यून सिस्टम पर वार करता है।)
  10. पित्ताशय थैली की सूजन
  11. डर्मेटोमायोसाइटिस

एसजीपीटी को नियंत्रित कैसे कर सकते है? - How to control SGPT in Hindi?

आहार और सही जीवन शैली आपके लिवर और आपके शरीर को उनकी स्वस्थ स्थिति में रखने में मदद कर सकते हैं। लेकिन, कई बीमारियों और अन्य स्तिथियों के कारण एसजीपीटी अधिक बढ़ जाता है। एसजीपीटी लेवल बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि अनियंत्रित खान-पान, अधिक शराब और स्मोकिंग का सेवन, मोटापा, मधुमेह, एक्यूट वायरल हेपेटाइटिस ए और बी, या लिवर कैंसर आदि जैसे रोग। ऐसे में एसजीपीटी का स्तर नियंत्रित करने के लिए निम्न चीजें करें:

१. डाइट से एसजीपीटी को नियंत्रित करें

२. जीवनशैली में सुधार कर एसजीपीटी को नियंत्रित करें

३. मेडिकल उपचार लें

How to regulate SGPT in blood

डाइट से एसजीपीटी को नियंत्रित करें - Control SGPT with Diet

मरीजों को पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेना चाहिए। डाइट में आर्गेनिक फूड (बिना कीटनाशक और रसायनों से पैदा हुई सब्जी और फल) शामिल करने से लिवर को कार्य करने में आसानी होती है और एसजीपीटी का स्तर सामान्य हो सकता है। आर्गेनिक फूड में एंटी-ऑक्सीडेंट, मिनरल्स और विटामिन होते हैं। इसके साथ ही आर्गेनिक फूड में वसा काफी कम होता है। इसके अलावा, विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों को अपने डायट में शामिल करें। विटामिन डी ना सिर्फ हमें लिवर डैमेज से बचाता है बल्कि एसजीपीटी स्तर को भी कम करता है। एसजीपीटी को नियंत्रित करने के लिए इन खाद्य पदार्थ का सेवन करे:

  1. टोफू
  2. सोया मिल्क
  3. डेरी प्रोडक्ट्स
  4. फोर्टीफाइड सीरियल्स
  5. मशरूम
  6. हरी पत्तेदार सब्जियां
  7. क्रूसिफेरस सब्जियां - क्रूस वाली सब्जियों में ब्रसेल्स स्प्राउट्स, ब्रोकोली, फूलगोभी, केल और सरसों के साग शामिल हैं
  8. कॉड लिवर ऑइल
  9.  फिश
  10. अंडे
  11. सीप
  12. ओएस्टर 
  13. कैवियार

आप अपने खान पान में जूस का सेवन भी कर सकते है। एसजीपीटी को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित जूस फायदेमंद होगा: 

  1. चुकंदर का जूस: चुकंदर का जूस पोटैशियम, विटामिन सी, विटामिन डी और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। यह आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को छानने में मदद करेगा। इसमें चुकंदर के साथ सेब, खीरा, ताजा पुदीना और कुछ हरी सब्जियां भी मिला सकते हैं।
  2. संतरे का जूस: संतरे का जूस एक स्वस्थ पेय है जिसे आप अपने लिवर को डिटॉक्सीफाई करने के लिए अपने आहार में शामिल कर सकते है। संतरे के जूस में भरपूर मात्रा में पोटेशियम और विटामिन सी होता हैं, जो आपके लिवर की कोशिकाओं को विषाक्त (टॉक्सिक) पदार्थों से बचाता है। 
  3. नींबू का जूस: लिवर डिटॉक्सीफिकेशन (विषाक्त पदार्थों को हटाने की प्रक्रिया) के लिए सबसे सस्ता और अच्छा है नींबू। नींबू में शरीर को शुद्ध करने वाले पदार्थ ( एंटी - ऑक्सीडेंट) मौजूद होते हैं। इसलिए नींबू का जूस का सेवन लिवर को स्वस्थ रखने के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। आप नींबू के रस में हल्दी मिलाकर इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों का भी लाभ उठा सकते हैं। 
  4. गाजर का जूस: गाजर आसानी से उपलब्ध होने वाली सब्जी है जो आपके लिवर को अच्छे से साफ़ करने का काम करती है। गाजर में रेटिनोइक एसिड होता है जो लिवर की रक्षा करता है। इसीलिए इसे पीना चाहिए। गाजर के जूस में गाजर, नींबू और अदरक डालने से जूस और भी फायदेमंद हो सकता है।

