कितना असहज होगा यदि हमारे पेट या छाती के निचले हिस्सों पर मांसपेशी की थैली लटक आए। जी हां, ऐसा हो सकता है। यह एक रोग है जिसे हर्निया के नाम से जाना जाता है। इससे पीड़ित व्यक्ति के पेट, सीने या कमर पर गांठे उभर आती हैं जो दर्द भी कर सकती हैं।
यह गांठें शरीर के भीतरी हिस्से जैसे पेट की गुहा में भी हो सकती हैं जो बाहर से दिखाई नही देती हैं। हर्निया को पूरी तरह ठीक करने का एकमात्र इलाज ऑपरेशन होता है। हर्निया रोग क्या होता है? इसके लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानने के लिए पढ़ना जारी रखें।
हर्निया रोग एक ऐसी स्थिति है जिसमे शरीर के अंदर के कुछ हिस्से जैसे आंत के हिस्से; पेट की कमजोर दीवार को धकेलकर बाहर निकलने लगते हैं। बाहर से छूने या देखने पर ये गांठ जैसे महसूस होते हैं लेकिन हर मामले में हर्निया बाहर से दिखाई नही देता है।
हर्निया जन्मजात या उम्र बढ़ने के साथ हो सकता है। यह अक्सर सीने के निचले हिस्से, कमर या फिर पेट के बीच में होता है। इसके अलावा यदि मरीज की सर्जरी हुई है तो जहां चीरे लगे हैं, वहां पर भी हर्निया हो सकता है।
ऑपरेशन कराने वाले १५% लोगों में हर्निया होने का जोखिम रहता है। आमतौर पर देखा जाए तो १०० में से २५ पुरुषों को इंगुइनल हर्निया की समस्या होती है। वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा सिर्फ २% है।
हर्निया कई जगहों पर हो सकता है जैसे पेट में, सीने में, इत्यादि। इसलिए कारण और प्रभावित क्षेत्र के आधार पर इसे कुछ प्रकार में बांटा जा सकता है। इसके मुख्य रूप से ८ प्रकार हो सकते हैं जो निम्न हैं:
इंगुइनल हर्निया: यह हर्निया सबसे सामान्य रूप से देखा जाने वाला हर्निया होता है। जितने भी तरह के हर्निया होते हैं उनमें से लगभग ७५% इंगुइनल हर्निया होते हैं। आमतौर पर यह हर्निया पुरुषों में देखा जाता है। इस हर्निया में आंत का कुछ हिस्सा जांघों के अंदर मौजूद इंगुइनल नहर में चला जाता है।
वेंट्रल हर्निया: यह हर्निया पेट के बाहरी सतह पर होता है।
हाइटल हर्निया: इस तरह के हर्निया में पेट का कुछ हिस्सा, फेफड़े के डायाफ्राम से बाहर निकलकर छाती में आ जाता है। यह उम्र बढ़ने के साथ होने वाला हर्निया है।
अंबिलिकल हर्निया: इस तरह के हर्निया आमतौर पर जन्मजात होते हैं। इसमें आंतों का कुछ हिस्सा नाभि के अगल - बगल से बाहर निकलता है।
पेरीनियल हर्निया: इस तरह का हर्निया सामान्यतः कम देखा जाता है। इस प्रकार के हर्निया में अंग का हिस्सा एब्डॉमिनल कैविटी यानी पेट की गुहा में पहुंच जाता है। इसलिए बैठते समय मरीज को दर्द हो सकता है।
इंसीजनल हर्निया: इस प्रकार का हर्निया बीते दिनों में हुए सर्जरी के कारण होता है। इस हर्निया में अंग का हिस्सा पेट में लगे चीरों से बाहर आता है।
फीमोरल हर्निया: इस तरह का हर्निया बहुत कम देखने को मिलता है। यह जांघों के अंदर फीमोरल नहर में होता है। आमतौर पर यह महिलाओं में देखा जाता है।
जन्मजात हर्निया: यह हर्निया जन्म से होने वाला एक विकार है। जब पेट में बच्चे का विकास होना शुरू होता है तो उस समय डायाफ्राम अच्छे से बंद नही हो पाता है। इससे पेट के कुछ हिस्से छाती में चले जाते हैं और डायाफ्राम से होकर बाहर निकलते हैं।
हर्निया रोग के लक्षण कई चीजों पर निर्भर करते हैं जैसे हर्निया की गंभीरता, हर्निया कौन सी जगह हुआ है, इत्यादि। सामान्यतः देखा जाए तो हर्निया के निम्नलिखित लक्षण और संकेत होते हैं:
उभार या गांठ - गांठ या उभार, अक्सर जब आप खड़े होते हैं, खांसते हैं या तनाव करते हैं जो कमजोर क्षेत्र के माध्यम से किसी अंग या ऊतक के बाहर निकलने का संकेत देता है।
दर्द या असुविधा - गांठ या उभार के आसपास हल्का या तेज दर्द, खासकर उठाने, झुकने या खांसने पर।
दर्द या दबाव - प्रभावित क्षेत्र में भारीपन या दबाव की भावना, संभवतः असुविधा होता है।
जलन की अनुभूति - कुछ लोगों को हर्निया की जगह पर जलन या परिपूर्णता की भावना का अनुभव हो सकता है।
कोमलता - उभार के आसपास का क्षेत्र छूने या दबाव डालने पर कोमल हो सकता है।
सूजन - गांठ के चारों ओर सूजन या वृद्धि, जिसका आकार समय के साथ भिन्न हो सकता है।
हरकत के साथ परिवर्तन - जब आप लेटते हैं और उस पर धीरे से दबाव डालते हैं तो उभार कम हो सकता है। लेकिन जब आप खड़े होते हैं या तनाव करते हैं तो यह फिर से प्रकट हो सकता है।
अपच या एसिड रिफ्लक्स - कुछ मामलों में, ऊपरी पेट में हर्निया के कारण सीने में जलन, एसिड रिफ्लक्स या निगलने में कठिनाई जैसे लक्षण हो सकते हैं।
मतली या उल्टी - यदि हर्निया पाचन तंत्र को अवरुद्ध कर रहा है, तो यह गंभीर मामलों में मतली, उल्टी और यहां तक कि आंत्र रुकावट का कारण बन सकता है।
कोई लक्षण नही - किसी भी लक्षण का अनुभव किए बिना हर्निया होना संभव है, खासकर अगर यह छोटा है और कोई जटिलता पैदा नहीं कर रहा है।
हर्निया मुख्य रूप से मांसपेशियों पर लगातार दबाव पड़ने के कारण होता है। लेकिन इसके अलावा भी कई कारण हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं:
मांसपेशीय दबाव - शरीर के भीतर जब कमजोर मांसपेशी पर दबाव पड़ता है तो वह टूट जाती है। इससे अंदरूनी अंग का कुछ हिस्सा बाहर निकल आता है।
जन्मजात विकार -आमतौर पर नवजात शिशुओं के शरीर में जन्मजात छेद देखा जाता है जिससे हर्निया की समस्या हो जाती है।
कनेक्टिव टिश्यू में कमजोरी - कनेक्टिव टिश्यू शरीर के विभिन्न अंगों को एक दूसरे से जोड़कर रखता है। इसके कमजोर पड़ने पर अंग का हिस्सा अपने क्षेत्र से बाहर निकल सकता है।
हर्निया रोग के पीछे कुछ आदतें, बीमारियां और स्थितियां जिम्मेदार हो सकती हैं। इनमे से
कुछ मुख्य जोखिम कारक इस प्रकार हैं:
भारी वजन उठाना - ऐसा काम करना जिसमे दैनिक रूप से भारी वजन उठाना पड़ता हो।
लगातार खड़े रहना - लंबे समय तक खड़े रहने वाला काम करने से भी हर्निया रोग हो सकता है।
बीमारी - अगर कोई ऐसी बीमारी है जिसमे लंबे समय तक छींक या खांसी आती है तो हर्निया रोग का जोखिम रहता है। इसके अलावा कब्ज़ रोग भी एक जोखिम कारक हो सकता है।
आदतें - जिन लोगों को पेशाब या शौच के समय दबाव देना पड़ता है या इसकी आदत पड़ चुकी है, उन्हें हर्निया रोग का खतरा रहता है।
पेल्विक क्षेत्र या पेट का ऑपरेशन - यदि पहले कभी पेल्विक क्षेत्र या पेट का ऑपरेशन हुआ है तो इससे हर्निया रोग होने की संभावना होती है।