यदि अगर आप को फैटी लिवर की समस्या है तोह फैटी लिवर डाइट के बारे में जानने के लिए फैटी लिवर डाइट चार्ट - क्या खाएं क्या नहीं | पर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते है।

जीवनशैली में सुधार कर एसजीपीटी को नियंत्रित करें

आपकी जीवनशैली के विकल्प आपके लिवर के स्वास्थ्य को निर्धारित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं और बहुत अधिक शराब, धूम्रपान और व्यायाम की कमी जैसी आदतें आपके लिवर को प्रभावित कर सकती हैं। इनसे लिवर में वसा, चर्बी जमा हो सकता है, जो लिवर के स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। एसजीपीटी को नियंत्रित रखने के लिए नीचे दिए गए जीवनशैली को अपनाये:

  1. शराब छोड़ दें: शराब आपके लिवर का सबसे बड़ा दुश्मन है। इसका सबसे अधिक असर लिवर पर पड़ता है। इसे छोड़ देने से बढ़ा हुआ एसजीपीटी की मात्रा काफी आसानी से नियंत्रित हो जाता है।
  2. स्मोकिंग छोड़ दें: शराब की तरह खतरनाक, धूम्रपान भी लिवर को नुकसान पहुंचाने का एक और प्रमुख कारण है। सिगरेट के धुएं में हानिकारक टॉक्सिन्स होते हैं जो लिवर तक जा सकते हैं और समय के साथ लिवर खराब हो सकता है। 
  3. स्वस्थ खाना शुरू करें: लिवर को स्वस्थ रखने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है संतुलित और स्वस्थ आहार का सेवन करना। खाने के पैटर्न में छोटे बदलाव करना जैसे पौष्टिक नाश्ता खाकर दिन की सही शुरुआत करना, आहार में भरपूर मात्रा में फल और सब्जियां शामिल करें, कुछ ऐसे बदलाव हैं जो लिवर को स्वस्थ बनाएंगे।  नमक, वसा, अधिक प्रोसेस्ड या जंक फूड का सेवन कम करना चाहिए।
  4. तनाव से लड़ना: बहुत से लोग नहीं जानते होंगे कि लिवर की सेहत और तनाव के बीच क्या संबंध है। यह एक झटके के रूप में आ सकता है, लेकिन तनाव लिवर के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक है। स्वस्थ लिवर के लिए शरीर को उचित आराम देना चाहिए।
  5. एक्सरसाइज करें: ब्रिस्क वॉकिंग, जॉगिंग, योग और स्विमिंग जैसी एक्सरसाइज करने से एसजीपीटी को सामान्य होने में मदद मिलती है। नियमित तौर पर कम से कम ३० मिनट की एक्सरसाइज करने से एसजीपीटी को नियंत्रण होने में आसानी होती है। 

मेडिकल उपचार लें

  1. मेडिकल उपचार से एसजीपीटी को नियंत्रित करने से पहले डॉक्टर आपके खून की जांच करेंगे। खून की जांच के परिणाम के आधार पर डॉक्टर आपका उपचार करेंगे।  
  2. लिवर में हेपेटाइटिस वायरस के वजह से इंफेक्शन हो सकता है। इसके कारण भी एसजीपीटी लेवल बढ़ जाता है। इसके लिए डॉक्टर आपको दवाइयां देंगे।
  3. मेडिकेशन के साथ आप हर्बल सप्लीमेंट ले सकते हैं। हर्बल सप्लीमेंट से एसजीपीटी स्तर को कम होने में मदद मिल सकती है। डॉक्टर की सलाह पर ही हर्बल सप्लीमेंट लेना चाहिए। 

अगर एसजीपीटी बढ़ जाएं तो क्या न करे?