गर्भावस्था - महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान कई तरह के शारीरिक बदलाव होते हैं। इन बदलावों में पेट का दबाव भी शामिल होता है जिससे हर्निया रोग हो सकता है।
मोटापा - अगर कई वर्षों से मोटापे की समस्या है तो यह भी एक जोखिम कारक बन सकता है।
यदि मां के गर्भ में ही भ्रूण में कुछ विकार आ जाते हैं तो उन बच्चों को जन्मजात हर्निया हो सकता है।
बच्चों में जन्मजात हर्निया होने के जोखिम कारक निम्न हैं:
हिप डिसप्लेसिया - यह नवजात शिशुओं में होने वाली आम समस्या है। इसमें कूल्हों के जोड़ों में जो हड्डियां होती हैं,वो उपयुक्त रूप से फिट नही बैठ पाती हैं। वयस्क लोगों में हिप डिसप्लेसिया कम देखने को मिलती है।
बच्चे का समय से पहले जन्म होना - यदि बच्चे का जन्म समय से पहले हुआ है तो उसे जन्मजात हर्निया का जोखिम रहता है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस - यह एक आनुवांशिक बीमारी है जिसमे फेफड़े और अमाशय सहित कई अंगों में बलगम बनने लगता है।
सबसे पहले डॉक्टर, मरीज के मेडिकल इतिहास के बारे में पूछते हैं जैसे पहले कोई सर्जरी हुई हो, कोई बीमारी हो, इत्यादि। इसके बाद डॉक्टर निम्न जांच कर सकते हैं:
शारीरिक परीक्षण - जब आप खांसते हैं या जोर लगाते हैं तो डॉक्टर प्रभावित क्षेत्र को महसूस करेंगे, ध्यान देने योग्य गांठ या उभार की तलाश करेंगे जो हर्निया का संकेत दे सकता है।
चिकित्सा इतिहास - हर्निया की संभावना निर्धारित करने में मदद के लिए आपका डॉक्टर आपके लक्षणों, आपको होने वाली किसी भी असुविधा और आपके चिकित्सा इतिहास के बारे में पूछेगा।
इमेजिंग परीक्षण - कुछ मामलों में, आपका डॉक्टर हर्निया और उसके स्थान के बारे में स्पष्ट जानकारी प्राप्त करने के लिए अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन या एमआरआई जैसे इमेजिंग परीक्षण का आदेश दे सकता है।
बेरियम स्वैलो - संदिग्ध हायटल हर्निया के लिए, आपको हर्निया की स्थिति देखने के लिए एक्स-रे लेने से पहले एक कंट्रास्ट सामग्री निगलने के लिए कहा जा सकता है।
एंडोस्कोपी - यदि हायटल हर्निया के कारण पाचन संबंधी समस्याएं होने का संदेह है, तो अन्नप्रणाली और पेट को सीधे देखने के लिए एंडोस्कोपी की जा सकती है।
डॉक्टर के सलाह के लिए आप खुद को इस तरह तैयार कर सकते हैं:
जो भी लक्षण या समस्याएं हो रही हों; उनकी लिस्ट तैयार करे लें।
अपने साथ में किसी करीबी को ले जा सकते हैं।
डॉक्टर से मिलने पर अपनी सारी जानकारी जैसे पुरानी बीमारी, ऑपरेशन, इत्यादि के बारे में बताएं।
हर्निया के परामर्श में आप डॉक्टर से निम्न चीजों की उम्मीद लगा सकते हैं:
सबसे पहले डॉक्टर आपकी समस्याओं को सुनते हैं और मेडिकल इतिहास को जानते हैं।
इसके बाद हर्निया को पहचानने के लिए कुछ शारीरिक जांच जैसे हर्निया के गांठों को देखने का प्रयास करते हैं।
फिर कुछ जांच जैसे अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन या एक्स रे कराने की सलाह देते हैं।
अंततः हर्निया का ऑपरेशन कराने की सलाह दे सकते हैं।
मरीज के मन में कई सवाल हो सकते हैं जिसमे से कुछ मुख्य सवाल इस प्रकार हैं:
हर्निया क्या होता है?
हर्निया का उपचार कैसे किया जाता है?
क्या अल्ट्रासाउंड से हर्निया का पता लगाया जा सकता है?
हर्निया में क्या खाना चाहिए?
हर्निया में कुछ परहेज करने की जरूरत है?
क्या मुझे जन्मजात हर्निया है?
क्या हर्निया का इलाज दवाइयों से हो सकता है?
हर्निया के ऑपरेशन में कितना खर्च होता है?
क्या मुझे ऑपरेशन के बाद अस्पताल में ही रुकना पड़ेगा?
हर्निया का ऑपरेशन होने के बाद क्या जटिलताएं और खतरे होते हैं?
अगर मै हर्निया का ऑपरेशन नही कराऊं तो क्या होगा?
हर्निया के गंभीरता के आधार पर डॉक्टर इसका इलाज करते हैं। यदि हर्निया के कारण कई तरह के लक्षण दिख रहे हैं जैसे तेज दर्द हो रहा हो तो डॉक्टर ऑपरेशन करवाने की सलाह देते हैं।
ऑपरेशन की जगह डॉक्टर एब्डॉमिनल बाइंडर या ट्रस का इस्तेमाल करते हैं। बिना ऑपरेशन किए हर्निया का उपचार निम्न प्रकार से किया जा सकता है:
घरेलू उपाय
हर्निया रोग में लक्षणों को कम करने के लिए घरेलू उपायों की सहायता ली जा सकती है। कुछ घरेलू उपाय इस तरह हैं:
शराब और स्मोकिंग छोड़ें - हर्निया के लक्षणों में बढ़ोत्तरी शराब और स्मोकिंग करने से हो सकती है, इसलिए इन्हें धीरे - धीरे छोड़ने का प्रयास करें।
योगासन करें -रिड्यूसिबल हर्निया होने पर कुछ योगासन की मदद से लक्षणों को कम किया जा सकता है। जैसे:
वज्रासन - यह ध्यान करने वाला आसन है जो योग की शुरुआत के लिए किया जाता है।
पवनमुक्तासन - इससे पेट की मासपेशियों में मजबूती आती है। इसके अलावा पेट के अंदर मौजूद गैस को बाहर निकालने में मदद करता है।
सर्वांगासन - इस आसन को करने से पेट में मौजूद चीजें छाती की ओर जाती हैं जिससे पेट का दबाव कम होता है।
मत्स्यासन - यह आसन सर्वांगासन का पूरक है। इसे करने से गर्दन पर लग रहा फ्लेक्सन बल बेअसर हो जाता है। इससे हर्निया में वृद्धि नही होती है।
उष्ट्रासन और पश्चिमोत्तासन - उष्ट्रासन पेट की मासपेशियों को फैलाने के लिए किया जाता है और पश्चिमोत्तासन करने से मासपेशियों में सिकुड़न होता है। दोनों योगासन करने से हर्निया के लक्षणों में कमी देखा जा सकता है।
आयुर्वेदिक उपचार
हर्निया रोग में आयुर्वेद की भी मदद ली जा सकती है। इससे लक्षणों में सुधार देखने को मिल सकता है। इंगुइनल हर्निया में आर्युवेद के निम्न उपचारों की मदद ली जा सकती है:
संशोधन थेरेपी: इस थेरेपी की मदद से शरीर की नाड़ियां साफ हो जाती हैं और औषधि का लाभ पहुंचाने में मदद मिलती है। इसमें निम्न चीजों का इस्तेमाल किया जाता है:
वाताहार द्रव्यों के साथ विरेचन,निरूहा वष्टि, त्रैव्रत स्नेहना और स्वेदन का मिश्रण इस्तेमाल होता है।
अनुवासना वस्टि के साथ यश्तिवंधु तेल का प्रयोग किया जाता है।
स्निग्ध विरेचन को दूध और एरंडा तेल के साथ मिलाकर प्रयोग में लाया जाता है।
इसके अलावा कुछ आयुर्वेदिक औषधियां भी हैं जिनका इस्तेमाल करने से लक्षणों में कमी देखी जा सकती है। कुछ मुख्य औषधियों के नाम इस प्रकार हैं:
वारा चूर्ण
कचनार गुग्गुल
चित्रकड़ी वटी
महाशंख वटी
वरुणादि वटी
अनुवासना वष्टि
यष्टिमधु तेल
पीपली, जीरका, कुष्टा,बदरा और शुष्क गोमाया का मिश्रण
रस्ना,यष्टिमधु,गुदुची,बाल, गोक्षुरा,पटोला और वसा का काढ़ा
आयुर्वेदिक उपचार में बताई गई औषधियों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक वैद्य की सलाह पर ही करनी चाहिए।