लिवर की समस्याएं बढ़ने पर एसजीपीटी का स्तर बढ़ जाता है।  इसको नियंत्रित रखना ज़रूरी है। 

  1. उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन : हमारे लिवर में थोड़ा फैट होना सामान्य बात है परंतु अगर यह साधारण से अधिक बढ़ जाये तो यह फैटी लिवर बीमारी का कारण बन सकता है। इससे एसजीपीटी का स्तर बढ़ जाता है इसीलिए तेल में तले हुए खाद्य पदार्थ, ऑयली खाद्य पदार्थ, मीट फैट, चिकन स्किन, बटर, चीज़, सॉसेस, बेकन, जंक फूड्स, प्रोसेस्ड फ़ूड और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स जैसे पदार्थों को परहेज़ करना बेहतर है। 
  2. शराब का सेवन : शराब फैटी लिवर की बीमारी के साथ-साथ लिवर की अन्य बीमारियों का एक प्रमुख कारण हो सकता है जिससे एसजीपीटी का स्तर अधिक बढ़ सकता है। इसीलिए हमे शराब के सेवन से परहेज करना चाहिए। 
  3. एडेड साल्ट (नमक) का सेवन : बहुत अधिक नमक का सेवन करने से नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर रोग होने खतरा बढ़ सकता है और एसजीपीटी का स्तर सीमा से बाहर हो सकता है। इसीलिए जिन लोगों क एसजीपीटी का स्तर बढ़ा हुआ है, उन्हें नमक का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए। 
    How to decrease sgpt level

सारांश

इस लेख में हमने समझा कि एसजीपीटी एक एंजाइम होता है जो लिवर और हृदय की कोशिकाओं में पाया जाता है। जब लिवर या हृदय में कोई दिक्कत होती है तो खून में एसजीपीटी का स्तर बढ़ जाता है। एसजीपीटी को डाइट में सुधार करके, जीवनशैली में अच्छे बदलाव लाकर, व्यायाम करके और डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का सेवन करने से नियंत्रण में लाया जा सकता है।

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अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

एसजीपीटी को जल्दी कम करने के लिए आर्गेनिक फ़ूड और विटामिन-डी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। एक स्टडी के मुताबिक आर्गेनिक फ़ूड और विटामिन डी ना सिर्फ हमें लिवर डैमेज से बचा सकते हैं बल्कि एसजीपीटी लेवल को कम करने में मदद कर सकते हैं। वहीं, फैट की प्रचुर मात्रा वाले खाद्य पदार्थ से दूर रहें, अधिक नमक या सोडियम वाले खाद्य पदार्थ न लें, शराब और स्मोकिंग छोड़ दें, नियमित एक्सरसाइज करें और दूसरे हानिकारक केमिकल के सम्पर्क से भी बचें आदि। 

एसजीपीटी बढ़ने या घटने में हमारे खान-पान और जीवनशैली की बड़ी भूमिका रहती है। इसीलिए यदि आप अपने खान-पान और जीवनशैली को बेहतर रखते है, तो एसजीपीटी को नियंत्रित कर सामान्य रखने में मदद होगी। अन्य विटामिन्स के अलावा मुख्य रूप से विटामिन-डी हेपेटोसाइट्स या लिवर कोशिकाओं के नुकसान को रोकने में सहायता कर सकता है। वहीं, एसजीपीटी के लेवल को कम करने में मदद करता है। हरे पत्ते वाली सब्जियां, मशरूम, दृढ़ अनाज, संतरे, सोया दूध, सेब, अंडे, डेरी उत्पाद, टोफू, कॉड लिवर तेल और सीप आदि विटामिन डी  के अच्छे स्रोत हैं।

इसके अलावा, एसजीपीटी बढ़ने पर मरीज को आर्गेनिक फ़ूड यानि जैविक भोजन करना चाहिए। आर्गेनिक फूड में एंटी-ऑक्सीडेंट, मिनरल्स और विटामिन्स की भरमार होती हैं जिससे एसजीपीटी नियंत्रित करने में सहायता मिलती हैं।

लिवर के बेहतर स्वस्थ्य के लिए चुकंदर का जूस, संतरे का जूस, नींबू का जूस, गाजर का जूस का सेवन करना चाहिए।

 

चावल में मौजूद कार्बोहाइड्रेट जल्दी से ग्लूकोज में बदलते हैं जिससे फैटी लिवर के मरीज में रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) की मात्रा बढ़ सकती है। शरीर में रक्त शर्करा बढ़ने से फैटी लिवर की समस्या और अधिक बढ़ सकती है। इसीलिए फैटी लिवर के मरीज़ को चावल का सेवन करने से बचना चाहिए।