होम्योपैथिक उपचार
हर्निया रोग को ठीक करने में होम्योपैथिक उपचार भी सहायक हो सकता है। एक जर्नल के अनुसार अंबिलिकल हर्निया को होम्योपैथिक दवाओं के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। खासकर इन दवाओं की मदद से हर्निया के लक्षणों में कमी देखी जा सकती है। कुछ मुख्य होम्योपैथिक दवाएं निम्न हैं:
कैलकेरिया कार्ब. २०० - यह हर्निया, विशेषकर नाभि संबंधी हर्निया के इलाज के लिए एक शीर्ष होम्योपैथिक दवा है। यह मुख्य रूप से मोटे लोगों के लिए निर्धारित है, जिनके पेट में अत्यधिक चर्बी के कारण पेट की मांसपेशियां कमजोर होती हैं।
लाइकोपोडियम २०० - होम्योपैथिक दवा लाइकोपोडियम क्लैवाटम हर्निया के उन रोगियों के लिए बहुत मददगार है जो कमजोर पाचन और पेट में अत्यधिक पेट फूलने से पीड़ित हैं। जिन रोगियों को इस दवा की आवश्यकता होती है वे मीठा खाना पसंद करते हैं और गर्म भोजन और पेय की लालसा रखते हैं।
रस टॉक्सिकोडेंड्रोन २०० - यह होम्योपैथिक दवा हर्निया के ऐसे सभी मामलों के इलाज के लिए बहुत फायदेमंद है जहां भारी वजन उठाने से अत्यधिक तनाव के कारण पेट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इससे पेट की मांसपेशियां मजबूत होकर मरीजों को मदद मिलती है।
सिलिसिया २००- सिलिसिया हर्निया के उन रोगियों के लिए बहुत मददगार होम्योपैथिक दवा है, जिन्हें पैरों पर अत्यधिक पसीना आता है। रोगी को हमेशा बहुत ठंड लगती है और उसे गर्म कपड़े पहनने की इच्छा होती है।
हर्निया रोग को पूरी तरह ठीक करने के लिए ऑपरेशन ही एकमात्र इलाज होता है। इन में ३ तरह के ऑपरेशन होते हैं जो निम्न हैं:
ओपेन हर्निया रिपेयर - हर्निया में प्रायः इस ऑपरेशन को किया जाता है। इस ऑपरेशन में जो हर्निया की गांठ होती हैं उसे अंदर कर दिया जाता है। इसके बाद पेट की दीवार को टांके या सर्जिकल मेश लगाकर बंद कर दिया जाता है।
लैप्रोस्कोपिक हर्निया रिपेयर - इस सर्जरी में मरीज को जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है। इस ऑपरेशन में लगभग ३ छोटे चीरे लगाए जाते हैं। फिर एक छेद से सूक्ष्मदर्शी यंत्र (लैप्रोस्कोप) को अंदर डाला जाता है। इससे अंदर की सभी चीजें टीवी स्क्रीन पर दिखाई देती हैं और सर्जन आसानी से ऑपरेशन कर पाते हैं।
रोबोटिक हर्निया रिपेयर - इस सर्जरी को भी लैप्रोस्कोप की मदद से किया जाता है लेकिन इसमें सर्जन अपने हाथों से ऑपरेशन नही करता है। ऑपरेशन करने के लिए रोबोट का इस्तेमाल किया जाता है और सर्जन एक जगह बैठकर रोबोट को कंप्यूटर के माध्यम से निर्देश देता है।
ऑपरेशन होने के कुछ घंटों बाद मरीज अपने घर जा सकता है। हर्निया ऑपरेशन से रिकवर होने कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक लग सकते हैं।
हर्निया सर्जरी की लागत कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे:
हॉस्पिटल: हर्निया सर्जरी की लागत हॉस्पिटल के प्रकार पर भी निर्भर करता है। सुपर स्पेशलिटी और बड़े हॉस्पिटल में खर्च अधिक लग सकता है वहीं छोटे हॉस्पिटल में कम खर्च आता है।
सर्जरी: यदि हर्निया की सर्जरी लैप्रोस्कोपिक और रोबोटिक विधि से होती है तो खर्च अधिक आ सकता है।
हर्निया का प्रकार: अलग - अलग हर्निया में सर्जरी का खर्च कम या ज्यादा हो सकता है। आमतौर पर स्ट्रैगुलेटेड हर्निया के मामलों में ज्यादा खर्च आ सकता है।
रोगी की उम्र और स्थिति: रोगी की उम्र यदि अधिक है या मरीज की स्थिति गंभीर है तो खर्च अधिक लग सकता है।
हर्निया प्रक्रिया | कीमत |
वंक्षण हर्निया सर्जरी | ₹ ३५,००० - ₹ १,२०,००० |
वेंट्रल हर्निया सर्जरी | ₹ ५०,००० - ₹ १,८०,००० |
नाभि संबंधी हर्निया सर्जरी | ₹ ४०,००० - ₹ १,९५,००० |
लैप्रोस्कोपिक इंगुइनल/ हाइटल रिपेयर | ₹ ४५,००० - १,५०,००० |
ज्यादातर मामलों में जब हर्निया फंस जाता है और वापस नहीं जा पाता है तब जटिलताएं बढ़ जाती हैं।
हर्निया की मुख्य जटिलताएं इस प्रकार हैं:
अंग बाँधकर - हर्निया फंस सकता है, जिससे उसकी रक्त आपूर्ति बंद हो सकती है। यह एक चिकित्सीय आपात स्थिति है जिसमें ऊतक क्षति को रोकने के लिए तत्काल सर्जरी की आवश्यकता होती है।
रुकावट - कुछ मामलों में, हर्निया पाचन तंत्र के माध्यम से भोजन या मल के मार्ग को अवरुद्ध कर सकता है, जिससे मतली, उल्टी और पेट में दर्द हो सकता है।
असुविधा और दर्द - हर्निया लगातार असुविधा और दर्द का कारण बन सकता है, खासकर खड़े होने, उठाने या खांसने पर।
बड़ा हर्निया - समय के साथ, हर्निया बड़ा हो सकता है और अगर तुरंत इलाज न किया जाए तो इलाज करना अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
ऊतक क्षति - यदि हर्निया का गला घोंट दिया जाता है, तो रक्त की आपूर्ति में कमी के कारण फंसे हुए ऊतक क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
संक्रमण - दुर्लभ मामलों में, हर्निया संक्रमित हो सकता है, जिससे प्रभावित क्षेत्र में लालिमा, दर्द और सूजन हो सकती है।
यदि आपको हर्निया के निम्न लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:
हर्निया का रंग बदलना
हर्निया का सुन्न हो जाना
बुखार आना
मतली आना
उल्टी होना
अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार एक अध्ययन में यह पाया गया कि आहार और जीवनशैली में सुधार लाकर हर्निया के लक्षणों में देखा जा सकता है।
निम्न आहार का सेवन करने से लक्षणों को कम किया जा सकता है:
उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ - कब्ज को रोकने और मल त्याग के दौरान तनाव को कम करने के लिए साबुत अनाज, फल, सब्जियां और फलियां जैसे फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें।
लीन प्रोटीन - मांसपेशियों के स्वास्थ्य का समर्थन करने और पेट क्षेत्र पर दबाव कम करने के लिए चिकन, टर्की, मछली और पौधों पर आधारित विकल्पों जैसे लीन प्रोटीन स्रोतों का चयन करें।
कम वसा वाले विकल्प - एसिड रिफ्लक्स और असुविधा के जोखिम को कम करने के लिए कम वसा वाले या गैर-चिकना खाद्य पदार्थ चुनें, खासकर यदि आपको हाइटल हर्निया है।
ट्रिगर खाद्य पदार्थों से बचें - मसालेदार, अम्लीय और चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहें जो एसिड रिफ्लक्स या हार्टबर्न के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं।
कार्बोनेटेड पेय पदार्थों को सीमित करें - कार्बोनेटेड पेय से सूजन और गैस हो सकती है, जिससे संभावित रूप से हर्निया से संबंधित परेशानी बढ़ सकती है।