हमारे लिवर और हृदय की कोशिकाओं में पाया जाने वाला एसजीपीटी। आमतौर पर एंजाइम का स्तर सामान्य रहने पर कोई समस्या नही होती है लेकिन यदि लिवर किसी कारण से डैमेज होता है तो एसजीपीटी कोशिकाओं से बाहर निकलकर खून में मिल जाता है। इस वजह से एसजीपीटी का स्तर बढ़ने लगता है। सामान्य एसजीपीटी लेवल की रेंज ७ से ५५ यूनिट /लीटर ब्लड होती है। आमतौर पर ५५ यूनिट / लीटर ब्लड से अधिक कुछ भी असामान्य माना जाता है। यदि आपके टेस्ट के परिणाम बताते हैं कि आपका एसजीपीटी लेवल ६५ से अधिक हो गया है, तो इसे एसजीपीटी का ख़तरनाक लेवल माना जा सकता है।

एसजीपीटी एक एंजाइम है, जो लिवर और हृदय की कोशिकाओं में पाया जाता है। जब लिवर डैमेज हो जाता है तब एसजीपीटी कोशिकोओं से बाहर आकर ख़ून में मिल जाता है। सामान्य एसजीपीटी लेवल की रेंज ७ से ५५ यूनिट /लीटर ब्लड होती है। परंतु यदि एसजीपीटी लेवल की रेंज ५५ से अधिक हो जाएं तो यह दिक्कत पैदा कर सकता है। आमतौर पर एसजीपीटी अधिक बढ़ने पर लिवर में इन्फेक्शन और लिवर की बीमारी होना आदि दिक्कतें होती हैं। यदि एसजीपीटी अधिक बढ़ जाये और नियंत्रण से बाहर हो जाये तो लिवर पूरी तरह अपना काम करना बंद कर सकता है।

एसजीपीटी टेस्ट लिवर फंक्शन के परीक्षण में से एक होता है। इसका उपयोग अंदरूनी अंगों और ऊतकों संबंधी समस्याओं की जांच करने के लिए भी किया जा सकता है। सामान्य एसजीपीटी लेवल की रेंज ७ से ५५ यूनिट प्रति लीटर ब्लड होती है। जब किसी कारण से लिवर डैमेज हो जाता है तो एसजीपीटी कोशिकोओं से बाहर आ जाता है और खून में मिल जाता है। यदि इसकी रेंज ५७ या इससे अधिक यूनिट प्रति लीटर ब्लड हो जाती है तो लिवर डैमेज हो सकता है।

लिवर हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। यदि हम अपने खान-पान और जीवनशैली का सही से ख्याल नहीं रखते है तो हमें लिवर से जुडी कई मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में हमारे लिवर के बेहतर स्वास्थ्य के लिए बेल का फल एक अच्छा घरेलू इलाज है। इसके अलावा, नियमित व्यायाम और योग करना, संतुलित आहार लेना हमारे लिवर के लिए काफी अच्छा होता हैं। वहीं, हमारे खान-पान में ग्रीन टी, फलों का जूस, अखरोट, हल्दी, एवोकाडो, चुकंदर, लहसुन और सेब आदि को शामिल करना चाहिए। इसके साथ-साथ शराब, स्मोकिंग और जंक फ़ूड आदि के सेवन से परहेज़ करना चाहिए।

लिवर और हृदय की कोशिकाओं में पाया जाने वाला एसजीपीटी एक एंजाइम है। हृदय या लिवर में कोई समस्या आने पर एसजीपीटी एंजाइम कोशिकाओं से निकलकर खून में मिल जाता है जिसके कारण खून में इसका स्तर बढ़ जाता है। जब एसजीपीटी का लेवल बढ़ जाता है तब उसे कम करना सही खान-पान और इलाज के प्रकार पर निर्भर करता है। यदि हेपेटाइटिस बी, ड्रग्स और अल्कोहल के कारण लिवर इन्फेक्शन होता है और एसजीपीटी बढ़ता है तो इसे सामान्य होने में और अधिक समय लग सकता है।

Last Updated on: 5 September 2024

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Aman Priya Khanna

Dr. Aman Priya Khanna

MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES

12 Years Experience

Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More

लेखक

Rajath R Prabhu

Rajath R Prabhu

MSc. Clinical Research I PG Diploma in Public Health Services Management

3 Years Experience

His work in medical content writing and proofreading is noteworthy. He has also contributed immensely to public health research and has authored four scientific manuscripts in international journals. He was assoc...View More

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