हर्निया एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी उम्र में हो सकती है। बच्चों में हर्निया अक्सर जन्मजात देखी जाती है। हर्निया रोग को पूरी तरह ठीक करने के लिए ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है।
अगर आप हर्निया से जूझ रहे हैं और बेहतर सुझाव चाहते हैं तो मदद ले सकते हैं। हमारी पर्सनल केयर टीम आपके सभी उलझनों को सुलझा सकती है। HexaHealth पर आप इस बात के लिए निश्चिंत रह सकते हैं कि यहां पर आपको सही और सटीक जानकारी मिलती है।
हर्निया पर अधिक पढ़ने के लिए, नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
हर्निया एक ऐसा रोग है जिसमे शरीर के भीतरी हिस्से जैसे आंतें पेट की दीवार को धकेलकर बाहर निकलने लगती हैं जो बाहर से गांठ जैसी दिख सकती है। हालांकि कुछ मामलों में ये शरीर के भीतर ही रहती हैं और बाहर से कोई लक्षण नहीं दिखते हैं।
हर्निया होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं:
शरीर में कोई जन्मजात छेद होना।
ऑपरेशन में लगे चीरों पर भीतरी अंगों का दबाव पड़ना
शरीर के कनेक्टिव टिश्यू का कमजोर पड़ना
पेट की मांसपेशियों का कमजोर होना
कमजोर मांसपेशी के सतह पर लगातार दबाव बनना
हर्निया के मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं:
गांठ या सूजन होना
लेटने पर गांठ का न दिखाई पड़ना
पाचन ठीक न होना
नीचे झुकते समय आंतों में भारीपन या असहजता होना
खांसते समय या खड़े होने पर गांठ बढ़ा हुआ दिखना
काम करते समय दर्द होना
हर्निया के निदान के लिए डॉक्टर कई तरह के जांच करते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
शारीरिक परीक्षण: डॉक्टर शरीर के लक्षणों और गांठ को देखकर पता लगाते हैं।
इमेजिंग टेस्ट: हर्निया को जांचने के लिए डॉक्टर कुछ इमेजिंग टेस्ट जैसे अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एमआरआइ कराने की सलाह दे सकते हैं।
एक्स - रे: किसी मामले में एक्स - रे कराने की भी जरुरत पड़ सकती है।
हर्निया का एकमात्र इलाज ऑपरेशन है। ऑपरेशन के माध्यम से हर्निया को अंदर कर दिया जाता है। हालांकि हर मामले में हर्निया का ऑपरेशन नही कराना पड़ता है।
हर्निया मुख्य रूप से ८ प्रकार के होते हैं जो इस तरह हैं:
वेंट्रल हर्निया
हाइटल हर्निया
अंबिलिकल हर्निया
पेरीनियल हर्निया
इंसीजनल हर्निया
फीमोरल हर्निया
जन्मजात हर्निया
इंगुइनल हर्निया
अंबिलिकल हर्निया यानी गर्भनाल हर्निया आमतौर पर जन्मजात रूप से होता है। इस हर्निया में आंत का कुछ हिस्सा नाभि के आस - पास से गांठ के रूप में बाहर निकलता है।
हर्निया के उपचार में मुख्य रूप से ३ तरह के ऑपरेशन होते हैं जो इस प्रकार हैं:
ओपेन हर्निया रिपेयर
लैप्रोस्कोपिक हर्निया रिपेयर
रोबोटिक हर्निया रिपेयर
मरीज की स्थिति और हर्निया के प्रकार को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर किसी एक विधि से ऑपरेशन करते हैं।
जी हां, बच्चों में भी हर्निया रोग हो सकता है। लेकिन प्रायः बच्चों में हर्निया जन्मजात विकार के कारण होता है।
सामान्यतः देखा जाए तो हर्निया का इलाज उसी दिन हो जाता है। ऑपरेशन होने के कुछ घंटों बाद मरीज अपने घर जा सकता है।
हर्निया सर्जरी के बाद निम्न सावधानियां रखनी चाहिए:
शरीर पर तनाव नही होना चाहिए।
एक्सरसाइज नही करना चाहिए।
लगभग ३ से ४ हफ्तों के बाद यौन संबंध या खेल - कूद करना चाहिए।
लगभग ४ हफ्तों तक अधिक वजन उठाने से बचना चाहिए।
हर्निया के लक्षणों जैसे दर्द इत्यादि को ठीक करने के लिए दर्द निवारक दवाइयों का इस्तेमाल होता है। लेकिन हर्निया का उपचार दवाइयों से नही होता है बल्कि ऑपरेशन से होता है।
हर्निया को जड़ से ख़त्म करने के लिए आमतौर पर सर्जरी की ही जरूरत पड़ती है। लेकिन यदि यह निम्न प्रकार का है तो बिना सर्जरी के भी डॉक्टर इसका इलाज करते हैं:
यदि आकार नही बढ़ रहा है।
लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं।
अगर भविष्य में हर्निया रोग के जोखिम कम हैं।
हर्निया के लक्षणों को नजरंदाज करने से निम्न परिणाम दिख सकते हैं:
हर्निया के लक्षणों को नजरंदाज करने पर यह आगे चलकर बढ़ सकता है।
हर्निया का आकार बढ़ने से रोगी को तेज दर्द और असहजता होती है।
यदि हर्निया स्ट्रैंगुलेट यानी अपने में ही फंस गया है तो इससे मौत का भी जोखिम रहता है।
हर्निया के उपचार में निम्न आयुर्वेदिक औषधियों का इस्तेमाल किया जा सकता है:
वारा चूर्ण
कचनार गुग्गुल
चित्रकड़ी वटी
महाशंख वटी
वरुणादि वटी
अनुवासना वष्टि
यष्टिमधु तेल
पीपली, जीरका, कुष्टा,बदरा और शुष्क गोमाया का मिश्रण
रस्ना,यष्टिमधु,गुदुची,बाल, गोक्षुरा,पटोला और वसा का काढ़ा
अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार एक अध्ययन में इंगुइनल हर्निया के मामले में योगासन को असरदार पाया गया है। अध्ययन के अनुसार निम्न योगासनों को करने से इंगुइनल हर्निया के लक्षणों में कमी देखने को मिल सकती है:
पवनमुक्तासन
मत्स्यासन
उष्ट्रासन
वज्रासन
सर्वांगासन
उत्थानपदासन
पश्चिमोत्तनासन
अमेरिका के राष्ट्रीय स्वाथ्य संस्थान के अनुसार एक अध्ययन में यह पाया गया कि जीवनशैली में बदलाव लाकर हर्निया होने की संभावना कम की जा सकती है। यह भी पाया गया कि मांस का सेवन कम करने से हर्निया का जोखिम कम रहता है। इसलिए अपने आहार में हरी सब्जियों और ताजे फलों को शामिल करना चाहिए।
मिथक: हर्निया सिर्फ मोटे लोगों को होता है।
तथ्य: हर्निया किसी को भी हो सकता है चाहे वह मोटा हो या पतला। हर्निया ऐसे लोगों को अधिक होता है जिनके पेट और कमर के हिस्सो पर दबाव बना रहता है।
मिथक: बच्चों को हर्निया नही होता है।
तथ्य: हर्निया बच्चों से लेकर बूढ़ों तक में हो सकता है। बच्चों में अक्सर जन्मजात हर्निया देखा जाता है।
मिथक: हर्निया केवल पुरुषों में होता है।
तथ्य: हर्निया किसी भी लिंग के व्यक्ति में हो सकता है चाहे वह पुरुष हो या महिला। महिलाओं में भी हर्निया होता है खासकर गर्भावस्था में।
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Last Updated on: 12 July 2024
Dr Saurabh Kumar Goyal is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic. He has 16 years of experience in general and laparoscopic surgery and worked as an expert Surgeon in ...View More
She has extensive experience in content and regulatory writing with reputed organisations like Sun Pharmaceuticals and Innodata. Skilled in SEO and passionate about creating informative and engaging medical conten...View More